Tuesday, 5 December 2023

शाहिद मुनीर सिद्दीकी के जनपद में रहने से जनपद की आम जनता में दहशत किए जिला बदर*

*शाहिद मुनीर सिद्दीकी के जनपद में रहने से जनपद की आम जनता में दहशत किए जिला बदर*

जनपद अंबेडकरनगर के पुलिस एवं जिला प्रशासन ने अपना मजाक बनवा लिया है। जो व्यक्ति 2016 से जनपद में रहता ही नहीं उसके विरुद्ध भी गुंडा एक्ट की कार्यवाही करके उसे जिला बदर कर दिया। जबकि अप जिला अधिकारी आलापुर क्षेत्राधिकारी आलापुर एवं जिला समाज कल्याण अधिकारी ने एक प्रकरण की जांच कर शासन को दी गई रिपोर्ट में लिखा की शाहिद मुनीर सिद्दीकी 2016 से जनपद अंबेडकर नगर में नहीं रहते अब अपर जिला अधिकारी का कहना है कि शाहिद मुनीर सिद्दीकी के जनपद में रहने से जनपद की आम जनता में दहशत उत्पन्न होती है जिससे उन्हें 6 महीने के लिए जिला बदर किया जाता है। दोनों रिपोर्ट सरकारी विभाग उच्च अधिकारियों द्वारा ही जारी की गई है। दोनों में जमीन आसमान का अंतर है अब जिला अधिकारी क्षेत्राधिकारी जिला समाज कल्याण अधिकारी की रिपोर्ट को सही माना जाए कि श्री शाहिद मुनीर सिद्दीकी 2016 से जनपद में नहीं रहते हैं या अपर जिला अधिकारी के आदेश को माना जाए जिसमें उन्होंने यह माना है कि श्री सिद्दीकी के जनपद में रहने से यहां की आम जनता में भय उत्पन्न होता है। सच्चाई तो यह है कि शाहिद मुनीर सिद्दीकी के जनपद में रहने से आम जनता में कोई दहशत नहीं है। भ्रष्ट अधिकारियों कर्मचारियों में उनके नाम की दहशत जरूर है क्योंकि वह नित्य नए भ्रष्टाचार के खुलासे करते रहते हैं और सिद्दीकी ने अपने प्रयास से भ्रष्टाचार पर बहुत हद तक अंकुश लगा रखा है। जिसकी उन्हें बार-बार कीमत भी चुकानी पड़ती है लोग उन पर फर्जी मुकदमे दर्ज कराया करते हैं श्री सिद्दीकी ने बताया कि उनके ऊपर 2014 में एक अध्यापक ने एस0सी0 एस0टी0 का मुकदमा दर्ज करवाया गया। 2022 में जब वह मुंबई थे तो एक दलित महिला से थाना आलापुर में छेड़खानी और नशीली चीज पिलाने का मुकदमा दर्ज कर दिया गया उसमें भी तहरीर में घटना लखनऊ की है और विवेचना आलापुर सीईओ ने कर डाली। इसी तरह शासकीय धन के गबन का एक मुकदमा दर्ज कर दिया गया जो धारा आम आदमी पर लग ही नहीं सकती वह धारा 409 भी लगा दी गई। सिद्दीकी का कहना है वह अपने विरुद्ध की जा रही फर्जी कार्रवाई पर ज्यादा ध्यान ही नहीं देते जनहित के कार्य में रुचि लेते हैं। यदि खुद पर दर्ज फर्जी मुकदमों पर लिखा पढ़ी कर दें तो अभी पूरी कहानी ही पलट जाए। आरोप लगाने वाले नीचे से ऊपर तक सभी लोग कटघरे में आ जाएंगे। जब गुंडा एक्ट का नोटिस मिला था तो उसका जवाब 19 जून को अपर जिलाधिकारी को दिया जिसके मिलते ही प्रशासन में भूचाल आ गया आनन फानन में एक दलित महिला पकड़ कर 24 जून 2022 को आलापुर में मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तारी का प्रयास होने लगा। गिरफ्तारी के लिए मुंबई जाने की स्वीकृत भी ली जाने लगी। जबकि उस मुकदमें को शून्य एफ०आई०आर० दर्ज कर घटना वाले जिले के थाने को भेजना चाहिए था। लेकिन अगर ऐसा किया जाता तो फिर फर्जी मुकदमा दर्ज करने का लाभ ही क्या रहता।

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