Friday, 5 July 2024

मकई_की_रोटी की जो थाली सामने दिख रही है वह सामान्य ताली नहीं है वह पटना के एक बड़े रेस्टोरेंट में परोसी जा रही है कीमत जानकर आप माथा पकड़ लीजिएगा एक मकई की रोटी साथ में सरसों की सांग भी

#मकई_की_रोटी की जो थाली सामने दिख रही है वह सामान्य ताली नहीं है वह पटना के एक बड़े रेस्टोरेंट में परोसी जा रही है कीमत जानकर आप माथा पकड़ लीजिएगा एक मकई की रोटी साथ में सरसों की सांग भी मसले प्याज और कीमत ₹650। आपको हमको यह कीमत ज्यादा लग सकती है पर जो लोग उसे रेस्टोरेंट के नियमित ग्राहक हैं उन्हें यह कीमत सामान्य लगती है क्योंकि वह सामान्य वर्ग के नहीं है वह शहर का अभिजात वर्ग है जो किसी भी कीमत को वहन करने की शक्ति रखता है। बिहार के ग्रामीण इलाकों में मकई की रोटी मकई के सतुआ से बनाया जाता है मकई का सतुआ भुने हुए मकई को पीसकर बनाया जाता है। इस कारण से उसमें सोनधापन होता है। पर बड़े होटलों में जो मकई की रोटी पड़ोसी जा रही है वह कच्ची मक्का के आटे से तैयार की जाती है उसमें कई प्रकार के सीक्रेट मसाले मिलाए जाते हैं तथा मक्खन या घी के सहारे उसे पकाया जाता है सरसों का साग आपको भले नवंबर से जनवरी के महीने तक ही मिले पर शहरों में बड़े होटलों में यह सालों भर मिलता है कहां से आता है यह नहीं पता। खाने पीने की चीजों को बाजार में किस तरह से अपने नियंत्रण में ले लिया है इसका छोटा सा उदाहरण देखिए जो आपके और हमारे घर में गेहूं होता है उसकी रोटी और बाजार में जो पैकेट बंद आता बिक रहा है उसकी रोटी में अंतर है बाजार की रोटी ज्यादा उजले रंग की होती है और खुल जाती है जबकि घर का उगा हुआ गेहूं की रोटी थोड़ी सी दूसरे कलर की होती है अपने घर की गेहूं होते हुए भी लोग बाजार का ही खरीद कर खा रहे हैं क्योंकि बाजार में प्रचलित प्रसारित कर दिया है कि उनके गेहूं में फाइबर है कुछ ऐसा ही खाने-पीने की अन्य चीजों पर भी लागू हो गया है खाने पीने की चीज है खेतों में ही उपजती है। आप जिन चीजों को छोड़ रहे हैं उन चीजों को बड़ी कंपनियां अपने मुट्ठी में कर रही है यही कारण है कि गाय के गोबर का गोइठा भी अब अमेजॉन जैसी कंपनियां बेच रही है। आपको नहीं पता की पूजा पाठ में कितनी सामग्रियों का इस्तेमाल होता है ऑनलाइन जाइए आपको कई सारी कंपनियां पूरे पूजा पाठ का सामान एक पैकेज पर आपके घर पहुंचा देंगी। खैर मकई के रोटी पर ही लौट आते हैं गर्मी के दिनों में मकई की रोटी खाना आसान नहीं यह काफी गर्म होता है जैसे ही मानसून की बारिश शुरू होती है मकई की रोटी और छोटी मछलियां खाने का बिहार में रिवाज रहा है जर की दिनों में इसके अंदर आलू भरकर खाया जाता है जबकि सरसों के साग के सीजन में साग और मकई की रोटी की धूम रहती है जिसके घर दूध दही की उपलब्धता है वह उसके साथ मकई की रोटी खाता है जो भुने हुए मकई का रोटी होता है वह पाव रोटी की तरह फूल जाता है जबकि कच्चे मकई का रोटी सामान्य रोटी की तरह ही होता है पर टेस्ट अलग होता है। 
अनूप 
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