पारिजात वृक्ष दुनिया का सबसे दुर्लभ वृक्ष है जो पहले केवल स्वर्ग में ही पाया जाता था इस वृक्ष को हरसिंगार या कल्पवृक्ष भी कहते हैं और यह समस्त मानव इच्छाओं को पूरा करने वाला अद्भुत कल्पना से पैर एवं अति दुर्लभ वृक्ष हैसबसे अप्रत्याशित स्थानों में एक दुर्लभ वृक्ष है। यह स्वर्ग में देवराज इंद्र के बगीचे में उगता था और इसको छूने का अधिकार केवल ब्रह्मांड सुंदरी#उर्वशी#और इंद्र को था,,,
कल्पवृक्ष की उत्पत्ति कहां से और कैसे हुई
कल्पवृक्ष समुद्र मंथन के समय निकले बहुमूल्य रत्नों में एक ये वृक्ष भी था,, #पारिजात नाम है इसका,,इसे ही #कल्पवृक्ष भी कहा गया है,, इसको हरसिंगार भी कहते हैं और यह अत्यंत ही सुंदर मधुर सुगंध वाला वृक्ष होता है यह गजरात एरावत के साथ-साथ देवताओं के राजा इंद्र को समुद्र मंथन से प्राप्त बंटवारे के अनुसार दिया गया
पारिजात वृक्ष के गुणधर्म
पूरी रात सुगंधि बिखेरता पारिजात वृक्ष का अति सुंदर सुगंधित पुष्प,भोर होते ही अपने सभी फूल पृथ्वी पर बिखेर देता है!अलौकिक सुगंध से सराबोर इसका पुष्प केवल मन को ही प्रसन्न नहीं करता,अपितु तन को भी शक्ति देता है ! एक कप गर्म पानी में इसका फूल डालकर पियें,अद्भूत ताजगी मिलेगी... इसकी सुगंध से दिग दिगंत आलोकित हो जाते हैं और अनुपम तक की छा जाती है यह एक महान औषधीय पौधा भी है.
पश्चिम बंगाल का राजकीय पुष्प है पारिजात वृक्ष धरती पर कैसे आया
⚜️इंद्र के बगीचे में स्थित इस वृक्ष को सिर्फ उर्वशी को छूने का अधिकार था,,, इसके नीचे बैठने, या छूने मात्र से थकान दूर हो जाती है और नई ऊर्जा का संचार होता है। स्वर्ग में इसको छूने से देव नर्तकी उर्वषी की थकान मिट जाती थी,पारिजात नाम के इस वृक्ष के अद्भुत असाधारण सुगंधित फूलों को देव मुनि नारद ने श्रीकृष्ण की पत्नी सत्यभामा को दिया था,इन अद्भुत फूलों को पाकर सत्यभामा अद्भुत आश्चर्य में पड़ गई भगवान श्रीकृष्ण से जिद कर बैठी कि पारिजात वृक्ष को स्वर्ग से लाकर उनकी वाटिका में रोपित किया जाए! श्री कृष्ण भगवान ने बहुत समझाया लेकिन सत्यभामा बिल्कुल नहीं मानी
अंत में भगवान श्री कृष्णा स्वर्ग से पारिजात धरती पर ले आए
सत्यभामा की जिद पूरी करने के लिए जब श्री कृष्ण ने पारिजात वृक्ष लाने के लिए नारद मुनि को स्वर्ग लोक भेजा तो इन्द्र ने श्री कृष्ण के प्रस्ताव को ठुकरा दिया और पारिजात देने से मना कर दिया,जिस पर भगवान श्री कृष्ण ने गरूड पर सवार होकर स्वर्ग लोक पर आक्रमण कर दिया एक भयंकर युद्ध के बाद समस्त देवता पराजित हुए और भगवान श्री कृष्ण से क्षमा याचना किया इस तरह भगवान श्री कृष्ण ने परिजात को प्राप्त कर लिया,श्री कृष्ण ने यह पारिजात लाकर सत्यभामा की वाटिका में रोपित कर दिया! जब यह पुष्प खिलता था तो पूरी द्वारिका सुगंध से भर जाती थी।
⚜️भगवान श्री कृष्ण ने पारिजात को लगाया तो था सत्यभामा की वाटिका में,परन्तु उसके फूल उनकी दूसरी पत्नी रूक्मणी की वाटिका में गिरते थे,एक मान्यता के अनुसार परिजात वृक्ष की उत्पत्ति समुद्र मंथन से हुई थी, जिसे इन्द्र ने अपनी वाटिका में रोप दिया था! और जहां वह फल फूल कर हजारों लाखों की संख्या में हो गया था पूरा बगीचा तैयार हो गया था पूरे स्वर्ग पुरी की आन बान शान था वह पारिजात वृक्ष।
पारिजात वृक्ष का जीवनकाल और उसकेगुण धर्म
यह वृक्ष एक हजार से पांच हजार वर्ष तक जीवित रह सकता है,पारिजात वृक्ष के वे ही फूल उपयोग में लाए जाते है,जो वृक्ष से टूटकर गिर जाते है,यानि वृक्ष से फूल तोड़ने की पूरी तरह मनाही है! पारिजात वृक्ष को सीधे फूल से तोड़ने पर उसके गुणधर्म पुष्पों में नहीं रह जाते हैंयह वृक्ष आसपास लगा हो खुशबू तो प्रदान करता ही है,साथ ही नकारात्मक उर्जा को भी भगाता है,इस उपयोगी वृक्ष को अवश्य ही घर के आसपास लगाना चाहिए!!!
पारिजात एक पुष्प देने वाला वृक्ष है, इसका वृक्ष 10 से 15 फीट ऊँचा होता है...... पारिजात पर सुन्दर व सुगन्धित फूल लगते हैं....इसकी सबसे बड़ी पहचान है सफ़ेद फूल और केसरिया डंडी होती है... इसके फूल रात में खिलते है और सुबह सब झड़ जाते है ...।
कल्पवृक्ष के औषधीय गुण
पारिजात अत्यंत लाभकारी ओषधि हैं.... जो अनेक रोगों को दूर करने में सहायक है...।
#साइटिका का सफल इलाज...
एक पैर मे पंजे से लेकर कमर तक दर्द होना साइटिका या रिंगण बाय कहलाता है....प्रायः पैर के पंजे से लेकर कूल्हे तक दर्द होता है जो लगातार होता रहता है... मुख्य लक्षण यह है कि दर्द केवल एक पैर मे होता है.... दर्द इतना अधिक होता है कि रोगी सो भी नहीं पाता...... हारसिंगार के 10-15 कोमल पत्ते जो कटे फटे न हों तोड़ लाएँ...... पत्ते को धो कर थोड़ा सा कूट ले या पीस ले.....बहुत अधिक बारीक पीसने कि जरूरत नहीं है। लगभग 200-300 ग्राम पानी (2 कप) मे धीमी आंच पर उबालें.....तेज आग पर मत पकाए....चाय की तरह पकाए,चाय कि तरह छान कर गरम गरम पानी (काढ़ा) पी ले... पहली बार मे ही 10% फायदा होगा.... प्रतिदिन 2 बार पिए ... इस हरसिंगार के पत्तों के काढ़े से 15 मिनट पहले और 1 घंटा बाद तक ठंडा पानी न पीए,दही लस्सी और आचार न खाएं.
उपसंहार
भगवान श्री कृष्ण की कृपा सेअब यह वृक्ष धरती पर है इस पेड़ के #बीज बनते हैं,, और इसको #कलम विधि के द्वारा पैदा किया जा सकता है।रात को इसके फूल खिलते हैं,,और गंध इतनी दिव्य है कि इस लोक की लगती ही नहीं है,,, और पूरी धरती पर ऐसा कोई सुगंधित पुष्प है भी नहीं इसीलिए तो यह स्वर्ग लोक का वृक्ष कहा जाता है जो सभी इच्छाओं को पूरा करता है,
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