वोट और राजनीति के लिए भारत के राजनेता अधिकारी ऐसे ऐसे लोगों की पूजा करते हैं जिनका संपूर्ण इतिहास और चरित्र ही काला है अपने मां-बाप को कभी पूजा न करने वाले यह अधिकारी राजनेता क्या कुछ अपने लाभ के लिए नहीं कर सकते हैं
भारत की राजनीति ऐसी है कि जो गधे को घोड़ा और घोड़े को गधा बनाने में सक्षम है 99% पुरस्कार और पद आयोग के लोगों को ही इसी के अंतर्गत मिलते हैं और यही देश के शक्तिशाली और सक्षम एवं विकसित देश बनने में सबसे बड़ी बाधा है।
यही कारण है कि पद्मश्री पद्म भूषण पद्म विभूषण और भारत रत्न के लिए 95 प्रतिशत राजनेता ही चुने जाते हैं जो एक स्कूल में भी कभी पुरस्कार नहीं जीत सके हैं तुकाराम ओम वाले जैसे लोगों को ना तो भारत रत्न मिलता है और ना ही अशोक चक्र से सम्मानित किया जाता है।
संविधान जैसा विराट ग्रंथ जो सैकड़ो लोगों के संयुक्त प्रयास से बना उसे भी व्यक्ति विशेष का बना हुआ बताया जाता है यह सब राजनीतिक नहीं तो क्या है।
भारत में जैसे ही कोई राजनीति में और बड़े अधिकारी वर्ग में प्रवेश करता है वैसे ही वह सब कुछ असली भूल कर नकली हो जाता है और देश प्रेम कट्टर सनातनी धर्म हिंदी हिंदू हिंदुस्तान और राम राज्य को रद्दी की टोकरी में फेंक देता है यदि किसी को इन बातों पर आपत्ति हो तो अपना विचार और आपत्ति अंकित करें । डॉ दिलीप कुमार सिंह
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