Saturday, 28 January 2023

आज कल की भाग दौड़ भरी जिंदगी में कई तरह के स्ट्रेस से लोग ग्रस्त हैं। जिसकी वजह से नींद नहीं आती। अच्छी नींद ना आने की वजह से गुस्सा, चिढ़चिढ़ापन, थकान, तनाव आदि की समस्या होती है। साथ ही नींद ना आने की वजह से उम्र जल्दी बढ़ने, स्किन ऐजिंग, अनिद्रा जैसी और कई समस्या होती है।

 आज कल की भाग दौड़ भरी जिंदगी में कई तरह के स्ट्रेस से लोग ग्रस्त हैं। जिसकी वजह से नींद नहीं आती। अच्छी नींद ना आने की वजह से गुस्सा, चिढ़चिढ़ापन, थकान, तनाव आदि की समस्या होती है। साथ ही नींद ना आने की वजह से उम्र जल्दी बढ़ने, स्किन ऐजिंग, अनिद्रा जैसी और कई समस्या होती है।

100% हर्बल और प्लांट से तैयार किया गया आयुर्वेदिक, एलोपैथिक नींद की दवाओं के सेवन से जो हानी होती है वो तो आप सभी भली भांति परिचित हैं। 
तो अब बहुत जल्द आ रहा है उसका पूर्ण विकल्प जो आपको एक अच्छी और बेहतरीन जिंदगी देगा। आप चाहे कितना भी अच्छा भोजन कर ले और संसार के बढ़िया से बढ़िया दवा का सेवन कर ले परंतु अगर आपको अच्छी नींद नहीं आती है जिसे कहते है बेखबर होकर सोना तब तक आपका शरीर रोग प्रतिरोधक क्षमता को नही बढ़ा पाएगा।


*शुगर की बीमारी आज के दौर में सबसे ज्यादा तेज़ी बढ़ रही बीमारियों में से एक है। मौजूदा दौर में ये सिर्फ वृद्धावस्था में ही नहीं, बल्कि कम उम्र में भी देखी जा रही है। ये बीमारी तब होती है जब हमारे शरीर में मौजूद पैन्क्रीयाज़ इंसुलिन बनाना बंद कर देते हैं*। 

अगर हम नॉर्मल शुगर की बात करें तो आमतौर पर भूखे रहने पर शुगर की मात्रा 70-110 के बीच होती है। खाना खाने के आधा घण्टे बाद ये मात्रा बढ़कर 110-140 तक हो जाती है।

*जानिए शुगर का लेवल कितना होना चाहिए*

हमारे रक्त में शुगर का लेवल कितना होना चाहिए यह जानना इसलिए महत्वपूर्ण है क्यूंकि शुगर की बीमारी भारत में तेजी से बढ़ रही है| ताजा आंकड़ों की बात करें तो भारत में हर पांचवें व्यक्ति को मधुमेह है| जब खून में ग्लूकोज का लेवल बढ़ जाता है तो मधुमेह की बीमारी का जन्म होता है|

1 शुगर के टेस्ट 

2 शुगर का लेवल 

*शुगर के टेस्ट*

हर इंसान को साल में एक बार मधुमेह का टेस्ट जरूर कराना चाहिए चाहे वह शुगर का रोगी हो या ना हो| इसकी मुख्य वजह यह है कि आजकल लोगों की जीवनशैली बहुत ज्यादा अनियमित होती जा रही है|

अगर समय रहते आपको मधुमेह का पता चल गया तो इसे तुंरत कंट्रोल करके आप बहुत सारी परेशानियों से बच सकते हैं| डॉक्टर डायबिटीज की पहचान के लिए कुछ टेस्ट करते हैं 

1. Normal Blood Fasting
2. PostPrandial
3. HBA1C

*शुगर का लेवल*

जब कोई व्यक्ति शुगर की जांच कराने जाता है तो वह इस प्रकार रिपोर्ट का आंकलन कर सकता है 

Normal Blood Fasting (सुबह खाली पेट) –यह टेस्ट सुबह खाली पेट ही किया जाता है| इस टेस्ट से पता चलता है कि बिना कुछ खाये पिये आपके रक्त में ग्लूकोज की मात्रा कितनी है? यह शुगर का सबसे अहम टेस्ट भी होता है और इसी के आधार में डॉक्टर सुनिश्चित करते हैं कि आपको शुगर है या नहीं

Fasting Blood Test में आपका शुगर लेवल 70 से 110 मिलीग्राम होनी चाहिए|

अगर आपका शुगर लेवल 110 से 125 के बीच है तो भी घबराने की बात नहीं है क्यूंकि यह अभी शुगर की शुरुआत है और इसे आपको गंभीरता से लेना चाहिए और तुंरत डॉक्टर से मिलकर डाइट प्लान बनायें| अगर 125 से ज्यादा शुगर लेवल है तो आपको दवाइयों का सेवन करना पड़ेगा| जब शुगर लेवल 200 मिलीग्राम से ऊपर चला जाता है तो आपके पेशाब में शुगर आने लगती है|

PostPrandial Test (खाने के 2 घंटे बाद) –यह टेस्ट खाना खाने के 2 घंटे बाद कराया जाता है| दरअसल हमारा खाना 2 घंटे में पूरी तरह पच जाने की स्थिति में आ जाता है और अब भोजन से ग्लूकोज का बनना शुरू हो जाता है| इस टेस्ट से पता चलता है कि खाना खाने के बाद आपका शुगर कहीं बहुत ज्यादा तो नहीं बढ़ रहा या आप जो खा रहे हैं वो बहुत ज्यादा शुगर तो नहीं बना रहा?

PostPrandial Test में आपका शुगर लेवल 110 से 140 जे मध्य होना चाहिए|

अगर शुगर लेवल 140 से 170 तक आता है तो भी घबरायें नहीं बल्कि अपने खान-पान पर ध्यान दें क्यूंकि 170 तक शुगर लेवल आराम से कंट्रोल किया जा सकता है| अगर आपका शुगर लेवल 200 या 300 के पार है तो आपको दवाइयों का सेवन करना पड़ेगा| जब शुगर लेवल 400 मिलीग्राम से ऊपर जाने लगता है तो आपको बहुत ज्यादा थकान और कमजोरी का अहसास होना शुरू हो जाता है|

HBA1C Test – यह एक नया टेस्ट काफी प्रचलित हो रहा है| डॉक्टर आजकल HBA1C पर ज्यादा विश्वास कर रहे हैं| दरअसल Fasting और PostPrandial Test में आपके खाने-पीने के अनुसार रोजाना शुगर लेवल अलग-अलग हो सकता है इसलिए HBA1C टेस्ट ज्यादा अच्छा साबित हो रहा है|

HBA1C टेस्ट में पिछले 3 महीने के शुगर लेवल का रिकॉर्ड देखा जाता है इससे अंदाजा हो जाता है कि सामान्य रूप से आपका शुगर कितना रहता है|

HBA1C टेस्ट में शुगर लेवल निम्न प्रकार से देखा जाता है 

HBA1C

Result

4 – 6 %

Non Diabetic

6 – 7 %

Good in Control

7 – 8 %

Fair Control

9 % >

Poor

शुगर लेवल 4 – 6 % का मतलब है कि आपको शुगर नहीं है अर्थात आप पूरी तरह स्वस्थ हैं|

शुगर लेवल 6 – 7 % का मतलब है कि आपको शुगर है लेकिन आपकी शुगर बहुत अच्छा कण्ट्रोल में है

शुगर लेवल 7 – 8 % का मतलब है कि आपका शुगर लेवल बढ़ रहा है और ठीक ठाक कंट्रोल में है

जब शुगर लेवल 9 % से ऊपर हो तो समझिये आपकी शुगर लेवल बहुत बदतर स्थिति में है

HBA1C टेस्ट में जिन लोगों का शुगर लेवल 6 – 7 % आता है उन लोगों को PreDiabetic कहा जाता है अर्थात आप बिल्कुल किनारे पर आ चुके हैं और अभी शुगर बिल्कुल शुरुआती अवस्था में है जिसे आसानी से आप कण्ट्रोल कर सकते हैं।

*पेट दर्द, भारीपन और कब्ज से तुरंत आराम दिलाते हैं ये 5 आयुर्वेदिक नुस्खे* 
 
1. गर्म पानी में अजवायन के बीज (अजवायन के बीज) और काला नमक का एक मिश्रण तैयार करें। इसे भोजन के तुरंत बाद ग्रहण करें। इसे दिन में एक बार लें या तो, दोपहर के भोजन पश्चात अथवा रात के खाने के बाद लें।

2. यदि आप सुबह उठते ही भारीपन और आलस्य महसूस करते हैं, नाश्ता छोड़ते हैं, तो जितना संभव हो उतना गर्म पानी पीते रहें। रात के खाने में खिचड़ी खाएं (हरे मूंग की दाल और चावल का एक बड़ा मिश्रण, अच्छी मात्रा में पानी में पकाये। यह आपको अपचन से राहत देगा।

3. नींबू को आधा काट लें और इसेमें काला नमक भरें। भोजन से पहले इसे चाटें। यह एक भूख जगाने वाले कारक के रूप में काम करता है। बहुत से लोग मानते हैं कि नींबू प्रकृति में अम्लीय है, लेकिन नींबू में मौजूद पोटेशियम शरीर में अम्ल को निष्क्रिय करता है।

4. कभी-कभी अम्ल प्रतिवाह का कारण भी बन सकता है। अम्ल पाचन रस के अपर्याप्त स्राव का परिणाम है जो भोजन के साथ बहुत अधिक पानी पीने से हो सकता है। पानी पाचन रस को पतला करता है। इसके लिए सबसे अच्छा इलाज जामुन (जंबुल) है। खाने के ठीक बाद 5 से 10 जामुन खाने से अम्ल में बड़ी राहत मिलती है। पपीता खाने से भी इस स्थिति में मदद मिलती है। 

5. 3 ग्राम बारीक कटा हुआ अदरक, आधा नींबू का रस, और 1 ग्राम काला नमक मिलाएं और भोजन से पहले आधे घंटे पहले इसका उपभोग करें। इसे नियमित रूप से पीने से 3-7 दिनों के भीतर पाचन में सुधार आता है। यदि अन्य अवयव उपलब्ध नहीं हैं, तो पानी के साथ केवल काला नमक लें (1 ग्राम) यह भी काफ़ी फायदेमंद है।

: घरेलू उपचार 
            -------तु: लम्बाई बढा़ना :-------
      हैंगिंग एक्सरसाइज,  टू टचिंग,  ताड़ासन योग का अभ्यास,पश्चिमोत्तासन योग का अभ्यास, कोबरा पोज, रस्‍सी कूदना,  संतुलित आहार भी आवश्यक है ।
उपाय --------
* सोने से पहले , एक गिलास गुनगुने पानी में,  थोड़ी सी हल्दी और आधा चम्मच, अश्वगंधा मिलाकर सेवन करें । साथ में  , खंजूर और 4 अंजीर भी खाएं। 
* अश्वगंधा की बात है तो,  इसमें कई तरह के मिनरलस होते हैं। जो कि , हड्डियों और उसकी डेंसिटी को बढ़ाते हैं। इससे लम्बाई बढ़ती है। एक गिलास गर्म दूध में दो बड़े चम्मच, अश्वगंधा को मिलाकर, इसमें अपने स्वादानुसार शक्कर  या गुड़ मिला लें। फिर इसको खूब मिलाकर करके पियें।  इसको नित्य रात को , सोने से पहले पीना चाहिए। 
* वजन वृद्धि के लिए चर्बी युक्त पदार्थों का सेवन आवश्यक होता है । वजन बढा़ने के लिए, मक्खन की चिकनाई सबसे उत्तम है । मक्खन के सेवन करने से , वजन और लम्बाई की वृद्धि होती है ।
* आयुर्वेदिक औषधियां,  शंखपुष्पी और ब्राह्मी में भरपूर मात्रा में होती हैं। ब्राह्मी को ब्रेन बूस्टर भी कहते हैं। इन दोनों का सेवन करने से,  लंबाई के साथ-साथ मस्तिष्क भी तेज होता है।
* भुना हुआ, अलसी के बीज का सेवन भी,  लाभदायक  होता है। अलसी में,  भरपूर मात्रा में ओमेगा फैटी एसिड पाया जाता है। इसके अलावा , इसमें कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, पोटैशियम और फाइबर के अलावा एंटीऑक्सीडेंट गुण भी होते हैं। जो हाइट बढ़ाने में सक्षम हैं। 
* लंबाई बढ़ाने का एक अच्छा उपाय स्किपिंग है। इससे शरीर में रक्त का संचार सही रहता है। जिससे शरीर हड्डियों बढ़ती हैं। 
* इसके अतिरिक्त शीघ्र लम्बाई बढ़ाने में,  विटामिन ' डी ' की,  मुख्य भूमिका होती है। हड्डियों के विकास के लिए,  विटामिन डी बहुत उपयोगी है। विटामिन डी लेने का श्रोत सूरज सबसे अच्छा है। सुबह की धुप में,  कम से कम 15 मिनट बैठना चाहिए। 
* योग भी करें ताडा़सन, वृक्षासन, पश्चिमोत्तासन, त्रिकोणासन और भुजंगासन को , करने से,  लंबाई तेजी से बढ़ती है और शरीर की मसल्स में भी,  लचक आती है। 
* चक्रासन करने से , लंबाई बढ़ती है। साथ ही लंग्स, लिवर, किडनी स्वस्थ होते हैं। 
* स्विमिंग करना,  लंबाई बढ़ाने के लिए,  सबसे अच्छा उपाय में ,  आप ड्राई स्विमिंग भी कर सकते हैं।


पेट के कृमि :--------
      कृमि रोग साधारण बीमारी समझी जाती है, अगर इसकी चिकित्सा नही  किया जाए तो , यह रोग कई जटिलताएं जैसे -- कुपोषण, आंतों में रुकावट, एलर्जी इत्यादि रोग पैदा कर रोगी की,  मौत का कारण भी बन सकता है। यह एक संक्रामक रोग है। जो खाद्य पदार्थों की साफ-सफाई न होने या दूषित जल से फैलता है। कृमि को,  सामान्य बोलचाल में,  पेट का कीड़ा कहते हैं।
* आम की गुठली का चूर्ण, गर्म पानी के साथ, नित्य चौथाई चम्मच सेवन करने से, पेट के कीडे़ मर जाते है ।
* दो सेब रात को सोते समय, सात दिन तक, सेवन करने से, पेट के कृमि मरकर, मल के साथ बाहर आ जाते है । 
* पेट के कीडे़ मारने के लिए, नींबू के बीजों का चूर्ण बनाकर,  नित्य सुबह - शाम पानी के साथ फंकी लें।
बड़े 1-3 ग्राम और बच्चों के लिए, आधा ग्राम और भूखें पेट नींबू पानी का सेवन करें ।
* नींबू के साथ, एक चम्मच शहद और एक गिलास पानी में , मिलाकर, नित्य सेवन करने से, 15 दिन में , कीडे़ मर जाते है ।
* एक औंस ताजा आंवले का रस और दो चम्मच शहद मिलाकर, नित्य सुबह-शाम, 7 दिन तक सेवन करें ।
* नित्य कच्चे केले की सब्जी का सेवन करें । इससे लम्बे कीडे़ भी मल के साथ निकल जाते है ।
* अनार के पत्ते 4 किलो, पानी से, स्वच्छ करके, छाया में सुखा ले और बाद में महीन चूर्ण बना लें। नित्य, एक बार, एक चम्मच चूर्ण की, पानी के साथ फंकी लें।
* अनार का रस पीने से भी लाभ होता है ।
* पपीते के 10 बीज, पानी में पीसकर और चौथाई कप पानी में मिलाकर, पीने से भी कीडे़ मर जाते है । ऐसा नित्य सात दिन करें ।
* नारियल पानी पी कर, कच्चे नारियल का सेवन करें । पाचनशक्ति में भी सुधार होता है ।
* नारियल का तेल, 1 चम्मच, नित्य रात को,  सोते समय सेवन कराने से बच्चों के पेट के कीडे़ मर जाते है ।
* पेट के कीडे़ के कारण, उल्टीयां हो रही हो, तो नारियल पानी में , नींबू निचोड़कर सेवन कराएं। 
* भूखे पेट, नित्य दो बार, लाल टमाटर पर, कालीमिर्च व नमक डालकर, 21 दिन तक सेवन करें ।
* चौथाई कप, करेले का रस का सेवन करें । करेले की सब्जी भी , नित्य 10 दिन तक सेवन करने से, लाभ होता है ।
* कच्चे बथुआ का रस, एक कप नमक डालकर, नित्य 10 दिन तक, दो बार सेवन करें ।
* बथुआ के बीज का चूर्ण, एक चम्मच पीसकर व शहद मिलाकर चाटे।
* पोदीने का रस दो चम्मच, एक चम्मच शहद व पानी मिलाकर सेवन करें ।
* दो चम्मच पोदीने का रस में , काला नमक डालकर सेवन करें ।
* 30 ग्राम पोदीना और दस कालीमिर्च पीसकर, एक गिलास पानी में , सेवन करें ।
* मोठ कृमि नाशक और ज्वर नाशक है । बुखार आने पर, मोठ और मूंग की दाल का सेवन करें ।
* एक दिन जलेबी का सेवन करें और दुसरे दिन, एक गिलास छाछ नमक डालकर सेवन करें ।
* एक गिलास छाछ में, भूना व पीसा जीरा एक चम्मच, कालीमिर्च आधी चम्मच और स्वादानुसार नमक मिलाकर सेवन करें , नित्य चार बार सेवन करें ।
* कृमि नाशक औषधी प्रयोग करने से पहले गुड़ का सेवन कराएं। इससे आंतों से चिपके कृमि निकल कर गुड़ खानें लगते है । फिर, औषधी का सेवन करने से, सभी बाहर निकल जाते है ।
* सुबह - शाम शहद का सेवन कृमि को नष्ट कर देता है ।
* दो भाग दही , एक भाग शहद मिलाकर सेवन करने से, कृमि नष्ट होकर, बाहर निकल जाते है ।
*

🌻पेट में कीड़े
कई बार किन्ही कारणों से पेट में कीड़े हो जाते हैं जिनसे काफी पीड़ा होती है | पेट में पाए जाने वाले कीड़ों के सामान्य लक्षण है --- सोते हुए दाँत पीसना ,शरीर का रंग पीला या काला होना , भोजन से अरुचि , होंठ सफ़ेद होना , शरीर में सूजन होना आदि | तो आइए जानते हैं इनसे छुटकारा पाने के कुछ सरल उपाय :-----
1-अनार के छिलकों को सुखाकर चूर्ण बना लें | यह चूर्ण दिन में तीन बार एक -एक चम्मच लें , इससे पेट के कीड़े नष्ट हो जाते हैं |
2 -टमाटर को काटकर ,उसमें सेंधा नमक और कालीमिर्च का चूर्ण मिलाकर सेवन करें | इस प्रयोग से पेट के कीड़े मर कर गुदामार्ग से बाहर निकल जाते हैं |
3-लहसुन की चटनी बनाकर उसमें थोड़ा-सा सेंधा नमक मिलाकर सुबह -शाम खाने से पेट के कीड़े नष्ट होते हैं |
4 -नीम के पत्तों का रस शहद में मिलकर पीने से पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं |
5 -कच्चे केले की सब्ज़ी 7 -8 दिन तक लगातार सेवन करने से पेट के कीड़े मर जाते हैं |
6 -तुलसी के पत्तों का एक चम्मच रस दिन में दो बार पीने से पेट के कीड़े मरकर मल के साथ बाहर निकल जाते हैं |
7 - अजवायन का 1-2 ग्राम चूर्ण छाछ के साथ पीने से पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं | यदि छोटे बच्चों के पेट में कीड़े हो गए हों तो आप उन्हें लगभग आधा ग्राम काला नमक व आधा ग्राम अजवायन का चूर्ण मिलकर सोते समय गुनगुने पानी से दें लाभ होगा |

 पेट के कीड़े को हमेशा के लिए जड़ से ख़त्म कर देगा ये नुस्खा, 

पेट के कीड़े एक ऐसी चीज़ है जिसकी वजह से व्यक्ति को काफी परेशांनियो का सामना करना पड़ता है. अगर किसी व्यक्ति के पेट में कीड़े हो जाये तो उस व्यक्ति के पेट में दर्द होने लगता है और ऐसा दर्द होता है की व्यक्ति को काफी दर्द सहन करना पड़ता है लेकिन पेट में कीड़े होने से सिर्फ दर्द ही नहीं होता है बल्कि और भी कई सारे नुकसान होते है.

पेट में कीड़े होने का सबसे बड़ा नुकसान पाचन तंत्र का कमजोर होना होता है. अगर किसी व्यक्ति के पेट में कीड़े हो तो उन कीड़ो की वजह से पाचन तंत्र कमजोर हो जाता है जिसकी वजह से खाया हुआ खाना सही से शरीर में नहीं लग पता है और सही मात्रा में खाना खाने के बाद भी शरीर का वजन नहीं बढ़ता है.

अगर पेट में कीड़े हो तो पोषक तत्वों से भरा खाना खाने के बाद भी व्यक्ति मोटा और मजबूत नहीं हो पता है, इसीलिए आज हम आपको पेट के कीड़ो को ख़त्म करने का सबसे आसान नुस्खा बताने जा रहे है. आज हम आपको जो नुस्खा बताने जा रहे है इस नुस्खे के इस्तेमाल से आप अपने पेट के कीड़ो को ख़त्म कर सकते है और अपने पाचन तंत्र को मजबूत बना सकते है.

अगर आपको भी पेट में कीड़े की समस्या ही तो रात को खाना खाने के बाद हलके गर्म पानी के साथ एक चुटकी हींग का सेवन करे, ऐसा रोज़ाना 3 दिन तक करने से पेट के कीड़े ख़त्म हो जायेगे और साथ ही पाचन तंत्र भी मजबूत होगा.

* घाव पर पीसी हल्दी बुरका दें। इससे घाव के कीडे़ मर जाते है और घाव जल्द भर जाता है ।
* हल्दी की गांठ पानी में घिसकर, लेप करने से भी कीडे़ मर जाते है ।
घुटने का दर्द :------
* घुटनों से संबंधित व्यायाम करें और  नींबू , गाजर, खीरा, चुकंदर सभी स्वादानुसार मिलाकर व रस निकालकर, एक गिलास नित्य सेवन करें ।
* एक भाग आंवला और दोभाग गुड़ मिलाकर, 1-1 चम्मच, नित्य तीन बार सेवन करें । 
* भोजन में , खीरा का सेवन अधिक करें । एक पोथिया लहसुन सेवन करें । 
* कच्चे आलु को पीसकर लगाने से बहुत लाभ होता है । 
* बथुआ ज्यादा पानी में उबालकर व छानकर, दर्द वाले स्थान पर, सेंक करें । उबले बथुआ की सब्जी बनाकर सेवन करें । कुछ सप्ताह, इसी प्रकार सेवन करें । बथुआ के पानी का भी सेवन कर सकते है । स्वाद के लिए, नमक व कालीमिर्च डाल सकते है ।
* बथुआ के पत्तों का रस, आधा कप, प्रातः भूखे पेट, नित्य दो महीने सेवन करें । रस लेने के उपरांत दो घंटे तक, कुछ भी सेवन न करें । बथुआ के पत्तों की रोटी का सेवन करें । 
* हल्दी , गुड़ , मेथीदाना पीसा । ये सभी समान मात्रा में , पानी में पीसकर, इसको थोड़ा गर्म करके , रात में लेप करें । पट्टी बांध ले, उसको सुबह ही खोलें। 
* दानामेथी का चूर्ण, एक चम्मच खाली पेट, गुनगुने पानी के साथ, नित्य सेवन करें ।
* मैथी के लड्डू का सेवन भी लाभदायक है ।


*दूध पीने से पहले भूलकर भी न खाएं ये 4 चीजें* 
 
नियमित दूध पीना एक अच्छी आदत है, लेकिन इसे पीने का पूरा फायदा तभी मिल पाएगा जब आप इसे पीने के कुछ नियम जानते हो। खाने-पीने की कुछ ऐसी चीजें है जिन्हें दूध पीने के कुछ घंटे पहले भूलकर भी नहीं खाना चाहिए, वरना सेहत को नुकसान पहुंचता है - 
1 तिल और नमक - तिल और नमक से बनी चीजों को खा रहे हैं, तो इसके बाद दूध का सेवन बिल्कुल न करें। यह आपको नुकासान पहुंचा सकती हैं। इनके सेवन के करीब 2 घंटे बाद ही दूध पिएं।

2 उड़द - उड़द की दाल के बाद दूध का सेवन पेट व स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याओं का कारण बन सकता है। अत: उड़द की दाल और दूध के सेवन के बीच कम से कम दो घंटों का अंतराल जरूर रखें।

3 सिट्र‍िक फल - सिट्र‍िक एसिड युक्त खट्टे फलों का सेवन करने के बाद दूध का सेवन हानिकारक है। अत: इन दोनों का सेवन करते समय लंबा अंतराल होना आवश्यक है।

4 दही - दही खाने के बाद दूध का सेवन करने से बचें, अन्यथा आपको पेट संबंधी समस्याएं और पाचन में गड़बड़ी हो सकती है।

: *नोनी गठिया को ठीक करने में कैसे मदद कर सकता है...??*
100 से अधिक विभिन्न प्रकार के आमवाती रोग हैं जिन्हें अक्सर गठिया के रूप में गलत माना जाता है।

ऐसी बीमारियों की सूची में बर्साइटिस, टेंडिनाइटिस, सिस्टमिक ल्यूपस और संयोजी और कोमल ऊतक रोग शामिल हैं।  चाहे कोई भी बीमारी से पीड़ित हो, पुराना दर्द अक्सर उसका साथी होता है।

सामान्य गठिया, जिसे ऑस्टियोआर्थराइटिस या अपक्षयी संयुक्त रोग कहा जाता है, शरीर के जोड़ों में पाया जाता है, सबसे आम क्षेत्र घुटने और उंगलियां हैं।

लगातार टूट-फूट से ये जोड़ सूज जाते हैं और दर्द करते हैं।
कार्टिलेज जो सामान्य रूप से जोड़ों को कुशन करता है, पतित हो जाता है, कच्चे जोड़ों को एक दूसरे के खिलाफ रगड़ने के लिए छोड़ देता है।

अक्सर एक व्यक्ति की स्थिति लगातार टूट-फूट के कारण उम्र के साथ बढ़ जाती है।

दूसरी ओर, रुमेटाइड गठिया किसी भी उम्र में हमला कर सकता है।

यह एक ऑटोइम्यून बीमारी है जिसके कारण शरीर शरीर के ऊतकों को नष्ट कर देता है जैसे कि वे विदेशी आक्रमणकारी हों।
रुमेटाइड गठिया के लक्षणों में हल्के से गंभीर जोड़ों की शिथिलता, बुखार, वजन कम होना, जकड़न, दर्द और ऊर्जा की हानि शामिल हैं।  कई बार रुमेटीयड जोड़ के आसपास एक लाल, दर्दनाक गांठ होती है।

गठिया से जुड़े ऑटोइम्यून रोग के एक रूप में, सोजोग्रेन सिंड्रोम, आंखें और मुंह बहुत शुष्क हो सकते हैं क्योंकि लार ग्रंथियां भी प्रभावित होती हैं।

हाल के वर्षों में कुछ रोमांचक अध्ययन प्रकाशित किए गए हैं जो इस बात पर प्रकाश डालते हैं कि गठिया का अधिक सुरक्षित रूप से मुकाबला कैसे किया जाए।

यह रोग शरीर में COX-2 एंजाइम नामक एंजाइम के अत्यधिक उत्पादन के कारण होता है।

वास्तव में शरीर में दो COX एंजाइम होते हैं।  वे COX-1 और COX-2 हैं। 

COX-1 को अच्छा COX एंजाइम कहा जाता है, जबकि COX-2 ने खराब एंजाइम के रूप में अप्रभावी नाम अर्जित किया है।  

COX-1 आसानी से पहचाना जा सकता है और सेल फ़ंक्शन को विनियमित करने में महत्वपूर्ण है।

दूसरी ओर, COX-2, आमतौर पर अधिकांश ऊतकों में पता नहीं चलता है, लेकिन तीव्र सूजन के दौरान उच्च स्तर तक बढ़ जाता है।  

COX-1 एंजाइम, या अच्छा एंजाइम, प्रोस्टाग्लैंडीन बनाता है जो पेट की परत और शरीर के अन्य भागों की रक्षा करता है।

COX-2 एंजाइम प्रोस्टाग्लैंडीन बनाता है जो जोड़ों, मांसपेशियों और अन्य क्षेत्रों में सूजन का कारण बनता है।

रक्त के थक्के जमने और पेट की सुरक्षा के लिए COX-1 आवश्यक है।
 COX-2 सूजन, दर्द और बुखार में प्रमुख खिलाड़ी है।  NSAIDs और अन्य गठिया की दवाएं दोनों एंजाइमों के शरीर के उत्पादन को काफी कम कर देती हैं, जिससे सूजन कम हो जाती है जबकि साथ ही पेट और उसके अस्तर को नुकसान होता है।
आदर्श स्थिति यह होगी कि एक ऐसा पदार्थ खोजा जाए जो केवल COX-2 को बाधित करे, लेकिन COX-1 को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित न करे। एक ऐसा पदार्थ है और वह है नोनी।

एक स्वतंत्र शोध सुविधा के शोधकर्ताओं ने पाया कि वास्तव में नोनी COX-2 का एक चयनात्मक अवरोधक था।

इसके अलावा, नोनी ने COX-1 एंजाइम को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया।

जब वैज्ञानिकों ने नोनी COX-2 के प्रिस्क्रिप्शन गठिया दवाओं के निषेध अनुपात की तुलना की, तो उन्होंने पाया कि नोनी ने नुस्खे वाली दवाओं के लिए "बहुत अनुकूल" की तुलना की।
फिर भी, नोनी ने उन नकारात्मक दुष्प्रभावों में से कोई भी प्रदर्शित नहीं किया, जिनके कारण डॉक्टर के पर्चे की दवाएं जानी जाती हैं।
 इसके बाद, शोधकर्ताओं ने नोनी COX-2 निषेध अनुपात की तुलना NSAIDs के COX-2 निषेध अनुपात से की।  

इस श्रेणी में, नोनी ने काउंटर दवाओं से कहीं बेहतर प्रदर्शन किया।
और फिर, नोनी ने NSAIDs (नॉन स्टेरॉयड एंटी इंफ्लेमेटरी ड्रग्स) से जुड़े किसी भी नकारात्मक दुष्प्रभाव को प्रदर्शित नहीं किया।

 ऐसे कई अन्य तरीके हैं जिनसे नोनी गठिया के अवांछित लक्षणों को कम कर सकता है।
 दर्द गठिया के साथ नंबर एक शिकायत है।

फ्रांस में एक प्रयोगशाला ने एक अध्ययन किया जिसमें दिखाया गया था कि चूहों को मोरिंडा सिट्रिफोलिया का तरल रूप दिया गया था, जिससे गर्म प्लेट में प्रतिक्रिया समय में काफी वृद्धि हुई थी। 

शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला कि इस प्रयोग ने नोनी के एनाल्जेसिक गुणों का प्रदर्शन किया।

इसके बाद, मोरिंडा सिट्रिफ़ोलिया में स्कोपोलेटिन भी पाया गया है, जिसमें विरोधी भड़काऊ और हिस्टामाइन-अवरोधक प्रभाव होते हैं, जो दोनों चिकनी संयुक्त आंदोलन को बढ़ावा देने के लिए उत्कृष्ट हैं।

अंत में, नोनी के सेलुलर बढ़ाने वाले गुण जोड़ों और अन्य शामिल ऊतकों को होने वाले नुकसान को भी कम कर सकते हैं।

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 *अंत्रवृद्धि (हर्निया- आंत उतरना) क्या है.?*
● हर्निया पेट की दीवार की दुर्बलता से होता हैं।
● आम बोलचाल की भाषा में हर्निया पेट के किसी भी हिस्से में पैदा होने वाले उभार को कहा जाता हैं।
● इसे आंत उतारना भी कहा जाता हैं।
● व्यक्ति जब लेटता हैं तो यह उभार गायब हो जाता हैं।
● विशेषज्ञ बताते हैं के ये रोग ज़्यादातर पुरुषो को होता हैं।

*आइये जाने इस का उपचार*
हर्निया के दर्जनो प्रकार पाये जाते हैं, लेकिन छोटी आंत के कारण पैदा होने वाले हर्निया इस प्रकार हैं।
1. उदरगत
2. इंग्वाइनल
3. मलद्वारगत
4. पुराने शल्यक्रिया के घाव वाले स्थान पर (इंसीजनल)
5. नाभिगत (अमबलाइकल)
लक्षण।

*●पेट में दर्द होना●*
● यह दर्द निरंतर या कभी कभी हो सकता हैं।
● नाभि क्षेत्र का किसी भी प्रकार से फूलना अथवा उसमे उभार महसूस होना।
● पुरुषो के अंडकोष में हवा या पानी भरने जैसा महसूस होना। उल्लेखनीय हैं के ये लक्षण लेटने पर समाप्त हो जाते हैं।
कारण।
● समय से पूर्व पैदा होने वाले बच्चे में ये अधिक होते देखा गया हैं।

*●अन्य कारण●*
● वृद्धावस्था
● मोटापा
● लम्बे समय से खांसी से पीड़ित रहना
● लम्बे समय से कब्ज से पीड़ित रहना
● लगातार खड़े रहना जैसे सेल्समैन, अध्यापक, बस कंडक्टर, सुपरवाइजर जैसे कार्य करने वाले लोग।
● कुपोषण श्रमिक अथवा अधिक वजन उठाने से।

*●घरेलु उपचार●*
(1). त्रिफला –
रात को सोते समय गुनगुने पानी के साथ १ चम्मच त्रिफला चूर्ण ले कर सोये।
(2). अरण्ड का तेल –
अगर अंडकोष में वायु भरी हुयी प्रतीत हो तो एक कप दूध में २ चम्मच अरण्ड का तेल डालकर एक महीने तक पिलाये, इस से हर्निया सही होता हैं। और 1 से 10 मिलिग्राम अरण्डी के तेल में छोटी हरड़ का 1 से 5 ग्राम चूर्ण मिलाकर दे
(3). कॉफ़ी –
कॉफ़ी ज़्यादा पीने से भी इस रोग में बहुत लाभ मिलता हैं।
(4). नारायण तेल :
नारायण तेल से मालिश करना चाहिए। मात्रा 1 से 3 ग्राम दूध के साथ पीना चाहिए।
(5). मैगनेट बेल्ट –
मैगनेट का बेल्ट बाँधने से हार्निया में लाभ होता है।
(6). चुम्बकीय चिकित्सा से भी बहुत लाभ मिलता हैं। इसके लिए आप किसी चिकित्सक से परामर्श करे।
(7). नए रोग में कदम्ब के पत्ते पर घी लगाकर उसे आग पर हल्का सा सेक कर अंडकोष पर लपेट दे तथा लंगोट से बाँध ले।
(8). नियमित रूप से दस ग्राम अदरक का मुरब्बा सवेरे खाली पेट सेवन करने से हर्निया रोग ठीक होता हैं। एक से दो महीने सेवन करने से ही प्रयाप्त लाभ होJता हैं।
(9). नोनी का लगातार प्रयोग करना चाहिये।

●आयुर्वेदिक उपचार●
■ वृद्धिबाधिका वटी दो दो गोलिया दिन में दो बार ताज़ा पानी या बड़ी हरड़ के काढ़े के साथ ले।
● आयुर्वेद में इस औषिधि की बड़ी महिमा हैं, इसके नियमित सेवन से हर्निया तथा अंडकोष में वायु भरना, दर्द होना, पानी भरना इत्यादि लक्षण शांत होने लगते हैं।
● नए रोग की तो ये रामबाण दवा हैं।
● यदि इस औषधि के सेवन से किसी का जी मिचलता हो या बेचैनी होती हो तो निम्बू की शिकंजी या काला नमक मिलायी हुई छाछ के साथ औषिधि ग्रहण करवाये।
● इस औषिधि के तुरंत बाद गर्म तासीर वाले कोई भी आहार ना ले जैसे चाय कॉफ़ी गरमा गर्म दूध इत्यादि।
● अगर सेवन करना हो तो एक घंटे के बाद ही कुछ सेवन करे।
● यदि साथ में कब्ज रहता हो तो वृद्धिबाधिका वटी के साथ साथ आरोग्यवर्धनी वटी दो दो गोलिया दिन में दो बार अवश्य ही सेवन करे।
रखे ध्यान।
● शरीर का वजन नहीं बढ़ने दे।
● मोटापे पर लगाम रखे।
● क्षमता से अधिक वजन भूलकर भी ना उठाये।
● खांसी को बढ़ने नहीं दे तथा आयुर्वेदीय पथ्य का पालन करते हुए समय रहते ही इसका इलाज कराये।
● ऐसा ऑपरेशन चीरा लगा हो उसमे पर्याप्त आराम करे।
● अंडरवियर हमेशा टाइट अथवा लंगोट धारण करे।
हर्निया के बीमारो को कम खाना चाहिए।
● कब्ज़ न रहने दे।
● मल त्यागते समय मल बाहर निकालने के लिए ज़ोर नहीं लगाये।

*साथ में नोनी जूस जरूर पियें ताकि आंत एक जगह ठहर जाये।*
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 *महिलाओं की हार्ट प्रोब्लम् (हृदय रोग)*
*संकेत व बचाव...*
मौजूदा वैश्विक आंकड़ों के अनुसार हर साल करीब 17.3 मिलियन लोगों की हृदय रोगों के कारण मृत्यु हो जाती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार इनमें से लगभग 8.6 मिलियन महिलाएं हैं।

आज की भाग-दौड़ भरी जिंदगी में महिलाएं अपना ज्यादातर समय प्रोफेशनल कैरियर संभालने में बिता देती हैं तथा अपने स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं दे पाती हैं, जिसके कारण वह हृदय रोग का शिकार हो जाती हैं।

*हृदय रोग से कैसे बचें महिलाएं..*
*Prevention...*
हृदय रोग से बचने के लिए अपने स्वास्थ्य की नियमित जाँच करानी चाहिए। इससे किसी भी तरह की समस्या का शुरूआत में ही पता चल जाता है, हालांकि कुछ एहतियात बरतकर भी हृदय रोग से बचा जा सकता है।
*जो निम्नलिखित हैं...*
यदि आप धूम्रपान करती हैं तो तुरंत छोड़ दें क्योंकि इससे हाई ब्लड प्रेशर होने की संभावना होती है, जिससे आपको हार्ट अटैक हो सकता है।
अगर आप मोटी हैं तो शारीरिक गतिविधियों द्वारा अपने बढ़ते वजन को रोकने का प्रयास करें तथा खाने में केवल पौष्टिक भोजन ही खाएं।
खाने में पालक, गाजर, आड़ू और जामुन जैसे एंटीऑक्सीडेंट फलों और सब्जियों का प्रयोग करें।

*महिलाओं को अपने कोलेस्ट्रॉल के स्तर का खास ध्यान रखना चाहिए...*
जिन महिलाओं का कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाता है उनमें हृदय रोग की संभावना बढ़ जाती है।

*हृदय रोग के लक्षण* *Symptoms...*
हृदय रोग का पहला लक्षण यह है कि इसमें सीने के बीचो बीच दर्द उठता है तथा कुछ समय बाद बंद हो जाता है और उसके बाद फिर शुरू हो जाता है।

व्यक्ति को बेचैनी महसूस होती है, एक या दोनों हाथों में झनझनाहट और दर्द के अलावा पीठ, गर्दन, जबड़े या पेट में दर्द होना भी हृदय रोग के लक्षण हैं।

सांस लेने में किसी भी प्रकार की तकलीफ होती है। इसके अलावा जी मिचलाना और सिर में लगातार हल्का दर्द रहना भी हृदय रोग का लक्षण है।

*समय रहते जांच आवश्यक..*
डॉक्टरों के अनुसार 30 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को अपना नियमित हेल्थ चेकअप अवश्य करवाना चाहिए।
मार्केट में कई कंपनियां हृदय रोग की जांच के लिए विशेष पैकेज उपलब्ध करवाती हैं।



*सारी बीमारियाँ वात, पित्त और कफ के बिगड़ने से ही होती हैं..*

सबसे पहले आप हमेशा ये बात याद रखें कि शरीर मे सारी बीमारियाँ वात, पित्त और कफ के बिगड़ने से ही होती हैं !

*अब आप पूछेंगे ये वात-पित्त और कफ क्या होता है ???*

*बहुत ज्यादा गहराई मे जाने की जरूरत नहीं...*
*आप ऐसे समझे की सिर से लेकर छाती के बीच तक जितने रोग होते हैं वो सब कफ बिगड़ने के कारण होते हैं !*

*छाती के बीच से लेकर पेट और कमर के अंत तक जितने रोग होते हैं वो पित्त बिगड़ने के कारण होते हैं !*

*और कमर से लेकर घुटने और पैरों के अंत तक जितने रोग होते हैं वो सब वात बिगड़ने के कारण होते हैं !*

*हमारे हाथ की कलाई मे ये वात, पित्त और कफ की तीन नाड़ियाँ होती हैं !*

भारत मे ऐसे ऐसे नाड़ी विशेषज्ञ रहे हैं जो आपकी नाड़ी पकड़ कर ये बता दिया करते थे कि आपने एक सप्ताह पहले क्या खाया या एक दिन पहले क्या खाया या फिर दो पहले क्या खाया और नाड़ी पकड़ कर ही बता देते थे कि आपको क्या रोग है !
आजकल ऐसी बहुत ही कम मिलते हैं !

*शायद आपके मन मे सवाल आए ये वात, पित्त, कफ दिखने मे कैसे होते हैं ???*

*तो फिलहाल आप इतना जान लीजिये  कि कफ और पित्त लगभग एक जैसे होते हैं !*
आम भाषा मे नाक से निकलने वाली बलगम को कफ कहते हैं !
कफ थोड़ा गाढ़ा और चिपचिपा होता है !
*मुंह मे से निकलने वाली बलगम को पित्त कहते हैं !*
ये कम चिपचिपा और द्रव्य जैसा होता है !!
*और शरीर से निकले वाली वायु को वात कहते हैं जो अदृश्य होती है !*

*कई बार पेट मे गैस बनने के कारण सिर दर्द होता है तो इसे आप कफ का रोग नहीं कहेंगे इसे पित्त का रोग कहेंगे !!*
*क्यूंकि पित्त बिगड़ने से गैस हो रही है और सिर दर्द हो रहा है !*

*ये ज्ञान बहुत गहरा है खैर आप इतना याद रखें कि इस वात, पित्त और कफ के संतुलन के बिगड़ने से ही सभी रोग आते हैं !*

और ये तीनों ही मनुष्य की आयु के साथ अलग अलग ढंग से बढ़ते हैं !

*बच्चे के पैदा होने से 14 वर्ष की आयु तक कफ के रोग ज्यादा होते है !*
बार बार खांसी, सर्दी, छींके आना आदि होगा !

*14 वर्ष से 60 साल तक पित्त के रोग सबसे ज्यादा होते हैं*
बार बार पेट दर्द करना, गैस बनना, खट्टी खट्टी डकारे आना आदि !!
*और उसके बाद बुढ़ापे मे वात के रोग सबसे ज्यादा होते हैं घुटने दुखना, जोड़ो का दर्द आदि।*


 *सावधान बेहद पढ़ी लिखी महिलाओं...*
*जानिये, अपने प्यारे नवजात शिशुओं के लिए आपके फेवरिट जॉन्सन बेबी आयल का काला सच...*
*हमारे देश में बहुत सी माताएं बहनें अपने नवजात शिशुओ छोटे बच्चों की मालिश जॉन्सन बेबी तेल से करती है।*

सुदूर गाँव में रहने वाली बहनें एवं शहरी बेहद पढ़ी लिखी माताएं भी इस तेल के जाल में भ्रमित हैं।

*टी.वी. पर प्रचार की वजह से ये तेल लोगो के दिमाग में छा गया है।*

*अधिकांश पढ़े लिखे लोग भी ये विश्वास नहीं करेंगे कि इस जॉन्सन बेबी तेल में सिर्फ मिट्टी का तेल है।*
*जी हाँ "केरोसिन"- "घासलेट"*

*यकीन नहीं होता तो बोतल पर कम्पोजीशन पढ़िए अभी।*

*पढ़िए क्या लिखा है...*
*Mineral oil, Vitamin-E, बस और कुछ नहीं।*

दाम भी देखिये
दो सौ रुपये में दो सौ मिली लीटर यानी हजार रुपये लीटर।

माँ बहने इस तेल से मालिश करने में गर्व महसूस करती है 
क्योंकि प्रचार के बल पर ब्रेन वाश कर दिया है विदेशी कम्पनी ने।
इसके प्रचार में टीवी पर गोरे मोटे बच्चे जो दिखाया जाता है।

*आँखे खोलो देशवासियों...*
पोषण वनस्पति तेल की मालिश से मिलता है।
मिनरल आयल खनिज तेल जमीन के नीचे से निकले तेल से नहीं।
खनिज तेल (Mineral oil) का मतलब होता है पेट्रोल, डीजल, मिट्टी का तेल।

*जॉन्सन बेबी तेल बनता कैसे है..?*
मिटटी तेल या केरोसिन (kerosine oil) की गंध हटा कर उसमे खुसबू मिलायी जाती है एवं अलग से नाममात्र का विटामिन "इ" मिलाया जाता है।
इसके बाद बोतल में भरकर बाजार में बेचा जाता है।
इस विदेशी कम्पनी द्वारा हिन्दुस्तानियों की गाढ़ी कमाई लूटकर विदेश ले जाती है जॉन्सन।
वनस्पति तेल में प्राकृतिक रूप में विटामिन-इ रहता है।
प्रति ग्राम वनस्पति तेल से नौ कैलोरी (9 calories) उर्जा मिलती है, पोषण मिलता है।
वनस्पति तेल का मतलब होता है जो पेड़ पौधों से मिलता है
जैसे सरसों, नारियल, मूंगफली, सूरजमुखी, अंडी, महुआ, तिल तेल, अलसी तेल, निम् तेल, जैतून तेल आदि।
इन तेलों की मालिश से शरीर को पोषण मिलता है और थोड़ी चिपचिपाहट रहती है।
तो मालिश के बाद गीले कपडे से या सूखे कपडे से बदन पोछ दे, चिपचिपाहट गायब हो जाएगी।
जॉन्सन तेल या मिटटी का तेल घासलेट मालिश करते करते उड़ जाता है यानि नो चिपचिप और माताएं खुश।
पर ये नहीं पता की पोषण बच्चे को तो मिला ही नहीं।
वनस्पति तेल की कीमत नब्बे, सौ, डेढ़ सौ या दो सौ रुपये लीटर और जॉन्सन मिट्टी का तेल (johnson kerosine oil) हजार रुपये लीटर।
अब सब कुछ जानकर भी अनजान बने रहना है तो आपकी मर्जी..!
अन्यथा प्रचार के मकडजाल से बाहर आइये,
जॉन्सन तेल को बाहर का रास्ता दिखाइये नवजात शिशु एवं बाल रोग विशेषज्ञ की एक अपील खुद जाने और औरो को भी बताएं ।

ऐसे कई और षड्यंत्रों को समझने के लिये श्री राजीव दीक्षित जी के व्याख्यान सुनें....
गूगल पर आसानी से मिल जायेंगे।


*आहार क्या होता है.?*
*शरीर और भोजन...*
*शरीर और भोजन का गहरा सम्बंध होता है।*
हर व्यक्ति को सादा और विटामिन युक्त भोजन करना चाहिए।
ऐसा भोजन शरीर की सभी धातुओं को लाभ पंहुचाता है।
 
*व्यक्ति को भोजन हमेशा भूख से थोड़ा कम ही करना चाहिए।*
कम भोजन करना स्वास्थ्य के लिए उपयोगी होता है।
भोजन उतना ही करना चाहिए जितना कि आसानी से पचाया जा सके।

शुद्ध व प्राकृतिक भोजन शरीर का पोषण करने वाला, जल्द ही शक्ति देने वाला, शांति देने वाला, साहस, मानसिक शक्ति और पाचनशक्ति को बढ़ाने वाला होता है।

*भोजन से ही शरीर में सप्त धातुएं बनती हैं।*

*आयुर्वेदाचार्य महर्षि चरक ने भी लिखा है कि `देहो आहारसंभव:´ अर्थात शरीर भोजन से ही बनता है।*

*`उपनिषद´ में भी कहा गया है।*
*`आहार शुद्धौ सत्वाशुद्धि: सत्व-शुद्धौ।*
*ध्रुवा स्मृति:, स्मृतिलम्भे सर्वग्रंथीनां विप्रमोक्षा:,*
अर्थात शुद्ध भोजन करने से सत्व की शुद्धि होती है।
सत्वशुद्धी से बुद्धि शुद्ध और निश्रयी बन जाती।
फिर पवित्र एवं निश्रयी बुद्धि से मुक्ति भी सुगमता से प्राप्त होती है।
ज्यादा भारी भोजन करना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है।
अच्छी तरह भूख लगने पर ही भोजन करना चाहिए।
इससे अच्छा लाभ मिलता है।

*भोजन हमेशा शांतिपूर्वक करना चाहिए।*

अपने भोजन और भोजन करने की आदत को सुधारकर मनुष्य सभी रोगों से दूर रह सकता है।
इसीलिए कहा गया है भोजन ही दवा है।
अच्छे स्वास्थ्य और लंबे जीवन के लिए आवश्यक भोजन करना चाहिए।
हम जैसा भोजन करते हैं वैसा ही हमारे शरीर पर प्रभाव पड़ता है।

*जानकारी-*
 व्यक्ति जिस देश में और जिस मौसम में रहता है।
उसे वहां के फल और सब्जियों का भरपूर सेवन करना चाहिए क्योंकि प्रकृति ने उन्हें मौसम और जगह के हिसाब से उत्पन्न किया है।

*भोजन के द्वारा हमारे शरीर को पंचतत्वों की प्राप्ति होती है-*
*आकाशतत्व,*
मिताहर द्वारा

*वायुतत्व,*
साग सब्जियों द्धारा

*अग्नितत्व,*
फलों द्वारा

*जलतत्व,*
सब्जियों 

*एवं अन्न कण द्वारा पृथ्वीतत्व।*

*गीता में तीन प्रकार के आहार बताए हैं...*
*सात्विक, राजसी, तामसी।*

*सात्विक आहार-*
सात्विक भोजन आयु, बुद्धि, बल, आरोग्य  प्रेम को बढ़ाने वाला और मन को भाने वाले होता है।

*राजसी आहार-*
राजसी भोजन कड़वा, खट्टा, नमकीन, बहुत गर्म, तीखा, दाहकारक तथा चिन्ता और रोगों को उत्पन्न करने वाला होता है।

*तामसी आहार-*
तामसी भोजन अधपका, रसरहित, दुर्गन्ध, बासी और अपवित्र होता है।

आगे आपकी मर्जी, जैसा चाहें, जो चाहें, उसे खायें।


*मोटापा नाशक*
*फैट 2 फिटनेस चूर्ण (फुल कोर्स) 43% डिस्काउंट के साथ...*

*प्रोडक्ट कोड 2/10/F2F*
*हो जाइये स्लिम, ट्रिम एंड ब्यूटीफुल या हैंडसम...*
*एक जबरदस्त ऑफर के साथ...*
*100% नेचुरल*
*फैट 2 फिटनेस चूर्ण नहीं बल्कि*
*अब नया इम्प्रूव्ड..*
*फ्लैब टू फैब चूर्ण*
*FLAB to FAB churna*
*~₹4400/- का नहीं~ बल्कि सिर्फ ₹2500/- में फुल कोर्स*

सौ बीमारियों की जड़ होती है मोटापा और उसके ऊपर लॉक डाउन जैसे हालात, इम्युनिटी तो वैसे भी कमजोर होना शुरू हो जाती है।

*कुछ बेबाक प्रश्न?*
*उत्तर स्वयं को दीजिये..*
(1). क्या आप सुंदर होने के बावजूद भी परेशान हैं.?
(2). क्या ढेर सारा खर्च करने के बावजूद परेशान हैं..?

*तो पेश है आपके लिए...*
*एकदम नेचुरल*
*वेट लॉस और इंच लॉस के लिए अद्भुत..*
*न्यूली इम्प्रूव्ड*
*फ्लैब टू फैब चूर्ण*
*Not Fat 2 Fitness*
*But newly improved*
*FLAB to FAB*
*Flabbiness to Fabulous*

*100% कुदरती स्टेरॉयड मुक्त*

*पहले समझिये कि...*
*मोटापा क्या बला होती है.?*
● मोटापा आपके शरीर में जमा हुए विषैले तत्व या टॉक्सिन्स होते हैं।
● जिसका शरीर से निकास नही हो पाता, चाहे वो बाहर का नान वेज हो या फास्ट फूड।
● ऐसे केमिकल से भरपूर भोजन को गलने मे 48 से 72 घटे लगते है।
● पर हम उसके उपर भी कुछ ना कुछ खाते रहते है। क्यों है न.?
● और ये गन्ध या टॉक्सिन्स शरीर में ही जमा होता रहता है और रिज़ल्ट या परिणाम स्वरूप वजन बढता ही चला जाता है।

*साथ ही वजन बढने के कुछ और भी कारण कारण हो सकते हैं जैसे...*
(1). शादी के बाद,
(2). बच्चा होने के बाद,
(3) किसी बीमारी के कारण,
(4). किसी गलत दवा के कारण,
(5). बैठने का काम करने की वजह से।
ऐसे ढेर सारे कारण है वजन बढ़ने के।

काफी लोग मार्केट में आ रही कई प्रकार की दवायें भी इस्तेमाल करते हैं जो ठीक नही होते है।
क्योंकि उस मे स्टेरॉयड्स भी हो सकता है जो आपका वजन तो कम कर देती है पर उसके साइड इफेक्ट बाद मे ही पता चलते हैं...
कुछ लोगों को वजन कम करने की ज्यादा जल्दी होती है, जो सही नही है।

*कारण...*
जो चीज काफ़ी मतलब चर्बी सालों से हमारे शरीर में पनप रही है उसको निकलने के लिए हमें थोड़ा समय तो देना चाहिये.?
*तो फिर... क्या करे.?*
हम आप के लिए लाये हैं बिल्कुल कुदरती तरीके से बनाया हुआ, चर्बी घटाने का एकदम कुदरती चूर्ण,
जिस से आपका वजन और आपकी चर्बी आराम से अपने आप कम हो जाएगा।

*इंग्रेडिएंट्स / घटक...*
*(1). सौंफ*
*(2). सनाया*
*(3). छोटी हरड़*
*(4). फूल गुलाब*
*(5). करी पत्ता*
*(6). अलसी*
*(7). जीरा*
*(8). देसी अजवाइन*

ये एकदम नेचुरल बिना किसी साइड इफेक्ट के घर की किचन में उपलब्ध वस्तुओं से बनाया हुआ है।

इस का कोई भी साइड इफेक्ट नहीं है मतलब कोई भी नुकसान नही है।
अब तक बहुत से लोगों का वजन कम किया है इस चूर्ण से।

*मात्रा*
सुबह, दोपहर
ब्रेकफास्ट, लंच से आधा घण्टे पहले और डिनर से आधा घंटे बाद, सलाह के अनुसार एक चम्मच एक गिलास गरम पानी के साथ।

*पूरा कोर्स 4 महीनें का*
*~कीमत ₹4400/~* *लेकिन अब ऑफर की कीमत सिर्फ ₹2500/-*

*
पेट्रोल और डीज़ल की कीमत बढ़ने से जड़ी बूटियों की कीमत बढ़ने से फैट-2-फिटनेस की भी कीमत बढ़ सकती है।


*घर का डॉक्टर,*
*घर की चीजों से बना...*
•••••••••••••••••••
*कायाकल्प चूर्ण*
•••••••••••••••••••
*निरोगी, स्वस्थ, सुखमय एवं सुरक्षित जीवन के लिए अपनाइये...*
*प्रोडक्ट कोड 1/10/KK*
*🤗काया कल्प चूर्ण🤗*
*_"हर उम्र के लिए"_*
*लेकिन क्यों..?*
*30 पार करते करते हवा, पानी और भोजन का प्रदूषण हमारे शरीर की इम्युनिटी को कमजोर करना शुरू कर देता है..*
*विशेषतः आज आज के माहौल की वजह से पूरी दुनियां एक अनजाने भय के बीच मे जी रही है।*
*पूरा विश्व एक ही बात पर जोर दे रहा है कि अपनी इम्युनिटी बढ़ाइये या अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाइये।*
*अभी तक कोई भी वैक्सीन नहीं बन पाई है लेकिन भारत एक प्राकृतिक धन संपदा सम्पन्न देश है जहां पर हर रोग का प्राकृतिक निदान पहले से ही हो रखा है।*
*अगर आप प्राकृतिक आपदा या कहर से बचना चाहते हैं तो घबराने की कोई बात नहीं, हमारा अद्भुत जादुई काया कल्प चूर्ण पर्याप्त है क्योंकि...*
*_स्वस्थ रहना सबकी मूलभूत आवश्यकता है_*

*अगर आप डाक्टरों के चक्कर लगा लगा के परेशान हो चुके हैं तो एक बार ज़रूर पढ़ें फिर आजमा के देखें, आप मायूस नही होंगे..*

*जानिये ऐसा क्यूं होता है..?*
*हमारा शरीर, पंचतत्व...*
*✅ भूमि,*
*✅ गगन,*
*✅ वायु,*
*✅ अग्नि एवं*
*✅ जल के* *सामंजस्य एवं योग से निर्मित होकर काया कल्प चूर्ण शरीर के वात, पित्त और कफ को बैलेंस करके स्वास्थ्य को नियंत्रित करता है।*

*घरल या घराट पद्धति से निर्मित चूर्ण, वो करिश्मा है जिसे आज नहीं तो कल लेना ही होगा, कारण एलोपैथी के साइड इफेक्ट। क्योंकि ये हमारी जरूरत भी है और समय की पुकार भी है।*
*😢काया कल्प चूर्ण😊*

*हज़ारों वर्ष पुराना नुस्खा आपकी जिंदगी की खुशियां दुबारा पा सकते हैं.!*

*लाख दवा की एक दवा,*
*थोड़ा जल्दी असर करने वाली,*
*हर मुश्किल का हमसफ़र,*
*जीवन वर्धक, रोग हर्ता, विघ्न विनाशक चमत्कारिक...*
*😢कायाकल्प चूर्ण😊*

*काया कल्प चूर्ण लेने से क्या होगा..??*
*रात को सोते समय एक छोटी चम्मच (सिर्फ 5 ग्राम) काया कल्प चूर्ण, हल्के गर्म पानी के साथ लेना है।*

*ये चूर्ण 10 वर्ष से अधिक उम्र का कोई भी ले सकता है।*

*रोज़ाना लेने से शरीर के कोने कोने में लगातार जम रही गंदगी और कचरा, मल और पेशाब द्वारा बाहर निकल जाएगी।*

*पूरा फायदा तो 80-90 दिन में महसूस करेगें, जब फालतू चरबी गल जाएगी, नया शुद्ध खून का संचार होगा।*

*हर प्रकार का ब्लोकेज खुल जायेगा।*

*चमड़ी की झुर्रियां अपने आप दूर हो जाएगी।*

*शरीर तेजस्वी, स्फूर्तिवाला व सुंदर बन जायेगा।*

*अनिवार्य...*
*दिन में कम से कम 3 से 4 लीटर पानी पीना है।*

*"काया कल्प चूर्ण के अद्भुत फायदे..."*
*1. गठिया तो दूर होगा ही साथ मे गठिया जैसे जिद्दी रोग भी दूर हो जाएंगे।*
*2. हड्डियां मजबूत होगी।*
*3. आंखों की रोशनी बढ़ेगी।*
*4. बालों का विकास होगा।*
*5. पुरानी कब्जियत से हमेशा के लिए मुक्ति मिलेगी।*
*6. शरीर में खून जवानों की तरह दौड़ने लगेगा।*
*7. कफ से मुक्ति मिलेगी।*
*8. हृदय की कार्य क्षमता बढ़ेगी।*
*9. थकान जरा सी भी नहीं रहेगी, घोड़े की तरह दौड़ने लग जाएगें।*
*10. स्मरण शक्ति बढ़ेगी।*
*11. स्त्री का शरीर, शादी और बच्चों के बाद हुआ बेडोल की जगह स्लिम, ट्रिम और सुंदर बनेगा।*
*12. कानों का बहरापन दूर होगा।*
*13. पहले ली हुई एलोपैथी दवाओं के साईड इफेक्ट्स से मुक्त हो जायेंगें।*
*14. खून में सफाई और शुद्धता बढ़ेगी।*
*15. शरीर की सभी खून की नलिकायें शुद्ध हो जाएगी।*
*16. दांत मजबूत बनेगें और इनेमल जींवत रहेगा।*
*17. नपुसंकता जड़ से दूर होगी।*
*18. डायबिटिज काबू में रहेगी, डायबिटीज की जो दवा लेते है वह चालू रखना है।*

*जरूरी जानकारी..*
*कायाकल्प चूर्ण का असर 30-40 दिन तक लेने के बाद दिखने लगेगा।*

*आपका जीवन... निरोग, आनंददायक, चिंता रहित, स्फूर्ति दायक और आयुष्यवर्धक बनेगा।*

*जीवन जीने योग्य बनेगा क्योंकि बुढ़ापा, बुढ़ापे की समस्याएं और टेंशन से दूर रहेगा।*

*पूरा कोर्स 3 महीने का*
*मात्रा 450 ग्राम*
*सेवा शुल्क ₹1500/-*

*ट्रायल पैक एक महीनें के लिए भी उपलब्ध है..*
*मात्रा 150 ग्राम*
*सेवा शुल्क ₹600/-*

*कोरियर सेवा मुफ्त और साथ में आजीवन निःशुल्क स्वास्थ्य सलाह।*

*पेट्रोल और डीज़ल के रेट बढ़ने से जड़ी बूटियों की कीमतें आसमान छू चुकी हैं और इन्हीं कारणों से इलाज़ महंगे होते जा रहे हैं।*

*

: खासकर अपने परिवार व बच्चों को जरूर बताएं
क्योंकि ये बात उन्हें कोई दूसरा व्यक्ति नहीं बताएगा...

         😇  दो पक्ष-

कृष्ण पक्ष , 
शुक्ल पक्ष !

         😇  तीन ऋण -

देव ऋण , 
पितृ ऋण , 
ऋषि ऋण !

         😇   चार युग -

सतयुग , 
त्रेतायुग ,
द्वापरयुग , 
कलियुग !

         😇  चार धाम -

द्वारिका , 
बद्रीनाथ ,
जगन्नाथ पुरी , 
रामेश्वरम धाम !

         😇   चारपीठ -

शारदा पीठ ( द्वारिका )
ज्योतिष पीठ ( जोशीमठ बद्रिधाम ) 
गोवर्धन पीठ ( जगन्नाथपुरी ) , 
शृंगेरीपीठ !

         😇 चार वेद-

ऋग्वेद , 
अथर्वेद , 
यजुर्वेद , 
सामवेद !

         😇  चार आश्रम -

ब्रह्मचर्य , 
गृहस्थ , 
वानप्रस्थ , 
संन्यास !

         😇 चार अंतःकरण -

मन , 
बुद्धि , 
चित्त , 
अहंकार !

         😇  पञ्च गव्य -

गाय का घी , 
दूध , 
दही ,
गोमूत्र , 
गोबर !

         😇 पंच तत्त्व -

पृथ्वी ,
जल , 
अग्नि , 
वायु , 
आकाश !

         😇  छह दर्शन -

वैशेषिक , 
न्याय , 
सांख्य ,
योग , 
पूर्व मिसांसा , 
दक्षिण मिसांसा !

         😇  सप्त ऋषि -

विश्वामित्र ,
जमदाग्नि ,
भरद्वाज , 
गौतम , 
अत्री , 
वशिष्ठ और कश्यप! 

         😇  सप्त पुरी -

अयोध्या पुरी ,
मथुरा पुरी , 
माया पुरी ( हरिद्वार ) , 
काशी ,
कांची 
( शिन कांची - विष्णु कांची ) , 
अवंतिका और 
द्वारिका पुरी !

         😊  आठ योग - 

यम , 
नियम , 
आसन ,
प्राणायाम , 
प्रत्याहार , 
धारणा , 
ध्यान एवं 
समािध !

        😇   दस दिशाएं -

पूर्व , 
पश्चिम , 
उत्तर , 
दक्षिण ,
ईशान , 
नैऋत्य , 
वायव्य , 
अग्नि 
आकाश एवं 
पाताल 

         😇 बारह मास - 

चैत्र , 
वैशाख , 
ज्येष्ठ ,
अषाढ , 
श्रावण , 
भाद्रपद , 
अश्विन , 
कार्तिक ,
मार्गशीर्ष , 
पौष , 
माघ , 
फागुन !

         😇 पंद्रह तिथियाँ - 

प्रतिपदा ,
द्वितीय ,
तृतीय ,
चतुर्थी , 
पंचमी , 
षष्ठी , 
सप्तमी , 
अष्टमी , 
नवमी ,
दशमी , 
एकादशी , 
द्वादशी , 
त्रयोदशी , 
चतुर्दशी , 
पूर्णिमा , 
अमावास्या !

         😇 स्मृतियां - 
मनु , 
विष्णु , 
अत्री , 
हारीत ,
याज्ञवल्क्य ,
उशना , 
अंगीरा , 
यम , 
आपस्तम्ब , 
सर्वत ,
कात्यायन , 
ब्रहस्पति , 
पराशर , 
व्यास , 
शांख्य ,
लिखित , 
दक्ष , 
शातातप , 
वशिष्ठ !

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इस पोस्ट को अधिकाधिक शेयर करें जिससे सबको हमारी सनातन भारतीय संस्कृति का ज्ञान हो।
ऊपर जाने पर एक सवाल ये भी पूँछा जायेगा कि अपनी अँगुलियों के नाम बताओ ।
जवाब:-
अपने हाथ की छोटी उँगली से शुरू करें :-
(1)जल
(2) पथ्वी
(3)आकाश
(4)वायू
(5) अग्नि
ये वो बातें हैं जो बहुत कम लोगों को मालूम होंगी ।

5 जगह हँसना करोड़ो पाप के बराबर है
1. श्मशान में
2. अर्थी के पीछे
3. शौक में
4. मन्दिर में
5. कथा में

सिर्फ 1 बार भेजो बहुत लोग इन पापो से बचेंगे ।।

अकेले हो?
परमात्मा को याद करो ।

परेशान हो?
ग्रँथ पढ़ो ।

उदास हो?
कथाए पढो ।

टेन्शन मे हो?
भगवत गीता पढो ।

फ्री हो?
अच्छी चीजे फोरवार्ड करो
हे परमात्मा हम पर और समस्त प्राणियो पर कृपा करो......

सूचना
क्या आप जानते हैं ?
हिन्दू ग्रंथ रामायण, गीता, आदि को सुनने,पढ़ने से कैन्सर नहीं होता है बल्कि कैन्सर अगर हो तो वो भी खत्म हो जाता है।

*महर्षि आयुर्वेद चिकित्सा संस्थान भोपाल के नाड़ीवैद्य त्रिगुणाचार्य कहते हैं*कि*
-------व्रत,उपवास करने से तेज़ बढ़ता है,सर दर्द और बाल गिरने से बचाव होता है ।
आरती----के दौरान ताली बजाने से
दिल मजबूत होता है ।

''कैन्सर"
एक खतरनाक बीमारी है...
बहुत से लोग इसको खुद दावत देते हैं ...
बहुत मामूली इलाज करके इस
बीमारी से काफी हद तक बचा जा सकता है ...

अक्सर लोग खाना खाने के बाद "पानी" पी लेते है ...
खाना खाने के बाद "पानी" ख़ून में मौजूद "कैन्सर "का अणु बनाने वाले '''सैल्स'''को '''आक्सीजन''' पैदा करता है...

खाने से पहले'पानी 'पीना
अमृत"है...

खाने के बीच मे 'पानी ' पीना शरीर की
''पूजा'' है...

खाना खत्म होने से पहले 'पानी'
''पीना औषधि'' है...

खाने के बाद 'पानी' पीना"
बीमारीयो का घर है...

बेहतर है खाना खत्म होने के कुछ देर बाद 'पानी 'पीये...

ये बात उनको भी बतायें जो आपको "जान"से भी ज्यादा प्यारे है

रोज एक सेब
नो डाक्टर ।

रोज पांच बदाम,
नो कैन्सर ।

रोज एक निबु,
नो पेट बढना ।

रोज एक गिलास दूध,
नो बौना (कद का छोटा)।

रोज 12 गिलास पानी,
नो चेहेरे की समस्या ।

रोज चार काजू,
नो भूख ।

रोज मन्दिर जाओ,
नो टेन्शन ।

रोज कथा सुनो 
मन को शान्ति मिलेगी ।।

"चेहरे के लिए ताजा पानी"।

"मन के लिए गीता की बाते"।

"सेहत के लिए सही दिनचर्या योग व संयम"।

और खुश रहने के लिए परमात्मा को याद किया करो ।

अच्छी बाते फैलाना पुण्य है.किस्मत मे करोड़ो खुशियाँ लिख दी जाती हैं ।
जीवन के अंतिम दिनो मे इन्सान एक एक पुण्य के लिए तरसेगा ।


*
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*नाड़ी परीक्षण द्वारा अपनी सभी छुपी हुई बीमारियां जानिए-बिना बताए*
        --!!!-〰〰〰〰〰〰〰-!!!--
      *(
: घरेलू उपचार 
लाइकोपिन :-------
      लाइकोपिन,  एक लाल चमकदार कैरोटीन और कैरोटीनॉयड रंगद्रव्य और फिटोकेमिकल है। जो टमाटर एवं अन्य लाल फलों और सब्जियों, जैसे --- लाल गाजर, तरबूज और पपीता में पाया जाता है। हालांकि, रासायनिक दृष्टि से,  लाइकोपिन,  एक कैरोटीन है, पर इसमें कोई विटामिन ' ए ' की गतिविधि नहीं होती है। 
      यह सेल को नष्ट होने से रोकता है और हैल्थी सेल्स के उत्पादन को बढ़ावा देता है। यह एंटीऑक्सिडेंट प्रोस्टेट कैंसर, स्तन कैंसर, फेफड़ों और मूत्राशय की गंभीर दोष और एचपीवी (ह्यूमन पैपिलोमा वायरस) संक्रमण के विरूद्ध भी सुरक्षात्मक है,  जो गर्भाशय कैंसर के लिए, जिम्मेदार होता है।
      लाइकोपिन ने,  यूरिया और क्रिएटिनिन स्तर को , महत्वपूर्ण रूप से क्षीण कर दिया है और टिश्यू किडनी ऑक्सीडेंट स्थिति में भी सुधार किया है ।
      गर्भावस्था और स्तनपान के समय उपयोग किए जाने पर, लाइकोपिन संभवतः असुरक्षित है । एक विशिष्ट लाइकोपिन पूरक (लाइकोरेड) के एक अध्ययन ने , सुझाव दिया कि,  लाइकोपिन,  2 मिलीग्राम प्रतिदिन गर्भावस्था के 12 से 20 सप्ताह से शुरू करके और प्रसव तक जारी रखने के समय तक से,  पहले जन्म और जन्म के समय वजन के कम होने की दर बढ़ सकती है।
      लाइकोपिन एक पौधा पोषक तत्व है , जिसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं। यह वर्णक है , जो टमाटर, खरबूजे और गुलाबी अंगूर, जैसे फलों को लाल और गुलाबी रंग देता है। लाइकोपिन को,  स्वास्थ्य लाभों से भी जोड़ा गया है। जिसमें हृदय स्वास्थ्य से लेकर, सनबर्न सुरक्षा और कुछ प्रकार के,  कैंसर शामिल हैं।
       लाल - पीले रंगों के फलों व सब्जियों में , पाया जाता है ।  टमाटर में लाइकोपिन भरपूर मात्रा में मिलता है । लाइकोपिन  ' फ्री रेडिकल्स ' को समाप्त कर देता है । लाइकोपिन, बहुत शक्तिशाली ' एन्टीआक्सीडेंट ' है । जो विटामिन ' सी ' से ज्यादा प्रभावशाली होता है और गम्भीर रोगों में, जैसे ---- कैंसर होने से रोकता है और हर अंग के कैंसर में लाभ देता है । लाइकोपिन से फेफडे़ , ह्रदय और पेट की कार्य प्रणाली सुचारू रूप से चलती है । लाइकोपिन इम्युन सिस्टम की कार्य क्षमता को बढा़ता है  और डिजेनरेटिव रोगों के पनपने की गति को कम करता है । 
       टमाटरों से मिलने वाला ' एंटीआक्सीडेंट ' सीधे रक्त में , पहुंचनें के लिए, टमाटर को पकाकर सेवन करें । टमाटर के सॉस और सूप आदि का प्रयोग कर सकते है । भोजन में , नित्य टमाटर का सेवन करें और कष्टदायक भयंकर रोगों से बचे। टमाटर प्रत्येक प्रकार के , प्रोस्टेट कैंसर में लाभदायक है ।
       टमाटर में , तांबे की मात्रा अधिक होती है । जो रक्त में , लाल कणों की मात्रा को बढा़ता है । टमाटर भूख तेज करता है और शक्तिवर्धक है । टमाटर में , लोहा दूध से अधिक मात्रा में भी मिलता है । एक बड़ा टमाटर, नित्य सेवन करना चाहिए और रोगों से अपना बचाव करें ।

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