इस घर के निर्माता ने शायद कभी नहीं सोचा होगा कि मेरा बनाया यह घर एक दिन लावारिस भवन के रूप में विकसित हो जाएगा बनना और बिगड़ता यही प्रकृति का नियम है जन्म लेने वाले की मृत्यु निश्चित है इस घर के साथ भी कुछ ऐसी ही कहानी है.....
ये सूना घर ये सूनी दिवारे बता रही कि घर वाले परदेशी हो गए .....कभी यहाँ आँगन मे चारपाइयाँ बिछती रही होंगी.........बच्चो कि शरारते और बेटी बहुओ कि खिलखिलाहते गूँजती रही होंगी..........कोई बहू इस घर मे सपने सजा कर आई होगी .... बाहर के अरवा मे दिया जलता रहा होगा या फिर किसी धन्नी के हुक लालटेन टंगी रहती होगी ......😞😞😞😞
बड़ा सा वो आँगन आज वीरान पड़ा है, कही जाले तो कहीं मिट्टी से भरा हुआ
जिसके हर कोने को किसी ने प्यार से सजाया, आगे बढ़ने की दौड़ में उसे पीछे छोड़ आया....
घर के बाहर दोनों तरफ बनी ये "चौतरिया" यही बोलते थे मेरे यहाँ कितने काम आती थी।सहेलियों की गप्पों से लेकर आस पड़ोस की चुगली करना सब इसी पर बैठ कर होता था सच मे जीवन का असली मजा तो इन्ही घरों में था।
चिलचिलाती तपती धूप मे चबूतरा हो गाँव का ,
चाहता है चहचहाना बचपने की छांव मे
पुकारता है चाव से चंचल हंसी को हर कही, यादों मे हरदम लिए वो खिलखिलाना गाँव मे
कौन कौन मेरी इस बात से सहमत हैं......
जैसे ये घर कह रहा हो कि......
मेरी हालत पर मत हंस पगली
कभी मैं गांव के शान हुआ करता था
मेरे छज्जे पर सब लोग आ कर बैठा करते थे
महफिल में मेरी तिबार में जगह नही मिलती थी
रात को वीसीआर लेकर लोग शोले देखा करते थे
मै लोगों के बोझ को खुशी खुशी झेला करता था
मेरे छत पर संटुली, बिट खोरी का घोंसला हुआ करता था
सुबह सुबह अम्मा उठकर जानवरों के लिए धुंआ लगाती थी
अब हालत बदल गए हैं, घर में छोटे भी सयाने बन गए हैं
लेकिन मै अभी भी अपने स्वाभिमान में खड़ा हूं
आंधी तूफानों में अडिग खड़ा हूं
मेरी हर दीवार लौह सी मजबूत है
मुझे उम्मीद हैं की मेरे आंगन में खेलते वो
बच्चे एक दिन मुझे याद जरूर करेंगे।
शहर जाकर बस गए हर शख्स पैसे के लिए,
ख्वाहिशों ने मेरा पूरा गांव खाली कर दिया ।
ये सूना घर ये सूनी दिवारे बहुत कुछ बता रही हैं,
हर कोने को किसी ने प्यार से सजाया, आगे बढ़ने की दौड़ में उसे पीछे छोड़ आया....
तरक्की भले कितनी कर ली हो शहर जाकर पर ऐसा घर बनाने में शायद पूरी जिंदगी निकल जाये फिर भी 😢......
ऋतु चौधरी
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