*👂 कान की आत्मकथा👂*
*मैं कान हूँ........👂*
*हम दो हैं...*👂👂
*दोनों जुड़वां भाई...*
लेकिन...........
हमारी किस्मत ही ऐसी है....
*कि आज तक हमने एक दूसरे को देखा तक नहीं 😪*
पता नहीं..
*कौन से श्राप के कारण हमें विपरित दिशा में चिपका कर भेजा गया है 😠...*
दु:ख सिर्फ इतना ही नहीं है...
*हमें जिम्मेदारी सिर्फ सुनने की मिली है......*
*गालियाँ हों या तालियाँ..,*
*अच्छा हो या बुरा..*,
सब
*हम ही सुनते हैं...*
*धीरे धीरे हमें खूंटी समझा जाने लगा...*
*चश्मे का बोझ डाला गया,*
फ्रेम की डण्डी को हम पर फँसाया गया...
ये दर्द सहा हमने...
क्यों भाई..???
*चश्मे का मामला आंखो का है*
*तो हमें बीच में घसीटने का*
*मतलब क्या है...???*
हम बोलते नहीं
तो क्या हुआ,
सुनते तो हैं ना...
*हर जगह बोलने वाले ही क्यों आगे रहते है....???*
बचपन में पढ़ाई में
किसी का दिमाग
काम न करे तो
*मास्टर जी हमें ही मरोड़ते हैं 😡...*
जवान हुए तो
*आदमी,औरतें सबने सुन्दर सुन्दर लौंग,बालियाँ, झुमके आदि बनवाकर हम पर ही लटकाये...!!!*
*छेदन हमारा हुआ,*
*और तारीफ चेहरे की ...!*
और तो और...
श्रृंगार देखो...
*आँखों के लिए काजल...*
*मुँह के लिए क्रीमें...*
*होठों के लिए लिपस्टिक...*
*हमने आज तक कुछ माँगा हो तो बताओ...*
कभी किसी कवि ने,
शायर ने
*कान की कोई तारीफ की हो तो बताओ...*
*इनकी नजर में आँखे, होंठ, गाल,ये ही सब कुछ है...*
*हम तो जैसे किसी मृत्युभोज की*
*बची खुची दो पूड़ियाँ हैं..,*
जिसे उठाकर चेहरे के साइड में चिपका दिया बस...
और तो और,
*कई बार बालों के चक्कर में हम पर भी कट लगते हैं* ...
हमें डिटाॅल लगाकर पुचकार दिया जाता है...
बातें बहुत सी हैं,
किससे कहें...???
कहते है दर्द बाँटने से मन हल्का
हो जाता है...
*आँख से कहूँ तो वे आँसू टपकाती हैं..*
*नाक से कहूँ तो वो बहती है...*
*मुँह से कहूँ तो वो हाय हाय करके रोता है...*
और बताऊँ...
*पण्डित जी का जनेऊ,*
*टेलर मास्टर की पेंसिल,*
*मिस्त्री की बची हुई गुटखे की पुड़िया*
*मोबाइल का एयरफोन सब हम ही सम्भालते हैं...*
और
*आजकल ये नया नया मास्क का झंझट भी हम ही झेल रहे हैं...*
*कान नहीं जैसे पक्की खूँटियाँ हैं हम...*
*...... और भी कुछ टाँगना, लटकाना हो तो ले आओ भाई...*
*तैयार हैं हम दोनों भाई...!¡!*
*हँसते रहिये*
*स्वस्थ रहिए ।।*
😂😜😍😛😍😜😂
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