*अपनी जीवन शैली के चलते लोग परेशान हो रहे हैं....*
*IBS/ Irritable Bowel Syndrome/ ग्रहणी/ संग्रहणी जैसी भयंकर बीमारी से...*
*लक्षण-*
इसके लक्षण अलग अलग व्यक्तियों में अलग अलग दिखते हैं लेकिन कुछ लक्षण जोकि सभी में एक जैसे ही होते हैं वो निम्न हैं-
*(1). पेट दर्द*
कुछ व्यक्तियों को पेट दर्द होता है और यह दर्द कभी चुभने जैसा होता है और कभी मरोड़ जैसा।
*(2). पेट फूलना*
थोड़ा भोजन करने पर ही या अक्सर भोजन बिना किये भी लगता है कि पेट भरा हुआ है और भूख नहीं लगती।
*(3). कब्ज*
कुछ व्यक्तियों को बहुत दिनों से कब्ज की शिकायत रहती है और यदि ध्यान से देखें तो उनका मल पानी मे डूब जाता है।
*(4). पतली दस्त*
किन्हीं किन्हीं को अक्सर पतली दस्त होने लगती है और इससे उनका वजन भी कम होने लगता है।
*(5). अत्यधिक डकार*
ऐसे व्यक्तियों को अक्सर बार बार डकार आती रहती है और किन्हीं लोगों को तो लगता है कि गैस उनके शरीर मे फँसी हुई है और वो जहाँ भी दबाते है तो गैस डकार के रूप में बाहर निकलती है।
*(6). असामान्य मल*
मल का स्वरूप बिल्कुल असामान्य होता है, किन्हीं को कभी पतला कभी रूखा मल निकलता है,
किन्ही को आँव के साथ मल आता है,
कभी कभी केवल आँव / म्यूकस ही आता है और
मल त्याग के समय पेट दर्द भी होता है।
*(7). तनाव*
जिनको उपरोक्त समस्याएं होती हैं उन्हें तनाव अक्सर होता है, वजन कम होने लगता है और व्यक्ति चिढचिढा होने लगता है।
*(8). अन्य*
किन्हीं व्यक्तियों को कमजोरी के कारण चक्कर आता है उन्हें लगता है कि हमेशा बुखार जैसा बना हुआ है और कुछ भी करने में मन नहीं लगता।
*उपचार-* आयुर्वेद के अनुसार यह एक चिरकालिक व्याधि है,
इस व्याधि को पूरी तरह लक्षण दिखाने में बहुत समय लगता है और इसी तरह इसके ठीक होने में भी बहुत समय लग सकता है।
इसके लिए आहार, विहार, योग आदि माध्यमों से ही स्वास्थ्य लाभ सम्भव है।
*आहार-*
हल्का भोजन लें,भोजन के साथ दिन में गाय के दूध से बना मट्ठा, जीरा पावडर डालकर जरूर लें।
माँसाहार, अण्डे, कटहल, भिंडी, बैंगन, मैदा से बने पदार्थ, तले हुए खाद्य पदार्थ, बेकरी उत्पाद, अचार वगैरह का प्रयोग बिल्कुल ना करें।
पनीर, दही, मलाई, सूखे मेवे का प्रयोग ना करें।
भूख लगने पर ही भोजन लें अन्यथा ना ले।
भोजन के साथ या बाद में भी अगर जरूरत हो तो गुनगुना पानी ही पीयें।
*विहार-*
पूरी नींद लें।
हल्के व्यायाम करें।
सुबह टहलने जाएँ।
रात में भोजन ना करें।
शाम ढलते ही हल्का भोजन करें व भोजन के बाद 100 कदम जरुर टहलें।
*IBS, Irritable bowel syndrome* का असरदार उपचार IBS के रोगियों के डॉक्टर रामकुमार का फ़ॉर्मूलेशन...
स्वर्ण पर्पटी 10 ग्राम
विजय पर्पटी 10ग्राम
पन्चामृत पर्पटी 10 ग्राम
अभ्रक भस्म शतपुटी 5 ग्राम
शँख भस्म 5 ग्राम
बंग भस्म 5 ग्राम
नाग भस्म 5 ग्राम
मजबूत हाथों से खूब महीन घुटाई करे।
अब जीरा पावडर 100 ग्राम,
अजवायन 30 ग्राम,
कच्चा बेल गिरी चूर्ण 50 ग्राम,
मोचरस 50 ग्राम,
धाय फूल 50 ग्राम,
सोंठ 50 ग्राम,
सौंफ 50 ग्राम,
धनिया 50 ग्राम,
कूड़ा छाल 50 ग्राम
7 बार जल से धोकर सुखाई हुई भांग पत्ती 50 ग्राम।
सबको एक जगह महीन ग्राइंडर करले अब घुटाई किया हुआ उपरोक्त सामान मिलाकर फिर घुटाई करें,
3 से 5 ग्राम सुबह शाम शहद या गाय की छांछ से दे।
रोगी का दूध, गेंहू व मैदे से बने समान बन्द करवा दें।
कम से कम 1 महीने के लिये।
फलाहार व मूंग दाल की बराबर चावल वाली पतली खिचड़ी ही दे।
पानी उबालकर रूम टेम्परेचर पर ठंडा किया हुआ पानी ही दे।
*पक्षाघात (लकवा) Paralysis*
लकवा एक गम्भीर रोग है। शरीर का एक अंग मारा जाता है।
अंग निष्क्रिय हो जाने से रोगी असहाय हो जाता है।
*कारण...*
शरीर के किसी भाग में खून न पहुंचने से अंग सुन्न होना लकवा है।
कोल्ड ड्रिंक्स का सेवन
बीपी के बढ़ने,
मर्म स्थान पर चोट पहुंचने,
मानसिक दुर्बलता,
नाड़ियों की कमजोरी
*प्रकार..*
(1). सारे शरीर में
(2). आधे शरीर में
(3). केवल मुख में
*पहचान...*
शरीर की नाड़ियों और छोटी नसों में खून का संचार बंद हो जाना।
सिंधियों तथा जोड़ों में शिथिलता।
अंग का बेकार होना।
अंग को चलाने, फिराने में असमर्थ।
मुख पर गिरने से बोलने की असमर्थता।
आंख, नाक, कान आदि विकृत होना।
दांतों में दर्द, गरदन टेढ़ी, होंठ नीचे की तरफ लटकना।
*अपनाइये घरेलू नुस्खे...*
(1). तुलसी के पत्तों को उबालो
उसकी भाप से रोगी के लकवाग्रस्त अंगों की सेंकाई करें।
(2). तुलसी के पत्ते, अफीम, नमक और दही का लेप अंगों पर थोड़ी-थोड़ी देर बाद लगाएं।
(3). कलौंजी के तेल की मालिश लकवे के रोगी के लिए रामबाण है।
(4). आक के पत्तों को सरसों के तेल में उबालकर मालिश करें।
(5). तिल के तेल में कालीमिर्च मिलाकर इसकी मालिश पर करें।
(6). सोंठ और उरद (साबुत) को 200 ग्राम पानी में उबालें, छाने, दिन में 4-5 बार दें।
(7). पानी में शहद डालकर रोगी को दिन में 4-5 बार दें (लगभग 100gm)!
(8).
अजमोद 10gm,
सौंफ 10gm,
बबूना 5gm,
बालछड़ 10gm तथा
नकछिनी 20gm-
सबको पानी में काढ़ा बना लें।
एक शीशी में भरकर रख लें।
4 चम्मच काढ़ा प्रतिदिन सुबह के समय सेवन करें।
(9). सरसों के तेल में थोड़े से धतूरे के बीज डालकर पकायें, तेल को छानकर मालिश करें।
(10). दूध में एक चम्मच सोंठ और जरा सी दालचीनी डालकर उबालें,
छाने, थोड़ा शहद डालकर लेँ।
(11). लहसुन की 4-5 कलियां मक्खन के साथ लें।
*क्या खाएं...?*
गेहूं की रोटी,
बाजरे की रोटी,
कुलथी, परवल, करेला, बैंगन, सहजन की फली, लहसुन, तरोई
फलों में पपीता, आम, अंजीर, चीकू
दूध सुबह-शाम
*क्या नही लेना.?*
चावल, दही, छाछ, बर्फ की चीजें, तले हुए, दालें, बेसन, चना
सरसों का तेल, विषगर्भ तेल, तिली का तेल, निर्गुण्डी का तेल, बादाम का तेल या अजवायन का तेल से मालिश करें।
एरण्ड का तेल तथा हरड़, बहेड़ा और आंवला (त्रिफला) भी रोगी लें।
*स्त्री स्वास्थ्य और आयुर्वेद एवं प्राकृतिक नुस्खों का साथ....*
स्त्री-स्वास्थ्य और आयुर्वेद का बहुत गहरा सम्बन्ध रहा है....
स्त्री-स्वास्थ्य और आयुर्वेद का बहुत गहरा सम्बन्ध रहा है और हो भी सकता है अगर आधुनिक नारियां इसे गंभीरता से लें।
आज कल 99% नारियां बीमार नज़र आ रही हैं और इसके कारण भी बहुत रोचक है।
पुराने वक्त में बुखार, हरारत, सर्दी, खांसी जैसी छोटी-छोटी बीमारियों के लिए अजवाईन का काढा दे दिया जाता था। लोग आराम से पी भी लेते थे नतीजा यह था की लोग लम्बे समय तक शारीरिक क्षमता के अत्यधिक उपयोग के साथ जी भी लेते थे। किन्तु आज… आज किसी महिला को आप अजवाइन फांकने को या काढा पीने को कहिये तो वह मुंह बना लेती हैं। अधिकाँश को तो उलटी होने लगेगी या उबकाई आ जाएगी।
वे कहती हैं कि कोई टैबलेट या गोली दे दीजिये खा लेंगे। इन्हीं गोलियों और टैबलेट ने आज की बीमार नारियों को पैदा किया है। जहाँ पहले की महिलायें संयुक्त परिवार में रहकर ढेर सारे काम घर के भी, खेती के भी बिना थके कर लेती थी। वही आज सिर्फ अपने पति और बच्चे के साथ रहने वाली महिला थोड़ा सा काम करके ही थक जाती हैं और आये दिन बीमार रहती है।
तमाम शोधों से यह बात तो सामने आ ही चुकी है कि दर्द निवारक गोलियां या अंग्रेजी दवाएँ साइड इफ़ेक्ट जरूर पैदा करती है।
ये इफ़ेक्ट जहाँ शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को कम करते हैं वहीँ पाचन तंत्र पर भी बुरा प्रभाव डालते हैं।
फिर अगर पेट ही बीमार हो तो सारे शरीर को बीमार होना ही है।
इस बात को स्त्रियों को समझना होगी और उन्हें फिर से अपने घर की रसोई में मौजूद आयुर्वेदिक दवाओं और प्राकृतिक नुस्खों की तरफ लौटना होगा।
यदि आपको बुखार हो या थकान या हरारत या हल्का सर दर्द महसूस हो तो 5 ग्राम अजवाइन सादे पानी से फांक लीजिये।
अजवाइन बुखार को शरीर में रहने नहीं देती और दर्द को जड़ से ख़त्म कर देती है जबकि कोई भी दर्द निवारक गोली सिर्फ दर्द को दबाती है जो शरीर के किसी और भाग में उभर कर सामने आता है।
गर्भवती स्त्रियाँ यदि साढ़े आठ महीने बाद 3 ग्राम हल्दी दिन में एक बार पानी से फांक लें तो 100% सामान्य प्रसव होगा। किसी आपरेशन की जरूरत नहीं पड़ेगी।
बच्चा पैदा होने के 5-6 दिन बाद मंगरैल का काढा जरूर 3-4 दिनों तक पिये।
इससे सबसे बड़ा फायदा यह होगा की पेट बाहर नहीं निकलेगा वरना 90% महिलायें यही बताती है कि बच्चा होने के बाद पेट निकलना शुरू हुआ।
बच्चा होने के बाद शरीर की मालिश बेहद जरुरी है और हल्दी के लड्डू खाने जरुरी है जो शरीर को नव जीवन तो देते ही हैं ज्वाइंट के रोग नहीं होने देते और ब्रेस्ट कैंसर और स्किन कैंसर से बचाते है।
सभी महिलाओं को बचपन से ही पानी ज्यादा पीने की आदत डालनी चाहिए।
ये पानी आपके शरीर को तमाम बीमारियों से दूर जरूर रखता है।
पथरी, बवासीर, कब्ज, गैस, मोटापा, जोड़ो का दर्द, इतनी सारी बीमारियाँ ये अकेला पानी ही नहीं होने देता।
ल्यूकोरिया या श्वेत-प्रदर की बीमारी शरीर को पूरी तरह खोखला कर देती है।
किसी काम में मन नहीं लगता, कमर-दर्द, चेहरा निस्तेज हो जाना, हर वक्त बुखार सा रहना, ये सब ल्यूकोरिया के लगातार रहने की वजह से पैदा हो जाते है।
किसी भी उम्र की महिला को सफ़ेद पानी गिरने की शिकायत हो रही है तो 2 केले, दो चम्मच देशी घी और आधा चम्मच शहद में मसल कर चटनी बना ले व एक महीने तक लगातार रोज खाएं।
चेहरे पर दाग-धब्बे, झाइयां हो जाएँ तो दो चम्मच मंगरैल को सिरके में पीस तक पेस्ट बनाएं और रोज रात में लगाकर सो जायें।
20-25 दिन में चेहरा साफ़ हो जायेगा।
कास्मेटिक्स के ज्यादा प्रयोग से चेहरे पर झुर्रियां जल्दी आ जाती हैं और चेहरे की ताजगी खत्म हो जाती है।
चेहरे पर कभी खीरे का रस लगाकर सो जाएँ, कभी टमाटर का रस, तो कभी हल्दी और बेसन का पेस्ट तो कभी फिटकरी के पानी से धो कर सोयें। ये ही सबसे अच्छे कास्मेटिक्स है।
बच्चे न होने के लिए खाई जाने वाली कन्ट्रासेप्टिव पिल्स आपको बाँझ भी बना सकती है।
सेक्स के प्रति रूचि भी ख़त्म कर सकती है और गर्भाशय से सम्बंधित कुछ और बीमारियाँ भी पैदा कर सकती है, जबकि सबसे अच्छी पिल्स तो आपकी रसोई में ही मौजूद है।
जिस दिन पीरियड ख़त्म हो उसी दिन एक अरंडी का बीज पानी से निगल लीजिये।
पूरे महीने बच्चा नहीं रुकेगा या एक लौंग पानी से निगल लीजिये यह भी महीने भर आपको सुरक्षित रखेगी।
कोलेस्ट्राल बढ़ रहा हो तो रोज एक चम्मच मेथी का पाउडर पानी से निगल लीजिये (सुबह सवेरे खाली पेट)
खून साफ़ रखने, प्रतिरोधक क्षमता बढाने और स्किन को जवान रखने के लिए आप एक चम्मच हल्दी का पाउडर (लगभग 3-4 ग्राम) पानी से सुबह सवेरे निगल लीजिये, यह गले की भी सारी बीमारियाँ दूर कर देती है- टांसिल्स, छाले, कफ, आदि ख्त्म। आवाज भी सुरीली हो जायेगी।
खुद को फिट रखने का सही तरीका ये होगा कि एक महीना हल्दी का पाउडर निगलिये, एक महीना मे।
एक महीने तक सवेरे नीम की 10 पत्तियां चबा लीजिये।
एक महीना तुलसी की 10 पत्तियाँ 10 दाने काली मिर्च के साथ चबाएं।
फिर एक महीना सुबह सवेरे 100 ग्राम गुड का शरबत पीयें।
एक महीना कुछ मत लीजिये, फिर अगले महीने से यही रुटीन शुरू कीजिए।
आपको आपके बाल सुन्दर, चेहरा सुन्दर, स्किन सुन्दर, शरीर में भी अजीब सी ताजगी और क्या क्या चमत्कार दिखाई देगा, ये खुद ही जान जायेंगी।
खुद को प्रकृति के नजदीक रखिये और स्वस्थ रहिये।
कभी आपको डाक्टर के पास जाने की जरुरत नहीं पड़ेगी।
: *आप की हत्या की साजिश रची गई है!*
*और आप स्वयं ही आत्म हत्या के पक्ष में हैं!*
*वो भी परिवार सहित.?*
आप का और आप के परिवार का जीवन बचाना चाहते हैं तो यह पोस्ट जरूर पढे!
*रिफाइंड तेल का नंगा सच*
*सबसे ज्यादा मौतें देने वाला भारत में कोई है तो वह है... रिफाइंड तेल*
केरल आयुर्वेदिक युनिवर्सिटी आंफ रिसर्च केन्द्र के अनुसार, हर वर्ष 20 लाख लोगों की मौतों का कारण बन गया है... रिफाइंड तेल.!
*आखिर भाई राजीव दीक्षित जी के कहे हुए कथन सत्य हो ही गये!*
रिफाइंड तेल से DNA डैमेज, RNA नष्ट, हार्ट अटैक, हार्ट ब्लॉकेज, ब्रेन डैमेज, लकवा, शुगर (डाईबिटीज), BP, नपुंसकता, कैंसर, हड्डियों का कमजोर हो जाना, जोड़ों में दर्द, कमर दर्द, किडनी डैमेज, लिवर खराब, कोलेस्ट्रोल, आंखों रोशनी कम होना, प्रदर रोग, बांझपन, पाईल्स, त्वचा रोग जैसे हजारों रोगों का प्रमुख कारण है।
*रिफाइंड तेल बनता कैसे है, जानिये.?*
बीजों का छिलके सहित तेल निकाला जाता है, इस विधि में जो भी अशुद्धियां (Impurities) तेल में आती है, उन्हें साफ करने व तेल को स्वाद गंध व कलर रहित करने के लिए रिफाइंड किया जाता है। जानिये हमारे तेल के साथ क्या क्या अत्याचार होता है।
*वाशिंग (Washing)*
वाशिंग करने के लिए पानी, नमक, कास्टिक सोडा, गंधक, पोटेशियम, तेजाब व अन्य खतरनाक एसिड इस्तेमाल किए जाते हैं, ताकि अशुद्धियां (Impurities) इसके बाहर हो जायें। इस प्रक्रिया मैं तारकोल की तरह गाढ़ा वेस्टेज (Wastage} निकलता है जो कि टायर बनाने में काम आता है। और फिर यह तेल ऐसिड के कारण जहर बन जाता है।
*न्यूट्रलाइज़ेशन (Neutralisation)-*
तेल के साथ कास्टिक या साबुन को मिक्स करके 180°F पर गर्म किया जाता है। जिससे इस तेल के सभी पौष्टिक तत्व नष्ट हो जाते हैं।
*ब्लीचिंग (Bleaching)-*
इस विधि में प्लास्टर ऑफ पेरिस (पी.ओ.पी.), जो मकान बनाने मे काम ली जाती है, का उपयोग करके तेल का कलर और मिलाये गये कैमिकल को 130°F पर गर्म करके साफ किया जाता है।
*हाईड्रोजेनेशन (Hydrogenation)-*
एक टैंक में तेल के साथ निकल और हाइड्रोजन को मिक्स करके हिलाया जाता है। इन सारी प्रक्रियाओं में तेल को 7-8 बार गर्म व ठंडा किया जाता है, जिससे तेल में पालीमर्स बन जाते हैं, उससे पाचन प्रणाली को खतरा होता है और भोजन न पचने से सारी बिमारियां होती हैं।
निकेल एक प्रकार का कैटेलिस्ट मेटल (Catalyst metal) होता है जो हमारे शरीर के श्वसन तंत्र (Respiratory system), लिवर (Liver), स्किन (Skin), मेटाबोलिज्म (Metabolism), DNA, RNA को भंयकर नुकसान पहुंचाता है।
रिफाइंड तेल के सभी तत्व नष्ट हो जाते हैं और ऐसिड (कैमिकल) मिल जाने से यह भीतरी अंगों को नुकसान पहुंचाता है।
जयपुर के प्रोफेसर श्री राजेश जी गोयल ने बताया कि, गंदी नाली का पानी पी लें, उससे कुछ भी नहीं होगा क्योंकि हमारे शरीर में प्रति रोधक क्षमता उन बैक्टीरिया को लडकर नष्ट कर देता है, लेकिन रिफाइंड तेल खाने वाले व्यक्ति की अकाल मृत्यु होना निश्चित है।
*अब दिल थाम के पढ़ें..*
हमारा शरीर करोड़ों Cells (कोशिकाओं) से मिलकर बना है, शरीर को जीवित रखने के लिए पुराने Cells, नये Cells से Replace होते रहते हैं।
नये Cells (कोशिकाओं) बनाने के लिए शरीर के खून का उपयोग करता है, यदि हम रिफाइंड तेल का उपयोग करते हैं तो खून मे जहरीले तत्वों (Toxins) की मात्रा बढ़ जाती है व शरीर को नए सेल बनाने में अवरोध उतपन्न हो जाता है, और परिणामस्वरूप कई प्रकार की बीमारियां जैसे कैंसर (Cancer), (Diabetes) मधुमेह, (Heart Attack) हार्ट अटैक, (Kidney Problems) किडनी की समस्याएं, एलर्जी
(Allergies), पेट मे अल्सर (Stomach Ulcer), समय से पहले बुढापा (Premature Ageing), नपुंसकता Impotency), अर्थराइटिस (Arthritis), डिप्रेशन (Depression), ब्लड प्रेशर (Blood Pressure), आदि हजारों बिमारियां होगी।
रिफाइंड तेल बनाने की प्रक्रिया से तेल बहुत ही मंहगा हो जाता है, इसलिये इसमे पाम आयल मिक्स किया जाता है!
*(पाम आयल स्वयं एक धीमी मौत है।)*
*सरकार का आदेश-*
हमारे देश की पॉलिसी अमरिकी सरकार के इशारे पर चलती है। अमरीका का पाम खपाने के लिए, मनमोहन सरकार ने एक अध्यादेश लागू किया कि,
प्रत्येक तेल कंपनियों को 40% पाम आयल, खाद्य तेलों में मिलाना अनिवार्य है, अन्यथा लाईसेंस रद्द कर दिया जाएगा!
इससे अमेरिका को बहुत फायदा हुआ, पाम के कारण लोग अधिक बीमार पडने लगे, हार्ट अटैक की संभावना 99% बढ गई, तो दवाईयां भी अमेरिका की आने लगी, हार्ट मे लगने वाली स्प्रिंग (पेन की स्प्रिंग से भी छोटा सा छल्ला), दो लाख रुपये की बिकने लग गया, यानी अमेरिका के दोनो हाथों में लड्डू, पाम भी उनका और दवाईयां भी उनकी!
अब तो कई नामी कंपनियों ने पाम से भी सस्ता, गाड़ी में से निकाला हुआ काला आंयल (जिसे आप अपनी गाडी सर्विस करने वाले के यहां छोड आते हैं।)
वह भी रिफाइंड करके खाद्य तेल में मिलाया जाता है, अनेक बार अखबारों में पकड़े जाने की खबरे आती है।
सोयाबीन एक दलहन हैं, तिलहन नही...
दलहन में...
मूंग, मोठ, चना, सोयाबीन, व सभी प्रकार की दालें आदि होती है।
तिलहन में... तिल, सरसों, मुमफली, नारियल, बादाम आदि आती है।
अतः सोयाबीन तेल, प्योर पाम आयल ही होता है। पाम आयल को रिफाइंड बनाने के लिए सोयाबीन का उपयोग किया जाता है।
सोयाबीन की एक खासियत होती है कि यह, प्रत्येक तरल पदार्थों को सोख लेता है,
पाम आयल एक दम काला और गाढ़ा होता है, उसमे साबुत सोयाबीन डाल दिया जाता है जिससे सोयाबीन बीज उस पाम आयल की चिकनाई को सोख लेता है और फिर सोयाबीन की पिसाई होती है, जिससे चिकना पदार्थ तेल तथा आटा अलग अलग हो जाता है, आटा से सोया मुंगोडी बनाई जाती है!
आप चाहें तो किसी भी तेल निकालने वाले के सोयाबीन ले जा कर, उससे तेल निकालने के लिए कहे!
मेहनताना वह एक लाख रुपये भी देने पर तेल नही निकालेगा, क्योंकि सोयाबीन का आटा बनता है, तेल नही!
कोई भी तेल रिफाइनिंग के बिना नहीं निकाला जा सकता है, अतः ये जहरीले ही है!
फॉर्च्यून.. अर्थात.. आप के और आप के परिवार के फ्यूचर का अंत करने वाला... प्रमाण आपके सामने....
फार्च्यून तेल का प्रचार करने वाले क्रिकेट के महाराजा कहे जाने वाले सौरभ गांगुली को हार्ट अटैक पड़ गया और फिर उनको फार्च्यून का ब्रांड एंबेसडर से हटा दिया गया।
सफोला... अर्थात.. सांप के बच्चे को सफोला कहते हैं!
..5 वर्ष खाने के बाद शरीर जहरीला
..10 वर्ष के बाद.. सफोला (सांप का बच्चा अब सांप बन गया है.
...15 साल बाद.. मृत्यु... यानी कि सफोला अब अजगर बन गया है और वह अब आप को निगल जायगा.!
पहले के व्यक्ति 90 से 100 वर्ष की उम्र में स्वस्थ रहते हुए मरते थे तो उनको मोक्ष की प्राप्ति होती थी, क्योंकि उनकी सभी इच्छाए पूर्ण हो जाती थी।
और आज... अचानक हार्ट अटैक आया और कुछ ही देर में मर गया..?
उसने तो कल के लिए बहुत से सपने देखें है, और अचानक मृत्यु..?
अधूरी इच्छाओं से मरने के कारण प्रेत योनी मे भटकता है।
कहते हैं
राम न ही किसी को मारता....
और न ही यह राम का काम है.!
अपने आप ही मर जाते हैं...
कर कर खोटे काम....!!
गलत खान पान के कारण, अकाल मृत्यु हो जाती है!
*सकल पदार्थ है जग माही..!*
*कर्म हीन नर पावत नाही..!!*
अच्छी वस्तुओं का भोग, कर्म हीन व आलसी व्यक्ति संसार की श्रेष्ठ वस्तुओं का सेवन नहीं कर सकता!
तन मन धन और आत्मा की तृप्ति के लिए सिर्फ कच्ची घाणी का तेल, तिल, सरसों, मूंगफली, नारियल, बादाम आदि का तेल ही इस्तेमाल करना चाहिए!
पौष्टिकता से भरपूर और शरीर को निरोग रखने वाला सिर्फ कच्ची घाणी का निकाला हुआ तेल ही इस्तेमाल करना चाहिए!
आज कल सभी कम्पनियाँ अपने प्रोडक्ट पर कच्ची घाणी का तेल ही लिखती हैं!
वह बिल्कुल झूठ है.. सरासर धोखा है!
कच्ची घाणी का मतलब है कि, लकड़ी की बनी हुई, औखली और लकडी का ही मूसल होना चाहिए!
लोहे का घर्षण नहीं होना चाहिए!
इसे कहते हैं.. कच्ची घाणी.!
जिसको बैल के द्वारा चलाया जाता हो!
आजकल बैल की जगह मोटर लगा दी गई है!
लेकिन मोटर भी बैल की गति जितनी ही चले, तो ठीक है!
लोहे की बड़ी बड़ी एक्सपेलर (मशीन) उनका बेलन लाखों की गति (आर पी एम रोटेशन पर मिनट) से चलता है जिससे तेल के सभी पौष्टिक तत्व नष्ट हो जाते हैं और वे लिखते हैं.. कच्ची घाणी...
*.....अब फैसला आपका कि आपने क्या खाना है..?*
इस पोस्ट को शेयर कीजिए, यह लोगों के प्राण बचाने की मुहिम हैं, यह व्यापार नहीं, स्वास्थ्य की सेवा है..!!
*स्टेटस सिंबल R.O.पानी का खतरनाक सच.!*
*Reverse Osmosis water*
*●●●पैसे वालों के चोचले.!*
*●स्वयम् की बर्बादी की ओर.!*
हमसे कहा जाता है कि 250 टी.डी.एस. से कम का पानी मत पीजिये।
लेकिन कुछ मूर्ख डेंटिस्ट और हाइली क्वालीफाइड डॉक्टर्स भी इसमें शामिल हैं, बिना जाने समझे अपने पेशेंट को बोल देते हैं कि RO का पानी पीजिये। आपके बच्चों के दांत ख़राब हो रहे हैं फ्लोराइड बढ़ा है।
वास्तव में उन डाक्टरों को पता ही नहीं होता कि आखिर R.O. करता क्या है और हम उनके चक्कर में पड़कर या अपना स्टेटस समझकर R.O. लगा लेते हैं।
विदेशों में पानी की किल्लत है लेकिन अब उनकी तकनीक ने हमारे भी जल स्रोतों को दूषित कर दिया है। हम जो वर्षा का पानी इकठ्ठा करके पूरा साल पीते थे अपनी चावड़ी या कुएँ के जलस्तर सामान्य करने के लिए गाँवों में गहरे तालाब के पानी को सुरक्षित रखते थे हमने भंडारण तो बंद कर दिया, उसकी जगह पृथ्वी से जल का दोहन शुरू कर दिया।
*R.O. का लगातार सेवन बनेगा बेमौत मौत का कारण*
*आदरणीय राजीव भाई..*
चिलचिलाती गर्मी में कुछ मिले ना मिले पर शरीर को पानी जरूर मिलना चाहिए और अगर पानी R.O. का हो तो क्या बात है।
परंतु क्या हम R.O. को शुद्ध पानी मान सकते हैं, जवाब है बिल्कुल नहीं और यह जवाब विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से मिल चुका है।
WHO ने बताया कि इसके लगातार सेवन से हृदय संबंधी विकार, थकान, कमजोरी, मांसपेशियों में ऐंठन, सिरदर्द आदि दुष्प्रभाव पाए गए हैं।
कई शोधों से पता चला है कि इसकी वजह से कैल्शियम, मैग्नीशियम पानी से पूरी तरह नष्ट हो जाते हैं जो कि शारीरिक विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है॥
"राजीव भाई ने हमेशा कहा कि R.O., पानी की क्वालिटी मेंटेन नहीं करता है बल्कि जल के भीतर मौजूद मिनिरल को कम कर देता है।
घरों में, जो भी सर्विस इंजीनियर आते हैं, उनसे पूंछिये कि कितने TDS का जल पीना चाहिए तो बोलेंगे 50 TDS का।
वैज्ञानिकों के अनुसार मानव शरीर 500 TDS तक सहन करने की क्षमता रखता है परंतु RO में 18 से 25 TDS तक पानी की शुद्धता होती है जो कि बहुत ही हानिकारक है।
विकल्प में थोड़ी मात्रा में क्लोरीन को रखा जा सकता है, जिसमें लागत भी कम एवं आवश्यक तत्व भी सुरक्षित रहते हैं, और मानव शारीरिक विकास अवरूद्ध नहीं होता।
एशिया और यूरोप के कई देश R.O. पर प्रतिबंध लगा चुके हैं पर भारत में R.O. की मांग लगातार बढ़ती जा रही है और कई विदेशी कंपनियों ने यहां अपना बड़ा बाजार बना लिया।
: *100% नेचुरल, नैसर्गिक प्राकृतिक शक्तियों से भरपूर पूरे परिवार के लिए "बी-पोलेन"...*
*प्रोडक्ट कोड 7/10/Bee*
*अधिकांश लोगों से अनजान अद्भुत अमृतमय मधुमक्खियों द्वारा निर्मित धरती का अमृत "पराग" या "बी-पॉलन".!*
*क्या आप मात्र एक चम्मच से 5 किलो गाय का दूध, 5 किलो हरी सब्जियां, 5 किलो फल और बहुत सारे एन्टी ऑक्सीडेंट्स चाहते हैं.?*
*बी-पॉलन में फूलों का पराग, रस, एन्ज़ाइम्स, शहद और बी सीक्रेशन का मिक्सचर होता है!*
*मधुमक्खी जब अपने छत्ते पर शहद इकठ्ठा करती है तो शहद के साथ साथ उस छत्ते पर कुछ पराग कण भी इकठ्ठा हो जाते हैं और फिर ये दानों का आकार ले लेते हैं यही दाने सूखकर बी-पॉलन (Bee-Pollen) कहलाते हैं।*
जो लोग डायबिटीज, हाइपरटेंशन, ऑटो इम्यून या कैंसर जैसी बीमारियों से ग्रसित हैं उन्हें बी-पॉलन का सेवन ज़रूर करना चाहिये।
बी-पॉलन और उसके फायदों के बारे में अभी भी बहुत कम लोग जानते हैं।
आपको बता दें कि यह मधुमक्खियों द्वारा इकठ्ठा किया गया फूलों के परागकण का ढेर होता है जो उनके आहार के रूप में काम आता है।
इसमें लगभग 40% प्रोटीन पाया जाता है और इसके अलावा इसमें पोषक तत्वों की मात्रा भी काफी ज्यादा होती है। इसका सेवन इंसानों के लिए भी बहुत फायदेमंद है।
काफी समय पहले से ही बी-पॉलन को न्यूट्रीशनल सप्लीमेंट के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
ताजे बी-पॉलन में प्रोटीन, विटामिन, मिनरल्स, कार्बोहाइड्रेट के अलावा लैक्टिक एसिड और फ्लेवेनॉयड जैसे यौगिक भी होते हैं।
चायनीज मेडिसन में इसके फायदों को देखते हुए जर्मन फेडरेल बोर्ड ऑफ़ हेल्थ द्वारा इसे ऑफिशियल मेडिसिन घोषित किया है।
*इन्फ्लेमेशन (सूजन) कम करने में मदद :*
साल 2010 में फार्मसूटिकल बायोलॉजी जर्नल के अनुसार बी-पॉलन में ऐसे एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जिस वजह से ये जोड़ों के दर्द, एक्ने और कई इंफ्लेमेटरी डिजीज से राहत दिलाने में मदद करती है।
*मांसपेशियों की मजबूती :*
फ्रेश बी पॉलन मसल्स रिकवरी रेट को बढ़ाने में बहुत मदद करते हैं।
साल 2014 में किये शोध के अनुसार जो लोग पोषक तत्वों की कमी से होने वाले रोगों से परेशान रहते हैं उनके लिए यह बहुत ही फायदेमंद है।
अगर आप वजन कम करने की सोच रहे हैं तो आपको बी-पोलन का सेवन बढ़ा देना चाहिये।
जो लोग डायबिटीज, हाइपरटेंशन या कैंसर जैसी बीमारियों से ग्रसित हैं उन्हें बी-पोलन का सेवन ज़रूर करना चाहिये।
*एंटी-ऑक्सीडेंट से भरपूर :*
आप कैफीन युक्त ड्रिंक पीने की बजाय बी-पॉलन से निर्मित चाय का सेवन कर सकते हैं।
इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट की मात्रा बहुत ज्यादा होती है और इसी वजह से जो लोग कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों, डायबिटीज, हाइपरटेंशन या कैंसर जैसी बीमारियों से ग्रसित हैं उनके लिए बी-पॉलन बहुत ज्यादा फायदेमंद है।
*इम्युनिटी बढ़ाने में मददगार :*
साल 2014 में एक शोध में बताया गया कि बी-पॉलन में पर्याप्त मात्रा में एंटी-माइक्रोबियल, एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी क्षमताएं होती हैं और इसके सेवन से कैंडिडा और स्टाफ इन्फेक्शन जैसी बीमारियों से बचाव होता है।
निरोगी काया के लिये बी-पॉलन की बिक्री मैं किलो में ही करता हूं क्योंकि ये महंगाई के अनुसार तो महंगा है परन्तु स्वास्थ्य की दृष्टि से एकदम सस्ता या मुफ्त जैसा है।
ये ग्रेन्युल के रूप में आता है।
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शरीर की अन्य समस्याओं की तरह यौन संबंधी समस्याएं भी आम हैं।
इन्हें छिपाने के बजाय इनका समाधान ढूंढ़ना चाहिए।
किसी व्यक्ति के जीवन में यौन समस्याएं उसके असुखद व असंतोषजनक यौन अनुभव होने के बाद भी हो सकती हैं।
सामान्यत: जो पुरुषों में किसी भी तरह की कमजोरी नहीं हैं, उनका दांपत्य और सामाजिक जीवन हमेशा खुशहाल रहता है।
इसलिए किसी भी तरह की पौरुष कमजोरी पुरुषों में आत्मविश्वास की कमी का कारण बन सकती है।
पुरुषों में पाई जाने वाली इन कमजोरियो के कारण व्यक्ति हीनभावना, मानसिक तनाव (डिप्रेशन) का शिकार हो जाता है। ज्यादातर इसका परिणाम आत्महत्या, धोखा, डाइवोर्स, सामाजिक अवहेलना के स्वरुप मे सामने आता है।
*यौन समस्या के मुख्य कारण:*
→ हार्मोन्स एवं रक्त में टेस्टोस्टेरोन की कमी, हस्तमैथुन, भ्रामक यौन प्रदर्शन
→ शीघ्रपतन, मांसपेशियों का कमजोर होना, यौन शक्ति में कमी,
→ इरेक्टाइल डिस्फंक्शन यानी इंद्री की मांसपेशियों का शिथिल पड़ना
→ धात रोग, स्वपन्दोष, वीर्य पतला होना, नसों की दुर्बलता या जकड़ना,
→ शरीर में सप्त धातुओं की कमी,
→ अनियमित रक्तचाप,
→ वीर्य में शुक्राणुओं (sperm) की कमी
→ धूम्रपान और अल्कोहल की वजह से कमजोरी आना,
→ अनियमित खानपान की वजह से शरीर में दुर्बलता आना,
→ दूषित या प्रदूषित वातावरण (Pollution) की वजह से धातुओं और शरीर का संतुलन बिगड़ना।
*हमारी लाइफ स्टाइल का इस परेशानी से सीधा संबंध होता है।*
यौन समस्या में हम कई बार दवाइयों की दुकान में मिलने वाली अंग्रेजी दवाइयों का प्रयोग कतरे हैं पर ये दवाइयां जब तक खाते हैं तब तक ही उनका फायदा मिलता हैं, अंग्रेजी दवाई यौन समस्या का जड़ से इलाज नहीं करती बल्कि शरीर में साइडइफेक्ट 100% करती है, जैसे की लीवर, किडनी, हृदय आदि को बिगाड़ना।
इनके बार बार सेवन सें आदी हो जाते हैं और बची हुइ यौन शक्ति को भी गँवा बैठते है।
हमारी प्राचीन भारतीय संस्कृति में सैकड़ो जड़ी बूटियों का वर्णन है जिनका सेवन करके हम किसी भी रोग को जड़ से मिटा सकते है।
धातु रोग/ हस्तमैथुन/ स्वप्नदोष/ शीघ्रपतन/ नपुंसकता/ मर्दानाकमजोरी जैसी समस्याओं से जड़ से छुटकारा पा सकते हे।
इन जड़ी बूटियों में जैसे स्वर्ण भस्म, अश्वगंधा, शतावरी, शिलाजीत कौचा, मुसली, शुद्ध कौचा, अख्ख्ल हरो, गोखरू, वन्य भष्म, कर्पुर, अबरक भष्म,
इन सारी औषधियों का सही मिश्रण करके उनका सेवन किया जाय तो सभी यौन समस्याओं का जड़ से इलाज कर सकते हैं।
स्वर्ण भस्म, अश्वगंधा, शतावरी, मुसली और शुद्ध कौचा।
ये ऐसी महान औषधियां हैं जिनमे घोड़े (अश्व) जैसी ताकत का राज छिपा है।
इनमे शिलाजीत को तो भारतीय वियाग्रा भी कहा जाता है।
शतावरी और मुसली को यौन शक्ति का रामबाण माना गया है।
इन औषधियों में कुछ औषधियों को भस्म, कुछ सार तत्व / एक्सट्रैक्ट / extract और कुछ औषधियों को रस के रूप में ग्रहण करना होता है, जिसके सही उपयोग और मात्रा से ही समस्याओं का जड़ से इलाज हो सकता है।
हमारे आयुर्वेदिक एवं प्राकृतिक चिकित्सकों ने इन औषधियों पर आविष्कार करके हर एक औषधियों को सही मात्रा और योग्य स्वरुप में मिश्रित करके अत्यंत असरकार नुस्खों का निर्माण किया है!
आयुर्वेद के अनुसार मनुष्य की यौन शक्ति को बाजी (घोड़े) की तरह ही बनाने कि प्रक्रिया ही सेक्स या यौन शक्ति को बढ़ाने वाली होती है।
*जीवन अमृत का दिन में दो बार दूध के साथ सेवन करने के बाद पौरुष सम्बन्धित सभी सुखों को प्राप्त कर सकता है और इस समस्या का जड़ का हमेशा के लिये समाधान किया जा सकता है।*
संभोग मात्र एक क्रिया ही नहीं है बल्कि इसके साथ हमारी बहुत सी भावनायें जुड़ी होती है।
यह एक ऐसी जटिल प्रक्रिया से संचालित होती है जिसका अंदाजा लगाना सरल नहीं है।
कभी-कभी लोग किसी तस्वीर को देखकर ही उत्तेजित हो जाते हैं और कभी कभी इससे बिल्कुल उलट इंद्री में उत्तेजना ही खत्म हो जाती है जिसको नपुंसकता कहते हैं।
उतेजना संभोग पूरा हो जाने के बाद यानी (स्खलन) के बाद खत्म होना चाहिए।
जिन लोगों में यह दिक्कत पाई जाती है, वे चिड़चिड़े हो सकते हैं और उनका अपने पर से विश्वास भी कम हो जाता ही।
उन के मन मे एक तरह का डर बैठ जाता है और वह मानसिक रोगी बन जाता है और इस डर कारण ही सेक्स में हर बार नाकाम रहता है दिनों दिन उस रोगी की उदासी बढ़ती जाती है।
हम सब को पता है कि पुरुष की इंद्री में उतेजना पॉजिटव विचार और वीर्य की शक्ति से ही आती है।
अगर हमारा वीर्य शुद्ध और शक्तिशाली होगा तो हमे कभी भी इस तरह की समस्या का सामना नही करना पड़ेगा।
माना जाता है के पुरुषों में 45-50 या 55-60 और कभी कभी तो 35-40 साल के बाद ही हार्मोन्स की कमी के कारण उतेजना में कमी आने लगती है लेकिन कुछ लोग 70 साल के बाद भी उसी तरह से एक्टिव रहते हैं, उसका मुख्य कारण उनके शरीर मे हार्मोन टेस्टोस्टेरोन लेवल का भरपूर मात्रा में उपलब्ध रहना है।
उत्तेजना की कमी या नपुंसकता के कई कारण हो सकते है...
नशा, शुगर और तनाव से भी हमारी सेक्सुअल ज़िन्दगी पर बहुत असर पड़ता है। इससे भी धीरे धीरे उत्तेजना में कमी आने लगती है।
अगर आप को किसी भी कारण से उतेजना में कमी आ रही है या इंद्री में बिल्कुल भी तनाव या पहले जैसे उत्साह में कमी लग रही है तो आप एक बार जीवन अमृत का कोर्स जरूर खा कर देखे।
जीवन अमृत दो प्रकार की बनती है, एक स्त्री एवं पुरुष दोनों के लिये और दूसरा स्पेशल या स्ट्रांग, सिर्फ पुरुषों के लिये।
इस के इलावा यदि आप नीचे दी गईं किसी भी समस्या से परेशान है तो आप की समस्या का समाधान यही है।
(1). सहवास की इच्छा ही न होना।
(2). सहवास करते करते बीच में ही उत्तेजना समाप्त होकर लिंग का बिना वीर्य निकले ही ढीला पड़ जाना और पत्नी का असंतुष्ट रह जाना?
(3). यौन क्रिया शुरू करते ही वीर्य निकल जाना और पत्नी के सामने शर्मिंदा होना पड़े?
(4). एक बार यदि सहवास कर लिया तो कई कई दिनों तक इंद्री में सहवास करने लायक उत्तेजना का ही न आना।
(5). वीर्य में शुक्राणुओं की कमी, वीर्य पानी की तरह पतला होना?
(6). संभोग के बाद भयंकर कमजोरी महसूस होना जैसे बरसों से बीमार हों?
(7). कठोरता का न आना और इच्छा होने पर भी थोड़ा सा उत्तेजित होकर पिलपिला बना रहना?
(8). जवानी शुरू होते ही हस्तमैथुन करके वीर्य का सत्यानाश करा और इंद्री को भी बीमार बना डाला है?
(9). संभोग के दौरान दम फूलने लगना जैसे अस्थमा का दौरा पड़ गया हो?
ऐसी तमाम समस्याएं हैं जिनके कारण वैवाहिक जीवन का सत्यानाश होता रहता है और कई बार तो साथी के कदम बहक जाने से परिवार तक टूट जाते हैं।
ऐसे में पति बाजारू दवाओं का सेवन करके या नीम हकीमों के चक्कर में अपनी मेहनत का पैसा लुटाते रहते हैं लेकिन ऐसी दवाओं से स्थायी समाधान हाथ नहीं आकर बस कुछ देर के लाभ का छलावा महसूस होता है।
ऐसे में चाहिये कि शरीर का भली प्रकार पोषण करके शक्ति प्रदान करने वाले उपचार आपके पास हों, न कि क्षणिक उत्तेजना देकर आँखों, किडनी व मस्तिष्क यानि दिमाग का नाश करे।
अगर अपने चेहरे पर सूरज जैसी चमक चाहते है तो एक बार जरूर परखे।
*जीवन अमृत कैप्सूल के घटक...*
*सफेद मूसली*
*काली मूसली*
*सालम पंजा*
*सालम मिश्री*
*अश्वगंधा*
*परिस्कृत शिलाजीत शुद्व*
*अकरकरा*
*गोखरू*
*विदारी कंद*
*जावित्री*
*जायफल*
*कौंच बीज*
*बबूल गोंद*
*मोचरस*
*तालमखाना*
*लौंग*
*तुलसी बीज*
*लौह भस्म*
*अब्रक भस्म*
*स्वर्णमाक्षिक भस्म*
*विशेष :-*
*जीवन अमृत शत प्रतिशत प्राकृतिक है और वियाग्रा जैसे परिणाम की अपेक्षा रखने वाले इसे कतई न मंगवायें लेकिन एक बात की गारंटी है कि परिणाम स्थाई मतलब परमानेंट होंगे जिसे आप एक सप्ताह में महसूस करना शुरू कर देंगे।*
*100% स्टेरॉइड मुक्त*
*कोर्स की अवधि- 33 दिन*
*कोर्स की कीमत- ₹3300/-*
*प्रोडक्ट कोड 5/10/JAC33*
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