पितृपक्ष बीत गया 9 दिन की परम पावन नवरात्रि बीत गई और कल पूर्णिमा की पवित्र तिथि भी बीत गई तब जाकर देवी अन्नपूर्णा की कृपा से भोजन का सौभाग्य प्राप्त हुआ और भोजन भी इतना सुंदर की सब्जी रोटी सरसों का साग चावल और परम पवित्र खीर सलाद एवं छौंकी हुई दाल साथ में नींबू और अचार के क्या कहने और बिस्तर के बजाय चौकी पर बैठकर भोजन करना आनंद ही आनंद है
जिसके घर की गृह लक्ष्मी इतनी सुंदर भोजन बना कर देगी वह तो भोजन खाकर भजन ही करेगा और बाहर क्यों मुंह मारेगा और जो स्त्री खुद सड़क छाप होकर सड़क के ठेले पर खुद खाएगी उसका पति और घर वाले तो जगह-जगह मुंह मारेंगे ही बातें कड़वी है मगर सच है और ऐसा करने से घर का पैसा भी बर्बाद होता है जीभ भी खराब होती है गंदा और अपवित्र भोजन भी पेट में जाता है और जीवन भर दवाई का क्रम चलता रहता है डॉ दिलीप कुमार सिंह
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