Friday, 9 May 2025

मोदी जी की #संवेदनशीलता22 अप्रैल 2025 पहलगाम में जब आंतकियों ने बड़ी बर्बरता से निर्दोष भारतीयों को अपना निशाना बनाया और अंधाधुंध फायरिंग में 26 लोगों को मार दिया उन मृतकों में एक थे मंजुनाथ जिनको सिर में गोली मारी तब उनकी पत्नी ने कहाँ कि "जब मेरे पति को मार दिया तो मुझे भी गोली मार दो" इस बात पर आतंकियों ने कहा कि "तुम्हें नहीं मारेंगे जाओ और जाकर मोदी को बता दो"

मोदी जी की #संवेदनशीलता
22 अप्रैल 2025 पहलगाम में जब आंतकियों ने बड़ी बर्बरता से निर्दोष भारतीयों को अपना निशाना बनाया और अंधाधुंध फायरिंग में 26 लोगों को मार दिया उन मृतकों में एक थे मंजुनाथ जिनको सिर में गोली मारी तब उनकी पत्नी ने कहाँ कि "जब मेरे पति को मार दिया तो मुझे भी गोली मार दो" इस बात पर आतंकियों ने कहा कि "तुम्हें नहीं मारेंगे जाओ और जाकर मोदी को बता दो"

यह कोई फिल्म की कहानी नहीं है सच्ची घटना है और पूरा देश इस बात को जानता है। मोदी जी उस समय सऊदी अरब के दौरें पर थे इस घटना की जानकारी मिलते उन्होंने दौरा रद्द कर दिया बीच में ही छोड़ कर भारत आने का निर्णय लिया भारत आने पर उन्होंने सार्वजनिक रूप से इस घटना पर शौक व्यक्त किया और इसे अपने स्वाभिमान पर गहरी चोट की तरह महसूस किया साथ ही कसम भी खाई कि "अब छोड़ेंगे नहीं आतंकवादियों के सरगनाओं को बख़्शा नहीं जायेगा उन्हें मिट्टी में मिला दिया जायेगा" उनका आक्रोश भरा चेहरा देख कर कोई भी समझ सकता था कि अब कुछ बड़ा होगा।
एक दिन बीता दो दिन बीतें पूरा हफ़्ता हो गया सभी भारतीयों के मन में उत्सुकता थी कि कब होगा, कैसे होगा, क्या होगा...?
लगभग 10-12 दिन तक हर तरफ चर्चा थी होगा, नहीं होगा यहाँ तक कि भारत के ही विपक्ष ने इस  बात का मज़ाक उड़ाना शुरू कर दिया और कहा कि सब राजनीति का खेल है लोगों को लॉलीपॉप दिया जा रहा है कुछ नहीं होगा।
जबकि हम पूरे आश्वस्त थे कि जरूर होगा और होना भी चाहिए यह एक चैलेंज है जिसे अस्वीकार करने पर भारत और मोदी आलोचना के पात्र बन सकते हैं और 13 वें दिन 7 मई 2025 को सुबह की पहली किरण के साथ खबर मिली कि भारत ने एयर स्ट्राइक में पाकिस्तान के 9 ठिकाने पर #ऑपरेशन_सिंदूर के द्वारा जबर्दस्त प्रहार करके कम से कम 100 आतंकवादियों को मिट्टी में मिला दिया।
भारत के इतिहास में क्या आपने कभी ऐसा होते देखा है कम से मैने तो नहीं देखा। मैनें हर बार भारत को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर ऐसी घटनाओं के लिए असहाय, गिड़गिड़ाते, समझौते करते हुए केवल भारत की विवशता को देखा है।

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