त्रेता युग में उत्पन्न हुए भगवान श्री राम धरती पर मानव सभ्यता के आदर्श गुना और मर्यादा के सर्वोच्च प्रतिमान है स्वर्ग और बैकुंठ से भी पावन धरती अयोध्या में सम्राट दशरथ के घर माता कौशल्या के पुत्र रूप में अपने भाइयों लक्ष्मण भरत शत्रुघ्न के साथ जन्म लेकर उन्होंने संपूर्ण राक्षसी और शैतानी शक्तियों का पूर्ण विनाश कर दिया और राम राज्य की स्थापना किया जो धरती पर आज भी सर्वश्रेष्ठ शासन का प्रतीक मांगा जाता है कहा जाता है मांगे वारिद देहीं जल रामचंद्र के राज । भगवान श्री राम की महान यश गाथा को वर्णित करके ही आदि कवि वाल्मीकि एक डाकू से ब्रह्म ऋषि बन गए उन्होंने भगवान श्री राम का वर्णन करते हुए लिखा है - समुद्रे इव गांभीर्ये स्थर्ये च हिमवान इव।
कालाग्नि समं क्रोधे क्षमया पृथ्वी समं।
इसी से भगवान श्री राम के सर्वोच्च महत्व समझ में आ सकती हैं की इच्छा को वश में उत्पन्न हुए भगवान श्री राम नियत आत्मा महावीर्यवान और समुद्र के समान गंभीर हिमालय पर्वत के समान दृढ़ और स्थिर कालग्नि के समान क्रोध रखने वाले और पृथ्वी के समान क्षमाशील थे।
आज कलयुग में बहुत कुछ वैसा ही वातावरण है जैसा भगवान श्री राम के जन्म के समय त्रेता युग में आज से 17 लाख वर्ष पहले था सारी धरती राक्षसी और शैतानी शक्तियों रावण कुंभकरण कर दूषण जैसे आतंकी दुराचारी लोगों से कहां पर रही थी तीनों लोकों पर आतताई लोगों का आधिपत्य था। ऐसे में धरती माता विलाप करते हुए भगवान श्री हरि विष्णु के पास समस्त विश्व के केंद्र में स्थित चीयर सागर में भगवान श्री हरि विष्णु के पास सभी ऋषि मुनि और देवताओं के साथ गई तो भगवान विष्णु ने सबको अभय दान देते हुए शीघ्र ही अपनी शक्तियों के साथ धरा पर अवतरण होने का वचन दिया इस तरह उन्होंने जय विजय राजाभानु प्रताप को दिए गए ऋषियों का श्राप मनु और शतरूपा के तपस्या को सफल करने और नारद जी के श्राप को और अन्य भक्तों के कल्याण के लिए सम्राट दशरथ के घर माता कौशल्या के पुत्र रूप में जन्म लिया
शीघ्र ही अपने भाइयों के साथ संपूर्ण अस्त्र-शस्त्र और शास्त्र विद्या में पारंगत होकर गुरुकुल गए और मात्र 15 वर्ष की अल्पायु में पूरे ब्रह्मांड के सर्वश्रेष्ठ ब्रह्म ऋषि विश्वामित्र के साथ जब तप ध्यान योग सभी अस्त्र शस्त्रों दिव्यास्त्र का गहन अध्ययन किया भूख प्यास पर विजय पाने की विद्या सीखी और । उसके तत्काल बाद ही ताड़का का वध कर मारीच और सुबाहु को कठिन दंड दिया। फिर दुराचारी लंपट और सत्ता के मद में चूर इंद्र के द्वारा पतित अहिल्या का उद्धार करते हुए धरती के समस्त चक्रवर्ती राजाओं की उपस्थिति में भगवान शिव के धनुष को तोड़कर अपनी ही शक्ति स्वरूपा भगवती सीता को प्राप्त किया और अयोध्या में कुछ समय के बाद राक्षसी और शैतानी शक्तियों के विनाश के लिए मां का के की मति को भ्रष्ट कर 14 वर्ष का वनवास मांग कर लक्ष्मण और सीता जी के साथ वन में निकल गए।
उसे समय भारत का 95 प्रतिशत भाग हरियाली और वनों से ढका हुआ था उसमें भी प्रयागराज से चित्रकूट और संपूर्ण बिहार से पूर्वोत्तर भारत बंगाल उड़ीसा महाराष्ट्र गुजरात कर्नाटक आंध्र प्रदेश तेलंगाना केरल तमिलनाडु भयंकर जंगलों से ढका हुआ था जहां बड़े-बड़े महान ऋषि मुनि तपस्वी ब्रह्म ऋषि रावण के अत्याचार के बाद भी सुरक्षित रखकर ज्ञान और सनातन धर्म की ज्योति जगाए हुए थे
वहां पर ऋषि मुनि साधु संतों और सामान्य जन का हड्डियों का पहाड़ देखकर भगवान श्री राम ने धरती को आसुरी शक्तियों से रहित कर लेने का भी भयंकर प्रण किया और ब्रह्म ऋषि अत्रि भारद्वाज परम तेजस्वी अगस्त ऋषि महानतम सती अनसूया से भेंट करते हुए उनसे शिक्षा और शास्त्र लिया शबरी के झूठे बेर खाए और सभी ऋषि मुनि साधु संतों को परम गति प्रदान करते हुए पहले चित्रकूट फिर दंडकारण और फिर पंचवटी में पहुंचे इसी क्रम में उन्होंने विराट खरदूषण त्रिश्रा जैसे तीनों लोकों के विजेता राक्षसों को मार गिराया और शूर्पणखा के नाक कान काट लिए क्योंकि वह किसी भी कोड से स्त्री होने योग्य नहीं थी असली और दिव्या सीता मां को अग्नि में समाहित करके उनकी छाया सीता रखा
कालांतर में कल प्रेषित लंपट्ट और दुराचारी रावण मैरिज की सहायता से देश बदलकर देवी सीता का अपहरण किया और उनके फेके आभूषण के सहारे ऋष्मूक किष्किंधा पहुंचे जो वर्तमान में कर्नाटक प्रदेश में है और जहां विशाल पंप पर सरोवर और नदी बहती थी वहां पर उसे समय धरती के सबसे शक्तिशाली पुरुष बाली को जिसने रावण को भी बुरी तरह पराजित किया था भगवान श्री राम ने मार कर उसका राज सुग्रीव को दिया और फिर वानर भालू और अन्य मानव प्रजातियां इकट्ठा करके सारे संसार में बसा कर हनुमान जी के द्वारा माता सीता का पता लगाया दुनिया में इंजीनियरिंग का सबसे चमत्कार पूर्ण अद्भुत काम करते हुए भारत से श्रीलंका तक समुद्र सेतु रामसेतु का निर्माण किया रामेश्वरम में शिवलिंग की स्थापना किया और श्रीलंका को घेर लिया
तीनों लोगों का विजेता रावण अपने अहंकार और दुराचारी में इतना पागल हो चुका था कि उसने अपने भाई मामा नाना किसी की एक नहीं सुनी और धरती पर स्त्रियों को उनकी इच्छा के विरुद्ध बलात्कार करने वाले रावण को अंत में भगवान श्री राम ने लक्ष्मण सुग्रीव हनुमान अंगद नल नील जामवंत जैसे परम वीरों की सहायता से अक्षय कुमार मेघनाथ कुंभकरण और सभी राक्षसों और सुना को मार गिराया श्रीलंका का राज पाट विभीषण को सौंप दिया और पुष्पक विमान से परम प्रिय निषाद राज केवट से मिलकर अपनी परम पावन भूमि अयोध्या लौट आए
जिस दिन भगवान श्री राम ने लंका पर विजय प्राप्त की थी वही विजयदशमी का दिन था और जब वह अयोध्या पहुंचे तब दीपावली का दिन था भगवान श्री राम ने नौ दिनों तक आदिशक्ति दुर्गा मां की आराधना की जो भगवती पार्वती का ही एक रूप है 9 दिन अनवरत उनकी पूजा पाठ करने के बाद भगवान शिव और भगवती माता पार्वती के आशीर्वाद से दशहरा के दिन रावण को मार गिराया और सारी व्यवस्था करके अयोध्या लौटे तो अयोध्या के साथ संपूर्ण भारतवर्ष में दीपावली मनाई गई यही विजयदशमी पर्व के मानने का दिन और कारण है और भगवान श्री राम ने बिल्कुल असंदिग्ध रूप से सिद्ध कियाकी देश धर्म सभ्यता की रक्षा अस्त्र-शस्त्र बाहुबली और बुद्धि से होती है अहिंसा से नहीं और जब-जब भारत ने अस्त्र-शस्त्र और बाहुबल छोड़कर अहिंसा पर अमल किया तब तक भारत गुलाम होता चला गया आज देश कहने के लिए स्वतंत्र है लेकिन शिक्षा प्रथा परंपरा भोजन खान-पान में वह मुस्लिम और ईसाई बन चुका है जिससे दूर होना ही वर्तमान भारत की सबसे बड़ी चुनौती है।
इस प्रकार विजयादशमी सबसे बड़ा पर्व है और भगवान श्री राम संपूर्ण मानवता की सर्वोच्च उपलब्धि हैं दुनिया की हर भाषा में राम कथा लिखी गई भारत की हर भाषा में राम कथा लिखी गई राम कथा कहने और गाने वाले हर भाषा संस्कृति सभ्यता के लोग अमर हो गए चाहे वह गोस्वामी तुलसीदास ब्रह्म ऋषि वाल्मीकि वेदव्यास रहे हो या कंबन ऋषि या बाबा कामिल बुल्के रहे हो दुनिया में सबसे ज्यादा बोला जाने वाला नाम भी राम है और सबसे ज्यादा अभिवादन किया जाने वाला शब्द भी राम है दुनिया में जो कुछ भी सर्वश्रेष्ठ मर्यादित और सृजनात्मक है वह सभी भगवान श्री राम में सर्वोच्च रूप में उपस्थित है अपने प्रजा और मानवता की रक्षा के लिए भगवान श्री राम ने अपने से भी अधिक प्रिय अपनी शक्ति स्वरूपा भगवती सीता को भी त्याग दिया लक्ष्मण को भी त्याग दिया जिसको कोई सोच भी नहीं सकता करना तो बहुत दूर की बात है सोने की जी लंका को रावण के भयंकर तपस्या के बाद भगवान शिव ने बहुत आनंदित होकर प्रदान किया वहीं श्रीलंका श्री राम ने विभीषण को बहुत संकोच के साथ प्रदान किया चाहे कृष्ण कहो या राम।
हरि अनंत हरि कथा अनंत भगवान श्री राम की कथा वास्तव में अनंत है नाना भांति राम अवतारा रामायण सात कोटि अपारा । जितने संत महंत भगवान श्री राम का नाम लेकर हुए जितना साहित्य भगवान श्री राम पर लिखा गया जितने लोगों ने उन पर काव्य महाकाव्य लिखे और सारी दुनिया में आज भी करोड़ों लोग श्री राम का नाम और राम कथा लेकर जीवित हैं भगवान श्री राम का नाम लेकर ही लाखों वर्षों से सनातन धर्म के महायोद्दाओं ने संघर्ष करके भारत देश और सनातन धर्म को जीवित रखा जय श्री राम का उद्घोष हमारे अंदर शक्ति सेल सौंदर्य साहस स्नेहा को भर देता है एक बात और है कि जहां-जहां भगवान श्री राम गए द्वापर युग में भगवान श्री कृष्णा वहां न जाकर बचे हुए भारत को पवित्र और शैतानी शक्तियों से रहित किये तो केवल यही कहा जा सकता है -
** जग में अब तक जो भी आया
भगवान राम सर्वोत्तम है ।
उनका प्यारा न्यारा जीवन
आदर्श और अति उत्तम है ।
आओ हम सब मिलकर के
भगवान राम को नमन करें ।
करके अनुसरण जगतपति का
अपने जीवन को धन्य करें।
No comments:
Post a Comment