Friday, 28 March 2025

इलॉन मस्क ने भौतिकी को चुनौती देने वाले यूएफओ फाइटर जेट का खुलासा किया

इलॉन मस्क ने भौतिकी को चुनौती देने वाले यूएफओ फाइटर जेट का खुलासा किया
इलॉन मस्क, टेस्ला और स्पेसएक्स के दूरदर्शी सीईओ, हमेशा से संभव की सीमाओं को तोड़ने के लिए जाने जाते हैं। इलेक्ट्रिक कारों से लेकर स्वायत्त रॉकेटों तक, मस्क ने बार-बार साबित किया है कि कोई चुनौती बहुत बड़ी नहीं है। लेकिन अब, उन्होंने ऐसी क्रांतिकारी घोषणा की है जो विमानन इतिहास के रुख को बदल सकती है: भौतिकी के नियमों को चुनौती देने वाला यूएफओ फाइटर जेट।

इस यूएफओ फाइटर जेट में अनोखी तकनीक और डिजाइन होंगे, जो इसे पारंपरिक विमानों से अलग बनाते हैं। इसकी विशेषताएं इस प्रकार हैं:

1. *अदृश्य उड़ान*: यह विमान अदृश्य हो सकता है, जिससे यह दुश्मन रडार से बच सकता है।
2. *उच्च गति*: यह विमान मच 5 से अधिक की गति से उड़ सकता है, जिससे यह दुनिया का सबसे तेज़ विमान बन जाएगा।
3. *इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन*: यह विमान इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन सिस्टम से संचालित होगा, जो इसे शांत और कुशल बनाता है।
4. *कृत्रिम बुद्धिमत्ता*: यह विमान एडवांस्ड एआई सिस्टम से लैस होगा, जो इसे स्वायत्त रूप से उड़ने में सक्षम बनाता है।

यह परियोजना अभी विकास के चरण में है और इसकी वास्तविक क्षमताओं और विशेषताओं का खुलासा भविष्य में किया जाएगा।
सोशल मीडिया 👏
#copy #कॉपी #साभार #copypaste

#एलन #ElonMusk #elon

Monday, 24 March 2025

"#रत्ती" यह शब्द लगभग हर जगह सुनने को मिलता है। जैसे - रत्ती भर भी परवाह नहीं, रत्ती भर भी शर्म नहीं, रत्ती भर भी अक्ल नहीं...!!

"#रत्ती" यह शब्द लगभग हर जगह सुनने को मिलता है। जैसे - रत्ती भर भी परवाह नहीं, रत्ती भर भी शर्म नहीं, रत्ती भर भी अक्ल नहीं...!!

आपने भी इस शब्द को बोला होगा, बहुत लोगों से सुना भी होगा। आज जानते हैं 'रत्ती' की वास्तविकता, यह आम बोलचाल में आया कैसे?

आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि रत्ती एक प्रकार का पौधा होता है, जो प्रायः पहाड़ों पर पाया जाता है। इसके मटर जैसी फली में लाल-काले रंग के दाने (बीज) होते हैं, जिन्हें रत्ती कहा जाता है। प्राचीन काल में जब मापने का कोई सही पैमाना नहीं था तब सोना, जेवरात का वजन मापने के लिए इसी रत्ती के दाने का इस्तेमाल किया जाता था।

सबसे हैरानी की बात तो यह है कि इस फली की आयु कितनी भी क्यों न हो, लेकिन इसके अंदर स्थापित बीजों का वजन एक समान ही 121.5 मिलीग्राम (एक ग्राम का लगभग 8वां भाग) होता है।

तात्पर्य यह कि वजन में जरा सा एवं एक समान होने के विशिष्ट गुण की वजह से, कुछ मापने के लिए जैसे रत्ती प्रयोग में लाते हैं। उसी तरह किसी के जरा सा गुण, स्वभाव, कर्म मापने का एक स्थापित पैमाना बन गया यह "रत्ती" शब्द।

रत्ती भर मतलब जरा सा । 

अक्सर लोग दाल या सब्जी में ऊपर से नमक डालते रहते हैं । पुराने समय में माँग हुआ करती थी - - रत्ती भर नमक देना । रत्ती भर का मतलब जरा सा होता है । अब रत्ती भर कोई नहीं बोलता । सभी जरा सा हीं बोलते हैं , लेकिन रत्ती भर पर आज भी मुहावरे प्रचलित हैं । "रत्ती भर" का वाक्यों में प्रयोग के कुछ नमूने देखिए -- 

1)तुम्हें तो रत्ती भर भी शर्म नहीं है । 

2)रत्ती भर किया गया सत्कर्म एक मन पुण्य के बराबर होता है.

3) इस घर में हमारी रत्ती भर भी मूल्य नहीं है ।

कुछ लोग" रत्ती भर " भी झूठ नहीं बोलते । 

आपको जानकर आश्चर्य होगा कि जिस रत्ती की बात यहाँ हो रही है , वह माप की एक ईकाई है । यह माप सुनार इस्तेमाल करते हैं । पुराने जमाने जो माप तौल पढ़े हैं , उनमें रत्ती का भी नाम शामिल है । विस्तृत वर्णन इस प्रकार है -

8 खसखस = 1 चावल,
8 चावल = 1 रत्ती 
8 रत्ती = 1 माशा
4 माशा =1 टंक 
12 माशा = 1 तोला
5 तोला= 1 छटाँक 
16 छटाँक= 1 सेर 
5 सेर= 1 पंसेरी 
8 पंसेरी= एक मन 

हाँलाकि उपरोक्त माप अब कालातीत हो गये हैं , पर आज भी रत्ती और तोला स्वर्णकारों के पास चल रहे हैं । 1 रत्ती का मतलब 0.125 ग्राम होता है । 11.66 ग्राम 1 तोले के बराबर होता है । आजकल एक तोला 10 ग्राम होता है ।

इन सभी माप में रत्ती अधिक प्रसिद्ध हुई, क्योंकि यह प्राकृतिक रुप से पायी जाती है। रत्ती को कृष्णला, और रक्तकाकचिंची के नाम से भी जानी जाता है। रत्ती का पौधा पहाड़ों में पाया जाता है । इसे स्थानीय भाषा में गुंजा कहते है ।

रत्ती के बीज लाल होते हैं , जिसका ऊपरी सिरा काला होता है । सफेद रंग के भी बीज होते हैं , जिनके ऊपरी सिरे भी काले होते हैं । यह बीज छोटा बड़ा नहीं होता , बल्कि एक माप व एक आकार का होता है । प्रत्येक बीज का वजन एकसमान होता है । इसे आप कुदरत का करिश्मा भी कह सकते हैं । 

रत्ती के इस प्राकृतिक गुण के कारण स्वर्णकार इसे माप के रुप में पहले इस्तेमाल करते थे , शायद आजकल भी करते होंगे ।

रत्ती का उपयोग पशुओं के घावों में उत्पन्न कीड़ों मारने के लिए किया जाता है । यह खुराक के रूप में प्रयोग किया जाता है। एक खुराक में अधिकतम दो बीज हीं दिए जाते हैं । दो खुराक दिए जाने पर घाव ठीक हो जाता है ।

रत्ती के बीज जहरीले होते हैं । इसलिए ये खाए नहीं जाते । इनकी माला बनाकर माएँ अपने बच्चों को पहनाती हैं । ऐसी मान्यता है कि इसकी माला बच्चों को बुरी नज़रों से बचाती है ।
#quotes #newquotes #trandingquotes #todayquotes #poetry #kavita #hindisahitya #newpoetry #inspiration #like #sayari #hindiquote #hindilines #motivation  #positive
#morningmotivation #dailyinspiration #dailymotivation #dailymotivational #dailymotivationalreels #maharorajasthan #storytime #loveislove #employment #Employment #employee #friendship #friends #family #story #storytelling #mylife #business

हम लोग अपने घर से थोड़ी दूरी पर जहाँ गाय का गोबर एकत्रित करते थे , उसके आसपास ही कद्दू बीज देते थे और गाय की खाद के कारण बड़ी तेजी के साथ कद्दू की लतायें चारों ओर की झाड़ियों के ऊपर फेल जाती थी ।हमारी माता जी ताजे कद्दू की सब्जी मकई की करारी रोटी, जो कोयले के चूल्हे पर बनायी जाती थी , बनाकर गरम गरम कुरकुरी खिलाना पसन्द करती थी और कद्दू की सब्जी तो चाहे कच्चे हो या पके हुए ग़ज़ब ही ढाती थी । हालाँकि, पके हुए लाल कद्दू का बिना चीनी का इस्तेमाल करके हलवा भी कभी कभी बनाकर माताजी खिलाया करती थी ।जाने कहां गए वह दिन …

हम लोग अपने घर से थोड़ी दूरी पर जहाँ गाय का गोबर एकत्रित करते थे , उसके आसपास ही कद्दू बीज देते थे और गाय की खाद के कारण बड़ी तेजी के साथ कद्दू की लतायें चारों ओर की झाड़ियों के ऊपर फेल जाती थी ।हमारी माता जी ताजे कद्दू की सब्जी मकई की करारी रोटी, जो कोयले के चूल्हे पर बनायी जाती थी , बनाकर गरम गरम कुरकुरी खिलाना पसन्द करती थी और कद्दू की सब्जी तो चाहे कच्चे हो या पके हुए ग़ज़ब ही ढाती थी । हालाँकि, पके हुए लाल कद्दू का बिना चीनी  का इस्तेमाल करके हलवा भी कभी कभी बनाकर माताजी खिलाया करती थी ।जाने कहां गए वह दिन …
खासतौर पर औषधीय गुणों से भरपूर कद्दू का इस्तेमाल गर्मी के मौसम में खूब किया जाता है। दरअसल, इस सब्जी की तासीर ठंडी होती है और इसमें पानी की मात्रा अधिक होती है जिसके कारण वह जल्दी पच जाता है। इसके अलावा इसमें फाइबर, कार्बस, प्रोटीन, फैट, विटामिन सी भी पाए जाते हैं जो हमारी सेहत के लिए बेहद फायदेमंद है ।

यह त्वचा, हड्डी और दांतों को स्वस्थ बनाए रखने में भी मदद करता है। इसके अलावा ये फाइबर से भरपूर है जो कि कई बीमारियों से बचाता है। ये पेट का मेटाबोलिक रेट बढ़ाता है और पाचन क्रिया को तेज करता है। कद्दू में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जैसे अल्फा-कैरोटीन, बीटा-कैरोटीन और बीटा-क्रिप्टोक्सैन्थिन।

कद्दू उत्पादों से होने वाले साइड इफ़ेक्ट दुर्लभ हैं, लेकिन इनमें पेट में तकलीफ, दस्त और मतली शामिल हो सकती है। यह कुछ लोगों में खुजली , दाने और एलर्जी का कारण भी बन सकता है। कद्दू को अधिकांश स्वस्थ वयस्कों के लिए सुरक्षित भोजन माना जाता है, लेकिन अगर आपको खाद्य एलर्जी का इतिहास है, आप गर्भवती हैं, या कुछ दवाएं ले रही हैं , तो स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से जांच कराएं और तभी इसका सेवन करें ।

अगर आप कद्दू की सब्जी का सेवन करते हैं तो फिर इससे कमजोर हाजमा वालों को पेट फूलने (bloating) जैसी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।डायबिटीज के मरीजों को इसका सेवन नहीं करना चाहिए।इससे ब्लड शुगर बढ़ जाता है।इस सब्जी को खाने से कुछ लोगों को एलर्जी (allergy) की परेशानी भी बढ़ सकती है।

पके हुए लाल कद्दू का हलुवा लाजवाब बनता है और सफेद कद्दू का जूस उन लोगों के लिये गजब का सेहतमन्द है जिनको इसकी एलर्जी नहीं है ।
                   धन्यवाद
@top fans 
Facebook Mentions

अपनी कमीज के बारे में वह लापरवाह नहीं था, पर कमीज बचाकर वह काम नहीं कर पाता था, इसलिए भैंस, गाय का गोबर उठाने के पहले वह कमीज उतार दिया करता था। इसके बाद भी कमीज गंदी हो जाती थी।

अपनी कमीज के बारे में वह लापरवाह नहीं था, पर कमीज बचाकर वह काम नहीं कर पाता था, इसलिए भैंस, गाय का गोबर उठाने के पहले वह कमीज उतार दिया करता था। इसके बाद भी कमीज गंदी हो जाती थी। 

साहब को साफ-सुथरे नौकर की सनक थी। पर बाई साहब संतुष्ट थीं। एक बार नौकर की गलती के कारण नाराज हुए दूर के रिश्तेदारों की उन्होंने परवाह नहीं की। बाई साहब जानती थीं कि साहब का चचेरा भाई नाराज होकर भी चचेरा भाई रहेगा। लेकिन नौकर नाराज हुआ तो नौकरी छोड़कर उनका नौकर नहीं रहेगा। जहाँ-जहाँ बाई साहब नौकर को लेकर साथ जातीं, वहाँ उसकी फिक्र करती थीं, कि उसे चाय मिली या नहीं, खाने को कुछ मिला या नहीं! बढ़िया काँच का गिलास उससे गिरकर टूट गया। 

बाई साहब ने उसे डाँटा। जल्दी-जल्दी काँच उठाते समय उसकी एक उँगली कट गई। घबराकर उसने अपनी कमीज से खून से लथपथ हाथ को पोंछ लिया। काँच फेंककर जब वह आया तो बूँद-बूँद खून साफ-सुथरे चमकते फर्श पर टपकता गया। 

खाना खाते-खाते साहब की नजर उसकी कमीज पर पड़ गई। साहब ने उसे बहुत डाँटा। बाई साहब ने मिट्टी के तेल में उँगली डुबाकर पट्टी बाँध लेने को कहा। दूसरे दिन सुबह वह लड़का नहीं दिखा। रात को भाग गया। लेकिन कमीज वह छोड़ गया था। साफ-सुथरी धुली कमीज नौकर खोली में रख गया था। कमीज को गंदी छोड़कर भागने की उसकी हिम्मत नहीं थी। उसका अपराध और बढ़ जाता।

- पुस्तक अंश (नौकर की कमीज, विनोद कुमार शुक्ल)

शियाओझाई टियांकेंग, जिसे "स्वर्ग का कुआं" भी कहा जाता है, फेंगजे, चीन में स्थित एक अद्भुत प्राकृतिक आश्चर्य है। यह दुनिया का सबसे बड़ा और गहरा सिंकहोल होने का गौरव रखता है, जिसकी गहराई 662 मीटर, लंबाई 626 मीटर और चौड़ाई 537 मीटर है। यह विशाल सिंकहोल प्रकृति की अद्भुत शक्ति का प्रमाण है, जो पानी और समय के कटावकारी प्रभावों से बना है और यह वास्तव में प्राकृतिक दुनिया का एक अनोखा चमत्कार है।

शियाओझाई टियांकेंग, जिसे "स्वर्ग का कुआं" भी कहा जाता है, फेंगजे, चीन में स्थित एक अद्भुत प्राकृतिक आश्चर्य है। यह दुनिया का सबसे बड़ा और गहरा सिंकहोल होने का गौरव रखता है, जिसकी गहराई 662 मीटर, लंबाई 626 मीटर और चौड़ाई 537 मीटर है। यह विशाल सिंकहोल प्रकृति की अद्भुत शक्ति का प्रमाण है, जो पानी और समय के कटावकारी प्रभावों से बना है और यह वास्तव में प्राकृतिक दुनिया का एक अनोखा चमत्कार है।

शियाओझाई टियांकेंग सिर्फ एक भूवैज्ञानिक संरचना नहीं है, बल्कि यह एक समृद्ध पारिस्थितिकी तंत्र का घर भी है। इस सिंकहोल की अनूठी जलवायु ने यहां विभिन्न प्रकार के वनस्पतियों और जीवों को पनपने का अवसर दिया है, जिससे यह जैविक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान बन गया है। इसकी सबसे चमत्कारी विशेषताओं में से एक इसकी 8.5 किलोमीटर लंबी भूमिगत नदी है, जो गहराई में बहती है और एक शानदार जलप्रपात के रूप में समापन करती है। यह भूमिगत नदी और जलप्रपात इस सिंकहोल के भीतर एक रहस्यमय और शांत वातावरण बनाते हैं, जो पर्यटकों और शोधकर्ताओं को इसकी भव्यता का अनुभव करने के लिए आकर्षित करता है।

बरसात के मौसम में, शियाओझाई टियांकेंग की सुंदरता और भी बढ़ जाती है, जब सिंकहोल के किनारे से अतिरिक्त जलप्रपात बहने लगते हैं, जिससे यह स्थान एक अवास्तविक और अलौकिक दृश्य प्रस्तुत करता है। विशाल चट्टानों, हरी-भरी वनस्पतियों और गिरते पानी की गर्जना का संयोजन एक ऐसा अद्भुत दृश्य उत्पन्न करता है, जिसने इस सिंकहोल को पृथ्वी के सबसे असाधारण प्राकृतिक अजूबों में स्थान दिलाया है। इसकी विशालता और सुंदरता इसे साहसिक यात्रियों और प्रकृति प्रेमियों के लिए एक आदर्श गंतव्य बनाती है, जबकि इसकी पारिस्थितिकीय महत्ता वैज्ञानिकों को लगातार आकर्षित करती रहती है।

मकोयफल खाने के साथ साथ10-15 मिलीग्राम मकोय के अर्क को रोज पिलाने से किडनी में सूजन, किडनी के दर्द तथा किडनी रोगों आदि बीमारी में लाभ मिलता है।

मकोय  BLACK NIGHT OR NIGHT SHADE काकमाची और भटकोइंया पिलपोटण  भी कहते हैं। यह एक छोटा-सा पौधा है जो भारतवर्ष के छाया-युक्त स्थानों में हमेशा पाया जाता हैं। मकोय में पूरे वर्ष फूल और फल देखे जा सकते हैं। मकोय में शाखायुक्त एक-डेड़ फुट तक उँची, तथा शाखाओं पर उभरी हुई रेखाएं होती हैं। इसके पत्तें हरें, अंडाकर या आयताकार, दन्तुर या खण्डित, 2-3 इंच लम्बे, एक-डेड़ इंच तक चौड़े होते हैं। फूल छोटे, सफेद वर्ण (रंग) बहिकक्षीय फूल दंडों पर 3 से 8 के गुच्छों मे नीचे झुके होते हैं। मकोय का फल छोटे, चिकना गोलाकार अपरिक्व अवस्था में हरे रंग के और पकने पर नीले या बैंगनी रंग के, कभी-कभी पीले या लाल होते हैं। बीज छोटे, चिकने, पीले रंग के, बैंगन के बीजों की तरह होते है परन्तु बैंगन के बीजों से बहुत छोटे होते हैं। पकने पर फल मीठे लगते हैं।
मकोय  पञ्चाङ्ग (जड़, तना, पत्‍ता, फूल और फल) के काढ़े का सेवन गठिया का दर्द, सूजन, खांसी, घाव, पेट फूलने, अपच, मूत्र रोग में फायदा पहुंचाता है। कान दर्द, हिचकी, जुकाम, आंखों के रोग, उलटी, और शारीरिक कमजोरी में भी लाभ होता है। इसके पत्‍ते एवं एवं फल का सेवन से पेट का अल्‍सर ठीक होता है। इसके बीज भ्रम, बार बार प्‍यास लगने, सूचन और त्‍वचा रोग में फायदेमंद है।
मकोय की प्रकृति डाययुरेटिक होती है। अगर आपको कभी-कभी ऐसा महसूस होता है कि किसी कारणवश आपको रात में नींद नहीं आती है या फिर काफी डर लगने लगता है तो मकोय का सेवन करना नियमित रूप से शुरू कर दें। इससे आपको चिंता आदि कम करने में भी राहत मिलती है। इसमें चिकित्सीय गुण होते हैं जो ऑक्सीजन लेवल बढ़ाने में मदद करते है।।
मकोय में फाइटो केमिकल्स होते हैं और साथ में ही एंटी माइक्रोबियल गुण होते हैं जिस से यूटीआई बार बार नहीं होता है। मकोय का सेवन करने से वेजिनल सेक्रेशन और यूरिन आउटपुट में इजाफा होता है। इससे शरीर के अंदर मौजूद सारे बैक्टीरिया बाहर आने में मदद होती है जिस कारण सारे बैक्टीरिया और टॉक्सिंस फ्लश आउट हो जाते हैं और अगली बार यूटीआई होने का रिस्क भी कम हो जाता है।
मकोय (makoy) के पत्‍ते, पान का पत्‍ते तथा हल्दी से पेस्‍ट बना लें। इसका लेप करने से पुराने घाव, चोट लगने से होने वाले घाव, रोम छिद्र की सूजन,  मवाद वाले घाव, दाद, खाज (हर्पीज आदि ), एन्थैक्स आदि में लाभ होता है।

मकोय के पके फल को मधु के साथ सेवन करें। इससे टीबी की बीमारी में फायदा होता है।
मकोय फलों को पीसकर सुखा लें। इसे गर्म करके लेप के रूप में लगाएं। इससे शरीर के सभी अंगों में होने वाले सूजन में लाभ होता है।
-मकोय के सेवन से हमारी किडनी हेल्दी रहती हैं। अगर किसी को बार-बार पेशाब आने की समस्या हो, किडनी एरिया में सूजन की समस्या हो तो मकोय का रस या मकोय से बहुत अधिक लाभ होता है। यह फाइबर से भरपूर फल होता है। इसलिए पेट को साफ रखने में मददगार होता है
मकोयफल खाने के साथ साथ
10-15 मिलीग्राम मकोय के अर्क को रोज पिलाने से किडनी में सूजन, किडनी के दर्द तथा किडनी रोगों आदि बीमारी में लाभ मिलता है।
 आजकल कैंसर की समस्या एक चिंता का विषय बन चुकी है। मकोय के फल में कैंसर रोधी गुण होते हैं। मकोय कैंसर सेल्स के डेवलपमेंट को रोकता है। यह ट्यूमर के निर्माण को रोकने के लिए भी लाभकारी बताया जाता है। हाई ब्लड प्रेशर की समस्या में मकोय का सेवन प्रभावी हो सकता है। इसमें हाइपोग्लाइसेमिक इंडेक्स होते हैं, जो ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करके डायबिटीज को मैनेज करने के लिए जाने जाते हैं।
हाई कोलेस्ट्रॉल के कारण कई घातक स्वास्थ्य समस्याएं होने का खतरा बढ़ जाता है।  मकोय से ब्लड प्रेशर कंट्रोल होता है और कोलेस्ट्रॉल का लेवल भी नियंत्रित रहता है, जिससे हार्ट स्ट्रोक और हार्ट डिजीज का खतरा कम हो जाता है।

पीरियड क्रैंप्स में महिलाओं को दर्द और ऐंठन का सामना करना पड़ता है, जो बहुत असहनीय होता है। ऐसे में वह पेन किलर्स का सहारा लेती हैं। दर्द निवारक दवाइयों पर निर्भर होने की जगह आप इस शक्तिशाली जड़ी बूटी का इस्तेमाल कर सकती हैं। खासकर मकोयबैरी (मकोयफल)में ब्लैक नाइट शेड होते हैं, जिनमें एंटीपीयरेटिक एजेंट मिलते हैं, जिनको पेन किलर में उपयोग किया जाता है। यह जल्दी दर्द में राहत दे सकते हैं।

लीवर तथा तिल्ली के रोगों के लिए मकोय स्वरस भूमि आंवला स्वरस यथा पुनर्नवा स्वरस का सेवन अति उत्तम अकाट्य उपचार है।

जनपद न्यायाधीश जौनपुर के निर्देशन और सचिव एवं सत्र न्यायाधीश जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की देखरेख में एक विधिक साक्षरता जागरूकता शिविर का आयोजन तहसील सदर मछली शहर जनपद जौनपुर के सभागार में आयोजित किया गया नायब तहसीलदार डिप्टी चीफ डिफेंस काउंसिल डॉ दिलीप कुमार सिंह देवेंद्र कुमार यादव असिस्टेंट डिफेंस काउंसिल प्रकाश तिवारी एवं अनुराग चौधरी पीएलवी गुलफ्सा सूरज भारती मछली शहर एवं पैनल लायर भूपेंद्र यादव मछली शहर तहसील और बड़ी संख्या में स्थानीय लोग तथा विभाग के लोग उपस्थित रहे

जनपद न्यायाधीश जौनपुर के निर्देशन और सचिव एवं सत्र न्यायाधीश जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की देखरेख में एक विधिक साक्षरता जागरूकता शिविर का आयोजन तहसील सदर मछली शहर जनपद जौनपुर के सभागार में आयोजित किया गया नायब तहसीलदार डिप्टी चीफ डिफेंस काउंसिल डॉ दिलीप कुमार सिंह  देवेंद्र कुमार यादव असिस्टेंट डिफेंस काउंसिल प्रकाश तिवारी एवं अनुराग चौधरी पीएलवी गुलफ्सा सूरज भारती मछली शहर एवं पैनल लायर भूपेंद्र यादव मछली शहर तहसील और बड़ी संख्या में स्थानीय लोग तथा विभाग के लोग उपस्थित रहे 

डिप्टी चीफ डिफेंस काउंसिल डॉक्टर दिलीप कुमार सिंह ने विधिक साक्षरता जागरूकता के बारे में बताते हुए लीगल सर्विस अथॉरिटी एक्ट राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जिला एवं तहसील विधिक सेवा प्राधिकरण के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि बिना विधिक जागरूक के देश में लंबित करोड़ों मुकदमों का निस्तारण संभव नहीं है और सुलह समझौता के द्वारा मुकदमे का निस्तारण सर्वश्रेष्ठ मार्ग है जब मामला सुला के निस्तारित होता है किसी भी ना हार होती है और न जीत होती है दोनों पक्ष के लोग खुश हो जाते हैं

काउंसलर देवेंद्र कुमार यादव ने पारिवारिक विवादों के कारण और उनको सुलह समझौते द्वारा निस्तारित करने पर बल दिया  कहां कि बड़ी संख्या में मुकदमों का निस्तारण सुलह समझौते से ही संभव है उन्होंने प्रीलिटिगेशन और मध्यस्थता के बारे में भी बताया और राष्ट्रीय लोक अदालत में बड़ी संख्या में मुकाम ओके निस्तारण पर बल दिया

असिस्टेंट डिफेंस काउंसिल प्रकाश तिवारी और अनुराग चौधरी ने जनपद न्यायालय जौनपुर में डिफेंस काउंसिल में विस्तार से बताते हुए कहा कि सभी पीड़ित व्यक्ति महिलाएं और वृद्ध लोग डिफेंस काउंसिल की मुफ्त में सेवाएं प्राप्त कर सकते हैं और सुलह के सभी विवादों का निस्तारण विधिक प्राधिकरण के द्वारा कर सकते हैं उन्होंने डिफेंस काउंसिल के कार्यों को विस्तार से बताते हुए कहा कि 1 वर्ष में बहुत से जेल में बंद कैदियों का के मुकदमों का निस्तारण हुआ है 

इसके अलावा पी एल  वी और पैनल लायर एवं अन्य वक्ताओं ने भी अपने विचार प्रस्तुत किया और सुलह समझौता को मुकदमों के निस्तारण का सर्वश्रेष्ठ विकल्प बताया