Thursday, 30 January 2025

नलिन दवे, एक साधारण गुजराती परिवार में जन्मे, आज गुजराती सिनेमा और रंगमंच के सबसे प्रसिद्ध और प्रतिभाशाली कलाकारों में से एक हैं। 🎭 20 नवंबर 1986 को अहमदाबाद, गुजरात में जन्मे नलिन का बचपन से ही अभिनय के प्रति गहरा जुड़ाव था। अपने स्कूल के दिनों से ही उन्होंने मंच पर अपने अभिनय कौशल का परिचय देना शुरू कर दिया, और समय के साथ उनकी यह कला निखरती गई।

नलिन दवे, एक साधारण गुजराती परिवार में जन्मे, आज गुजराती सिनेमा और रंगमंच के सबसे प्रसिद्ध और प्रतिभाशाली कलाकारों में से एक हैं। 🎭 20 नवंबर 1986 को अहमदाबाद, गुजरात में जन्मे नलिन का बचपन से ही अभिनय के प्रति गहरा जुड़ाव था। अपने स्कूल के दिनों से ही उन्होंने मंच पर अपने अभिनय कौशल का परिचय देना शुरू कर दिया, और समय के साथ उनकी यह कला निखरती गई। 

रंगमंच से अपने करियर की शुरुआत करते हुए, नलिन दवे ने जल्दी ही थिएटर जगत में अपनी पहचान बनाई। 🎬 लेकिन उन्हें असली प्रसिद्धि और घर-घर में पहचान उनके सबसे प्रतिष्ठित किरदार "कुम्भकरण" से मिली। इस किरदार ने न केवल उन्हें शोहरत दिलाई बल्कि उनके करियर को भी एक नई दिशा दी। कुम्भकरण के रूप में उनकी अदाकारी ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया और यह किरदार गुजराती सिनेमा में एक मील का पत्थर साबित हुआ। 🌟 

नलिन दवे केवल एक कुशल अभिनेता ही नहीं हैं, बल्कि एक सफल निर्माता और निर्देशक भी हैं। 🎥 उन्होंने गुजराती सिनेमा में सामाजिक मुद्दों को केंद्र में रखकर "चोर बन्नेरे चोर," "कैरी ऑन केसर," "बहुचारी," और "रेवा" जैसी फिल्मों का निर्माण किया। इन फिल्मों ने न केवल व्यावसायिक सफलता पाई, बल्कि दर्शकों के दिलों में गहरी छाप छोड़ी। उनकी फिल्मों ने गुजराती सिनेमा को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया और समाज को जागरूक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 

नलिन दवे का जीवन यह सिखाता है कि कड़ी मेहनत, समर्पण, और कला के प्रति सच्चा लगाव किसी भी सपने को साकार कर सकता है। 🎯 उनकी कहानी हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है, जो अपने जीवन में कुछ बड़ा हासिल करना चाहता है। 

"कुम्भकरण" के रूप में उनकी पहचान और उनके द्वारा सिनेमा को दिया गया योगदान हमेशा के लिए याद रखा जाएगा। 🎭 उनकी यात्रा यह साबित करती है कि जुनून और दृढ़ता के साथ कुछ भी असंभव नहीं है। 🌟 

**#Cinema #Inspiration #ActorLife #happy 
#jaishriram #riturajverma #riturajchoicecenter

Wednesday, 22 January 2025

कंघी पौधाकंघी पौधे को अतिबला के नाम से भी जाना जाता है. इसका वैज्ञानिक नाम एबूटिलॉन इंडिकम है. यह एक झाड़ीदार पौधा है. इसके फूल पीले रंग के होते हैं

कंघी पौधा
कंघी पौधे को अतिबला के नाम से भी जाना जाता है. इसका वैज्ञानिक नाम एबूटिलॉन इंडिकम है. यह एक झाड़ीदार पौधा है. इसके फूल पीले रंग के होते हैं 
और इसके पत्तों का स्वाद हल्का तीखा और कड़वा होता है, आयुर्वेद में अतिबला के पौधे का इस्तेमाल कई तरह की बीमारियों के इलाज में किया जाता है. इसके पत्तों, फूलों, और बीजों में कई तरह के स्वास्थ्यवर्धक गुण पाए जाते हैं । यह बवासीर के लक्षणों को कम करता है,यह शुगर के स्तर को सामान्य करता है, यह पथरी को कम करने में मदद करता है, यह खांसी को दूर भगाता है, यह लिवर को स्वस्थ रखने में मदद करता है। 
जड़, छाल, या पत्तों का लेप त्वचा पर लगाना अतिबला के पौधे को प्रयोग करने के एक नहीं बल्कि कई तरीके हैं। अतिबला के पौधे दवाइयां बनाने से लेकर तेल बनाने तक में उपयोगी हैं। इनका इस्तेमाल आप चाहें तो पौधे की छाल के रूप में कर सकते हैं। साथ ही इसकी जड़ भी कई बीमारियों को दूर करने में काफी उपयोगी मानी जाती है। आप चाहें तो अतिबला या कंघी का प्रयोग इसकी पत्तियों के रूप में भी कर सकते हैं। इसकी पत्तियों को लोग काढ़ा बनाने के लिए भी उपयोग करते हैं। वहीं इस पौधे में होने वाले फूल भी बेहद लाभकारी माने जाते हैं। 
अतिबला आयर्वेद में स्थान पाने वाले उच्च दर्जे के पौधों में से है। इसका नियमित सेवन करने से कई बीमारियों से बचा जा सकता है। यह आपको आसानी से मिल जाता है, यदि आप किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं तो इसका सेवन चिकित्सक की सलाह के बाद करे घाव भरने के लिए इस पौधे को रामबाण माना जाता है। इसमें पाए जाने वाले माइक्रोबियल, एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटी ऑक्सीडेंट प्रॉपर्टीज पाई जाती हैं। जो आपके घाव को सुखाने और उसे भरने में काफी फायदेमद माना जाता है। यह आपकी चोट या घाव को सिकोड़कर उसे सुखा देता है और नई त्वचा लाने में मददगारार है। घाव सुखाने के लिहाज से अतिबला की पत्तियां बेहद कारगर मानी जाती हैं। अतिबला डायबिटीज के रोगियों के लिए भी काफी फायदेमंद माना जाता है। अतिबला में पाए जाने वाले गुण आपके शरीर से ब्लड शुगर लेवल को कम करते हैं। बता दें कि अतिबला में एंटी इंफ्लामेटरी और एंटी ऑक्सीडेंट गुण भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। जो शरीर में इंसुलीन के स्राव को बढ़ाकर आपकी डायबिटीज के खतरे को कम करता है। इससे टाइप-2 डायबिटीज होने की भी संभावनाएं काफी कम हो जाती हैं। डायबिटीज के रोगी चाहें तो अतिबला के चूर्ण के साथ थोड़ी दालचीनी की मात्रा मिलाकर इसका प्रयोग कर सकते हैं। इससे काफी लाभ होगा। 
अतिबला के पौधे में मौजूद एंटी माइक्रोबियल प्रॉपर्टीज आपके लिवर को स्वस्थ रखने में मदद करदता है। माना जाता है कि इस पौधे की अर्क शरीर में फ्री रेडिकल्स के प्रोडक्शन को रोकने में मददगार है। शरीर में मौजूद फ्री रेडिकल्स हमारे लिवर को प्रभावित कर सकते हैं। वहीं इस पौधे में फ्री रेडिकल्स को रोकने वाले गुण पाए जाते हैं, जिससे लिवर के स्वास्थ्य के लिए अतिबला एक बेहतरीन पौधा माना जाता है। वहीं कब्ज की बात करें तो यह कब्ज से भी छुटकारा पाने के लिए काफी अच्छा माना जाता है। इसका सेवन शरीर में पीएच लेवल को बढ़ाता है और गैस्ट्रिक लेवल को कम करनें में सहयोग करता है। जिससे गैस से आसानी से छुटकारा पाया जा सकता है। अतिबला का सेवन करने से आपकी त्वचा संबंधी समस्याएं दूर होती हैं और त्वचा में नमी बरकरार रहती है। ऐसा माना जाता है कि नारियल के तेल के साथ अतिबला के चूर्ण की थोड़ी सी मात्रा मिलाने पर स्किन को दुगने लाभ होते हैं। इसके सेवन से त्वचा पर कील, मुहासे, दाने, फुनसी की समस्या नहीं होती है। साथ ही इसका प्रयोग मुंह पर करने से मुंह की नमी भी बरकरार रहती है। हड्डियों से जुड़े विकारों को दूर करने के लिए अतिबला का सेवन खूब किया जाता है। खासकर इसमें पाए जाने वाले एंटी इंफ्लेमेटरी गुण अर्थराइटिस और ऑस्टियोपोरोसिस के लिए काफी फायदेमंद हैं। यह आपकी शरीर में बन रही सूजन को रोकने के साथ ही अर्थराइटिस के दर्द से भी छुटकारा दिलाता है। इसमें मौजूद एनालजेसिक गुण भी आपके जोड़ों के दर्द में राहत दिलाने में काफी मददगार होते हैं। इसका सेवन आपकी शरीर में बनने वाले अर्थराइटिस और ऑस्टोपोरोसिस के लक्षणों को भी कम करने में मदद करता है। पथरी की समस्या में अतिबला की पत्तियां मददगार मानी जाती हैं। इसकी पत्तियों का काढ़ा बनाकर पीने से किडनी में जमा पथरी धीरे धीरे टूटने लगती है और मूत्र के रास्ते बाहर आने लगती है। कुछ समय तक इसका नियमित प्रयोग करने से पथरी की शिकायत कम हो जाती है। इसके लिए आप अतिबला की पत्तियों का काढ़ा दिनभर में 20 से 30 ग्राम तक पीएं। कुछ समय तक ऐसा करने से पथरी निकल जाएगी। बवासीर आज के समय में अधिकांश लोगों की समस्या है। मलाशय के आस पास की नसों में सूजन आ जाने के कारण बवासीर जैसी बीमारी शरीर में उत्पन्न होने लगती है। लेकिन अतिबला लैक्सेटिव प्रॉपर्टीज से भरपूर होता है, जो आपके मल को मलाशय तक बिना किसी दर्द के आसानी से निकलने में मदद करता है। इसके सेवन से बवासीर के भयंकर दर्द से भी निजात पाई जा सकती है। बवासीर से राहत पाने के लिए आप अतिबला से बने चूर्ण का भी सेवन कर सकते हैं। बवासीर को खत्म करने के लिए लोग इसकी पत्तियों से बने काढ़े का भी सेवन करते हैं। इसके नियमित सेवन से निश्चित तौर पर बवासीर से राहत मिलती है। अतिबला का पौधा आपको भारत के कई हिस्सों में आसानी से मिल सकता है। कई बार यह सड़क किनारे, खेत में या फिर पानी के आसपास वाली जगहों पर आपको मिल सकता है। अंग्रेजी में इस पौधे को एब्यूटिलॉन इंडिकम  के नाम से जाना जाता है। यह स्वाद में मीठा होता है। अतिबला का उपयोग कई दवाइयां बनाने के साथ साथ तेल के उत्पादन के लिए भी किया जाता है। इसका इस्तेमाल चूर्ण बनाने के तौ पर भी किया जाता है। इसमें मौजूद गुण आपके शरीर में जुड़े रक्त विकारों को भी दूर करने में मदद करता है। वहीं इसकी पत्तियों को भी दांतों के तमाम रोगों जैसे मसूड़ों में दर्द, सूजन आदि को ठीक करने के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। इस पौधे में मौजूद गुण आपके शरीर में वात और पित्त को भी संतुलित करने में मदद करते हैं। अतिबला में एंटी मलेरियल, इम्यूनोडुलेटरी गुण के साथ ही एंटी माइक्रोबिल और एंटी डायरियल गुण अच्छी मात्रा में पाए जाते हैं।
डॉक्टर की सलाह से ही इसका सेवन करे। 

आप सभी को इसके बारे में कोई जानकारी हो तो जरूर साझा करे🙏
Anamika Shukla 

अनु🥰

Tuesday, 21 January 2025

कोटा में आत्महत्या करने वाली छात्रा कृति ने अपने सुसाइड नोट में लिखा था कि :

*कोटा में आत्महत्या करने वाली छात्रा कृति ने अपने सुसाइड नोट में लिखा था कि :-"मैं भारत सरकार और मानव संसाधन मंत्रालय से कहना चाहती हूं कि अगर वो चाहते हैं कि कोई बच्चा न मरे तो जितनी जल्दी हो सके इन कोचिंग संस्थानों को बंद करवा दें,*

*ये कोचिंग छात्रों को खोखला कर देते हैं।*

*पढ़ने का इतना दबाव होता है कि बच्चे बोझ तले दब जाते हैं।*
*कृति ने लिखा है कि वो कोटा में कई छात्रों को डिप्रेशन और स्ट्रेस से बाहर निकालकर सुसाईड करने से रोकने में सफल हुई लेकिन खुद को नहीं रोक सकी।*

*बहुत लोगों को विश्वास नहीं होगा कि मेरे जैसी लड़की जिसके 90+ मार्क्स हो वो सुसाइड भी कर सकती है,*
*लेकिन मैं आपलोगों को समझा नहीं सकती कि मेरे दिमाग और दिल में कितनी नफरत भरी है।*

*अपनी मां के लिए उसने लिखा- "आपने मेरे बचपन और बच्चा होने का फायदा उठाया और मुझे विज्ञान पसंद करने के लिए मजबूर करती रहीं।*
*मैं भी विज्ञान पढ़ती रहीं ताकि आपको खुश रख सकूं।*

*मैं क्वांटम फिजिक्स और एस्ट्रोफिजिक्स जैसे विषयों को पसंद करने लगी और उसमें ही बीएससी करना चाहती थी लेकिन मैं आपको बता दूं कि मुझे आज भी अंग्रेजी साहित्य और इतिहास बहुत अच्छा लगता है क्योंकि ये मुझे मेरे अंधकार के वक्त में मुझे बाहर निकालते हैं।"*

*कृति अपनी मां को चेतावनी देती है कि- ‘इस तरह की चालाकी और मजबूर करनेवाली हरकत 11 वीं क्लास में पढ़नेवाली छोटी बहन से मत करना,*
*वो जो बनना चाहती है और जो पढ़ना चाहती है उसे वो करने देना क्योंकि वो उस काम में सबसे अच्छा कर सकती है जिससे वो प्यार करती है।*

*इसको पढ़कर मन विचलित हो जाता है कि इस होड़ में हम अपने बच्चों के सपनो को छीन रहे है। आज हम लोग अपने परिवारों से प्रतिस्पर्धा करने लगे है कि फलां का बेटा-बेटी डॉक्टर बन गया,हमें भी डॉक्टर बनाना है।*

*फलां की बेटी-बेटा सीकर/कोटा हॉस्टल में है तो हम भी वही पढ़ाएंगे,चाहे उस बच्चे के सपने कुछ भी हो...हम उन्हें अपने सपने थोंप रहे है।*
*आज हमारे स्कूल(कोचिंग संस्थान) बच्चों को परिवारिक रिश्तों का महत्व नही सीखा पा रहे,उन्हें असफलताओं या समस्याओं से लड़ना नही सीखा पा रहे।*

*उनके जहन में सिर्फ एक-दूसरे से प्रतिस्पर्धा के भाव भरे जा रहे है जो जहर बनकर उनकी जिंदगियां लील रहा है।*
*जो कमजोर है वो आत्महत्या कर रहा है व थोड़ा मजबूत है वो नशे की ओर बढ़ रहा है।*

*जब हमारे बच्चे असफलताओ से टूट जाते है तो उन्हें ये पता ही नही है कि इससे कैसे निपटा जाएं।*
*उनका कोमल हदय इस नाकामी से टूट जाता है इसी वजह से आत्महत्या बढ़ रही है। 🩶💔*

I advise the students not to take such steps in your life.... But contact someone who can guide you properly in such conditions 
आप अपने विचार जरूर रखे 🙏
Copied