यह पोस्ट मैं नहीं लिखता लेकिन लिखना पड़ रहा है आज से 11 दिन पहले ही जब भीषण प्रलयंकारी गर्मी और उमस तथा पसीना अपने सर्वोच्च रूप में तांडव मचा रहा था और तापमान जौनपुर और भारत में 45 से 50 डिग्री के बीच चल रहा था तब मैंने भारतीय पंचांग और ज्योतिषी कहावतें एवं उपग्रह से प्राप्त गणित के आधार पर ईश्वर की कृपा से यह गारंटी के साथ लिख दिया था 20 मई तक मौसम रहेगा और 21 मई लगते ही 28 मई की आधी रात है ही मौसम पूरी तरह बदल जाएगा तेज से बहुत चे हवा चलने लगेगी चारों और बादल छा जाएंगे और अधिकतम तापमान 45 47 से घटकर 40 से 42 डिग्री और न्यूनतम तापमान 31 से 33 से घटकर 26 से 29 डिग्री सेंटीग्रेड के बीच आ जाएगा
आसमान बादलों से भर जाएगा और बूंदाबांदी से हल्की वर्षा और कहीं-कहीं तेज वर्षा भी 21 से 23 मई के बीच बिजली की चमक गरज और तेज बहुत सारों के बीच होगी हवा बिल्कुल ताजी साफ स्वच्छ हो जाएगी तथा वायु गुणवत्ता बहुत अच्छी हो जाएगी और सापेक्षिक आर्द्रता की मात्रा भी 25 से 75 के बीच आ जाएगी एवं पराबैगनी किरणों अल्ट्रावायलेट रेस का घातक स्तर भी घटकर मध्यम हो जाएगा
हमारे अलका शिप्रा वैष्णवी ज्योतिष मौसम और अनुसंधान केंद्र के विश्वविख्यात विद्वानों ज्योतिषियों और मौसम वैज्ञानिकों ने जोगड़ नहीं किया वह पूरी तरह एक एक अक्षर ईश्वर की कृपा से सही हुई लेकिन 5 लोगों को छोड़कर किसी ने 11 दिन से लगातार की गई इस भविष्यवाणी को लिखने की जरूरत नहीं समझी लेकिन
*अगर यही भविष्यवाणी गलत होती तो अब तक कम से कम हजार लोग मजा लेने के लिए व्यंग करने के लिए और कटाक्ष करने के लिए पूछते का हो का भवा*
इसीलिए मित्रों दुनिया की परवाह न करते हुए अपना काम कीजिए लक्ष्य पर आगे बढ़ी है अगर आपके पास पद है पैसा है यह संपत्ति है या अन्य ऐसी चीज है जिसकी आवश्यकता संसार को है या आपने कोई विशिष्ट गुण है तो आपके लात मारने पर भी दुनिया की पूजा करेगी वरना सर्वगुण संपन्न होने पर भी आपको कोई कुछ नहीं देगा अगर भूल से कभी जलपान नाश्ता करा दिया तो उसे 100 लोगों से कहेगा अंत में मैं एक बहुत बड़ी बात कह कर अपनी इस पोस्ट को समाप्त करता हूं
इस दुनिया की है रीति सदा जब सुबह हुई तब शाम हुई
इस धरती पर आकर तो मां सीता भी बदनाम हुई
औरों की बातें सुन सुन कर मत भर लो अपने नैना
कुछ तो लोग कहेंगे ही लोगों का काम है कहना
हमारे कुछ परम प्रिय और आदरणीय आलोचक गण शत्रु लोग और मित्र के रुप में शत्रु बने लोग तो एक और पंक्ति कहते हैं
नाजो अंदाज से कहते हैं कि जीना होगा
कौन है अगर और जीवन है अगर जहर तो पीना होगा
जब मैं जीता हूं तो कहते हैं कि मरता भी नहीं
और मरता हूं तो कहते हैं कि जीना होगा
*धन्यवाद आप सभी को डॉ दिलीप कुमार सिंह मौसम विज्ञानी ज्योतिष शिरोमणि एवं निदेशक संस्कृत एवं मध्यस्थ तथा मिसिंग सेल फॉर चिल्ड्रन मैं माननीय उच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त सदस्य साथ में समस्त विद्वान सदस्य गण राजकुमार मौर्य इसरो सुरेश कुमार वर्मा भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र कन्हैया लाल पांडे ज्योतिषी एवं कर्मकांडी डॉ मानवेंद्र डॉ श्वेता एसके उपाध्याय एवं केएन राय पद्मा सिंह अलका शिप्रा वैष्णवी ज्योतिष मौसम और विज्ञान अनुसंधान केंद्र जौनपुर*
ऐसा नहीं है कि यह मैं अपने लिए ही लिख रहा हूं इस संसार में जो भी वास्तविक रूप से सज्जन परम विद्वान प्रतिभा और गुणों से संपन्न हैं और जो सचमुच कर्तव्य परायण हैं उन सभी की यही स्थिति है और उन्हें कोई पसंद भी नहीं करता क्योंकि सभी लोगों के दांत हाथी की तरह है दिखाने के लिए और खाने के लिए और गांधी किसी को नहीं चाहिए लेकिन गांधी छाप नोट सबको चाहिए इसीलिए गांधी बाबा देश के हर कार्यालयों में दंगे हुए मिल जाएंगे और पूरे विश्व में एक भी गांधीवादी ऐसा नहीं है जो अपने बच्चे को गांधी बनाएं
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