Sunday, 8 May 2022

नन्दी की प्रतीक्षा* --------------महंत पन्ना कुएं में कूदने से पहले नन्दी के पास गए, आंखें बंद की और उनके कान में कहने लगे," विपत्ति भगवान राम पर भी पड़ी थी, त्रिलोक स्वामिनी माता

**नन्दी की प्रतीक्षा*
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महंत पन्ना कुएं में कूदने से पहले नन्दी के पास गए, आंखें बंद की और उनके कान में कहने लगे," विपत्ति भगवान राम पर भी पड़ी थी, त्रिलोक स्वामिनी माता सीता को रावण हर ले गया था। जब हनुमान जी माता सीता की खोज में अशोक वाटिका पहुंचे और उन्हें अपने साथ चलने के लिए कहा तो माता ने मना कर दिया और कहा कि सीता की प्रतीक्षा ही श्री राम द्वारा लंका के विनाश की प्रेरणा बनेगी। यदि तुम्हारे साथ मैं जाऊंगी तो कदाचित मुझे पाकर श्रीराम वापस चले जाएंगे, इसलिए,हे पुत्र मुझे प्रतीक्षा करने दो। हे नंदी महाराज, यही बात मैं आपको स्मरण करा रहा हूं, प्रतीक्षा करना,इस तीर्थ का उद्धार करने कोई ना कोई अवश्य आएगा। माता सीता सा विश्वास रखकर प्रतीक्षा करना,मेरे हिस्से समाधि आएगी, आपके हिस्से प्रतीक्षा है शिव वाहन"।यह कहकर महंत पन्ना कुएं में कूद गए।

आतताइयों की फौज आई,अविमुक्तेश्वर क्षेत्र को ध्वस्त कर दिया गया। नन्दी जटायु की तरह हत होकर यह देखते रहे,फिर एक दिन एक रानी आयीं, उन्होंने महादेव को आंचल से उठाया,नंदी ने देखा, उनके सिर पर मां अनुसूया का वात्सल्य स्पर्श हो रहा था पर नंदी की प्रतीक्षा शेष थी। सदियां बीतीं,युग बदला,नन्दी दिन गिन रहे थे।

एक दिन नन्दी ने देखा अविमुक्तेश्वर क्षेत्र का पुनरुद्धार हो रहा है,उन्होंने सुना, नये भारत के राजा ने काशी का कायाकल्प करने का आदेश दिया है। एक दिन नंदी के शरीर को मां गंगा से आने वाली हवाओं ने छुआ। तीन सौ बावन साल बीत गए मां गंगा को निहारे। नंदी का आनंद लौट आया,विश्वनाथ धाम की अलौकिकता लौट आयी, पर नंदी अभी भी ज्ञानवापी तीर्थ की ओर देख रहे थे, महंत पन्ना को देख रहे थे।

नए भारत के राजा के खंडित कार्यों की कीर्ति पर नंदी का तप भारी पड़ा। उसे यह समझ में आया कि महादेव का काम अधूरा है,मां गंगा से किया हुआ वादा अधूरा है।उसने आदेश दिया कि ज्ञानवापी तीर्थ को मुक्त किया जाए। कुएं में समाधिस्थ महंत पन्ना मुस्कुराए,नन्दी की प्रतीक्षा पूर्ण होने को है।

हर हर महादेव

_(उपेन्द्र श्रीवास्तव_ )

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