Sunday, 30 November 2025

इस संसार का वह हर व्यक्ति बहुत बड़े धोखे में जी रहा है जो इस दुनिया को सच समझता है ‌ हमारे ऋषि मुनि और ब्रह्म ऋषि लोगों और शंकराचार्य ने ने पहले ही कह दिया है ब्रह्म सत्यं जगत मिथ्या और इस मिथ्या जगत में कोई चीज सच समझना ही अपने विनाश का कारण है ।

इस संसार का वह हर व्यक्ति बहुत बड़े धोखे में जी रहा है जो इस दुनिया को सच समझता है ‌ हमारे ऋषि मुनि और ब्रह्म ऋषि लोगों और शंकराचार्य ने ने पहले ही कह दिया है ब्रह्म सत्यं जगत मिथ्या और इस मिथ्या जगत में कोई चीज सच समझना ही अपने विनाश का कारण है ।
इसका एक बहुत सटीक उदाहरण आपको बताता हूं आप सोचते हैं कि आपका अपने घर परिवार और मित्र आपके साथ हमेशा है ‌ और वह आपके शत्रु को अपना शत्रु मानेंगे और जिसको आप पसंद नहीं करेंगे उससे वह दूर रहेंगे जो पूरी तरह झूठ है

 वह तभी तक आपके साथ हैं जब तक आपसे उनका स्वार्थ है बाकी वह अपने मन का काम करने को स्वतंत्र है और कर रहे हैं ।

यदि इसको प्रमाणित करना चाहे तो आप यह देख सकते हैं कि सोशल मीडिया पर या वास्तविक जीवन में आपके जितने घनघोर शत्रु हैं या जिसको आप नापसंद करते हैं वह सब के सब आपके घर परिवार पत्नी बेटा बेटी मित्रों और सगे संबंधी लोगों से जुड़े हुए हैं ‌ और आपके घर परिवार सभी संबंधी पत्नी भी चोरी छुपे उनसे जुड़े हुए हैं बस यह दिखाने का नाटक करते हैं कि वह लोग उन सब से दूर हैं जो आपको ना पसंद है 

फिर आप खुद ही सोच लो की जो आपके शत्रु आपके आलोचक और आपके द्वारा नापसंद किए जाने वाले लोगों से जुड़े हैं तो वह आपके कैसे हो सकते हैं ‌ आपके हैं नहीं केवल आपका अपना होने का दिखावा करते हैं जिससे वह आपसे अपना काम निकल सके और स्वास्थ्य सिद्ध कर सके पहले ऐसा नहीं होता था। एक बेटा और बेटी भी क्षणिक सुख और वासनापुर के लिए अपने मां-बाप सगे संबंधी जाति धर्म को छोड़ देता है बाद में जीवन भर उसका खामियाजा भुगतता है

इतना अवश्य है कि कुछ भाग्यशाली लोग जिनकी संख्या एक प्रतिशत है उनके बेटा बेटी पत्नी सगे संबंधी और मित्र लोगों ने उन सबको अपने मित्रता सूची से बाहर निकाल दिया है जिसे आप की दुश्मनी है और जिसे आप नापसंद करते हैं ‌ इतना ही नहीं अपने जीवन में भी उन्होंने ऐसे सभी लोगों को त्याग दिया है ऐसे लोग परम भाग्यशाली हैं और वही कलयुग में सतयुग का थोड़ा सा भाग बचा कर रखे हुए हैं ।

आपने अनेक ऐसे बड़े-बड़े लोगों को या छोटे लोगों को देखा होगा जिन्होंने अपने परिवार पत्नी बेटों सगे संबंधी और मित्रों के लिए अपना सारा जीवन समर्पित कर दिया लेकिन जैसे ही वे पद पैसे और संपत्ति से रहित हुए या उनका स्वास्थ्य बिगड़ गया वह धरती पर ही नरक की जिंदगी बिता रहे हैं और उनका परिवार के ही लोग इतनी नफरत से देखते हैं कि वह जिंदा ही करने के समान है  ‌ वह मरना चाहते हैं लेकिन मार नहीं पाते क्योंकि जीवन और मृत्यु ईश्वर के अधीन हैउनकी परेशानी यह है की चाह कर भी में मर नहीं सकते कितने लोग आत्महत्या का प्रयास करते हैं लेकिन अपने बचे हुए कर्म का फल भोगने के लिए अंग भंग विकलांग हो जाते हैं लेकिन मृत्यु तो अपने समय पर ही आएगी ।


इसीलिए भारत के ऋषि ‌ मनी चिंतक विचारक ब्रह्म ऋषि और साधु संत पहले ही बता गए कि गलत काम और पाप किसी के लिए नहीं करो कोई आपका अपना नहीं है कितने ही लोग गलत काम और पाप करके जेल में गए हैं कोई उसका साथ बांटने गया है क्या ‌ इसीलिए करने के 13 दिन बाद तक आत्मा को ईश्वर धरती पर रखते हैं जिससे कि वह दुनिया का सच मरे हुए व्यक्ति को दिखा सके इतने बड़े संसार में एक दो सच्चे लोगों को छोड़कर सब लोग उसके मरते ही सब कुछ भूल कर भोग विलास और खाने-पीने में डूब जाते हैं।



यदि इसके बाद भी आपकी आंख ना खुले तो आप नरक में जाने वाले और लात घुसा खाकर बदनाम और बेइज्जत होने वाले हैं और होना भी चाहिए। आपका अपना कोई भी हो यदि वह आपका संबंध अन्य लोगों से तोड़कर उसे खुद जुड़ा रहता है तो उसे लाख गुना अच्छा आपका शत्रु आलोचक होता है ‌‌ अपने अनगिनत ऐसे पति और पत्नी देखे होंगे जो अपने पति और पत्नी के सामने तो मुरझाए हुए और मरने जैसा दिखते हैं लेकिन दूसरों के पति-पत्नी के आगे आते ही वही प्रसन्नता से खिल जाते हैं ‌ और किसी समारोह में ऐसे लोग किलकारी मारते हुए दिखाई पड़ते हैंबाकी कुकर्म करने वाली लाखों करोड़ो अर्बन लोगों को तो आप रोज ही देखते हैं और यह भूल जाते हैं कि भले ही आप दुनिया के लोगों से छिपकर पाप कर्म कर रहे हैं लेकिन देखने वाला तो अनंत ब्रह्मांड का एक-एक परमाणु देख रहा है।

यह बात समझ कर ही वाल्मीकि वेदव्यास कालिदास जैसे लोग परम ब्रह्म ऋषि बन गए और अमर हो गए और इसको न समझने वाले लोग स्वार्थ वासना के दलदल में फंसकर आज भी प्रेत योनि में भटक रहे हैं ‌ ऐसे लोग ना संसार से कभी मुक्त हुए हैं और ना हो सकते हैंसंसार का सच इतना कड़वा है कि उसको जानने वाला या तो सब कुछ छोड़कर राजा भरथरी  की तरह सन्यासी हो जाता है या फिर डॉक्टर वशिष्ठ नारायण सिंह की तरह पागल होकर अपना आपा खो बैठता है इसलिए संतुलन बनाकर आराम से अपना जीवन पालन करते हुए अपना कर्तव्य करना चाहिए चोरी बेईमानी घूसखोरी भ्रष्टाचार और पाप कर्म करके किसी की इच्छाओं की पूर्ति का प्रयास नहीं करना चाहिए इतना अवश्य है कि अपने अधीन जो लोग हैं उनका अपनी आमदनी के अनुसार पालन पोषण शिक्षा दीक्षा विवाह जैसे काम कर देना चाहिए ‌ एक और प्रमाण है कि बड़े से बड़े अधिकारी राजनेता यहां तक की प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति तथा सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश भी जब सेवा निर्मित हो जाते हैं तो उनको कोई एक पैसे का भाव नहीं देता समझदार लोग समझौता कर लेते हैं और मूर्ख लोग बेवजह ही ऐंठ कर जो बचा खुचा है वह भी खो देते हैं - डॉ दिलीप कुमार सिंह मौसम विज्ञानी ज्योतिष शिरोमणि 

 -डॉ दिलीप कुमार सिंह

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