*विवादों में घिरे कैराना के स्वतंत्र पत्रकार*
*कैराना।* कस्बे में छिपे समाज के गद्दारों को बेनकाब करने के लिए इंटरनेट मीडिया पर भ्रष्टाचार पर पेन अटैक अभियान चलाया गया है। लेकिन कई तरह के हथकंडे अपनाकर समाज में छिपे गद्दार द्वारा एक स्वतंत्र पत्रकार को साजिश का शिकार बनाकर फंसाने की एक तरह की साजिश अपनाई जा रही है।साजिश के तहत रंगदारी की झूठी तहरीर देकर स्वतंत्र पत्रकार को फंसाने का प्रयास किया जा रहा है। लेकिन, निष्पक्षता और सच्चाई के रास्ते पर अपनी बेबाक कलम चलाते हुए स्वतंत्र पत्रकार गुलवेज आलम पुत्र वरिष्ठ पत्रकार मरहूम सलीम अहमद ने कैराना के सामाजिक संगठनों से जुड़े सदस्यों की जांच की मांग की और खुफिया तंत्र से सामाजिक संगठनों की जांच करने की अपील की। वहीं भारत में प्रतिबंध संगठन आदि कैराना के सामाजिक संगठन तो गोपनीयता भंग करने का काम पीएफआई और विदेशी खुफिया तंत्र जैसे संगठनों से तो नहीं कर रहे हैं? जिनका समाचार इंटरनेट मीडिया पर वायरल करने पर जिसके चलते कैराना के कुछ तथाकथित दलाल पत्रकारों ने स्वतंत्र पत्रकार को फंसाने की सोची समझी साजिश के तहत अपने अखबारों में ब्लैकमेलर का नाम देते हुए और उस स्वतंत्र पत्रकार के पिता का नाम सहित झूठी खबर प्रकाशित की थी। आखिर एक शहर का रसोइया महीने में दो बार विदेश कैसे जा सकता है? जो जांच का विषय है। ऐसे में हमारे देश के सक्रिय खुफिया तंत्र को चाहिए कि वह पलायन के मुद्दे से चर्चा में रहा कैराना पर पैनी नजर रखते हुए हर पहलू पर नजर रखे। अगर समय रहते ऐसे पाखंडियों पर निगरानी नहीं रखी गई तो क्या पता देश की निजता भंग हुई तो देश को बहुत बड़ा नुकसान हो सकता है। जो एक खुफिया तंत्र की नाकामी के तहत देश के लिए काफी नुकसानदेह साबित हो सकता है।
उन्होंने कहा कि कैराना में हमारा सबसे पुराना पत्रकारिता परिवार है। साजिशों के तहत हमारे बुजुर्गों को भी फंसाने के उद्देश्य से काम किया गया था। लेकिन, हमारे बुजुर्ग भी सच्ची पत्रकारिता करते रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुझे अपने जिले के लोकप्रिय अधिकारियों से पूरी उम्मीद है कि जो लोग मेरे खिलाफ साजिश रच रहे हैं, वे पूरी निष्ठा से जांच करे और मेरे खिलाफ जो भी जांच में पाया जाए वह कार्यवाही करेंगे। *गुलवेज आलम स्वतंत्र पत्रकार, कैराना*
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