श्री श्री : सरल भाषा में मोक्ष का अर्थ है स्वच्छंदता- मुक्ति । इस स्थिति में तुम्हारा कथन होना चाहिए, " मुझे स्वयं के लिए किसी वस्तु की अभिलाषा नहीं है, मैं संपूर्ण हूँ ।" जब तुम संपूर्ण- सृष्टि को यथावत् स्वीकार करते हो व मनुष्यों को तुम पूर्णरूप से स्वीकार कर लेते हो, वही मोक्ष की स्थिति है । मुक्ति में पूर्ण शांति निहित है, ऐसी शांति, क्षमा, दया, और सहजता में उत्पन्न होती है । यदि तुमने स्वयं को कोई पहचान दे रखी है (स्वयं को कुछ समझते हो) तब प्रशांति संभव नहीं है । तुम न तो बुद्धिशाली हो न ही मूर्ख , न ही धनवान, नही निर्धन । यदि तुम्हें ऐसा लगता है कि मैं बहुत गरीब पुरूष अथवा स्त्री हूँ तब मोक्ष की प्राप्ति कदापि संभव नहीं है । "मैं कुछ नहीं हूँ । अकिंचन हूँ ।" ऐसा हल्कापन,ऐसा सरल-आचरण, मुक्ति का प्रतीक है । इसका स्वाद तो तुम सभी ने चखा है । जानते हो कब ? जब तुम्हारी परीक्षाएं समाप्त होती थीं, तब । बचपन में परीक्षाएं समाप्त होने पर घर लौटकर तुम सोफे पर अपनी पुस्तकें फेंक कर बैठ जाते थे । पूर्ण विश्राम । तब कैसा लगता था ? अद्भुत । बस ऐसा ही, मोक्ष है ।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
-
कैसा रहेगा अक्टूबर के प्रथम सप्ताह का मौसम डॉ दिलीप कुमार सिंह मौसम विज्ञानी ज्योतिष शिरोमणि 1 मौसम की विस्तृत विवेचना 1 अक्ट...
-
परम पवित्र पूर्णिमा और सितंबर 2025 में लगने वाले दो अद्भुत ग्रहण -डॉ दिलीप कुमार सिंह मौसम विज्ञानी ज्योतिष शिरोमणि चंद्र ग्रहण...
-
ज्योतिष के दर्पण में भारत पाकिस्तान के युद्ध का परिणाम -डॉ दिलीप कुमार सिंह मौसम विज्ञानी ज्योतिष शिरोमणि एवं निदेशक अलका शिप्रा वैष्णवी ज्य...
No comments:
Post a Comment