Saturday 27 July 2024

मैं कई दिन से देख रहा था, कि मेरे एक छोटे से शहर में और 1 किलोमीटर के एरिया में कम से कम 4 ऐसे छोटी दुकानें और कैफे खुले हैं जो ये खाना देते हैं जिन्हे हम फास्ट फूड कहते हैं!और मजे के बात ये है की इन सभी रेस्टुरेंट और कैफे के मेनू सेम थे प्राइस भी बराबर थे और इसमें 4 5 तरह के पिज्जा, 3 4 तरह के बर्गर रैप रोल और फ्रेंच फ्राइज़ थे!

मैं कई दिन से देख रहा था, कि मेरे एक छोटे से शहर में और 1 किलोमीटर के एरिया में कम से कम 4 ऐसे छोटी दुकानें और कैफे खुले हैं जो ये खाना देते हैं जिन्हे हम फास्ट फूड कहते हैं!
और मजे के बात ये है की इन सभी रेस्टुरेंट और कैफे के मेनू सेम थे प्राइस भी बराबर थे 
और इसमें 4 5 तरह के पिज्जा, 3 4 तरह के बर्गर 
रैप रोल और फ्रेंच फ्राइज़ थे!

मेरे घर बच्चे आए थे तो सोचा यही कहीं से लेते हैं 
और घुसा दुकान में, और जबतक वो फ्रेंच फ्राई बना रहा था तब तक मैं खड़ा था!

देखा एक बड़े फ्रीजर में से पहले से कटे आलू निकाला और उसे तेल में डाल दिया, 
मैने बोला ताजा नही काटते क्या?
उसने बोला अरे नही ये कटा कटाया आता है बस फ्राई कर के देदो 
मैने बोला ताजा आलू भी तो तुरंत काट सकते हो तो उसने बोला ये आलू अलग है सस्ता होता है उसे प्रोसेस कर के ऐसा बनाया जाता हैं की कितने भी गर्म तेल में डालें ये एकदम गोल्डन होते हैं दिखने में अच्छे और खाने में कुरकुरा!

फिर पिज़्ज़ा की बारी आती है, तो देखा पहले से बना बनाया ब्रेड लिया और उसपे रेडीमेड souce डाली फिर लिक्विड चीज, फिर प्रोसेस चीज डाल दी और बेक कर के दे दिया!

मैने बोला यार सब रेडीमेड है कुछ खुद नही करना पढ़ता।
तो मुंह में गुटका दबाए वो बोलता है 
नही सारी व्यवस्था टंच है सारा माल कंपनी का है!

आइए दिखाते हैं, जब देखा तो तो दिमाग घूम गया था!
1 किलो के पैकेट जिसमे पिज़ा souce मेयोनीज, चीज आदि थे 
और वो सब राइस ब्रायन ऑयल कॉटन सीड ऑयल के मिश्रण से मिले थे 
टमाटर से बनने वाले souce में टमाटर pulp मात्र 20 प्रतिशत था 
और बाकी 80 % में oil प्रिजर्वेटिव रंग आर्टिफिशियल फ्लेवर थे 

ऐसे ही फ्रेंच फ्राई के आलू भी महीना भर पहले डीप फ्रीज किए गए थे!
प्रोसेस कर के उसमे से स्टार्च निकाला गया था, और काफी ज्यादा मात्रा में खराब ना होने वाली दवाई पड़ी थी !

क्यों की आलू को यदि काट कर रख दें तो तुरंत ऑक्सीजन से क्रिया कर के काला पड़ने लगता है 
लेकिन ये आलू महीनो बाद भी वैसा ही है!

अब सोचिए जो बच्चे हर दूसरे दिन ये जहर खा रहे हैं उनके स्वास्थ्य पर क्या असर पड़ेगा ?? 

पेपर में न्यूज आती है दिल्ली में 8 में पढ़ने वाले लड़के की हार्ट attak se maut लेकिन कभी सुना है की कोई गरीब या गांव में रहने वाले लड़के को ऐसा हुआ है!

लोग वैक्सीन को दोष दे रहे थे, लेकिन मुझे लगता है सच्चाई कुछ और है!

इसे बेचने वाले खुद नही जानते की खाने के नाम पर वो जहर बेच रहे हैं,  वो तो बस चंद मुनाफे और अपने परिवार का पेट पालने के लिए ये कर रहे, 
और उन्हें भी पता है इसकी डिमांड है!

क्योंकि हर कैफे के बाहर स्कूल में पढ़ने वाले और कॉलेज जाने वाले बच्चे खड़े होते हैं लाइन लगा कर!

तो ये बच्चो के पैरेंट्स की जिम्मेदारी है की वो।इस जहर के बारे में अपने बच्चो को बताएं!
नही तो यकीन मानिए आपके बच्चो के लिए स्थिति बहुत ही बदतर और भयावह होने वाली है!

इसे ज्यादा से ज्यादा लोगो तक शेयर करें जितना जल्दी हो सके क्यों की ऐसी खाने वाली पोस्ट रिपोर्ट मार कर डिलीट करवा दी जाती है 
जिससे ये जहर बनाने वालो का धंधा चलता रहे.
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