Wednesday, 13 August 2025

स्वतंत्रता के श्वेत श्याम बिंदु -डॉ दिलीप कुमार सिंह

स्वतंत्रता के श्वेत श्याम बिंदु -डॉ दिलीप कुमार सिंह 


15 अगस्त 1947 को 190 वर्ष के शासन के बाद और करोड़ों लोगों के बलिदान के फल स्वरुप देश को विभाजित स्वतंत्रता प्राप्त हुए जिसमें भारत ने पाकिस्तान अफ़गानिस्तान तिब्बत नेपाल भूटान म्यांमार श्रीलंका मालदीव बांग्लादेश जैसे अपने विभाग को दिए बाद में अरुणाचल प्रदेश और कश्मीर का काफी भाग चीन और पाकिस्तान ने कब्जा कर लिया और स्वतंत्रता प्राप्ति के 78 वर्ष बीत गए आज हम अपनी आजादी बनाने जा रहे हैं तो गंभीर आत्मवलोकन और निष्पक्ष विवेचना करनी है कि इन वर्षों में हमने लोकतांत्रिक भारत में क्या खाया और क्या पाया है 

इतना तो निश्चित है कि 1947 में भारत की स्थिति बहुत ही दयनीय और शोचनीय थी क्योंकि भारत लगातार 800 वर्षों तक तुर्क मुगलों द्वारा और 190 वर्ष अंग्रेजों के द्वारा लूटा गया था देश का सब कुछ लूट कर बाहर चला गया था केवल गिनती के राजनेताओं बड़े अधिकारियों और दलाल लोगों और सेठ साहूकारों उद्योगपतियों के पास ही धन बचा था देश की 99% जनता नंगी भूखी थी इसी बीच पाकिस्तान से बिगड़े संबंध के कारण 1948 में पाकिस्तान से युद्ध भी लड़ना पड़ा उधर गांधी जी द्वारा भी काफी धन दौलत जबरदस्ती पाकिस्तान को दिल देने से स्थिति और भी भयानक हो गई थी देश की इच्छा और जनमत के विरुद्ध सरदार पटेल की जगह नेहरू को जबरदस्ती प्रधानमंत्री बनाए जाने से और लॉर्ड माउंटबेटन से आजादी के बाद भी वायसराय बने रहने से देश की स्थितियां और भी दानी हो गई थी 

कालांतर में धीरे-धीरे देश का विकास शुरू हुआ उद्योग धंधे और नदियों पर बंद बढ़ने से और परमाणु रिएक्टर स्थापित होने से आर्थिक स्थिति में सुधार होना शुरू हुआ लेकिन नेहरू की अति महत्वाकांक्षा और राजनीतिक एवं कूटनीतिक विफलता के कारण और डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद से उनका पूरी तरह मतभेद होने के कारण सारी प्रगति बेईमानी हो गई विश्व मंच पर नेहरू की भीषण असफलता के बीच चीन ने भारत पर भीषण आक्रमण किया और उसे बुरी तरह पराजित किया और लाखों वर्ग किलोमीटर भूभाग छीन लिया तिब्बत के दलाई लामा को जबरदस्ती शरण देने और तिब्बत को चीन के अधिकार में मान लेने और भारत का वीटो पावर चीन को सौंप देने से इतना गहरा झटका लगा जिससे भारत अभी भी सुधर नहीं पाया और इसी भीषण अपमान के चलते नेहरू का देहासान भी हो गया

नेहरू की नीतियां पूरे विश्व के लिए बहुत ही मूर्खतापूर्ण थी कैलाश मानसरोवर जैसे पवित्र स्थान अक्षय चीन भारत के कब्जे से निकल जाने से और गिलगित-बाल्टिस्तान मुजफ्फराबाद पाकिस्तान के जीत लेने से भारत जो रस से लगभग सटा हुआ था अब रस से बहुत दूर हो गया और उसे पर पाकिस्तान और चीन का नियंत्रण हो गया भारत रत्न स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री जी ने देश को काफी हद तक संभाला लेकिन बहुत बड़े विश्वास घात और षड्यंत्र के चलते विदेशी इशारों पर उन्हें ताशकंद में समझौता के कालखंड में मार दिया गया और नेताजी सुभाष चंद्र बोस की तरह आज तक उनका रहस्य यस का तस बना हुआ है 

इसके बाद इंदिरा गांधी की विवादास्पद नीतियां लोकतंत्र का काला अध्याय आपातकाल लागू हुआ न्यायपालिका की दुर्गति हुई देश के मुकदमे करोड़ की संख्या में चारों ओर हाहाकार मच गया इसके बाद मिली-जुली सरकारों का दौर चल फिर कांग्रेस और भाजपा के बीच रास्ता काशी और नूर कश्ती होते-होते 2014 में पहली बार मोदी जी के नेतृत्व में भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी जो आज भी चल रही है फिर भी देश में कोई बहुत कुछ उल्लेखनीय सुधार नहीं हुआ 

फिर भी कुछ क्षेत्रों में भारत में विश्व स्तरीय प्रगट किया जिसमें परमाणु भौतिकी रक्षा अनुसंधान विमान क्षेत्र और अंतरिक्ष विज्ञान कैसे भाग आते हैं कृषि उत्पादन में भी अभूतपूर्व वृद्धि हुई और भारत चीन के बाद विश्व का दूसरा सबसे बड़ा खाद्यान्न उत्पादक देश है दुग्ध क्रांति के फल स्वरुप भारत दूध में पहला और चीनी उत्पादन में भी पहला स्थान रखता है इसके अलावा धान गेहूं पटसन और झूठ लोहा इस्पात जैसे क्षेत्रों में भी अभूतपूर्व प्रगति हुई लेकिन इस कालखंड में फिर से सियाचिन 1971 का भारत-पाकिस्तान का युद्ध कारगिल और गलवान घाटी एवं कश्मीर फर्क आतंकवादियों के लगातार आक्रमण से देश को भारी क्षति हुई जिसका असर यहां की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ा 


इसके अलावा खेलों में भारत की स्थिति बहुत ही खराब रही भारत कभी भी ओलंपिक खेलों में सर्वश्रेष्ठ किस स्थान तक भी नहीं पहुंच सका जबकि चीन जैसे स्थान जो 1948 तक भारत से बहुत पीछे थे 1970 के दशक से अभूतपूर्व प्रगति करते हुए अर्थ वित्त खेल सहित हर क्षेत्र में आज पहले स्थान पर पहुंच गए भारत कभी भी ओलंपिक खेलों में एक से अधिक स्वर्ण पदक एक साथ नहीं जीत पाया इससे अधिक दुर्भाग्य और क्या हो सकता है कुछ भारतीय खिलाड़ियों ने व्यक्तिगत स्तर पर कालखंड में पूरे विश्व में अपना जादू बिखर और सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी बने में सुनील गावस्कर सचिन तेंदुलकर कपिल देव रोहित शर्मा विराट कोहली कुंवर दिग्विजय सिंह बाबू अशोक कुमार विश्वनाथन आनंद साइना नेहवाल पीवी सिंधु मैरी कॉम अभिनव बिंद्रा नीरज चोपड़ा सुशील कुमार जैसे गिने चुने नाम शामिल हैं और सबसे दुखद बात यह कि आज तक भारत को ओलंपिक खेलों के आयोजन करने योग्य भी नहीं समझ गया

भारत की सरकार और बुद्धिजीवी लोगों तथा तमाम मीडिया के लोगों को बातों को बढ़ा चढ़ा कर खाने की आदत पड़ गई है जैसे अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत ने अभूतपूर्व प्रकट किया है लेकिन आज भी वह अमेरिका चीन और रूस से बहुत पीछे है यह तीनों देश अपने-अपने अंतरिक्ष स्टेशन बन चुके हैं चांद पर पहुंच चुके हैं जब भारत अपना मानव चंद्रमा पर उतार देगा तब वह 1969 में अमेरिका की बराबरी करेगा इस सच को छिपा कर भारत के चंद्रयान मिशन को बहुत बड़ा चढ़ा कर दिखाया जाता है फिर भी चंद्रयान और मंगल अभियान उच्च कोटि के अभियान रहे 

आज 78 वर्षों में भी देश भ्रष्टाचार बेरोजगारी महंगाई सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों तथा सरकारी तंत्रों की संवेदनहीनता लाल पिता शाही भ्रष्टाचार और घूसखोरी से बुरी तरह जूझ रहाहै देश का अपार काला धन और करोड़ों घुसपैठिए देश की अर्थव्यवस्था खोखला करने के लिए काफी है बढ़ती हुई जनसंख्या विशेष कर मुस्लिम जनसंख्या देश की सारी प्रगति और उपलब्धियां को फीका करके उसे धरातल पर ला देती है यदि 5 करोड़ के लिए 10 वर्षों में सुविधाएं जुटा जाती हैं तो 10 करोड लोग पैदा हो जाते हैं इसलिए सब कुछ और भी विकेट और भयानक हो जाता है निश्चित रूप से बिजली पानी और सड़क क्षेत्र में बहुत अधिक प्रगति हुई है लेकिन बिजली चोरी और सड़क पर भीषण दुर्घटनाएं बहुत ही भीषण चिंता का विषय है रेल हवाई जहाज और सड़क दुर्घटनाओं में भारत के सबसे अधिक लोग मरते हैं यही हाल रोग बीमारियों के और सांपों के काटे जाने को लेकरभी हैं 

लोकतंत्र का सजक प्रहरी प्रेस मीडिया बहुत लाचार और विवश है कुछ विनय चुने सरकारी सुविधा प्राप्त प्रिंट इलेक्ट्रानिक मीडिया को छोड़ दिया जाए तो बाकी स्थितियां बहुत ही खराब है मध्यम और जनपद स्तर के समाचार पत्रों को बहुत अधिक संघर्ष करना पड़ता है और सच छापने की बहुत भारी कीमत उनको चुकानी पड़ती है विज्ञापन और सुविधाओं के लिए सरकार पर निर्भर यह तंत्र शकर भी सरकार की और अधिकारियों की आलोचना और बुराई एक सीमित दायरे से अधिक जाकर नहीं कर सकता है पुलिस की हालत तो इतनी खराब है की अधिकांश भारतीयों का विश्वास ही पुलिस से उठ चुका है और रात में कोई अपनी महिलाओं लड़कियों को थाने में भेजने में हजार बार सोचता है न्यायपालिका की स्थिति भी बहुत खराब है 5 करोड़ से अधिक मुकदमे लंबित है जो स्थिति को भयानक रूप में प्रदर्शित करते हैं अगर 100 वर्ष इसी गति से सब कुछ चलता रहे तो भी मुकदमों का निस्तारण नहीं हो पाएगा लगभग हर सरकारी विभागों की यही हालत है कहीं भी पत्रावली बिना लेनदेन के आगे नहीं बढ़ती है 

कुछ चीजों को बहुत बड़ा चढ़ा कर कहा जाता है जैसे कि भारत विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है बात बिल्कुल सही है लेकिन यह भी देखना होगा कि विश्व की सर्वश्रेष्ठ 10 अर्थव्यवस्था में तीसरे स्थान से लेकर दसवें स्थान तक की अर्थव्यवस्था में बहुत मामूली अंतर है उसमें भी तीसरे चौथे पास में और छठे स्थान में नाम मात्र का अंतर है अगर भारत तीसरे स्थान पर भी पहुंच जाता है तो इसमें कोई बहुत बड़ी आश्चर्य की बात नहीं है क्योंकि कोई भी सरकार रहेगी तीसरे स्थान तक भारत का 5 वर्ष में पहुंच जाना निश्चित है लेकिन भारत की असली अर्थव्यवस्था की तुलना चीन और अमेरिका से है जो भारत से चार से लेकर 6 गुना अधिक है तब समझ में आता है कि अभी हम बहुत पीछे हैं भारतीय राजनेता इतनी चालाक है कि वह हमेशा पाकिस्तान से तुलना करके भारत की श्रेष्ठ दिखाते हैं बगल में चीन की कभी तुलना नहीं करते हैं जो भारत के लिए असली और सबसे बड़ा खतरा है किसी भी जगह चले जाइए सब जगह भ्रष्टाचार बेईमानी ल घूसखोरी भ्रष्टाचार का अड्डा है चाहे पुलिस हो रेल विभाग हो परिवहन विभाग हो रजिस्ट्री विभाग हो बिजली विभाग हो हर जगह यही हालत है देश के लोगों को गलत दिशा में मोड जा रहा है सरकार समर्थक लोग चीन और अमेरिका के सामानों का बहिष्कार करने की बात करते हैं जबकि उनके घर लगभग सारे सामान चीन और अमेरिका द्वारा बने हैं यह कभी नहीं प्रयास किया जाता कि हम चीन अमेरिका से अच्छे सामान उनसे सस्ती दर्पण बनाने का प्रयास करें 

इस प्रकार निष्पक्ष रूप से यह कहा जा सकता है कि भारत में स्वतंत्रता के बाद 78 वर्षों में बहुत भारी प्रगट किया है लेकिनअगर रूस और अमेरिका से तुलना करके देखा जाए तो हम अर्थव्यवस्था खेल अंतरिक्ष शक्ति में उनसे बहुत-बहुत पीछे हैं इसी प्रकार प्रति व्यक्ति आमदनी में भारत विश्व के 100 सर्वश्रेष्ठ देशों में भी नहीं है न्याय व्यवस्था बिजली पानी सड़क की उत्तम व्यवस्था और रेलगाड़िया की रफ्तार प्रेस की स्वतंत्रता के मन में भी भारत की स्थिति बहुत सोचनी है विश्व में कूटनीति और राजनीति के क्षेत्र में भी भारत बहुत पीछे है इसी तरह उच्चतर शोध अच्छे विश्वविद्यालय अच्छे समाचार पत्रों के मन में भी भारत की स्थिति बहुत ही खराब है गंदगी प्रदूषण और हरियाली को लेकर तो भारत की स्थिति चिंता से भी चिंतनीय है स्थितियां इतनी खराब है कि लोगों की यात्रा के लिए आरक्षित टिकट का मिल पाना गंगा स्नान के बराबर है यही देश की वास्तविक स्थिति है और ट्रेनों में यात्रा करने वाले कोई भी सुरक्षित नहीं है जंजीर से बांधकर रखा गया शौचालय का मग्गा इसका प्रमाण है फिर भी देश आगे बढ़ रहा है अगर कोई सच्चा राष्ट्रभक्त व्यक्ति आ जाएगा तो उसी दिन से भारत बिल्कुल सही दिशा में सोने की चिड़िया और जगतगुरु हो सकता है

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