Tuesday, 9 September 2025

असल में हुआ यूँ कि नेपाल से खबर आई,"सरकार ने व्हाट्सएप, फेसबुक, इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया पर बैन लगा दिया।"बस, मैंने भी सरकार बनने का शौक चढ़ा लिया और अपने घर में “फेसबुक व्हाट्सएप इंस्टाग्राम को बैन” कर दिया।बच्चों से एंड्रॉयड फोन छीना और थमा दिया कीपैड वाला फोन।अब बच्चे रोएं, चिल्लाएँ या गुस्सा करें, मैंने सोचा, चलो घर में भी “हिटलर राज” लागू कर दिया।पर दो दिन बाद घर का माहौल ऐसा हो गया जैसे संसद में विपक्षी पार्टी हंगामा कर रही हो।खाना-पीना बंद, चेहरे पर गुस्सा और आँखों में आँसू।टीवी पर जोर-जोर से न्यूज़ लगाकर मम्मी को इशारा कर रहे थे,"मम्मी, पापा को बुलाओ, आज दिखाते हैं असली खबर!"

आग धुएं से ढकी गलियां,
युवा लहू से भीगी धरती।

पिछले दो दिन से मेरी हालत नेपाल सरकार जैसी हो गई है।
नींद गायब, चैन गुम और दिमाग़ में खलबली मची हुई है।

असल में हुआ यूँ कि नेपाल से खबर आई,
"सरकार ने व्हाट्सएप, फेसबुक, इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया पर बैन लगा दिया।"
बस, मैंने भी सरकार बनने का शौक चढ़ा लिया और अपने घर में “फेसबुक व्हाट्सएप इंस्टाग्राम को बैन” कर दिया।
बच्चों से एंड्रॉयड फोन छीना और थमा दिया कीपैड वाला फोन।
अब बच्चे रोएं, चिल्लाएँ या गुस्सा करें, मैंने सोचा, चलो घर में भी “हिटलर राज” लागू कर दिया।
पर दो दिन बाद घर का माहौल ऐसा हो गया जैसे संसद में विपक्षी पार्टी हंगामा कर रही हो।
खाना-पीना बंद, चेहरे पर गुस्सा और आँखों में आँसू।
टीवी पर जोर-जोर से न्यूज़ लगाकर मम्मी को इशारा कर रहे थे,
"मम्मी, पापा को बुलाओ, आज दिखाते हैं असली खबर!"

जब मैंने रात को नेपाल की खबरें देखी, रात भर करवटें बदलते रहा और सोचता रहा अगर मेरे बच्चे मुझ से बागी हो गए तो मेरा क्या होगा, कभी उठकर बाहर खड़ा स्कूटर को देखाता या फिर कभी अलमारी खोल कर अपने कपड़ों को निहारता , क्योंकि मैंने खबरों में देखा था नेपाल के युवा सड़कों पर गाड़ियों में तोड़फोड़ कर रहे थे,सरकारी बिल्डिंगों में आग लग रहे थे, मेरे मन में बुरे बुरे विचार आ रहे थे,कहीं मेरे बच्चे मेरी स्कूटर को नुकसान न पहुंचा दे या मेरे कपड़ों पर कीचड़ ना डाल देते।

मैंने टीवी देखा तो मेरे पैरों तले ज़मीन खिसक गई।
नेपाल में सोशल मीडिया बैन होते ही युवा सड़कों पर और बच्चे छतों पर उतर आए थे।
हर न्यूज़ चैनल यही कहे रहा था,
“1997 से 2012 के बीच जन्मे बच्चों को जेन-ज़ी कहा जाता है और वही सबसे ज़्यादा बवाल मचा रहे हैं।”
मेरे बच्चों ने भी मोर्चा खोल दिया, “पापा, मेरी उम्र 13 साल, भैया की 15 और दीदी की 17,
हम भी जेन-ज़ी हैं।
आप नेपाल सरकार बनने की कोशिश बंद करो, वरना हम भी आंदोलन करेंगे!”
अब सोच रहा हूँ कि बच्चों से मोबाइल छीनना आसान है,
इस दौर के बच्चों बगैर मोबाइल एवं सोशल मीडिया के रहे नहीं सकते, बच्चों को समझाना मुश्किल है।
इसलिए मैंने तय किया कि घर को नेपाल न बनाकर,
लोकतांत्रिक भारत ही रहने दूँ।
मतलब, न तो पूरी आज़ादी और न ही पूरा बैन।

यह तो व्यंग था, नेपाल में युवाओं का सड़कों पर खून बह रहा है,जो युवा में प्रदर्शन में मारे गए, उनके मां-बाप से पूछो जवान औलाद की मौत का दर्द क्या होता है, नेपाल में संसद भवन नेपाल की सुप्रीम कोर्ट तमाम मंत्रियों के आवासों को प्रदर्शनकारी भीड़ ने जला डाला, सरकारी संपत्तियों का जो नुकसान हुआ है, उस से उभारने में नेपाल को वर्षों लग जाएंगे, नेपाल में लोकतंत्र पर करारा तमाचा है।
लोकतंत्र की चीखें गूंज रही है,
सत्ता फिर भी मौन खड़ी है।

मोहम्मद जावेद खान

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