द्रौपदी जी के द्वारा भगवान कृष्ण को राखी बांधने का प्रसंग विश्व विख्यात है ही जब शिशुपाल के बाद के समय उनकी अंगुली में सुदर्शन चक्र से चोट लग गई तो द्रौपदी ने तत्काल अपनी साड़ी फाड़ कर भगवान कृष्ण को बंद दिया था जिसका मूल्य उन्होंने चीर हरण में चुकाया महाभारत में अनेक लोगों के द्वारा राखी बांधने का वर्णन मिलता है राजा महाराजा सामान्य जनता सभी रक्षाबंधन बड़े ही उत्साह से मनाते हैं इस दिन पुरोहित घर-घर जाकर अपने यजमानों को राखी बंद कर बदले में अन्य धन वस्त्र प्राप्त करते हैं यद्यपि यह प्रथा अब धीरे-धीरे लुप्त हो रही हैं इसी दिन शिष्य अपने गुरुजनों को भी राखी बांधते हैं वैसे रानी करमती द्वारा हुमायूं को राखी बांधने की कथा आती है लेकिन यह सही नहीं है क्योंकि हुमायूं रानी कर्मावती की रक्षा करने के स्थान पर बहादुर शाह से मिल गया और मेवाड़ का बुरी तरह से पतन हो गया और 30000 रानियां को कर्मावती के साथ जौहर करना पड़ा था।
Tuesday, 12 August 2025
रक्षाबंधन का अगला वर्णन इंद्र की परम सती पत्नी सच्ची के द्वारा इंद्र को राखी बांधने से प्राप्त होता है जब देवराज इंद्र और देवता राक्षसों से हार रहे थे तब देवगुरु बृहस्पति के निर्देश पर मित्रों से पूरी रेशम के रक्षाबंधन को देवी सचिन ने इंद्र की कलाई पर बांधा था जिससे देवताओं की विजय हुई और राक्षस हार गए
रक्षाबंधन का अगला वर्णन इंद्र की परम सती पत्नी सच्ची के द्वारा इंद्र को राखी बांधने से प्राप्त होता है जब देवराज इंद्र और देवता राक्षसों से हार रहे थे तब देवगुरु बृहस्पति के निर्देश पर मित्रों से पूरी रेशम के रक्षाबंधन को देवी सचिन ने इंद्र की कलाई पर बांधा था जिससे देवताओं की विजय हुई और राक्षस हार गए
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