मिजोरम में जो मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे हैं उन्होंने कांग्रेस पार्टी बहुत पहले छोड़ दी थी और निर्दलीय ही लड़ते थे।
5 साल पहले उन्होंने पार्टी बनाई है। मुद्दा ये है कि कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया और घमंडी MNF का भी, जिसने चिन और ईसाइयों के चक्कर में कहा था कि "मोदी जी यहां मत आना क्योंकि आप यहां घुसपैठियों की बात करोगे।"
पूरी संभावना है कि यहां सरकार बनाने जा रही पार्टी जल्दी ही NDA में शामिल हो जाएगी और लोकसभा चुनाव में वह भाजपा के साथ रहेगी।
मिजोरम में सम्भावित NDA की वापसी एक सुखद सन्देश है।
चीन प्रायोजित जो #मणिपुर में हुआ है, अगर यहां ठगबंधन जीत जाता तो अगली चिंगारी यहीं भड़काई जाती। हालांकि होने को कुछ भी हो सकता है पर तब इनके लिए ये स्मूद टास्क होता। चिन ईसाई (चीन देश अलग है) मुद्दा वहां अभी भी गर्म है क्योंकि इन लोगों ने म्यांमार मिलिट्री के खिलाफ बगावत की है जिस वजह से ये भागकर मिजोरम में आ रखे हैं। चूंकि मिजोरम एक ईसाई बाहुल्य क्षेत्र है तो "तेरा मेरा रिश्ता क्या" वहां सभी का इनसे है। आपने हाल में खबर भी सुनी थी कि चिन ईसाइयों ने मिजोरम बॉर्डर के उस तरफ का इलाका म्यांमार की जून्टा मिलिट्री से छीन भी लिया है।।
चीन देश के म्यांमार में तख्तापलट करवाने के पीछे उसके अपने इंटरेस्ट हैं। भारत नार्थ ईस्ट से एक "एक्ट ईस्ट" पॉलिसी के तहत भारत-म्यांमार-थाईलैंड कॉरिडोर बनवा रहा है। इसको रोकने के लिए चीन को उधर नार्थ ईस्ट को वापस उग्रवादियों के हाथ में देना है। वो ये भारत द्वारा CPEC रोकने का बदला लेना चाहता है।
विशाल कुकरेती
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