इस स्वर्ण सिक्के पर चक्रवर्ती महाराज समुद्रगुप्त हैं जिनके घोड़े ने चार समुद्रों का पानी पिया था, ये चार समुद्र हैं: हिंद महासागर, बंगाल की खाड़ी, अरब सागर और कैस्पियन सागर। महाराज समुद्रगुप्त का साम्राज्य बैक्ट्रिया, मध्य एशिया और अफगानिस्तान होते हुए ओडिसा असम और सिंहल द्वीप तक जाता था।
ऐसे योद्धा जिन्होंने लगभग सौ युद्ध लड़े और कोई युद्ध नही हारा, ऐसे महामानव जिन्हे तलवार और वीणा दोनो में सिद्धि प्राप्त थी, उनकी तुलना मूर्ख इतिहासकार विंसेट स्मिथ नेपोलियन से करता है। नेपोलियन पचास युद्ध लड़ा और आखिर में वाटर लू में हार कर अत्यधिक दुर्दशा को प्राप्त हुआ। महाराज की कला, संस्कृति उन्हे असाधारण मनुष्य बनाती थी जो उन्हे पाशविक लड़ाकुओं से अलग करती है।
महाराज समुद्रगुप्त के इस सिक्के बारे में लिखने का उद्देश्य यह है कि इस चित्र को ध्यान से देखा जाए, पिछली पोस्ट में जिन लोगों को मेरे द्वारा बताए गए प्राचीन भारतीय वस्त्र विन्यास से दिक्कत हुई वे इसे और ध्यान से देखें। महाराज ने ओवरकोट पहना है। अब ओवरकोट भी भारतीय राजा पहन रहे हैं। पश्चिम का कॉपीराइट ध्वस्त हुआ, जिन ग्रीन मैंगो मोर लोगों को मेरा लिखा लेख व्हाट्स यूनिवर्सिटी या कॉपी किया हुआ लगता है वे इस शैली में ऐसा कहीं और लिखा दिखा दें। वे नही दिखा पाएंगे, क्योंकि वे जाहिल हैं इसलिए मैं उन्हें उत्तर नही देता या ब्लॉक कर देता हूं।
गुप्त राजा बूट भी पहनते थे, पगड़ी भी बांधते थे और हां खुर्रम के डार्क एरा को स्वर्ण युग कहने वाले हबीबी इतिहासकार इस सोने के सिक्के को देखें, अकबरी जलाल के शासन में कुल 26 सिक्के मिलावटी सोने में निकाले गए जो आजतक पूर्ण रूप से मिले भी नही जबकि महाराज समुद्रगुप्त चीकोलाइट की तरह लकलक कर रहे हैं।
पोस्ट का उद्देश्य वामपंथियों को आइना दिखाना और दक्खिन टोले से कहना कि अपने इतिहास को जानों, तेजवान बनो और वर्तमान को प्रकाशित करो।
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