Friday, 10 May 2024

सोनभद्र का गौरवशाली इतिहास भाग -०२

सोनभद्र का गौरवशाली इतिहास भाग -०२

यह किसी साधारण इमारत की दीवार का दृश्य नहीं अपितु यह उस किले की दीवार का दृश्य है जो सोनभद्र जनपद में अनपरा नगर के पहाड़ी क्षेत्र में स्थित है 
यह दीवार एक उदाहरण है पुराने जमाने के लोगों के प्रेम गाथा कि जिन्होंने अपने प्रेम की निशानी इस दीवार पर छोड़ दिए जो सदियों पुरानी आज भी हूबहू मौजूद है।यह दीवार वर्तमान में कुछ सड़क छाप टिक टोकिये कलाकारों द्वारा इस अश्लीलता का संग्रह बन गया है जिस पर ये तुच्छ मूढ़ कलाकार अपने बेहूदे करतूतों से इसकी शोभा को कम कर दिए है पर इसकी महानता कभी कम न होगी।इस मीनार का निर्माण महाभारत काल में राजा अजय देव राय ने अपने प्रेयसी से विरह में कराया था।

  उनकी प्रेयसी चंदा देवी थी जो इतनी खूबसूरत थी कि पूरे विश्व में उनके रूप का गुणगान था। उस समय कहा जाता था कि इस इमारत के नीचे एक स्नान गृह बनवाया गया था जो स्वयं राजा अजय देव राय की मौजूदगी में बना हुआ था और ये भी कहा जाता है कि वो स्नान गृह सीधा तालाब से मिलता था और वहीं से सीधे उस स्नान गृह में पानी आता था वो तालाब आज भी मौजूद है झिंगुर्दह हनुमान मंदिर क्षेत्र में टिपा झरिया नामक तालाब के नाम से।
 ये भी कहा जाता है कि उस स्नान गृह में एक सर्प भी मौजूद था जो रानी के रक्षा के लिए स्वयं राजा ने उसे लगवाया था।वो सर्प आज भी वहा उन जंगलों में या वहीं उस तालाब में देखा जा सकता है और कहा जाता है कि उनकी प्रेयसी की भी आत्मा अभी वहीं के जंगलों में भटकती रहती है जो कभी कभी उस स्नान गृह के पास देखी गई है।

यदि आप सभी को इस गौरवशाली इतिहास से स्वयं अभिभूत होना हो तो आप स्वयं यहां जाकर देख सकते है।

  इतिहासकार - "अजय कुमार बिछड़ी वाले"

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