Thursday, 11 December 2025

मल भी एक रिश्तेदार है,रोज़ मिलने जरूर आता है,पर जिस दिन न आए,सारा दिन टेंशन दे जाता है।।

मल भी एक रिश्तेदार है,
रोज़ मिलने जरूर आता है,
पर जिस दिन न आए,
सारा दिन टेंशन दे जाता है।।

जिस अमानवीय काम ने वर्षों तक इंसानियत को शर्मसार किया, वह प्रथा अब भारत से लगभग समाप्त हो चुकी है। सदियों तक चलने वाली यह घोर अपमानजनक मानव मल-ढोने की परंपरा समाज के लिए एक कलंक थी। हमने इसे समाप्त तो कर दिया, पर दुनिया में कुछ जगहों पर आज भी मल को लेकर अजीब तरह की व्यवस्थाएँ देखने को मिलती हैं।

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को लेकर हाल के वर्षों में कई अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया है कि विदेश यात्राओं के दौरान उनकी सुरक्षा टीम उनके मल और मूत्र के नमूने इकट्ठा कर एक खास सूटकेस में बंद करके तुरंत रूस वापस भेज देती है। इसे मज़ाक-मज़ाक में “पूप सूटकेस” नाम दिया गया है।

हमारे यहाँ जो चीज़ गंदगी मानी जाती है, वहीं किसी देश के राष्ट्रपति की वो चीज़ सुरक्षा का विषय बन जाती है—यह भी व्यवस्था का एक अनोखा विरोधाभास है। यह सूचना पहली बार फ्रांसीसी पत्रिका पेरिस मैच की रिपोर्ट से सामने आई, जिसके बाद कई अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थानों ने इस दावे की पुष्टि की।

बताया जाता है कि पुतिन की यह सुरक्षा प्रक्रिया इसलिए अपनाई जाती है ताकि कोई विदेशी एजेंसी उनके स्वास्थ्य, डीएनए या अन्य जैविक जानकारी का विश्लेषण न कर सके। उनकी टीम यात्रा के दौरान वॉशरूम तक की व्यवस्था नियंत्रित रखती है, नमूने सील करती है और विशेष सुरक्षा के साथ विमान द्वारा रूस भेज देती है।

सोचिए, कहीं यह प्रक्रिया दिन में एक से ज़्यादा बार करनी पड़े तो उनकी टीम पर कितना अतिरिक्त बोझ आ जाए! मल चाहे सर पर उठाया जाए या कंधे पर रखा जाए, वह मल ही रहेगा—चाहे किसी मजदूर का हो या किसी राष्ट्रपति का। फर्क सिर्फ़ व्यवस्था और दृष्टिकोण का होता है।

क्या अजब दुनिया है—किसी की पोट्टी भी करोड़ों के सुरक्षा सिस्टम में सफ़र करती है, और किसी की गंदगी से लोग घिनाते हुए मुँह मोड़ लेते हैं। पर यह एक कटु सत्य है कि आधुनिक जासूसी तकनीक के युग में विश्व नेता अपनी जैविक जानकारी को भी सुरक्षा का विषय मानते हैं।

🙏🙏🙏
मोहम्मद जावेद खान
संपादक
भोपाल मेट्रो न्यूज़
9009626191

No comments:

Post a Comment