Friday, 22 April 2022

*अतिक्रमण हटाओ अभियान में निश्चित रूप से पक्षपात हो रहा है और छोटी मछलियों को शिकार बनाते हुए बड़े-बड़े मगरमच्छ घायलों को छोड़ दिया जा रहा है जेसीज चौराहे से लेकर होटल प्रसाद ओलांदगंज तक तो बिल्कुल सही अभियान चला है लेकिन उसके बाद से लेकर बाकी ओलांदगंज तिराहे और अन्य जगहों पर घनघोर पक्षपात किया गया है आज की ताजा कुछ तस्वीरें देखकर आप खुद समझ जाएंगे*

*अतिक्रमण हटाओ अभियान में निश्चित रूप से पक्षपात हो रहा है और छोटी मछलियों को शिकार बनाते हुए बड़े-बड़े मगरमच्छ घायलों को छोड़ दिया जा रहा है जेसीज चौराहे से लेकर होटल प्रसाद ओलांदगंज तक तो बिल्कुल सही अभियान चला है लेकिन उसके बाद से लेकर बाकी ओलांदगंज तिराहे और अन्य जगहों पर घनघोर पक्षपात किया गया है आज की ताजा कुछ तस्वीरें देखकर आप खुद समझ जाएंगे* 

*यही हालत नखास में बर्तन वाली गली की है और सब्जी वाली गली की भी है अभियान चलाया ही नहीं गया नगर पालिका परिषद जौनपुर के दक्षिण में ठीक 50 मीटर आगे मस्जिद द्वारा 14 फीट और हॉट मिलियंस द्वारा 8 फीट का अतिक्रमण करके सड़क पर भयंकर निर्माण काम किया गया है* 

*जिस पर कभी किसी की निगाह जाती नहीं या जाती है तो आंख मूंद लेते हैं इसके अलावा जौनपुर में दर्जनों ऐसे जगह है जहां अतिक्रमण विरोधी अभियान कभी नहीं चला इतना ही नहीं सबसे घनघोर अतिक्रमण कोतवाली जौनपुर के चारों ओर है करण का कारण केवल यही है कि बड़े-बड़े घड़ियाल मगरमच्छों को शासन और प्रशासन शहर देता है तो छोटे-छोटे सब्जी ठेला खोमचा वालों को पुलिस वाले वसूली के लिए खुद बैठ आते हैं और प्रतिदिन की है वसूली करोड़ों रुपयों में होती है और सारा वसूली हिस्सा सभी जिम्मेदार लोगों तक पहुंचने के कारण सभी लोग आंखें बंद किए रहते हैं प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में शुरू में बहुत तेजी दिखाती है लेकिन बाद में बिल्कुल खामोश हो जाती है चाहे डर से चाहे लालच से* 

*अतिक्रमण और कब्जा करने के अद्भुत तरीके प्रशासन और पुलिस से मिलकर कहीं ट्रांसफार्मर लगा देते हैं कहीं मंदिर मस्जिद मजार गिरजाघर बनवा देते हैं कहीं असली नाली पाटकर नई नाली बना देते हैं और असली नाली का चेन्नई मिट जाता है जैसे कि ओलांदगंज नखास नवाब युसूफ रोड और मदारे टोला सहित तमाम जगहों पर हुआ है कहीं-कहीं सरकारी चीजें लगा लेते हैं तो कहीं शौचालय बनवा देते हैं कहीं बिजली के खंभे गाड़ देते हैं इस तरह अतिक्रमण करने वाले अत्यधिक चालाक होते हैं और जब कभी लाल निशान तोड़ने के लिए लगाया जाता है तो सभी अतिक्रमण कारी चंदा देकर लाखों और करोड़ों रुपए इकट्ठा करके संबंधित लोगों को पहुंचा देते हैं और सारा अतिक्रमण अभियान ठंडे बस्ते में चला जाता है पैसे लेकर वाजिदपुर तिराहे तक हजारों बने हुए शानदार मकान दुकान इसके उदाहरण है जहां 1985 से लाल निशान लगता चला आता है हुआ कुछ नहीं*


इसके अलावा जो बचा हुआ हिस्सा है वहां पर लोग दो पहिया तीन पहिया चार पहिया वाहन खड़ा करके पूरी सड़क और कर देते हैं इस तरह और भी अधिक तरीके हैं जिसके कारण भारत में अतिक्रमण अभियान कभी सफल नहीं हुआ और आगे भी होने की संभावना कम है अगर थोड़ा बहुत अतिक्रमण विरोधी अभियान चला है तो केवल दिव्य पुरुष निष्पक्ष रूप से काम करने वाले भारत के भावी प्रधानमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के समय में ही चला है लेकिन इसमें सुधार की बहुत ज्यादा आवश्यकता है*

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