क्यों मैं एक लड़की हूं इसलिए......?
क्यों मैं सुरक्षित नहीं, क्यों मैं सही होकर भी सही नहीं
क्यों मैं एक लड़की हूं इसलिए....?
क्यों मैं ही यह सब सह रही हूं....?
मुझे भी जीना है मेरे लिए, मैं कब से यह कह रही हूं।
क्या मैं लड़की नाम से पीड़ित हूं, क्यों सताया है सबने मुझे?
क्यों मैं एक लड़की हूं इसलिए....?
राह पर चलती हूं, चलना दुश्वार करते हैं।
मुड़ मुड़ कर देखते हैं क्यों यह मनचले
इतना तंग नजरों का वार करते हैं।
क्यों मैं एक लड़की हूं इसलिए
मुझको ही क्यों नजरे झुका कर चलना पड़ता है।
क्यों मैं एक लड़की हूं इसलिए....?
क्यों मां-बाप डरते हैं बाहर भेजते हुए, शायद
क्यों मैं एक लड़की हूं इसलिए....?
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, हर ट्रक दीवार पर लिखा मिला
बेटी को बचाया भी, बेटी को पढ़ाया भी मां-बाप ने
मगर उन हैवान जानवरों से कैसे बचाएं बेटी को
जो हैवानियत से हर फूल को कुचलते जा रहे हैं।
कभी दिल्ली में कभी कोलकाता में कभी हाथरस में
कितने केस दर्ज हुए, मर गई बेचारी बेमौत शर्मनाक मौत
क्यों वह एक लड़की थी इसलिए....?
तिरंगा घर-घर लहराने से क्या सच में आजादी मिल गई
क्या हम सच में आजाद हो गए....?
आज भारत की हर लड़की यह सवाल पूछ रही है।
क्यों मैं सुरक्षित नहीं, क्यों मैं आजाद नहीं
क्यों मैं एक लड़की हूं इसलिए....?
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ यह लाइन बदलकर
लड़कों को पढ़ाओ और उन्हें लड़की की इज्जत करना सिखाओ तभी हमारा समाज, हमारा देश उन्नति कर सकता है, तब हर लड़की यह कह सकती है, हां मैं आजाद हूं, हां अब मैं सुरक्षित हूं और अब मैं क्यों डरूं किससे किसके लिए
मुझे गर्व है कि मैं एक लड़की हूं इसलिए
जय हिंद जय भारत
रूही नाज (लेखिका मुरादाबाद)
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