बुढ़वा मंगल और महावीर हनुमान - डॉ दिलीप कुमार सिंह
हनुमान जी श्री राम राम और माता सीता के अनन्य भक्त हैं कलयुग में उनसे बड़ा कोई भी नहीं है उन्हें अमर कहा जाता है और सृष्टि के अंत तक श्री राम कथा का प्रचार करने के लिए दुष्टों का संघार करने के लिए और सज्जनों का उद्धार करने के लिए कलयुग में उन्हें विशेष रूप से भगवान श्री राम के द्वारा सहेजा गया है
बुढ़वा मंगल की कहानी बुढ़वा मंगल को बड़ा मंगलवार भी कहते हैं इसकी कथा महाभारत से ली गई है महाबली भीमसेन जिनमें 10000 हाथियों का बाल था अपने बल पर बहुत घमंड करते थे और हमेशा उत्पाद मचाया करते थे एक बार जब वह बनवास में थे तब हिमालय क्षेत्र में उन्हें एक अद्भुत दिव्य सुगंध की अनुभूति हुई बाद में संत और महात्माओं ने कहा यह तो अद्भुत नीलकमल की सुगंध है जो दूर-दूर तक फैला रहता है द्रोपदी की इच्छा हुई कि इस नीलकमल को धारण करें बस फिर क्या था उन्होंने भी को कहा और भीम दहाड़ते और गरजते हुए चल पड़े
भीमसेन की दहाड़ से सभी भयभीत हो गए जंगल के शेर चीता बाघ इधर-उधर भागने लगे और हलचल मच गई भी अपनी गदा जोर-जोर घूमते हुए नीलकमल की ओर चले जा रहे थे हनुमान जी ने उनको शिक्षा देने और उनके अहंकार को दूर करने के लिए एक वृद्ध बंदर का रूप बनाया और रास्ते में पूछ फैला कर लेट गए थोड़ी ही देर बाद भीम भीम गरजते और दहाड़ते हुए उधर आए और रास्ते पर बंदर की पूंछ देखकर उन्होंने बंदर से अपनी पूंछ हटाने को कहा तब हनुमान रूपी वृद्धि वानर बोला अरे भाई तुम मुझको लग कर चले जाओ इस पर भी भीमसेन ने कहा कि किसी को भी लांघ कर जाने का सनातन धर्म में कोई नियम नहीं है इसलिए तुम अपनी पूंछ हटा लो
हनुमान जी ने कहा ऐसा करो तुम मेरी मूछ हटा दो और चले जाओ क्योंकि मैं तो बुड्ढा हो गया हूं और मुझे उठने बैठने में बहुत परेशानी होती है इस पर भी गर्व से भरकर एक अंगुली से उसकी पुछ उठाकर फेंकने लगे मगर अंगुली में दर्द होने लगा और पूछ यहां की कहां पड़ी रही इस पर उन्होंने एक हाथ से उठाने का प्रयास किया फिर दोनों हाथ से उठाने का प्रयास किया इसके बाद अपनी गदा से हटाने का प्रयास किया लेकिन पसीने पसीने होने पर भी पूंछ हिंदी तक नहीं
इस पर भीमसेन को बहुत आश्चर्य हुआ 10000 हाथियों का बाल रखने वाले भीम एक बंदर की पूछ नहीं हटा पाए उन्हें अपनी भूल अनुभव हुई और उन्होंने प्रार्थना किया कि हे भगवान आप अपने असली रूप में आ जाइए तब हनुमान अपने विराट असली रूप में आए जो आकाश तक फैले हुए थे भी ने उनकी पूजा अर्चना किया और हनुमान जी परम प्रसन्न हुए और भीमसेन को अच्छे उपदेश देते हुए अपनी दिव्य शक्तियों को प्रदान किया इसके बाद भीमसेन नीलकमल लेकर द्रौपदी को दे दिए तभी से यह बड़ा मंगल या बुढ़वा मंगल मनाया जाने लगा है
इस दिन स्नान करके शुद्ध चित्र से हनुमान जी का ध्यान करना चाहिए उनके मंदिर में जाकर उनसे अपनी मनोकामना कहना चाहिए बेसन के लड्डू सिंदूर और चमेली भी चढ़ा सकते हैं लेकिन ध्यान रखें कि हनुमान जी की पूजा करते समय भगवती सीता और भगवान श्री राम का ध्यान अवश्य करें हनुमान चालीसा का भी पाठ करना चाहिए और हनुमान जी की दिव्या गाथाओं का वर्णन करते हुए रामायण के प्रसंग को भी आपस में कहना और सुनना चाहिए ऐसा करने से हनुमान जी निश्चित प्रसन्न होते हैं और मनोकामनाएं पूरी करते हैं हनुमान जी का ऐसा प्रभाव है कि उनके भक्त को कलयुग का प्रभाव और शनिदेव छू भी नहीं सकते हैं बाकी की बात ही क्या है
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