: सुशील शिंदे ने आज वीडियो कॉल करके अन्ना हजारे को बधाई दिया इसका अर्थ समझते हैं यह राजनेताओं अधिकारियों का एक खुला खेल है जो जनता को मूर्ख बनाने के लिए खेला जाता है
इसी प्रकार आपने देखा होगा कि कभी कोई नेता किसी के पैर धोता है कोई किसी के यहां भोजन करता है तो कोई पहाड़ पर कोई विमान में कोई समुद्र के अंदर होली दीपावली दशहरा ईद बकरीद मनाता है
यह सभी जनता का ध्यान भटकाने के लिए और मूर्ख बनाने के लिए किया जाता है और मूर्ख जनता आसानी से इस बहकावे में आ जाती है
कभी-कभी आपने देखा होगा कि सादे कपड़ों में अधिकारी जांच करने आधी रात को निकल जाते हैं तो यहां पर उनके चेले और चापलूस मीडिया के साथ पहले से ही कैमरा लेकर तैयार रहते हैं और हाईलाइट हो जाता है नहीं तो सोचो आधी रात में प्रेस मीडिया इन स्थानों पर कैसे पहुंच जाती है और इतनी सब चेकिंग के बाद भी कहीं कुछ भी कमी नहीं होती है ना अपराध कम होते हैं और न जनता की समस्याएं कम होतीहै
एक उदाहरण बता रहा हूं हर जिले की जेल में महीने में 3से4 बार जिला जज एसपी और डीएम निरीक्षण करते हैं जेल के ऊपरी अधिकारी सांसद विधायक मंत्री और जेल मंत्री अलग से जांच करते रहते हैं और कभी भी आपत्तिजनक सामान आज तक नहीं मिलता और जेल में ऐसा कुछ नहीं है जो ना होता हो जो अनगिनत बार छिपाने के बाद भी प्रकाश में आ चुका है तो बताओ ऐसी जांच का क्या अर्थ है जांच का अर्थ यही है की लूट के पैसे सबको ऊपर नीचे बराबर मिलते रहे
इसी तरह आपने देखा कि 1001से 1500 अतिरिक्त ट्रेनें चलाई जा रही है लेकिन कहीं से कोई राहत नहीं है कहीं का टिकट उपलब्ध नहीं है और स्पेशल ट्रेनों में यात्रा करेंगे तो इतना पछताएंगे की जीवन में दोबारा कभी स्पेशल ट्रेन में यात्रा नहीं करेंगे 24 घंटे की यात्रा 40 से 50 घंटे में पूरी होगी और अंत में हेल होगी की ट्रेन में ना पानी रहेगा ना शौच करने के लिए टोटी में जल ही बचेगा और कोई सुनने वाला भी नहीं होगा
और सबसे बड़ी बात यह है कि सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों मिली मार और नूरा कुश्ती के तहत तहत यह सब नौटंकी करते हैं जैसे आज विश्व कुश्ती में हो रहा है और जैसे खेलों में हो रहा है कभी सड़क पर गाय काट कर खा जाते हैं तो कभी राहुल और अखिलेश और तेजस्वी मछली खाते हैं तो कभी मोदी जी युद्धपोत पर दिवाली मनाते हैं तो कोई पैर धोकर पानी पी लेता है
एक दलित गरीब अनुसूचित जाति जनजाति अपने ही जात बिरादरी के लोगों को अपने साथ एक खाली में खाने बुलाए देख लो कोई नेता नहीं आएगा बाकी नेताओं की तो बात ही क्या है ।
कुल मिलाकर मूर्ख बनाने वाली जनता हमेशा मुर्ख बनती रहेगी और उसका कल्याण नहीं होगा होना भी नहीं चाहिए क्योंकि जितने ईमानदार अधिकारी नेता कर्मचारी होते हैं और जनता के लिए कुछ करना चाहते हैंउनकी पीड़ा सुनने वाला कोई नहीं होता वह हर तरह से परेशान किए जाते हैं अंत में निलंबित करके पदमुक्त भी कर देते हैं और जब यह लोग जनता के बीच चुनाव लड़ते हैं तो जनता उन्हें हरा देती है ।
कुछ उदाहरण सामने है अशोक खेमका भूरेलाल विनोद पांडे नीरा यादव यशवंत सिंह युवी सिंह जैसे और शैलेंद्र सिंह जैसे युवा अधिकारी के साथ क्या हुआ और जब यह लोग चुनाव लड़े तो जनता ने क्या किया ।
कुल मिलाकर जनता जिस लायक है वैसा भोग रही है और राजनेता सत्ता पक्ष विपक्ष एक साथ मिलकर यह पूरा प्रयास करता है कि जनता जागरूक न हो इसलिए उसे जाति धर्म के झगड़ों में उलझा कर रखो और जनता उलझ कर रह जाती है इसलिए जब कोई चुनाव आता है तो महंगाई बेरोजगारी भ्रष्टाचार संवेदनहीनता लालफीता शाही सड़क बिजली पानी पर कोई भी प्रतिक्रिया नहीं करता है सब जगह जाति धर्म का बोलबाला हो जाता है और जनता सूरज सुंदरी कपड़े साड़ी पर निकला लक्ष्मी 5 साल की चिंता 5 दिन में भूल जाती है इसलिए आदेश सुधारने वाला नहीं है यहां जहाज भी चैलेंज बुलेट ट्रेन भी चलेगी अमेरिका यूरोप की तरह माल भी खुलेंगे लेकिन इसका फायदा केवल सांसद विधायक मंत्री प्रधानमंत्री राष्ट्रपति बड़े-बड़े अधिकारी और उनके साथ जुटे चापलूस चालबाज मक्खन बज दलाल चमचे 420 लोग माफिया और धन कुबेर ही ले पाएंगे जनता के हाथ में कुछ आया था ना आया है और ना आएगा यही अंतिम सच है जिसे लिखने का साहस कोई नहीं कर सकता और मीडिया भी राजनेताओं अधिकारियों के खेल में शामिल रहती है या उसकी व्यवस्था भी होती है अन्यथा उनको भी तहस-नस कर दिया जाएगा कुछ लोगों ने प्रयास किया था जिनके अंत बड़ा बड़ा हुआ
[10/22, 8:03 AM] Dr Dileep Kumar singh: कल धूमनगंज में खुली सड़क पर भा्री भीड़ में एक बस के ड्राइवर को वर्ग विशेष के लोगों ने ईंट पत्थर से मार कर कुचलकर हत्या कर दी लेकिन प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया बुद्धिजीवी और सरकार में हिम्मत नहीं है कि उसे वर्ग विशेष का नाम और उनके लोगों का नाम सार्वजनिक करें
धनतेरस और दीपावली के अवसर पर देश में 505 000 करोड़ रूपों की खरीदारी की गई है ऐसा सरकार का दावा है
लेकिन सरकार यह नहीं बता रही है कि इसमें से 95% खरीदारी केवल 5% लोगों के द्वारा की गई है जिसमें राजनेता अधिकारी माफिया धन कुबेर और दलाल शामिल हैं
बाकी 95% जनता के द्वारा केवल पांच प्रतिशत खरीदारी की गई है और हर जगह देश की यही स्थिति है और आगे भी यही रहेगी इसीलिए जनता कहती है कि कोई भी राजा हो हमसे क्या मतलब
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