Wednesday, 8 June 2022

नूपुर शर्मा के निष्कासन के पीछे का घटनाक्रम विस्तार से समझिए :-

नूपुर शर्मा के निष्कासन के पीछे का घटनाक्रम विस्तार से समझिए :-
1. इस प्रकरण की आड़ में मिडल ईस्ट देशों में भारत विरोधी अभियान चलाया जा रहा था जिसमे भारतीय को नौकरी से निकाले जाने का अभियान चरम पर था।
2. मिडल ईस्ट में भारतीय सामानों को स्टोर्स से हटाया जाना शुरू हो चुका था और भारतीय सामान, भारतीय कर्मचारियों और भारत के बहिष्कार का अभियान चलाया जा रहा था।
3. कतर, ओमान, बहरीन से चले इस अभियान में धीरे धीरे ही सही पर ईरान भी शामिल हो चुका था।
4. तुर्की तो पहले से ही कट्टर भारत विरोधी रहा है व लगभग हर मामले पर पाकिस्तान का साथ देता रहा है तो पैगंबर वाला प्रकरण उसके लिए भी लाभदायक था और वह भी इस का लाभ लेना चाहता था।
5. इस्लामिक देशों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विरोध मे ट्वीट करवाए जा रहे थे, मोदी विरोधी अभियान ट्विटर पर ट्रेंड कर रहा था।
6. ओमान के ग्रैंड मुफ्ती शेख अहमद बिन हमाद अल खलीली पैगंबर के अपमान के विषय पर भारत विरोधी अभियान का झंडा उठाए हुए था और यही आदमी इस्लामिक देशों को भारत के विरुद्ध एकजुट करने का बीड़ा उठाए हुए था।
7. सभी इस्लामिक देशों से भारत का तेल निर्यात बंद करने का अभियान चलाया जा रहा था।
इन सब अभियानों का आधार यही था कि पैगंबर का अपमान करने वाला सत्ताधारी पार्टी का राष्ट्रीय प्रवक्ता है। नुपुर शर्मा को निलंबित किया जाना होता तो भाजपा यह काम उसी दिन कर देती पर निलंबन का निर्णय मजबूरी में लिया गया है इसीलिए इतना समय लगा। इस अभियान में मध्य में चीन भी हो सकता है और बहुत संभव है कि वही इस अभियान को नियंत्रित भी कर रहा हो। 
 अन्तर्राष्ट्रीय परिस्थितियों के मद्देनजर  कई बार पीछे भी हटना पड़ता है क्योंकि यहां कोई लड़ाई निजी लड़ाई नही है यह निजी मान सम्मान अथवा निजी हार जीत का विषय नही है यह समाज की लड़ाई है जिसमे अहम को एक तरफ रखकर कम से कम नुकसान सहकार अधिक से अधिक लाभ लेने की रणनीति रहती है अतः भाजपा के फैसले पर उंगली उठाना उचित नहीं है।
हम एक अनुशासनहीन, गैर जिम्मेदार समाज के लोग हैं जहां 95% लोग जबानी लड़ाई लड़ते है। जितने लोग नुपुर शर्मा का समर्थन कर रहे हैं उनमें से 5% लोग भी उनके समर्थन में उनके आवास पर जाकर मानव श्रृंखला बनाकर उनके समर्थन में प्रदर्शन भी कर दे तो जेहादियों के हौसले पस्त हो जायेंगे पर ये  करना नही और होगा भी नही। यानी  हर उस आदमी को जलील करना है शर्मसार करना है। हर उस आदमी का हौंसला तोड़ना है जो सही दिशा में काम कर रहा है।
चलो भाजपा ने उसे छोड़ दिया  पर हम क्या कर सकते हैं ? बनाओ हजार आदमी की टीम और दो नुपुर जी को सुरक्षा निभाओ इस प्रोटोकॉल को 6 महीने। गोबर निकल जायेगा।
      भाजपा ने उन्हें निकाला है, कभी दयाशंकर को भी निकाला था, सही समय आने पर वापस पार्टी में लिया टिकट दिया MLA बनाया और आज मंत्री बनकर योगी की कैबिनेट में है। 
     आज भाजपा और संघ का कोई विकल्प नहीं है हालांकि यह सर्वश्रेष्ठ नहीं है। बहुत कमियां हैं जिन्हे ठीक किया जाना है पर यह कटु सत्य है कि भाजपा और संघ का आज की तारीख में कोई विकल्प है ही नही।
     एक समय वो भी था जब आराध्य राम बालि पर आक्रमण करने के लिए छल कपट का सहारा लेते है। युद्ध की सर्वोत्तम नीति छल होती है। साम दाम दण्ड भेद लिखा हमने जरूर पर पढ़ा नही। ऐसी खुली किताब मत बनो जिसे हर कोई पढ़ सके। हमारे जड़ बुद्धि समाज का मुकाबला किनसे है ?
 उनसे है जो 500 लोगो की जगह होने के बाद भी 8000 की भीड़ लेकर ज्ञानवापी में आए और 8000 लोगो में से एक आदमी ने भी मीडिया को एक शब्द नही बोला। मीडिया ने जोर लगा लिया कि कोई कुछ उलूल जुलुल बोल दे पर उनका अनुशासन देखो 8000 लोगो में से एक आदमी भी कैमरे पर मुंह खोलने को तैयार नहीं  शिवलिंग मिलने के बाद भी 25/30 करोड़ का समाज एकजुट एक शब्द नही एक आवाज नही उठी कि यह हिंदुओ का स्थान है हिंदुओ को दे दो। 
    25 करोड़ लोग लड़ रहे है कोई बोलकर और कोई चुप रहकर। इधर हमारा समाज है बयानवीर का कुनबा। कोई  मुंह की तरफ माइक कर तो दे फिर तो सांक्षी महाराज और साध्वी प्रांची जैसे लोग विज्ञान और खगोलशास्त्र पर भी बोल जाते है भले ही उन्हें कुछ पता न हो। 
वे धारा 370 हटा गए, राम मंदिर बनवा रहे है और विश्वास करो ज्ञानवापी को भी छीनकर लायेंगे। शेर शनै: शनै: शिकार की तरफ बढ़ रहा है दबे पांव हल्ला मत मचाओ।
भाजपा के निर्णय को पूर्ण समर्थन लेकिन आलोचना का बेहतर विषय यह हो सकता है कि शिवलिंग को फव्वारा कहने वालो पर करवाई हो।
    सरकार करवाई करे उन्हे जेल में डाले सरकार ने नही किया पर हिन्दुओं किसने रोका है? ले आओ शिवलिंग को फव्वारा कहने वालो का सिर। उनके सारे मौलवी/धर्मगुरु फतवा जारी कर रहे हैं और हमारे? मठ में बैठकर तसमई उड़ा रहे हैं। अगली कथा के लिए ग्राहक ढूॅ॑ढ़ रह हैं।
संपेक्ष में इतना समझ लो कि हम लोगो से ज्यादा चतुर, विद्वान और उपयुक्त लोग काम पर लगे हुए हैं उन्हे काम करने दो।
     उनका सहारा नही बन सकते तो उनका रास्ता भी मत काटो।

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