Thursday 6 April 2023

आइये जानते हैं रमजान क्यों रखे जाते हैंपहले तो ये समझ लीजिये कि रमजान और नवरात्रि बिल्कुल एक नहीं हैं अगर कोई हिन्दू नवरात्रि की तुलना रमजान से करता है तो वो मूर्ख ही है क्योंकि रमजान को अरब देशों में SWAM कहा जाता है जिसका अर्थ होता है घोड़ो को हंफाना। और आपको पता है घोड़ो को कब हंफाया जाता है ?? जब उनको युद्ध की प्रैक्टिस करवाई जाती है।

आइये जानते हैं रमजान क्यों रखे जाते हैं
पहले तो ये समझ लीजिये कि रमजान और नवरात्रि बिल्कुल एक नहीं हैं अगर कोई हिन्दू नवरात्रि की तुलना रमजान से करता है तो वो मूर्ख ही है क्योंकि रमजान को अरब देशों में SWAM कहा जाता है जिसका अर्थ होता है घोड़ो को हंफाना। और आपको पता है घोड़ो को कब हंफाया जाता है ?? जब उनको युद्ध की प्रैक्टिस करवाई जाती है। 

1. तो क्या रमजान भी युद्ध की प्रैक्टिस के लिए रखा जाता है??
बिल्कुल
2. तो क्या विश्व के 180 करोड़ लोग स्वयम को सैनिक मानते हैं और ये सोचते हैं कि वो युद्ध मे हैं??
बिल्कुल मानते हैं।

अब बात आती है आपकी
आप तो नवरात्रि में बहुत कम व्रत रखते हैं जबकि देखा गया है कि जो हिन्दू महिलाएं बहन बेटियां व्रत रखती हैं तो वो भी अनावश्यक रूप से बहुत अधिक भोजन करती हैं उस दिन
जबकि होना ये चाहिए कि व्रत वाले दिन आप कम से कम खाएं।

यही कारण है कि रमजान में मुस्लिम लोग केवल दो समय सुबह या रात्रि में भोजन करते हैं और दिन भर अपने को तैयार करते हैं ऐसे जैसे कि कोई युद्ध हो और उनको थूक निगलने तक का समय ना मिल रहा हो। इस प्रैक्टिस का उपयोग युद्ध के समय होगा जब आपको प्रैक्टिस ही नहीं होगी तो आप युद्ध के समय कैसे काम करोगे।

अब आते हैं रमजान के इतिहास पर
प्रश्न उठते हैं कि उन्होंने इस तरह रमजान में युद्ध कब कब किये हैं

तो आपको बता दूं कि बदर का युद्ध रमजान के 17वें दिन ही लड़ा गया था। मोहम्मद इस युद्ध के दौरान कहता है कि हमको इस युद्ध मे अल्लाह का साथ मिलेगा और हम काफिरों को मार देंगे।परन्तु ये कहते हुए भी मुस्लिमो ने काफिरों से सीधा सीधा युद्ध नहीं किया बल्कि जब काफ़िर पानी पी रहे थे उस समय उनपर हमला किया गया।

इस युद्ध के ठीक 6 वर्ष के बाद MECCA पर हमला करके सभी काफिरों को मारकर वहां मक्का पर कब्जा कर लिया गया।

हिजरी के 92वें वर्ष में रमजान के महीने में इस्मानिया पर हमला किया गया और सभी काफिरों को धोखे से मार दिया गया।

3सितंबर 1260 में रमजान के महीने में ही केन जालूत का युद्ध मंगोलों के खिलाफ लड़ा गया और धोखे से उनपर पीछे से वार करके मार दिया गया।

अब भारत के इतिहास पर आइये।
हालांकि 1946 से पहले भी भारत मे दंगों का इतिहास रहा है जैसा कि डॉ भीमराव अंबेडकर की किताब भारत का विभाजन या पाकिस्तान में वर्णित है परन्तु 1946 में जिन्ना द्वारा डायरेक्ट एक्शन डे का कॉल रमजान के महीने में 17वें रमजान वाले दिन 16 अगस्त 1946 को दी गई ठीक बदर के युद्ध की तर्ज पर।

पाकिस्तान की आजादी का दिन 14अगस्त1947 इसलिए चुना गया था कि वो रमजान का आखिरी जुम्मा था।
अब सोचिए कितना मक्कार था गांधी और नेहरू।
जो उनके हिसाब से उनको आजादी का दिन चुनने की सहूलियत दे रहा था।

खैर…
आगे सुनिए इन पाक महीन की करतूतें 

मुम्बई बम ब्लास्ट याद होगा आपको जिस दिन सीरियल बम ब्लास्ट हुए थे और सैकड़ों हिन्दू मारे गए थे और हजारों हिन्दू घायल हुए थे हजारों करोड़ की संपत्ति नष्ट हो गयी थी उसको भी बदर के युद्ध की तरह रमजान के 17वें दिन चुना गया था।

13दिसंबर 2001 रमजान के 13वें रोजे के दिन दिल्ली में भारत के संसद भवन को निशाना बनाया गया था। इस हमले में हो सकता था कि प्रधानमंत्री,राष्ट्रपति,उपराष्ट्रपति, आदि मारे जाते परन्तु वीर सैनिकों ने उनके इस हमले को निष्फल कर दिया।

29 अक्टूबर 2005 को 24वें रोजे के दिन दिल्ली में तीन बम ब्लास्ट किये गए थे जिसमें तकरीबन 70लोग हताहत हुए थे।जिन लोगों ने ये हमले किये थे उनका भी रोजा था और ये बम ब्लास्ट हिन्दुओ और दीपावली को टारगेट करके किये गए थे।

13सितंबर 2008 को 13वें रोजे के दिन कनॉट पैलेस में सीरियल बम ब्लास्ट हुए जिसमें 23 हिन्दू मारे गए थे और 120 गंभीर रूप से घायल हुए थे।

अभी तो और भी इतिहास बांकी है
तो मेरा कहना है उन हिन्दुओ से जो भाईचारा ढूंढते हैं इनमें तो भाई तुम्हारे लिए तो ये भाई हो सकते हैं और तुम इनके लिए चारा ही रहोगे। क्योंकि पिछले1200 वर्षों में ये माफिया गैंग 9 करोड़ हिन्दुओ को मार चुका है। जबकि यदि सभी मारे गए लोगों का आंकड़ा तो 25 करोड़ से ऊपर है जो इस माफिया गिरोह ने मारे हैं विश्व भर में

सावधान रहिये सतर्क रहिये तैयार रहिये
जय माँ भवानी

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