चुनाव से पहले फिर वही नौटंकी शुरू। “BJP का कोई सांसद “मुस्लिम” क्यों नहीं होता” कभी एक सवाल मुस्लिमों से भी पूछो कि वे भाजपा को वोट क्यों नहीं देते। और अन्य दल केवल मुस्लिमों के लिए ही “योजना” क्यों बनाते हैं?
एक वीडियो सोशल मीडिया पर चल रहा है जिसमें बरखा दत्त भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला से एक घिसा पिटा सवाल पूछ रही है कि क्या आपको बुरा नहीं लगता कि भाजपा का कोई सांसद मुस्लिम नहीं है, क्या भाजपा मुस्लिमों तक पहुंच पाने में सफल नहीं है। शहजाद पूनावाला ने उसे ठोक कर जवाब दिया कि क्या देश में समलैंगिक नहीं हैं, तो फिर कांग्रेस का कोई सांसद समलैंगिक क्यों नहीं है और क्या कांग्रेस समलैंगिकता को गलत मानती है।
बरखा दत्त उखड़ गई और कहती है कि वह कांग्रेस की प्रवक्ता नहीं है, तो फिर वह मुस्लिमों की प्रवक्ता बनकर सवाल क्यों कर रही है।
कभी बरखा दत्त जैसे लोग मुस्लिमों ने नहीं पूछते कि जब बिना भेदभाव उन्हें भाजपा शासन में सभी सुविधाएं मिलती हैं, फिर भी वे भाजपा को वोट क्यों नहीं देते।
पिछले कर्नाटक के चुनाव के समय एक आंकड़ा सामने आया था कि भाजपा शासन में राज्य में मुस्लिमों को यह सुविधाएं मिली थी।
सरकार द्वारा बनाए गए 31% आवास मुस्लिमों को मिले; किसान सम्मान निधि में 33% हिस्सा मिला; LPG कनेक्शन्स 37% मिले; और मुद्रा लोन में मुस्लिमों का शेयर 38% था।
लेकिन फिर भी भाजपा को मात्र 2% मुस्लिमों के वोट मिले जबकि 82% ने कांग्रेस को और 10% ने JDS को वोट दिया।
क्योंकि वे उन्हें पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाने, पाकिस्तान का झंडा फहराने की छूट दे रहे थे और बजरंग दल पर बैन लगाने का वादा किया था। स्कूलों में हिज़ाब के लिए नया संगठन PFI का छद्म रूप खड़ा करने की भी बात कांग्रेस ने की थी। बिहार ने कुछ समय पहले मुस्लिम तलाकशुदा महिलाओं को गुजारे के लिए मिलने वाली राशि 10,000 से बढ़ा कर 25,000 कर दी थी। अखिलेश यादव तो खुलकर कहता था मुस्लिम लड़कियां ही उसकी सरकार की बेटियां हैं। एक योजना में तो अखिलेश ने 16 अपराधियों के आतंकी हमलों में शामिल होने के बावजूद मुक़दमे वापस ले लिए थे जिन्हे हाई कोर्ट ने खारिज किया और कई को बाद में उम्र कैद हुई थी।
मुस्लिमों को सांसद और विधायक बनाने वाले तो सभी “सेकुलर” दल हैं, फिर ऐसे में कौन मुस्लिम भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ना पसंद करेगा और लड़ेगा भी तो उसे कौन जीतने देगा।
ये बकवास सवाल करने से पहले बरखा दत्त जैसे लोगों को हर राज्य में देखना चाहिए कि वहां सत्ताधारी दल किस तरह सभी योजनाएं केवल मुस्लिमों के लिए बनाते है। और यदि हिन्दू उस पर सवाल उठाएं तो “नफरती भाषण” कह दिया जाता है।
तेलंगाना की आबादी 3 करोड़ 80 लाख है जिसमें मुस्लिमों की संख्या 45 लाख है लेकिन राज्य सरकार का अल्पसंख्यक (जिसमे मुस्लिम ही हैं) के लिए बजट 2200 करोड़ है। इसके अलावा हर गरीब मुस्लिम के लिए एक लाख रुपये अलग देने की योजना घोषित की है। दूसरी तरफ कांग्रेस ने आने वाले चुनाव में केवल मुस्लिमों के लिए अलग से घोषणाएं की हैं।
अब बरखा दत्त जैसे कोई भी पत्रकार खोजबीन करके साबित कर दे कि मोदी सरकार या भाजपा शासित किसी भी सरकार की किसी भी योजना से मुस्लिमों को वंचित रखा गया है क्या। फिर भी नरेंद्र मोदी का बड़प्पन है जो “उनके विश्वास” की बात करते हैं जो कभी मिल नहीं सकता। ट्रिपल तलाक से जिन महिलाओं के घर बर्बाद होने से बचे, वे भी पूर्ण रूप से भाजपा को वोट नहीं करती क्योंकि पारिवारिक दबाव में रहती है।
जो लोग आज देश में रहकर पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगा कर उसका गुणगान करते हैं, उन्हें ऐसा करने से कौम के लोग रोककर उन्हें क्या कभी समझाते है कि पहले पाकिस्तान और वहां रहने वाले “अपनी कौम” के लोगों की हालत तो देख लो।
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