Saturday, 15 November 2025

कई बीमारियाँ वास्तव में बीमारियाँ नहीं होतीं, बल्कि सामान्य उम्र संबंधी परिवर्तन होती हैं।

कई बीमारियाँ वास्तव में बीमारियाँ नहीं होतीं, बल्कि सामान्य उम्र संबंधी परिवर्तन होती हैं।

बीजिंग के एक अस्पताल के निदेशक ने बुजुर्गों के लिए पाँच महत्वपूर्ण सलाहें दी हैं —

आप बीमार नहीं हैं, आप बस बूढ़े हो रहे हैं  ।

बहुत-सी बीमारियाँ जिन्हें आप बीमारी समझते हैं, वे वास्तव में शरीर के वृद्ध होने के संकेत हैं ।

1- कमज़ोर याददाश्त
यह अल्ज़ाइमर नहीं है, बल्कि बुजुर्ग मस्तिष्क की एक स्व-सुरक्षात्मक प्रक्रिया है।
डरिए मत — यह बीमारी नहीं, मस्तिष्क की उम्र बढ़ने की प्रक्रिया है।

यदि आप चाबी कहाँ रखी भूल जाएँ, लेकिन थोड़ी देर में ढूँढ लें — तो यह डिमेंशिया नहीं है।

2- धीरे चलना या पैर डगमगाना
यह लकवा नहीं है, बल्कि मांसपेशियों के क्षीण होने का परिणाम है। इसका इलाज दवा नहीं, बल्कि व्यायाम है।

3- अनिद्रा (नींद न आना)
यह बीमारी नहीं है, बल्कि मस्तिष्क अपनी लय बदल रहा है। यह नींद की संरचना में बदलाव है। नींद की गोलियाँ बिना सोचे-समझे न लें —
लंबे समय तक इन पर निर्भरता से गिरने, स्मरणशक्ति घटने आदि का जोखिम बढ़ता है।

बुजुर्गों के लिए सबसे अच्छी नींद की दवा है – धूप लेना और नियमित दिनचर्या बनाए रखना।

4- शरीर में दर्द
यह गठिया नहीं, बल्कि नसों के वृद्ध होने की सामान्य प्रतिक्रिया है।

5- हाथ-पैर या शरीर में दर्द
बहुत-से बुजुर्ग कहते हैं — “मेरे हाथ-पैर दुखते हैं, क्या यह गठिया या हड्डियों की बढ़वार है?”

हड्डियाँ ढीली और पतली ज़रूर होती हैं, पर 99% दर्द बीमारी नहीं होता।

यह नसों की गति धीमी होने से दर्द की संवेदना बढ़ने का परिणाम है,
जिसे सेंट्रल सेंसिटाइजेशन कहते हैं — यह वृद्धावस्था का सामान्य शारीरिक परिवर्तन है।

दर्दनाशक दवाएँ समाधान नहीं हैं।
व्यायाम व फिजिकल थेरेपी सबसे उपयोगी उपाय हैं।

सोने से पहले पैरों का गर्म पानी से स्नान, गर्म सेंक और हल्की मालिश दवा से ज़्यादा प्रभावी हैं।

6- जाँच रिपोर्ट में असामान्यता
यह हमेशा बीमारी का संकेत नहीं होती, बल्कि मानक सूचकांक पुराने हो सकते हैं।

7- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की सलाह है कि बुजुर्गों के लिए स्वास्थ्य जाँच के मानदंड लचीले होने चाहिए।

उदाहरण के लिए, बुजुर्गों में थोड़ा अधिक कोलेस्ट्रॉल लंबी उम्र का संकेत हो सकता है, क्योंकि कोलेस्ट्रॉल हार्मोन व कोशिका झिल्ली बनाने का मूल पदार्थ है।
बहुत कम स्तर से प्रतिरक्षा घटती है।

चीन के हाइपरटेंशन प्रिवेंशन एंड ट्रीटमेंट गाइडलाइन में कहा गया है कि बुजुर्गों के लिए रक्तचाप की सीमा 150/90 मिमीHg से कम पर्याप्त है, युवाओं की तरह 140/90 की ज़रूरत नहीं।

- वृद्धावस्था को बीमारी न समझें, परिवर्तन को विकार न मानें।

8- बुढ़ापा कोई बीमारी नहीं — यह जीवन की अनिवार्य यात्रा है।

बुजुर्गों और उनके बच्चों के लिए तीन बातें:

1-याद रखें — हर असुविधा बीमारी नहीं होती।

2-बुजुर्गों के लिए सबसे बड़ा खतरा है “डरना”। रिपोर्ट देखकर घबराएँ नहीं, न ही विज्ञापनों के जाल में फँसें।

3-बच्चों का सबसे बड़ा कर्तव्य केवल अस्पताल ले जाना नहीं, बल्कि माता-पिता के साथ टहलना, धूप में बैठना, भोजन करना, बात करना और समय बिताना है।

> बुढ़ापा दुश्मन नहीं है — यह “जीवन” का दूसरा नाम है,
लेकिन ठहराव (stagnation) दुश्मन है।

स्वस्थ रहें ☘
यह संदेश स्वास्थ्य मनोविज्ञान की समझ के लिए पढ़ने योग्य है । एक ब्राज़ीली ऑन्कोलॉजिस्ट (कैंसर विशेषज्ञ) के विचार:

1- बुढ़ापा 60 वर्ष से शुरू होकर 80 तक रहता है।

2-अति बुढ़ापा 80 से 90 तक।

3-दीर्घायु 90 के बाद से मृत्यु तक।

बुजुर्गों की सबसे बड़ी समस्या है — एकाकीपन (Loneliness)।
अक्सर पति-पत्नी साथ-साथ बूढ़े नहीं होते, कोई एक पहले चला जाता है।
विधवा या विधुर परिवार पर बोझ बन जाते हैं। इसलिए आवश्यक है कि दोस्तों से संबंध बनाए रखें,
मिलते-जुलते रहें ताकि बच्चों पर भार न बनें।

कुछ व्यक्तिगत सुझाव:
अपनी ज़िंदगी का नियंत्रण कभी न खोएँ।
स्वयं तय करें — कब और किससे मिलना है, क्या खाना है, क्या पहनना है, क्या पढ़ना है, कब सोना है आदि। यदि आप यह स्वतंत्रता खो देंगे तो आप दूसरों पर बोझ बन जाएँगे।

विलियम शेक्सपीयर ने कहा था —

> “मैं हमेशा खुश रहता हूँ!”
क्यों ? क्योंकि मैं किसी से अपेक्षा नहीं रखता। अपेक्षा हमेशा दुख देती है।

कोई भी समस्या स्थायी नहीं होती — हर समस्या का हल होता है।
एक ही चीज़ का इलाज नहीं — मृत्यु।

जीवन के कुछ सूत्र:
प्रतिक्रिया देने से पहले — गहरी साँस लें।

बोलने से पहले — सुनें।

आलोचना करने से पहले — स्वयं को देखें।

लिखने से पहले — सोचें।

आक्रमण करने से पहले — समर्पण करें।

मरने से पहले — जीवन को सुंदरतम रूप से जिएँ।

सर्वश्रेष्ठ संबंध संपूर्ण व्यक्ति के साथ नहीं, बल्कि ऐसे व्यक्ति के साथ होता है जो सीख रहा है और जीवन को सुंदरता से जी रहा है।
दूसरों की कमियाँ देखें, पर उनके गुणों की प्रशंसा करना न भूलें।

यदि आप खुश रहना चाहते हैं —
किसी और को खुश करें।
यदि आपको कुछ चाहिए —
पहले कुछ देना सीखें।
अपने चारों ओर अच्छे, दिलचस्प और स्नेही लोगों को रखें —
और स्वयं भी वैसे बनें।

याद रखें:
कठिन समय में, आँसू भरी आँखों से भी मुस्कुराते हुए कहें —

> “सब ठीक है, क्योंकि हम एक विकासशील यात्रा के फल हैं।”

एक छोटा परीक्षण:
यदि आप यह संदेश किसी को नहीं भेजते —तो आप अकेले और दुखी हैं।
इसे उन लोगों को भेजिए जिन्हें आप महत्त्व देते हैं — आप इसे कभी नहीं भूलेंगे।

No comments:

Post a Comment