Saturday, 4 October 2025

कई बार भगवान श्री राम की तरह मन में गहन निराशा

: जैसे-जैसे माता रानी की मूर्ति विसर्जन समापन पर है वैसे-वैसे घटा घनघोर घोर बढ़ती चली आ रही है माता रानी ने वर्ष और बादलों को बिल्कुल स्तंभित करके रखा है
: कई बार भगवान श्री राम की तरह मन में गहन निराशा भाव आते हैं कि अखंड भारत सनातन धर्म कहीं समाप्त तो नहीं हो जाएगा जैसे कभी लंपट दुराचारी दुर्जय आक्रांता आतंकी त्रैलोक्य विजेता रावण को देखकर भगवान श्री राम के मन में भाव उठे थे
लेकिन जब इसके बाद होली दिवाली दशहरा दुर्गा पूजा मा छठ रक्षाबंधन जैसे महान परवाते हैं और माता रानी देवी देवताओं के उद्घोष से धरती आकाश पाताल गूंज उठता है और विराट जन समूह का कहीं और छोड़ नहीं रहता है तब यह लगता है कि नहीं कितना भी पतन हो जाए देश कितना भी छोटा हो जाए

 लेकिन अंत में चंद्रगुप्त विक्रमादित्य चाणक्य भगवान रामकृष्ण मांधाता शिवाजी महाराणा जैसे दिव्य पुरुष पैदा होंगे और एक झटके में हुए विधर्मी शैतान राक्षसों को काटकर फिर से सनातन धर्म और अखंड भारत की अस्पत का दिगदिगंत में फैला देंगे आज ऐसा ही अनुभव माता रानी के मूर्ति विसर्जन में आदि गंगा गोमती नदी पर उपस्थित होते हुए लगा जहां माता रानी की जय जयकार और उपस्थित विराट जन सैलाब और उसमें महिला शक्ति की विराट भागीदारी बता रही थी कि -

**जूनागढ़ टूटा किंतु खड़ा गिरनार है 
होते ही रहेंगे सिंह यहां की गुफाओं में 
आर्य भूमि अंत में रहेगी आर्य भूमि ही डॉ दिलीप  कुमार सिंह मौसम विज्ञानी ज्योतिष शिरोमणि
: 10 दिन के निरंतर चहल-पहल के बाद चारों ओर पूरे भारत में आनंद उल्लास उमंग सुखद वातावरण और ‌ माता रानी के जय-जयकार और भजन कीर्तन के समाप्त हो जाने से देश एक बार ही सन्नाटे और अंधेरे में डूब गया है ऐसा लगता है जैसे बहुत कुछ खो गया है 

यह ठीक ऐसा ही है जैसा मानव जीवन का चक्र है जिस तरह संतान के गर्भ में आने पर उसकी बड़ी उत्सुकता से प्रतीक्षा की जाती है फिर जन्म लेता है चारों ओर आनंद धूमधाम रहती है फिर बाद होता है जवान होता है विवाह और संतान होती हैं और अंत में वृद्धि होकर मशान में जला दिया जाता है 

ठीक हो वैसे ही लोग 6 महीने माता रानी के आगमन की प्रतीक्षा करते हैं भक्तजन और पंडाल सजाने वाले अपनी तैयारी में जुट जाते हैं कलाकार ‌ महीना पहले से माता रानी की मूर्तियां बनाने लगते हैं पंडित पुरोहित सामान्य जनता विद्वान बुद्धिजीवी कर्मचारी अधिकारी सभी अपना कुछ ना कुछ सहयोग देते हैं पूरे देश में माता रानी की मूर्तियां लग जाती हैं पूजा पाठ यज्ञ हवन अनुष्ठान से सारा देश सुगंधित हो जाता है भजन कीर्तन घंटा घड़ियाल शंख ध्वनि से शैतान और राक्षसों का नाश और दिव्य शक्तियों का विकास हो जाता है 

और फिर अंत में 9 दिन बीते हैं माता रानी अपने लोग चली जाती हैं और उनके प्रति मूर्तियों को जल कुंड में नदियों में समुद्र में उदास रोते गाते विलखते भक्तजन विसर्जन करके बड़े ही चिन्ना भाव से घर लौट आते हैं और अगले नवरात्रि की दिन रात प्रतीक्षा करते हैं चित्र में माता रानी के विसर्जन के कुछ दृश्य आप भी देख लीजिए अगर आप रात के उत्सव में शामिल नहीं हुए हैं तो
[10/3, 10:05 AM] Dileep Singh Rajput Jounpur: रात का समय था पहली बार अटाला मंदिर के सड़क से माता रानी के विसर्जन के लिए जयकारा लगाते हुए बड़ी-बड़ी मूर्तियां के साथ लोग जा रहे थे अदालत मंदिर के गेट के बगल में दो खूंखार दाढ़ी वाले तुर्क आपस में बात कर रहे थे पहले ने कहा की कहो तो खेल शुरू करें तो दूसरे ने कहा ना बाबा ना बुलडोजर बाबा है चू! लाल कर देंगे और जमानत भी नहीं होगी ऊपर से पूरा घर भी ढहा दिया जाएगा कोई बचाने नहीं आएगा इस पर वह तुर्क शांत हो गया

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