शादी के तीसरे ही दिन
उस की टाई ठीक करते हुए
हंस कर वो बोली, लो सीधी हो गई,
गहरी नज़रों से उसे देखते हुए
वो बोला, बड़ी प्रैक्टिस है
अब तक कितनों की सीधी कर चुकी हो ।
आँखों में आये पानी के
फ़िज़ूल से कतरे को
गिरने नहीं दिया उसने..
पर खिड़की से एक बादल भीतर आकर
उसके चेहरे पर फैल गया ।
खिलखिलाती हुई वो लड़की
अब सुघड़ गृहणी बन गयी ।।
जब पानी मांगा गया तो पानी दिया उसने,
जब खाना मांगा गया तो खाना दिया
जब देह की मांग हुई तो ...
उसी तरह देह भी परोस दी उसने ।।
बेबाक़ लड़की से सुघड़ गृहणी के इस सफ़ऱ में
उसकी हंसी खो गयी कहीं ,
बस कभी कभी याद आ जाता था उसे
कॉलेज में किसी का कहा ;
Fixed amount of laughter
मिलता है सबको
यूँ न खिलखिलाया करो हर बात पर!
जान गई थी वो
उसकी हंसी का
कोटा चुक गया था
बस उसे देर से समझ आयी
No comments:
Post a Comment