Saturday, 18 June 2022

*आस रह गई,* *नेतागिरी की प्यास* *रह गई।* *राजनीति के किस्से* *अधूरे रह गए ।।* *पार्टी से वफा करके भी* *हम तंहा रह गए।* *पार्षद बनने के अरमां* *आंसुओं में बह गए‌।*

*पार्षद बनने की* 
 *आस रह गई,* 
 *नेतागिरी की प्यास* 
  *रह गई।* 
   *राजनीति के किस्से* 
    *अधूरे रह गए ।।* 
 *पार्टी से वफा करके भी* 
  *हम तंहा रह गए।* 
 *पार्षद बनने के अरमां* 
 *आंसुओं में बह गए‌।*
दिल के अरमा आंसुओं में बह गए
हम वफा करके तंहा रह गए
नेतागिरी के किस्से अधूरे रह गए
नेताजी और पार्टी के लिए सालो दरियां उठाई और कुर्सियां सजाई पार्टी के लिए वफा करके भी तंहा रह गए, शायद नेताजी और पार्टी का यह है आखरी सितम पार्षद बनने के अरमा आंसुओं में बह गए,पार्टी भी होगी नेता भी होंगे पर अफ़सोस हम ना होंगे, पार्षद का टिकट ना मिलने पर नेता जी से पूछा तो वह मुस्कुराकर चल दिए,नेताजी जाते जाते यह तो बता जाओ अब हम नेतागिरी करेंगे कौन सी पार्टी के लिए, पार्टी में आप भी होगे,लल्लू भी होगा,अशोक भी होगा,यासीन भी होंगे पर अफ़सोस हम ना होंगे, क्योंकि पार्षद का टिकट ना मिलने से दिल के अरमा आंसुओं में बह गए,क्या मुंह दिखाऊंगा मैं अपने घर वालों को,मोहल्ले वालों को,जो रोज़ सुबह शाम मुझसे कहते थे आओ पार्षद जी,ना टिकट मिला,ना पार्षद बनने का रुतबा, टिकट नहीं मिलने के कारण रात भर रोते रहे,पिछले 8 सालो से मोहल्ले की नालियां खुद साफ की,उधार पैसे लेकर पार्टी के नेताओं को खूब दावते खिलाई, मुर्गा भी खिलाया,पनीर भी खिलाया,मीठा भी खिलाया और कोल्ड ड्रिंक्स भी पिलाई,पर अफ़सोस नेताजी मेरा नमक खाने के बाद भी चल दिए, दावतों के चक्कर में कर्जदार भी हुआ, मोहल्ले के दुकानदार जिन की दुकानों पर मेरा उधारी खाता चलता था,पार्षद का टिकट नहीं मिलने के कारण सुबह से ही दुकानदारों ने मेरे घर के चक्कर लगाना शुरू कर दिए हैं,और उनकी उधारी चुकाने के लिए मेरे ऊपर दबाव बनाना शुरू कर दिया है,इसलिए मैं कह रहा हूं,नेता जी आप मेरे दिल के टुकड़े-टुकड़े कर के मुस्कुराकर चल दिए,जाते जाते यह तो बता जाओ अब हम नेतागिरी करेंगे किस पार्टी के लिए, मध्यप्रदेश में आज भाजपा और कांग्रेस ने अपनी पार्षद सूची जारी कर दी है, भोपाल में कुल 85 वार्ड इसका मतलब हर एक पार्टी से 85 लोगों को पार्षद का टिकट देना था, पर मजे की बात यह हर वार्ड में कम से कम 85 प्रत्याशी हर पार्टी से टिकट के दावेदार थे,हर शख्स को यह लग रहा था,इस बार टिकट तो उसी को मिलेगा,और वह चुनाव भी जीतेगा पर अफ़सोस हर वार्ड से इन 85 दावेदारों में से ज़्यादातर किसी को भी टिकट नहीं मिला, जो वार्ड पुरुष से महिला हुआ, तो इस वार्ड के पुरुष दावेदारों ने अपनी पत्नी, अपनी माता या अपनी बहन को पार्षद पद हेतु चुनाव लड़ाने का मन बना लिया था,इन पुरुष प्रत्याशियों ने यह सोचा चलो पत्नी पार्षद बन जाएगी,नाम पत्नी का होगा,पर पार्षद की पूरी जिम्मेदारी वह उठाएंगे और पार्षद पति कहलाएंगे पर अफ़सोस,इनके अरमा आंसुओं में बह गए पार्टी के लिए वफा करके भी तंहा रह गए, और आगे सुने इन बेचारे पतियों का हाल, मोहल्ले के कुछ मनचले युवकों ने इनकी पत्नी के नाम से फ्लेक्स बनवाकर मोहल्ले में लगवा दिए इन फ्लेक्सों की शुरुआत कुछ ऐसे हुई थी युवाओं के दिल की धड़कन,---------- पार्षद पद की उम्मीदवार श्रीमती----------को भारी मतों से विजयी बनाएं,पोस्टर पर बहुत सुंदर सा बड़ा फोटो पत्नी का नीचे कोने में छोटा सा फोटो भावी पार्षद पति का,रात भर पोस्टर देखकर भावी पार्षद पति रोते रहे और कहते रहे दिल के अरमा आंसुओं में बह गए।
*जब तुम्हारी पार्टी तुम्हारा* 
 *हृदय तोड़ दे,* 
 *पार्षद टिकट नहीं मिलने* 
 *पर तड़पता हुआ छोड़ दे,* 
 *चिंता मत करो निर्दलीय* 
 *चुनाव लड़ने का का दर* 
 *खुला है,खुला ही रहेगा।।*
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
मोहम्मद जावेद खान 

18/6/2022

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