Tuesday, 24 December 2024

मस्जिद, मंदिर और देश का वातावरण*#

*मस्जिद, मंदिर और देश का वातावरण*

मस्जिद का अर्थ और महत्व
मस्जिद एक अरबी शब्द है जिसका अर्थ है "सजदा करने की जगह" यानी इबादत के लिए सिर झुकाने का स्थान। इस्लाम में मस्जिद वह इमारत होती है जहां सामूहिक रूप से नमाज अदा की जाती है। यदि किसी मस्जिद में जुमे की नमाज भी होती है, तो उसे "जामा मस्जिद" कहा जाता है। पैगंबर मोहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) से जब पूछा गया कि धरती पर सबसे पहले कौन सी मस्जिद बनाई गई, तो उन्होंने बताया, "मस्जिद-ए-हरम" (काबा शरीफ), जो सऊदी अरब के मक्का में स्थित है। इसके बाद दूसरी मस्जिद "मस्जिद-ए-अक्सा" (बैतुल मक़दिस) का निर्माण हुआ, जो यरूशलम में स्थित है। दोनों मस्जिदों के निर्माण में 40 वर्षों का अंतर बताया गया है। कुरान शरीफ की सूरा आले-इमरान (3:96) में कहा गया है कि धरती पर सबसे पहला घर जो इबादत के लिए बनाया गया, वह मक्का में है, जो बरकत वाला और पूरी मानवता के लिए मार्गदर्शक है। यह प्रमाणित करता है कि धरती पर पहली मस्जिद आदम अलैहिस्सलाम के द्वारा मक्का में बनाई गई थी।
मस्जिद निर्माण के नियम
इस्लामी शरीयत में मस्जिद उसे कहते हैं जहां कोई एक व्यक्ति या कुछ लोग अपनी संपत्ति से जिसका वह मालिक हैं मस्जिद के नाम से वक्फ कर दे और उसका रास्ता सार्वजनिक रास्ते की ओर खोलकर आम मुसलमानों को उसमें नमाज अदा करने की इजाजत दे दे। जब एक बार अजान व जमात के साथ उस जगह पर नमाज अदा  कर ली जाए तो वह जगह मस्जिद हो जाएगी। फतावा  दारुल उलूम देवबंद,  किताब उल मस्जिद पृष्ट 635/2 । यदि कोई भूमि विवादित हो या उस पर कई मालिकों का हक हो और उनमें से किसी ने असहमति जताई हो, तो वहां मस्जिद नहीं बनाई जा सकती। अगर जबरदस्ती मस्जिद बना दी गई, तो वह "ग़सब" (अन्यायपूर्ण कब्जे) की मस्जिद कहलाएगी। ऐसी मस्जिद में नमाज अदा करना मकरूह (नापसंद) है। फतवा नंबर 83696 3/B=10/1438। किसी अन्य धर्म के धार्मिक स्थल को तोड़कर मस्जिद बनाना शरीयत के खिलाफ है। कुरान कहता है कि अल्लाह के आदेश में यह शामिल है कि पूजा स्थलों की रक्षा की जाए, चाहे वह सन्यासियों के मठ हों, चर्च हों, यहूदियों के साइनागॉग हों या मुसलमानों की मस्जिदें। । सही बुखारी की हदीस के अनुसार जिसने किसी दूसरे की एक इंच भर जमीन पर कब्जा किया तो आखिरत में उसे उतने हिस्से की सात  जमीनों का तौक उसके गले में पहनाया जाएगा( बुखारी हदीस नंबर  106 ) । कुरान की सूरा तौबा (9:107) में मस्जिद-ए-जिरार का उल्लेख है। यह मस्जिद एक मुनाफिक (अबू आमिर) द्वारा फितना और फसाद फैलाने के इरादे से बनाई गई थी। जब पैगंबर मोहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) को इस बारे में पता चला, तो उन्होंने इस मस्जिद को तुड़वा दिया। इससे स्पष्ट होता है कि कोई भी मस्जिद जो समाज में फूट डालने के लिए बनाई गई हो और मुसलमान को उससे नुकसान होने का अंदेशा हो, उसे तोड़ा जा सकता है।
देश की वर्तमान स्थिति और समाधान
आज देश में हिंदू और मुसलमानों के बीच यह विवाद उठाया जा रहा है कि कई मस्जिदें मंदिरों को तोड़कर बनाई गई हैं। यदि प्रमाणों के आधार पर यह सिद्ध हो जाए कि किसी मस्जिद का निर्माण किसी मंदिर को तोड़कर हुआ है, तो शरीयत के अनुसार दो समाधान हैं:
1. आपसी सहमति: संबंधित पक्षों से बातचीत करके उचित मुआवजा देकर मस्जिद को वैध बनाया जाए।
2. भूमि का पुनः हस्तांतरण: यदि सहमति न बने, तो मस्जिद को हटाकर भूमि उसके मूल मालिक को लौटा दी जाए।
शरीयत के अनुसार, जब तक इस तरह के विवादित स्थलों पर मस्जिद बनी रहती है और वहां नमाज अदा की जाती है, वह मकरूह होगी और गुनाह में शुमार होगी।

शांति का रास्ता
देश के मौजूदा माहौल को देखते हुए मुसलमानों से अपील है कि इस्लामी शरीयत और कुरान की शिक्षाओं पर अमल करना चाहिए। यदि किसी स्थान पर विवाद हो, तो ईमानदारी से मामले की जांच और हल के लिए आगे आना चाहिए। और दूसरे खुद हिंदुओं को चाहिए कि वह मुसलमानों में शरिया कानूनों का इतना प्रचार प्रसार करें और बताएं ताकि मुसलमान की खुद अंतर आत्मा जाग जाए और मुसलमान उस जगह को छोड़ने के लिए तैयार हो जाएं जो किसी भी कारण से मंदिर को तोड़कर या जबरदस्ती कब्जा करके मस्जिद बना ली गई है । ध्यान रखें, किसी भी विवाद का शांतिपूर्ण समाधान ही देश में शांति और भाईचारे को बनाए रख सकता है। धर्म के नाम पर हो रहे झगड़े केवल अशांति फैलाते हैं और समाज को कमजोर करते हैं।
निष्कर्ष
देश की मौजूदा स्थिति को देखते हुए हिंदू और मुसलमान दोनों भाइयों से यह गुजारिश है के एक तरफ तो मुसलमान को शरिया के हिसाब से अमल करना चाहिए जिसका इस्लाम आदेश देता है और दूसरे खुद हिंदुओं को चाहिए कि वह मुसलमानों में शरिया कानूनों का इतना प्रचार प्रसार करें और बताएं ताकि मुसलमान की खुद अंतर आत्मा जाग जाए और मुसलमान उस जगह को छोड़ने के लिए तैयार हो जाएं जो किसी भी कारण से मंदिर को तोड़कर या जबरदस्ती कब्जा करके मस्जिद बना ली गई है । क्योंकि जब इस्लाम की शिक्षाओं के आधार पर मुसलमानों की अंतरात्मा को जगाया जाए तो यह बवाल भी पैदा नहीं होगा और देश में शांति भी बनी रहेगी और किसी की जान भी नहीं जाएगी।  वरना आज जिस प्रकार से देश का माहौल बन गया है और निरंतर मीडिया के जरिए और कुछ समाज दुश्मन तत्वों के जरिए बनाया जा रहा है यह देश के लिए बहुत ही खतरनाक है।  हिंदू और मुसलमान दोनों का यह काम है कि अपने धर्म कि शिक्षाओं पर अमल करते हुए झगड़े और अशांति का माहौल न बनाकर एक दूसरे को उसके फर्ज को याद दिलाएं। और यह बताएं कि उनका धर्म क्या इस बात की इजाजत देता है। तभी देश में शांति स्थापित हो सकती है। 
 वैज्ञानिक रूप से यह माना जाता है कि इंसान जब खुद किसी काम को करने के लिए तैयार हो जाता है तो फिर बड़ी से बड़ी ताकत से वह लड़ने के लिए भी तैयार हो जाता है, लेकिन जब कोई काम उसके ऊपर उसकी इच्छा के खिलाफ थोपा जाता है तो वह पूरी ताकत से उसका विरोध करता है। आज देश में हिंदू और मुसलमान की स्थिति यही है कि धर्म के नाम पर झगड़े हो रहे हैं और ताज्जुब की बात यह है कि धार्मिक सिद्धांतों और शिक्षाओं को तोड़कर हो रहा है। दावा धर्म का है और काम अधर्म का किया जा रहा है । यह किसी भी परिस्थिति में देश के लिए बेहतर नहीं है।
फरहत अली खान 
एम ए गोल्ड मेडलिस्ट

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