मौसम की भविष्यवाणी
3 अगस्त से लेकर 6 अगस्त तक घनघोर मूसलाधार वर्षा की भविष्यवाणी जौनपुर सहित पूरे भारत में 4 अगस्त को भी सही हुई रात भर मूसलाधार वर्षा जारी रहे आज दिनभर रात भर अंतराल देकर वर्षा जौनपुर सहित पूरे भारत में होगी और कल भी यही स्थिति रहेगी इन तीन दिनों में 200 से लेकर 300 मिली लीटर वर्षा होगी और चारों ओर जल प्रलय जैसा दृश्य प्रस्तुत हो जाएगा चारों ओर केवल अपनी ही अपनी नजर आएगा और सबसे बड़ी बात हमारे केंद्र की वह महान भविष्यवाणी भी सही हुई जिसमें हमने लिखा था कि तीन और चार को वज्रपात बिल्कुल नहीं होगा लेकिन अब चार और पांच अगस्त को रात में और दिन में भीषण भाद्रपद भी होगा सभी लोग सावधान रहें सतर्क रहें डॉ दिलीप कुमार सिंह डिप्टी चीफ डिफेंस काउंसिल मौसम वैज्ञानी ज्योतिष शिरोमणि एवं निदेशक अलका शिप्रा वैष्णवी ज्योतिष मौसम पूर्वानुमान और विज्ञान अनुसंधान केंद्र जौनपुर 7017713978
आज का अधिकतम तापमान 30 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 27 डिग्री सेल्सियस रहेगा आज अधिकांश स्थानों में जो जौनपुर और उनके आसपास के जनपद हैं और पूर्वांचल में सामान्य से माध्यम कुछ स्थानों पर भारी और अनेक स्थानों पर बहुत भारी मूसलाधार वर्षा होने की प्रबल संभावना है आज हवा की दिशा पश्चिम गति 5 से 10 किलोमीटर प्रति घंटा प्रदूषण की मात्रा निम्न अल्ट्रावायलेट किरणों की तीव्रता माध्यम से लेकर मान्य और मौसम अत्यंत सुहाना रहेगा दोपहर के बाद हर जगह तेज वर्षा होने की संभावना है
कल का अधिकतम तापमान 29 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम 25 डिग्री सेल्सियस रहेगा कल चारों तरफ माध्यम से भारी वर्षा होने की संभावना है और 3 अगस्त से लेकर 6 अगस्त तक हमारे अलका शिप्रा वैष्णवी ज्योतिष मौसम पूर्वानुमान और विज्ञान अनुसंधान केंद्र की भविष्यवाणी सही होगी और पूरे भारत में जौनपुर में पूर्वांचल में समस्त जिलों में उत्तराखंड हिमाचल प्रदेश में मुंबई महाराष्ट्र में नालासोपारा वसई विरार में राजस्थान मध्य प्रदेश पूर्वोत्तर भारत बंगाल बिहार छत्तीसगढ़ में पंजाब हरियाणा दिल्ली में आंध्र तेलंगाना उड़ीसा तमिलनाडु में गोवा में कर्नाटक में गुजरात में कश्मीर में नेपाल भूटान म्यांमार में प्रचंड मूसलाधार वर्षा अनेक स्थानों पर प्रचंड मूसलाधार बाकी स्थानों पर मध्यम तेज वर्षा होगी डॉ दिलीप कुमार सिंह डिप्टी चीफ डिफेंस काउंसिल मौसम विज्ञानी ज्योतिष शिरोमणि एवं निदेशक अलका शिप्रा वैष्णवी ज्योतिष मौसम पूर्वानुमान और विज्ञान अनुसंधान केंद्र जौनपुर
[03/08, 06:08] ~Padma Singh: Mahan Mausam vaigyanik aur Jyotish Shiromani doctor Dilip Kumar Singh ki bhavishyvani 3 August Shiksha August Tak Jaunpur aur uske aaspaas ke sabhi jilon aur Purvanchal sahit sampurn Bharat mein Barish se bahut Bhari Aur Muslim dharm Varsha hone ki bhavishyvani Subah Se Hi Sahi honi shuru ho gaye hain 48 varsh se Lakhon bhavishyavaniyan 99% ki Dar se Sahi Hui aur yah bhi bilkul sahi Hogi Aaj Se 2 din pahle hi bhavishyvani kar di Gai thi
[8/3, 6:27 AM] Dr Dileep Kumar singh: हमारे अलका शिप्रा वैष्णवी ज्योतिष मौसम पूर्वानुमान और विज्ञान अनुसंधान केंद्र जौनपुर के द्वारा आज से 3 दिन पहले जौनपुर जौनपुर के पड़ोसी सभी जिलों सुल्तानपुर प्रतापगढ़ प्रयागराज मिर्जापुर सोनभद्र चंदौली दीनदयाल नगर वाराणसी गाजीपुर आजमगढ़ अंबेडकर नगर अयोध्या पूरे पूर्वांचल संपूर्ण उत्तर प्रदेश और पूरे भारत में घनघोर मूसलाधार वर्षा की लगातार तीन दिन की जो भविष्यवाणी की गई है वह ईश्वर की कृपा से सही होना शुरू हो गई है तीन चार पांच और 6 अगस्त को घनघोर वर्षा होगी और घर से बाहर निकलना मुश्किल हो जाएगा इस कालखंड में अर्थात 3 अगस्त से 6 अगस्त तक घनघोर मूसलाधार वर्षा 100 से लेकर 200 मिलीलीटर और कहीं कहीं अधिक भी होगी और चारों तरफ जल ही जल दिखेगा इसलिए आज सुबह एक बार फिर इसको दोहराया जा रहा है डॉक्टर दिलीप कुमार सिंह डिप्टी चीफ डिफेंस काउंसिल मौसमविज्ञानी ज्योतिष शिरोमणि निर्देशक अलका शिप्रा वैष्णवी ज्योतिष मौसम पूर्वानुमान एवं विज्ञान अनुसंधान केंद्र दिनांक 3 जून 2025 मोबाइल नंबर 7017713978
भारत विश्व का सबसे प्राचीन और विश्व व्यापी फैला हुआ देश है और सनातन धर्म सारे संसार का सबसे प्राचीन धर्म है यहां प्रत्येक दिन कोई ना कोई पर्व और उत्सव होता रहता है जिससे जीवन में नीरसता की जगह सरसता फैली रहती है हर एक पर्व उत्सव त्यौहार का अपना एक विशिष्ट महत्व होता है जो मानव जीवन कृषि कार्य धर्म दर्शन अध्यात्म के साथ प्रकृति और पर्यावरण से भी जुड़ा रहता है ऐसा ही एक महान पर्व नाग पंचमी है जो नागो से जुड़ा हुआ है भारत एक ऐसा देश है जहां पर पशु पक्षी ईद पत्थर आकाश पाताल दिशाओं की ग्राम देवी ग्राम देवता तक की पूजा की जाती है क्योंकि कालांतर में सिद्ध हो गया है कि प्रत्येक वस्तु परमाणु अथवा कोशिका से बनी है और हर एक परमाणु और कोशिका में ईश्वर का ही अंश होता है
नाग पंचमी का महान पर्व सावन महीने के शुक्ल पक्ष में पंचमी के दिन मनाया जाता है जब लोग घर की साफ सफाई करके लीप पोत कर कपड़े पहनकर नाग देवता की पूजा करते हैं और उनका दूध चढ़ाते हैं इस दिन नाग देवता का दर्शन करना शुभ माना जाता है संसार में कोई भी ऐसा धर्म नहीं है जिसके मानने वाले दुनिया में सबसे भयंकर माने जाने वाले नाग और सांपों की पूजा करते हैं जो स्वयं में काल का एक स्वरूप होता है और जिसको देखकर बड़े से बड़े लोगों के मन में भय पैदा हो जाता है और आज इतनी अधिक वैज्ञानिक और चिकित्सा की उन्नति हो जाने के बाद भी प्रतिवर्ष भारत में और दुनिया में सांपों के काटने से लाखों लोग मरते हैं तो प्रश्न उठता है कि आखिर नाग पंचमी का त्यौहार क्यों मनाया गया और इनकी पूजा क्यों की जाती है
सभी प्रकार के सांपों में नाग का विश्व सबसे अधिक विषैला और प्रभावकारी होता है और यह न्यूरोटॉक्सिक होता है नाग अर्थात कोबरा की कई प्रजातियां होती हैं जिसमें शेषनाग सबसे लंबी और घातक प्रजाति है जो हर प्रकार के सांपों को जिंदा ही खा जाता है इसके बाद काला नाग और भूरा नाग होता है और यही सांप की ऐसी प्रजाति है जिसमें बहुत पुराने कुछ नागों में नागमणि पाई जाती है वैसे तो भारत में करैत वाईपर और रसेल वाइपर सांप भी बहुत जहरीले होते हैं लेकिन यह सभी नाग के भय से छिपे रहते हैं
वैसे तो कोई भी जहरीला नाग या सांप काट ले तो वर्तमान समय में प्राथमिक चिकित्सा करके अर्थात घाव को साबुन से यह स्वच्छ पानी से अच्छी तरह धोकर उसके ऊपर हल्का दबाव देते हुए पट्टी बांधकर तुरंत ही चिकित्सक के पास जाना चाहिए लेकिन जहां पर चिकित्सा सुविधा न हो या समय बहुत कम हो वहां पर तंत्र-मंत्र जड़ी बूटियां का प्रयोग करने में कोई हिचकिचाहट नहीं होनी चाहिए जिसमें अधिक मात्रा में काली मिर्च और घी को पिलाना नीम की पत्ती खिलाना और कुछ मित्रों का जाप करना शामिल है ऐसा माना जाता है कि जरत् कारु ऋषि कश्यप ऋषि शंखचूड़ वासुकी का नाम लेने से सांप नहीं काटते हैं और वह रास्ता बदल कर चले जाते हैं और इनका नाम लेने से सांप का विश्व असर नहीं करता है नाग कल का भला करने वाले कुछ ऐसे भी वंश हैं जिन पर सांपों के विश्व का असर नहीं पड़ता है यह बात पूरी तरह सच है इसके अलावा **ऊं कुरुकुल्ये हूं फट् स्वाहा**मंत्र का जाप करने से भी सांप के विश्व का असर नहीं होता है
सांप एक ऐसा प्राणी है जो मनुष्य से सबसे अधिक डरता है इसके अलावा यह नेवला गरुड़ पक्षी बाज प्रजातियां और गिलहरी मोर एवं बिल्ली से भी डरता है नाग पंचमी को जिस प्रकार से पूजा पाठ और सफाई की जाती है और सावन महीने में जिस तरह से महारुद्र अभिषेक किया जाता है उसे सांप मनुष्य का निवास छोड़कर बन बाग खेत और अन्य जगहों पर चले जाते हैं इसीलिए नाग पंचमी त्यौहार मना कर नागों की पूजा की जाती है इसके अलावा यह नाग जाति और मनुष्य जाति के बीच प्राचीन संबंधों का भी स्मरण दिलाता है नाग एक प्राचीन काल में मानव की जाती थी जो जंगल गुफा कंधराओं में रहते थे और उनका नागों के साथ लंबे समय रहने से उनके बारे में पूरा ज्ञान हो गया था और वह जड़ी बूटियां और सांपों का जहर उतारने और उनको पकड़ने में सिद्ध हस्त थे नागवंश एक प्रसिद्ध राजवंश भी था अर्जुन घटोत्कच सहित अनेक लोगों का नाग कल में विवाह हुआ था मेघनाथ की पत्नी सुलोचना नवांश से ही थी इस प्रकार नाग पंचमी को इसलिए भी मनाया जाता है कि धीरे-धीरे नवांश आर्य वंश में घुल मिल गया था
सभी प्रकार के जहरीले नागो से मानव जाति को अपार लाभ होता है या मानव जाति के लिए विनाशकारी चूहा और अनेक जीव जंतुओं को खाकर मानव जाति का असीम कल्याण करते हैं इसके अलावा यह वातावरण में फैले हुए भयंकर विश्व को धीरे-धीरे पीते रहते हैं इसे जहर पूरी पृथ्वी पर फैल नहीं पता है जहरीले सांपों से कैंसर इत्यादि की बहुत कीमती दवाएं भी बनती हैं और पूरी दुनिया में सांपों को बड़े चावल से खाया भी जाता है अब रही सांपों के द्वारा मानव को काटने की तो यह स्वाभाविक सी बात है कि अगर सांपों को अपने प्राण संकट में दिखाते हैं तब वह आक्रमण कर देते हैं वैसे सांप का विश्व उनकी सबसे कीमती धरोहर होता है एक बार काट लेने के बाद फिर से जहर बनने में महीनों लग जाते हैं इसलिए सांप जल्दी काटते नहीं और काटते भी हैं तो बहुत ज्यादा विष नहीं उगलते हैं इसके अतिरिक्त सांप भगवान शिव के गले के आभूषण हैं जिनको वह बड़े चाव से अपने गले में पहनते हैं जब उन्होंने हलाहल विष का पान किया था तो उसे कुछ बूंदे धरती पर गिरी और उसी को पीकर सांप बिच्छू और अन्य जीव जहरीले हो गए थे शिव जी का आभूषण होने के कारण और उनके गले की शोभा होने के कारण भी सांपों की पूजा किया जाता है
सांप से जुड़ी अनेक कथा कहानी और क्यों बदलता है लाखों करोड़ों वर्षों से भारतीय जीवन में घुली मिली हैं जिसमें सांपों के द्वारा बदला लेना और कुछ विशेष प्रकार के नागों में नागमणि होना पूरी तरह सत्य है इसके अलावा बहुत भ्रांत धारणाएं भी लोगों के मन में बस गई हैं नाग पंचमी को सांपों के संरक्षण और उनसे सावधान रहने से भी जोड़ कर देखा जाता है क्योंकि वर्षा काल में सांपों के प्रजनन का महीना होता है इसलिए वह बहुत अधिक उग्र होते हैं उनसे बचकर रहना चाहिए और सभी प्राणी एक समान है इस बात की धारणा भी नाग पूजा पूजा दिखती है
नाग पंचमी के दिन विद विधानसभा से नागों की पूजा होती है और उन्हें दूध खीर चढ़ाया जाता है इसके अलावा लोक जीवन में इसे स्थाई बनाने के लिए इस दिन भारत के हर एक गांव शहर गली मोहल्ले में दंगल अर्थात कुश्ती होती है और कूड़ी अर्थात लंबी कूद का आयोजन किया जाता है इसके बाद घरों में भारत-भारत के सुंदर पकवान बनते हैं इस प्रकार यह महान पर्व शारीरिक स्वास्थ्य से भी जुड़ा हुआ है नाग पंचमी के दो दिन पहले हरियाली तीज या हरितालिका की जाती है जिसे अपना विशेष महत्व है यह विशेष रूप से ध्यान देने की बात है कि सावन में चारों तरफ घने पेड़ पौधे हरियाली होने से और पानी भर जाने से सांप उन सब स्थान से मानव निवास की ओर दौड़ते हैं और नाग पंचमी के दिन पूजा से उत्पन्न विभिन्न प्रकार की रासायनिक गंध और सूक्ष्म ऊर्जा नाग और हर प्रकार के सांपों को आवाज से दूर ले जाती है यही वजह है कि पहले हर तरफ घने जंगल झाड़ झंकार और हरियाली होने के बाद और घनघोर वर्षा होने के बाद भी प्राचीन काल में सांपों के काटने से शायद ही कोई मार हो अब ज्यादा लोग मर रहे हैं क्योंकि सांप के आवास पर लोग जबरदस्ती कब्जा कर रहे हैं आप आज से 50 वर्ष पहले अपने घर खानदान के लोगों से पता करेंगे तो पता लगेगा कि इतनी भयंकर स्थिति के बाद भी सांप के काटने से बहुत ही कम लोग मरे हैं और नाग तो बिना चेतावनी दिए काटते भी नहीं है सबसे खतरनाक करत नाम का सांप होता है जो 1 से 2 फीट लंबा काला चित्तीदार होता है और अगर यह सोते समय काट लेता है तो लोग सोते ही रह जाते हैं इसीलिए कहा जाता है कि करैत का काटा हुआ पानी भी नहीं मांगता हैऔर पूजा पाठ भी नहीं करते हैं इसलिए कहा जा सकता है कि नाग पंचमी एक पूर्ण वैज्ञानिक महापर्व है जो प्रकृति पर्यावरण और प्राणी मात्र की सुरक्षा से जुड़ा हुआ है
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