कलम पकड़ना सिखाया जिसने ,
आज उनके लिए कुछ लिख रही हूं ।
पिता से बढ़कर स्थान है जिनका ,
हां  माँ जी आपके लिए लिख रही हूं ।। 
बचपन  का ये  लाडला आपका, 
अभी भी थोड़ा  नादान है । 
कहने को हो गया हूं समझदार , 
पर आपके लिए वही बेटा हूं ।। 
बन जाती थी  शिक्षक मेरे,
बन दोस्त समझाती थी ।
पापा की मार से बचाती मूझे,
अकेले में खुब डाट लगाती आप ।।
हर रात मुझे सुलाए बिना , 
कहां नींद आपको आती थी । 
मुझे हर बार रोता देखकर , 
तकलीफ आपको होती थी । 
मेरी छोटी छोटी जीत को , 
बड़े जश्न की तरह मनाती थी आप । 
हालात चाहे जो रहे हो . 
मुझे देख मुस्कुरा देती थी आप ।। 
कही धोखा न खाऊ में,
दुनीया दारी समझाती थी आप।।
आप है इस परिवार के सर्वोच्च शिखर , 
बिन आपके हम सब जाएंगे बिखर । 
आपका आशीष सदैव रहे हम सब पर , 
और यूं ही जगमग रहे आप इस भू पर ।। 
ढेरों बधाईयां लिए ,
 
   
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