Wednesday, 29 November 2023

आइये जानते हैं "मार्गशीर्ष" मास का महत्व,करने योग्य कृत्य,एवं फल के बिषय में* मार्गशीर्ष महीना स्वयं भगवान हैं क्योंकि भगवान श्री कृष्ण जी अपने श्री मुख से श्री गीता जी में कहते हैं कि -

*आइये जानते हैं "मार्गशीर्ष" मास का महत्व,करने योग्य कृत्य,एवं फल के बिषय में*
                                 
मार्गशीर्ष महीना स्वयं भगवान हैं क्योंकि भगवान श्री कृष्ण जी अपने श्री मुख से श्री गीता जी में कहते हैं कि - 
                         "मासानां मार्गशीर्षोहम्"।
 अर्थात् - महीनों में मैं मार्गशीर्ष महीना हूँ।
मार्गशीर्ष महीना को आग्रहायण मास या अगहन महीना भी कहते हैं ।
इस महीने में भगवान के प्रसन्नता प्राप्ति के लिए "यज्ञ-अनुष्ठान" करने कराने एवं "श्री मद्भागवत महापुराण जी" का दर्शन,पूजन,पाठ,पारायण एवं श्रवण करने कराने से मनुष्य के समस्त पाप,ताप,संताप,तत्क्षण ही नष्ट हो जाते हैं।
आचार्य धीरज द्विवेदी "याज्ञिक" जी ने बताया कि - वाराहपुराण के अनुसार धन-धान्य व्रत जो कि धन प्राप्ति के लिए एक वर्ष तक किया जाता है वह मार्गशीर्ष माह से ही प्रारंभ होता है।इह व्रत को रखने एवं सविधि पालन करने से मनुष्य की दरिद्रता मिट जाती है और मनुष्य कुबेर के समान ऐश्वर्यशाली होता।                        
भगवत् स्वरूप इस महीने में "पितृगणों" के प्रसन्नता तथा "मोक्ष" के लिए और परिवार के कल्याण के लिए समस्त दुखों से मुक्ति हेतु "श्री लक्ष्मी जी" तथा भगवान "श्री नारायण" जी की कृपा प्राप्ति के लिए "श्री बिष्णु सहस्त्रनाम", "गजेंद्र मोक्ष" , "श्री गोपाल सहस्त्रनाम", "श्री राम रक्षा स्तोत्र", "नारायण कवच", "श्री सूक्त", "पुरुष सूक्त", "श्री बिष्णु पुराण", "श्री रामचरितमानस" आदि का पाठ तथा "द्वादश अक्षर" आदि वैष्णव मंत्र लक्ष्मी मंत्र शिव मंत्र का जाप करना या ब्राम्हण से करवाना चाहिए।                      
दक्षिणावर्ती (बंद मुख) शंख का पूजन करने से तथा उसी शंख द्वारा भगवान श्री विष्णु जी को दूध,दही,घी,शहद अथवा  पंचामृत और जल द्वारा भगवान का अभिषेक करने से मां भगवती "श्री महालक्ष्मी" जी  एवं श्री नारायण जी की बिशेष कृपा प्राप्त होती है।क्योंकि मां लक्ष्मी जी समुद्र से उत्पन्न हुई हैं और शंख भी समुद्र से उत्पन्न है।इस कारण से शंख मां लक्ष्मी जी का भाई है ।                      
यह पावन मास भगवान श्री नारायण स्वरूप होने के कारण भगवान शिव को भी बहुत प्रिय है क्योंकि - वैष्णवानाम् यथा शंभू ", अतः भगवान भोलेनाथ का भी पूजन,अभिषेक करने,कराने से भगवान श्री नारायण तथा भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।और जब भगवान भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं तो --- फिर क्या कहना ।       
 इस पावन पबित्र महीने की अनेकानेक पुराणों,धर्म ग्रंथों ने भूरि-भूरि प्रशंसा की है।
इस पावन पबित्र महीने में किया गया दान-धर्म,पूजा-पाठ,यज्ञ-अनुष्ठान  आदि कभी "निष्फल" नहीं जाता।

                       ।। सबका मंगल हो ।।      सांदीपनि गुरुकुल स्वाध्याय केंद्र, उज्जैन,8602666380/6260144580

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