Sunday, 2 November 2025

3आई /एटलस: ‌‌ आकाशगंगा के पार से आया ब्रह्मांड का रहस्यमय आगंतुक! धूमकेतु है या स्वर्गीय अंतरिक्ष यान है

3आई /एटलस: ‌‌ आकाशगंगा के पार से आया ब्रह्मांड का रहस्यमय आगंतुक! धूमकेतु है या स्वर्गीय अंतरिक्ष यान है

कभी-कभीअनंत ब्रह्मांड हमें ऐसे उपहार देता है जो हमारी कल्पना से भी परे होते हैं। वर्ष 2025 में खगोलविदों ने ऐसा ही एक तोहफ़ा पाया 3आई/ एटलस एक ऐसा धूमकेतु जो हमारी सौर प्रणाली का नहीं है! यह एक इंटरस्टेलर (Interstellar) यानी अन्य तारा-प्रणाली से आया हुआ आगंतुक है। 

क्या है 3आई/ एटलस ?

3आई/ एटलस नाम में बहुत जानकारी छिपी है:
* 3I मतलब यह तीसरा ‌ अंतर तर्ककीय वस्तु है जो हमारी सौर प्रणाली में आया।
* एटलस नाम उस टेलीस्कोप नेटवर्क का है जिसने इसे खोजा Asteroid Terrestrial-impact Last Alert System (ATLAS)।
* इससे पहले दो इंटरस्टेलर आगंतुकों का पता चला था 1I/‘Oumuamua (2017) और 2I/Borisov (2019)। खोजा गया था जो हमारे सौरमंडल और आकाशगंगा के बाहर का आया हुआ माना गया था
अब यह ऐटलस ‌ उल्का पिंड तीसरा है और संभवतः अब तक का सबसे रहस्यमय। 

कब और कैसे खोजा गया?
1 जुलाई 2025 को चिली में स्थित एटलस टेलीस्कोप ने पहली बार इस अनोखी वस्तु की झलक पकड़ी। जब वैज्ञानिकों ने इसकी गति और कक्षा का विश्लेषण किया,तो वे चकित रह गए। यह न तो सूर्य की परिक्रमा कर रहा था और न ही भविष्य में वापस लौटने वाला था। इसकी कक्षा हाइपरबोलिक है यानी यह सीधे गुजर रहा है और फिर हमेशा के लिए हमारी सौर प्रणाली से बाहर चला जाएगा। 

इसकी बनावट कैसी है?
3आई/एटलस का नाभिक लगभग 500 मीटर से लेकर 5 किलोमीटर के बीच बताया जा रहा है। इसके चारों ओर गैस और धूल का सुंदर बादल फैला हुआ है जो सूर्य के पास आने पर बर्फ पिघलने से बनता है। लेकिन इसकी सबसे अनोखी बात है इसकी रासायनिक संरचना:
* इसमें कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) की मात्रा असामान्य रूप से अधिक है।
* वैज्ञानिकों को इसमें निकल जैसे भारी तत्वों के निशान भी मिले हैं।
* इसका रंग और चमक इसे बाकी सभी धूमकेतुओं से बिल्कुल अलग बनाते हैं। 

नासा और यूरोपीय ‌ अंतरिक्ष एजेंसी के अनुसार, यह अब तक देखा गया “सबसे विचित्र” धूमकेतु हो सकता है। जिसमें मानव सभ्यता वर्ग रही एलियंस होने का भी दवा एलन मस्क और अबी लोएब जैसे वैज्ञानिक कर रहे हैं। यह इतना विचित्र और रहस्य में है कि सब लोग हैरान परेशान है कितने लोग तो कह रहे हैं कि यह उल्का पिंड धरती के जीवन का विनाश करके पृथ्वी पर कब्जा कर लेगा।

कितनी तेज़ी से चल रहा है?
3I/ATLAS हमारी सौर प्रणाली से लगभग 58 किलोमीटर प्रति सेकंड की रफ्तार से गुजर रहा है। यह इतनी तेज़ है कि कोई भी ग्रह यहाँ तक कि सूर्य का गुरुत्वाकर्षण भी इसे रोक नहीं सकता।
यह आएगा चमकेगा और फिर हमेशा के लिए चला जाएगा। यह गति असाधारण है जबकि अन्य उल्का पिंड और धूमकेतु और अंतरिक्ष यान भी 20 से 30 किलोमीटर प्रति सेकंड की गति से ही चल सकते हैं इसकी गति 2 लाख 10000 किलोमीटर प्रति घंटा से भी अधिक है

यह कितनी दूरी तक आएगा?
सूर्य से इसका सबसे निकटतम बिंदु (perihelion): 1.36 AU यानी लगभग 20 करोड़ किमी दूर। पृथ्वी से न्यूनतम दूरी: 1.8 AU यानी लगभग 27 करोड़ किमी।
इसलिए यह न तो हमारी पृथ्वी के पास आएगा,न किसी तरह का ख़तरा पैदा करेगा। यह बस देखने-लायक चमत्कार है। वैसे आगे इसकी गति और पथ के अनुसार कुछ भी हो सकता है। संसार की सभी सभ्यताओं में भारत ही ऐसी उन्नत और विकसित तथा सबसे प्राचीन सभ्यता है जिसमें पृथ्वी के अलावा देवी देवता और आकाशगंगा में बसने वाली सभ्यता आकाशगंगा के केंद्र में ब्रह्मा विष्णु और शिव तथा देवयानी अर्थात एंड्रोमेडा आकाशगंगा में महाश्वेत द्वीप में महा विष्णु का निवास बताया गया है जहां पर सभी प्राणी श्वेत नक्षत्र अर्थात व्हाइट हॉल में रहते हैं जो ब्लैक होल का उल्टा है

वैज्ञानिकों के लिए क्यों इतना ‌ महत्वपूर्ण है?
* दूसरे सौर तंत्रों की झलक: यह किसी और तारे की प्रणाली में बना यानी इसकी रासायनिक संरचना हमें बताएगी कि दूसरे तारों के आसपास धूल और बर्फ कैसी होती है। क्या वहां पर भी जलवायु और जीवन के तत्व और लक्षण विद्यमान है या नहीं
* सौर प्रणाली की तुलना: इसकी संरचना हमारी सौर प्रणाली के धूमकेतुओं से कितनी अलग है,इससे हमें यह समझने में मदद मिलेगी कि हमारे ग्रह कैसे बने। इसके अलावा अन्य तरह और आकाशगंगा के बारे में बहुत कुछ पता चलसकेगा
* जीवन की उत्पत्ति पर सुराग: धूमकेतु ब्रह्मांड में कार्बनिक अणु फैलाते हैं। अगर 3I/ATLAS में ऐसे अणु पाए जाते हैं तो यह संकेत होगा कि जीवन जैसी सामग्री पूरे ब्रह्मांड में फैली है। एक बहुत बड़ा वर्ग गया मानता है की धरती पर जीवन की उत्पत्ति ऐसे ही जीवन तत्व से भरपूर किसी धूमकेतु या उल्का पिंड के टकराने के द्वारा ही हुई यह भी हो सकता है कि यह अनंत अंतरिक्ष में जीवन के बीज बिखेरता हुआ जा रहा है

क्या यह भविष्य में वापस आएगा?
नहीं। 3I/ATLAS सूर्य के पास से गुज़रने के बाद सौर प्रणाली को हमेशा के लिए छोड़ देगा। यह किसी और तारों के बीच की अनजान यात्रा पर निकल पड़ेगा शायद किसी दूसरी सभ्यता के आसमान में दिखने वाला एक छोटा-सा धूमकेतु बनकर। ऐसे उल्का पिंड आते हैं और फिर कभी ना दिखाने के लिए गायब हो जाते हैं और अगर करोड़ों वर्ष बाद आएंगे अभी तो उनकी याद भी मानव सभ्यता को नहीं रहेगी। इसकी कई बातें असाधारण है इसका सीधा पथ ‌ लोहे तत्वों का नहीं पाया जाना निकल धातु का उत्सर्जित करना ‌ असाधारण गति और मुड़ने की योग्यता सूर्य की कक्षा का अतिक्रमण करना और अंदर अंतरिक्ष यान जैसी संरचना होना और लगातार हरी नीली पीली लाल रोशनी का जलाना और बुझाना और पूछ का नहीं होना यह सब बातें इस बात पर बोल देती हैं कि कहीं यह कोई विराट अंतरिक्ष यान तो नहीं है जो मानव जीवन की थाह लेने के लिए आया है फिलहाल मानव सभ्यता के पास ऐसा कोई अंतरिक्ष या नहीं है जो वहां तक जाकर नजदीक से इसको देख सके

हमारे लिए इसका मतलब क्या है?
3I/ATLAS सिर्फ एक धूमकेतु नहीं बल्कि एक संदेशवाहक है। यह हमें याद दिलाता है कि हमारी सौर प्रणाली कोई अलग-थलग द्वीप नहीं बल्कि ब्रह्मांड के विशाल अनंत महासागर का छोटा-सा हिस्सा है। हर बार जब कोई ऐसा ‌ अंतर तरकीय आगंतुक आता है तो वह हमें हमारी सीमाओं से बाहर सोचने के लिए प्रेरित करता है कि शायद कहीं और भी सूरज उगते हैं,ग्रह घूमते है और जीवन अपनी कहानी लिख रहा है। अनंत आकाशगंगा जो दृश्यमान जगत का केवल पांच प्रतिशत हैं और बाकी श्वेत ऊर्जा और श्वेत द्रव्यमान से बनी है और वहां भी बहुविध बहू प्रकार का जीवन फल फूल रहा है।

निष्कर्ष
3I/ATLAS एक खगोलीय रहस्य है जो ब्रह्मांड की अनंतता और विविधता की झलक देता है। यह हमारे वैज्ञानिकों के लिए ब्रह्मांड की कॉस्मिक डीएनए को समझने का अवसर है और हमारे लिए यह याद दिलाने वाला पल कि ब्रह्मांड सिर्फ ऊपर नहीं हर दिशा में अनंत है। ब्रह्मांड की अनेक पहेली अनसुनी ‌ अनसुलझी है ‌ जैसे कि कृष्ण नक्षत्र अर्थात ब्लैक होल कौशल और लेजर 14 अब वर्ष पहले पैदा हुआ ब्रह्मांड 1000 अरबप्रकाश वर्ष में कैसे फैल गया है ‌ और अगर हमारी आकाशगंगा जैसी एक लाख अब आकाशगंगाए हैं तो क्या हमारी अपनी ही आकाशगंगा के एक ही ग्रह में जीवन है जो संभव ही नहीं है इसके अतिरिक्त यदि यह धूमकेतु ना होकर पराग रही एलियंस का अंतरिक्ष यान है और यदि धरती को और मुड़ जाएगा और उसमें ब्राह्मणी और मृत्यु करने भी होगी या उन्होंने श्वेत श्याम ऊर्जा और द्रव्यमान को बस में कर रखा है तो क्या धरती के लोग उनका मुकाबला कर पाएंगे यह सभी रहस्य ही रहकर कभी सुलझ नहीं पाएगा। वैसे मैंने एक लेख 1 महीने पहले भी लिखकर बताया था कि यह ना तो कोई परग्रही अंतरिक्ष यान है ना इसमें मानव सभ्यता है बल्कि यह ब्रह्मांड के पार से आया एक संदेशवाहक है इससे अधिक हम जान भी नहीं पाएंगे।
[11/2, 7:39 AM] Dileep Singh Rajput Jounpur: ब्रह्मांड के सबसे रहस्यमय वस्तु एटलस 3 के बारे में संपूर्ण प्रमाणिक लेख प्रकाशित करने की कृपा करें

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