बुजुर्ग और उम्र दराज छिनरे कुपंथी दुराचारी लंपट कामुक और उत्तेजक व्यभिचारी मांस मछली ना खाने का ढोंग करने वाले और उसका शर्मा और जूस पीकर प्रतीत होने वाले स्त्री पुरुष ध्यान से पढ़ें और सावधान रहें एक अनुमान है कि 70 से 90% स्त्री पुरुष इस जाल में फंस रहे हैं लेकिन केवल 30% मामले ही सामने आ पाते हैंसावधान रहें :
प्रेम जाल ये होता है ,
राजस्थान के चुरू जिले में बसा छोटा-सा कस्बा बीदासर। यहाँ की गलियाँ शांत हैं, लोग सीधे-सादे। मुख्य बाजार में एक पुरानी मोबाइल की दुकान थी, जिसके मालिक थे 55 साल के रामस्वरूप जी। उम्र ढल चुकी थी, बाल सफेद हो चले थे, लेकिन दुकान का काम अभी भी ईमानदारी से चलाते थे। बीवी-बच्चे घर पर, दिन भर दुकान, शाम को घर। जिंदगी सरल थी, बिना किसी उलझन के।
एक दोपहर दुकान पर एक 22 साल की लड़की आई। नाम था रेशमा। चेहरा गोरा, आँखें बड़ी-बड़ी, बातें मीठी। बोली, "अंकल, नया फोन देखना है।" रामस्वरूप ने कई फोन दिखाए। लड़की हर फोन उठाती, मुस्कुराती, नजरें मिलातीं। बातों-बातों में हँसी-मजाक होने लगा। जाने से पहले रेशमा ने अपना नंबर लिख कर दे दिया और बोली, "अंकल, कोई अच्छा ऑफर हो तो बता देना।"
रामस्वरूप को लगा, शायद सच में फोन खरीदना चाहती होगी। शाम को उन्होंने मैसेज किया। जवाब आया। फिर कॉल हुई। बातें धीरे-धीरे प्यार भरी होने लगीं। रेशमा कहती, "आप बहुत अच्छे लगते हो... कोई मेरी इतनी केयर नहीं करता।" रामस्वरूप, जो सालों से अकेलापन महसूस कर रहे थे, बहक गए। दो दिन में ही दिल हार बैठे।
तीसरे दिन रेशमा का मैसेज आया, "मिलोगे ना? बहुत याद आ रही है।" जगह बताई एक छोटे से होटल की। रामस्वरूप ने सोचा भी नहीं। दुकान बंद की, ऑटो लिया और पहुँच गए। कमरे में रेशमा पहले से मौजूद थी। गले लगी, किस किया, और फिर जो हुआ, वो रामस्वरूप की जिंदगी का सबसे बड़ा भूल था।
शाम को जब दुकान लौटे तो फोन पर व्हाट्सएप खोला। एक वीडियो आया। पूरा होटल वाला दृश्य। उसमें वो खुद थे। साथ में रेशमा का मैसेज था:
"5 लाख रुपये। सुबह तक। नहीं तो ये वीडियो पूरे बीदासर में वायरल। और फर्जी रेप का केस भी ठोंक दूँगी। पुलिस तेरे घर आएगी।"
रामस्वरूप के पैरों तले जमीन खिसक गई। हाथ काँपने लगे। रात भर नींद नहीं आई। सुबह होते-होते थाने पहुँच गए। बीदासर थाना प्रभारी इंस्पेक्टर धर्मवीर सिंह के सामने सारी बात रोते हुए बता दी। वीडियो दिखाया। इंस्पेक्टर ने शांत स्वर में कहा, "चिंता मत करो बाबूजी। अब हमारा नंबर है।"
पुलिस ने जाल बिछाया। रामस्वरूप को कहा गया कि लड़की को मैसेज करो, "पैसे तैयार हैं, 2 लाख अभी दे रहा हूँ, बाकी बाद में।" जगह तय हुई। सुबह 6 बजे। एक सुनसान जगह पर।
रेशमा अपने बाप के साथ आई। जैसे ही 2 लाख का लिफाफा हाथ में लिया, पुलिस ने घेर लिया। दोनों रंगे हाथ पकड़े गए। रेशमा चिल्लाई, "ये तो झूठ है!" लेकिन मोबाइल में चैट, वीडियो, सब कुछ था। उसका बाप भी साथ में था। प्लान दोनों का था।
अब रेशमा और उसके पिता ब्लैकमेलिंग के केस में जेल की हवा खा रहे हैं। रामस्वरूप की इज्जत बच गई, लेकिन दिल पर एक गहरा घाव लग गया।
कहते हैं ना,"जो दिखता है, वो हमेशा सच नहीं होता।" और प्रेम कभी भी अंधा नहीं होता, बस कभी-कभी हम खुद आँखें बंद कर लेते हैं।
बीदासर की वो दुकान आज भी खुली है।
लेकिन अब रामस्वरूप किसी अनजान नंबर पर कॉल करने से पहले सौ बार सोचते हैं। उम्र कोई सुरक्षा-कवच नहीं है। 55 साल का आदमी भी 22 साल की लड़की के जाल में फँस सकता है। अकेलापन और भावनात्मक खालीपन सबसे बड़ा कमजोर कड़ी होता है।
प्रेम और वासना में फर्क समझना जरूरी है । सच का प्रेम कभी इतनी जल्दी, इतनी सस्ती जगह और इतने गंदे तरीके से नहीं होता। जो दो दिन में बिस्तर तक पहुँच जाए, वो प्रेम नहीं, जाल ही होता है।
अनजान व्यक्ति से शारीरिक संबंध बनाने से पहले सौ बार सोचें। आज के जमाने में होटल के कमरे में छिपा कैमरा, मोबाइल की रिकॉर्डिंग और ब्लैकमेल आम हो गया है। एक पल का सुख जिंदगी भर का कलंक बन जाता है।
गलती हो जाए तो तुरंत पुलिस के पास जाएँ। शर्म और डर के कारण चुप रहने से ठग और मजबूत हो जाते हैं। रामस्वरूप ने हिम्मत दिखाई, इसलिए उनकी इज्जत और आजादी दोनों बच गईं।
ये कोई कहानी नही सत्य घटना है ,घटनाक्रम के मुख्य पात्रों के नाम बदले गये है ।
हमेशा ख्याल रखो कि इस पूरे संसार में किसी स्त्री या पुरुष को एक गिलास पानी कोई भी स्त्री पुरुष बिना मतलब और स्वार्थ के नहीं देगा तो फिर अपना शरीर क्यों सौंप देगा। कमी अपनी है दोष पाप करने के बाद लंपट लोग दूसरों को दे देते हैं। इसी तरह यदि कोई भी व्यक्ति आपके घर बार-बार आने लगे और कोई भी सामान देने लगे तो लेने के पहले 100 बार सोचो कोई ऐसे व्यक्ति नहीं दे देता₹100 उधार मांगने पर नहीं मिलता तो कोई क्यों रसमलाई बैकुंठ भोग काजू पिस्ता बादाम बिना कारण के आपके घर लेकर आएगा यह लेख यशवंत कुमार गुप्ता और विनय कुमार उपाध्याय के प्रेरणा से मैंने लिखा है- डा दिलीप कुमार सिंह
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