जदीद मरकज, (26 फरवरी से 04 मार्च 2023)
एडीटोरियल
*बाबा से बाबू बन गया जालिम बुलडोजर*
उत्तरप्रदेश के वजीर-ए-आला योगी आदित्यनाथ ने मुसलमानों और यादवों को सबक सिखाने के लिए मुख्तार अंसारी, अतीक अहमद, इस्लाहाबाद में जावेद पंप, झांसी और एटा के मशहूर यादवों के खिलाफ बुलडोजर का इस्तेमाल कराया तो देश का गुलाम नफरतबाज और फिरकापरस्त मीडिया खुसूसन टीवी चैनलों के एंकर और एंकरनियां पागल से हो गए और बुलडोजर को बाबा बुलडोजर कहकर ऐसे कसीदे पढे कि जैसे बुलडोजर कोई मशीन न होकर प्रदेश के लिए इंसाफ करने वाला भगवान हो गया हो। आज तक की अंजना ओम कश्यप तो गरीबों के आशियाने तोड़ने वाले बुलडोजर पर चढकर रिपोर्टिंग करने पहुंच गई। उन्हीं की तरह मुकेश अंबानी के टीवी-18 के अमीश देवगन और एबीपी न्यूज की एंकरनियों ने बुलडोजर को सुप्रीम कोर्ट के बराबर का इंसाफ करने वाला बताते हुए बड़ी बेशर्मी से खबरें चलाईं। बेशर्मों और फिरकापरस्तों के बादशाह कहे जाने वाले अमन चोपड़ा ने तो यहां तक दावा कर दिया था कि सत्तर फीसद लोग बुलडोजर की कार्रवाई को सही और मुनासिब मानते हैं और इसी बुनियाद पर वह लोग बीजेपी को वोट देंगे। सारे चैनल रोजाना बुलडोजर के बहाने योगी आदित्यनाथ की तारीफों में कसीदे पढने का काम महीनों करते रहे। 2022 के असम्बली एलक्शन की मीटिंगों के दौरान कुछ बेवकूफ लोग अपने बच्चों के सिरपर प्लास्टिक का बुलडोजर बांधकर योगी की मीटिंगों में जाते दिखते थे। अब उसी बुलडोजर के जरिए कानपुर देहात की मैथा तहसील के मंडौली गांव में एक गरीब ब्राहमण कृष्ण गोपाल दीक्षित के कुन्बे पर बरबरियत दिखाते हुए उका पुख्ता मकान और झोपड़ी उजाड़ी तोड़ी कई अफसरान और पुलिस फोर्स की मौजूदगी में गोपाल दीक्षित की बीवी प्रमिला दीक्षित और इक्कीस साल की बेटी नेहा दीक्षित को जिंदा जला दिया गया तो चैनलों के बेशर्म एंकर और एंकरनियां ‘बाबा’ बुलडोजर को ‘बाबू’ बुलडोजर बताते हुए कहने लगे कि बेलगाम अफसरान ने बुलडोजर का गलत इस्तेमाल किया है।
बुलडोजर का इस्तेमाल पहले भी गैर संवैधानिक था आज भी है। यह कहां का कानून है कि किसी शख्स के खिलाफ कोई रिपोर्ट दर्ज हो जाए तो पुलिस जांच कराए बगैर ही चंद घंटों के अंदर उस शख्स के मकान या दुकान पर बुलडोजर चला दिया जाए। मकानों में सिर्फ वही शख्स तो रहता नहीं था बीवी बच्चे और वाल्दैन भी अक्सर साथ रहते हैं। उनके भी तो कुछ संवैधानिक हुकूक हैं उनके हुकूक पर बुलडोजर कैसेे चल सकता है बुलडोजर चलवाने वाले बाबा योगी आदित्यनाथ और उनके दम पर गैर कानूनी काम करने वाले अफसरान को यह भी याद रखना चाहिए कि महज एफआईआर दर्ज होते ही जिन लोगों के मकानात पर बुलडोजर चला दिए गए अगर वह सब या उनमें से कुछ अदालत में मुकदमा चलने के बाद बेकसूर साबित होकर बरी हो गए तो फिर बुलडोजर चलाने और चलवाने वालों का क्या होगा? क्या यह लोग उनके मकान दोबारा बनवाकर देंगे या बाजार भाव से उनका मुआवजा अदा करेंगे?
बुलडोजर पर चढकर तकरीबन नाचते हुए ‘आजतक’ की अंजना ओम कश्यप ने रिपोर्टिंग की थी और बुलडोजर चलवाने वालों की शान में खूब कसीदे पढे थे। कानपुर के शर्मनाक वाक्ए के बाद उन्हीं अंजना ने कहा कि यह तो इंतेहा है अफसरान बेलगाम हो चुके हैं इस कमअक्ल खातून को यह नहीं पता है कि अफसरान को बेलगाम किया किसने। अफसरान को बुलडोजर का इस्तेमाल करने की ताकत तो उत्तर प्रदेश सरकार और वजीर-ए-आला योगी आदित्यनाथ ने ही दी है। फिर बुलडोजर का गैरकानूनी और गलत इस्तेमाल करने के लिए सिर्फ अफसरान कैसे जिम्मेदार हो गए। मुरादाबाद के एक एसडीएम ने एक मुस्लिम दुकानदार से अपने और अपनी बेटी के घर के लिए तकरीबन पांच लाख का फर्नीचर खरीदा दुकानदार ने पैसा मांगा तो एसडीएम ने यह कहकर उसके घर पर बुलडोजर चढा दिया कि मकान गैरकानूनी बना है। जबकि उसका मकान पूरी तरह कानूनी था। दुकानदार ने डीएम और कमिशनर से राब्ता करके पूरी बात बताई कमिशनर ने तहकीकात कराई तो पता चला कि एसडीएम ने पैसे न देने के लिए गलत तरीके से बुलडोजर का इस्तेमाल किया। एसडीएम का सिर्फ तबादला हुआ। अगर योगी आदित्यनाथ इतना बड़ा जुर्म करने वाले बेईमान एसडीएम को गिरफ्तार कराकर जेल भेजवा देते और बरेली जेल मेे तैनात ढाई लाख का फर्नीचर मुफ्त में लेने वाली उनकी बेटी के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई करा दी होती तो शायद कानपुर देहात के एसडीएम और दीगर अफसरान गरीब ब्राहमण के घर पर बुलडोजर चढाने की कार्रवाई की शायद हिम्मत न कर पाते।
कानपुर देहात में जो शर्मनाक खेल हुआ जिस तरह झोपड़ी के अंदर प्रमिला दीक्षित और उसकी बेटी नेहा दीक्षित को जिंदा जलने दिया गया वह मोहज्जब (सभ्य) समाज के लिए इंतेहाई शर्मनाक वाक्या है। उन्हें सिर्फ जलाया ही नहीं गया इस वाक्ए में बचे उनके बेटे शिवम के साथ एक महीना पहले अफसरान ने डीएम आफिस में इतेहाई शर्मनाक हरकत करते हुए कड़ाके की ठंड में उसके कपड़े उतरवा कर सिर्फ अण्डरवियर में नंगा खड़ा करा दिया था। वायरल वीडियो के मुताबिक यह वाक्या उस वक्त पेश आया था जब चैदह जनवरी को कृष्ण गोपाल दीक्षित के पुख्ता मकान को एसडीएम ने कुछ जमीन माफियाओं से मिलकर बुलडोजर भेजकर गिरवा दिया था तो दीक्षित का पूरा कुन्बा अपनी बकरियां और दीगर मवेशियों को साथ लेकर डीएम नेहा जैन के दफ्तर के सामने धरने पर बैठे थे। उनका कहना था कि उनका मकान गलत तरीके से तोड़ा गया है इसलिए उनके और उनके मवेशियों के रहने का कुछ बंदोबस्त किया जाए। डीएम ने उनकी बात नहीं सुनी, वह लोग गांव वापस आकर गांव के बाहर बनी अपनी एक झोंपड़ी में रहने लगे उसी झोंपड़ी को तेरह फरवरी को आग लगाई गई। जिसमें मां-बेटी जिंदा जल गईं। जिस दिन दीक्षित कुन्बा डीएम के दफ्तर के बाहर धरना देने गए थे उस दिन इलाके की मेम्बर असम्बली और योगी वजारत में मिनिस्टर आफ स्टेट प्रतिभा शुक्ला भी वहां मौजूद थीं। उन्होने भी कोई मदद नहीं की। मां बेटी के जिंदा जलने के बाद खुद वजीर प्रतिभा शुक्ला ने यह बात कही कि वह ख्वातीन व बच्चों की बहबूद की वजीर हैं इसके बावजूद दो ख्वातीन की जान वह नहीं बचा सकीं।
मां-बेटी के जिंदा जलवाए जाने जैसे घिनौने और इंतेहाई शर्मनाक वाक्ए को समाजवादी पार्टी और उसके सदर अखिलेश यादव ने असम्बली के बजट इजलास में जोर-शोर से उठाया। पार्टी ने असम्बली के अंदर और बाहर धरना भी दिया लेकिन यह मजमून लिखे जाने तक योगी हुकूमत ने न ही दीक्षित कुन्बे की कोई माली मदद का एलान किया था और न ही जिम्मेदार अफसरान के खिलाफ केाई सख्त कानूनी कार्रवाई हुई थी। योगी सरकार की जानिब से कहा गया कि पूरे मामले की जांच के लिए एसआईटी बना दी गई है। अंजना ओम कश्यप हों या उन्हीं की तरह सरकार के भोंपू बने एंकर अमीश देवगन, अमन चोपड़ा और रूबिका लियाकत हों क्या किसी की इतनी औकात है कि वह इस शर्मनाक वाक्ए पर यह प्रोग्राम पेश कर सकें कि जब किसी के खिलाफ एफआईआर दर्ज होते ही उसके घर पर बुलडोजर चला दिया जाता है तो अफसरान की मौजूदगी में प्रमिला दीक्षित और नेहा दीक्षित को जिंदा जलाए जाने का वीडियो वायरल होने के बावजूद मौके पर मौजूद तमाम अफसरान को फौरन गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया एसआईटी तो सरकारी है जैसी सरकार की मंशा होगी वैसी ही रिपोर्ट आएगी। वजीर-ए-आला योगी ने तो डीएम और एसपी तक को नहीं हटाया। ऐसी सरकार से गरीब ब्राहमण कुन्बे को इंसाफ मिलने की उम्मीद कैसे की जा सकती है?
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