😢 *34 साल बाद न्याय मिलने की हल्की सी झलक / या आस*❓🤔
😢👉 *न्याय.... की आस*..?❓.. *में पीढ़ियां गुजर गई*??
👉 *यह अच्छा हुआ कि 34 साल बाद ही सही कश्मीर में 1989 से 1995 के बीच कश्मीरी हिंदुओं की हत्याओं की जांच कराने का निर्णय लिया गया!!🤔 यह जांच जम्मू कश्मीर की एजेंसी एसआईए यानी राज्य जांच एजेंसी को सौंपी गई है!!?❓🤔 यह एजेंसी हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त जज नीलकंठ गंजू की हत्या की भी जांच करेगी,🤔 जिन्हें केवल इसलिए मार डाला गया था,🤔😡 क्योंकि उन्होंने न्यायाधीश के तौर पर जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के आतंकी मकबूल बट को फांसी की सजा सुनाई थी!!?❓🤔 1989 से 1995 के बीच बड़ी संख्या में कश्मीरी हिंदुओं की निर्मम तरीके से हत्या ही नहीं की गई थी,🤔😡 बल्कि उनकी महिलाओं से दुष्कर्म भी किए गए थे,🤔❓😡 इसके अलावा कश्मीरी हिंदुओं को हर संभव तरीके से प्रताड़ित और आतकित किया गया था!!?❓🤔😡 वास्तव में वे इसी कारण बड़ी संख्या में कश्मीर घाटी छोड़ने के लिए विवश हुए,❓🤔 उनके सामने घाटी छोड़ने के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं रह गया था,🤔❓😡 क्योंकि न तो केंद्र की सरकारों ने उनकी दुर्दशा पर ध्यान दिया और न ही राज्य की!!🤔❓ परिणाम यह हुआ कि लाखों कश्मीरी हिंदू अपने ही देश में शरणार्थी बनने के लिए विवश हुए!!🤔 कुछ को तो वर्षों तक जम्मू में बेहद दयनीय दशा में अपनी गुजर-बसर करनी पड़ी!!🤔❓ हालांकि कश्मीरी हिंदुओं के संगठन समय-समय पर अपने खिलाफ हुए अन्याय और अत्याचार की जांच कराने की मांग उठाते रहे,🤔❓ लेकिन किसी ने भी उनकी मांग पर ध्यान कभी नहीं दिया*❓🤔❓😡
👉 *यह समझना भी कठिन है की घाटी छोड़ने और दर-दर भटकने वाले कश्मीरी हिंदुओं को न्याय दिलाने की कहीं कोशिश क्यों नहीं की गई..?❓🤔😡 इस संदर्भ में एक प्रश्न सुप्रीम कोर्ट को लेकर भी उठता है कि आखिर बार-बार अनुरोध करने के बाद भी वह कश्मीरी हिंदुओं के साथ हुए अन्याय के मामलों की जांच कराने के लिए तैयार क्यों नहीं हुआ...?❓🤔😡 आखिर जब 40 साल पुराने सिख विरोधी दंगों को नए सिरे से जांच हो सकती है तो फिर करीब 34 साल पहले कश्मीर में कश्मीरी हिंदुओं के खिलाफ जो कुछ हुआ,🤔❓😡 उसकी जांच कराने की पहल क्यों नहीं की गई..?❓🤔❓😡 (आज जैसे हर मामले में सुप्रीम कोर्ट स्वत: संज्ञान ले लेता है इस मामले में संज्ञान क्यों नहीं लिया गया..?❓😡🤔 ) यह वह प्रश्न है जिसका उत्तर सुप्रीम कोर्ट को भी देना चाहिए!!?❓🤔😡 जो भी हो ,🤔अब आवश्यक केवल यह नहीं कि कश्मीरी हिंदुओं के साथ हुए अत्याचार की गहन जांच की जाए,🤔❓ बल्कि दोषी लोगों को जितनी जल्दी संभव हो,🤔❓ दंडित किया जाए!!🤔😡 इससे संतुष्ट नहीं हुआ जा सकता कि वायु सेना के चार अफसरों की हत्या और मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी के अपहरण के मामलों में आतंकी यासीन मलिक को सजा सुनाई गई है ,🤔क्योंकि कश्मीरी हिंदुओं के घावों पर मरहम तब लगेगा जब उन्हे घाटी छोड़ने के लिए बाध्य करने वालों को भी सजा दी जाएगी!!🤔 कश्मीरी हिंदुओं की न्याय की आस को पूरा करने के साथ ही उन कारणों की पहचान कर उनका निवारण भी किया जाना चाहिए जिनके चलते विस्थापित कश्मीरी हिंदू चाह कर भी अपने घरों को लौट नहीं पा रहे हैं*!!?❓🤔😡
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😡❓ *40 साल बाद न्याय मिलने की उम्मीद*🤔✍️
👉 *दंगे का सच*🤔
👉 *मुरादाबाद के दंगे में आम मुसलमान और हिंदू दोनों ही कलंकित हुए थे इसलिए इसका सच सामने लाया जाना जरूरी था*!!🤔❓
👉 *दगे सभ्य समाज का ऐसा कलंक है जिनका दाग कभी नहीं मिटता और कई पीढियो को इसका दश सालता है!!🤔 मुरादाबाद का दंगा भी एक ऐसी घटना है,🤔 जिसमें न सिर्फ बड़ी संख्या में निर्दोष व मासूम मारे गए,🤔 बल्कि इसने हिंदू और मुसलमानो में गहरी खाई पैदा करने का काम किया!!🤔 अब जबकि लगभग 40 साल बाद इस दंगे की जांच करने वाले जस्टिस सक्सेना आयोग की रिपोर्ट विधानमंडल में रखी गई है तो इसकी भयावहता तो सामने आई ही है,🤔 इसकी साजिश रचने वाली भी बेनकाब हुए हैं!!🤔 मुस्लिम लीग के दो नेताओं ने अपने समुदाय में पेठ बढ़ाने के लिए इसकी योजना तैयार की थी और भावनाओं को भड़काने में सफल रहे थे!!🤔❓😡 ऐसे लोग कानून ही नहीं,🤔 समाज के भी दोषी हैं!!🤔❓😡 जिन्होंने अपने निहित स्वार्थ में मौत का खेल खेलने से परहेज नहीं किया!!🤔 यह दंगा सिर्फ शहर तक ही सीमित न होकर गांव तक भी फैला था,🤔 जिसमें सरकारी रिपोर्ट के अनुसार 84 लोग मारे गए थे,🤔 हालांकि यह संख्या और बताई जाती है!!🤔 जाने कितने परिवार इस दंगे में बर्बाद हुए थे*!!🤔😡
👉 *दंगों का सच सबको बताया जाना चाहिए,🤔 ताकि आने वाली पीढ़ियां उससे सबक ले!!🤔 मुरादाबाद के दंगे में आम मुसलमान और हिंदू दोनों ही कलंकित हुए थे,🤔 इसलिए इसका सच सामने लाया जाना जरूरी था!!🤔 यह विडंबना ही है कि 1983 में सरकार को सौंपी गई यह रिपोर्ट अब तक दबी रही!!🤔 सरकारे आती जाती रही लेकिन किसी ने भी इसे सामने लाना जरूरी नहीं समझा!!🤔 सभी सरकारों ने अपने-अपने राजनीतिक निहितार्थ देखें और सांप्रदायिक वैमनस्य बढ़ाने की आशंका जताकर इससे दूरी बनाए रखी!!🤔 जबकि आयोग की रिपोर्ट कम से कम उन लोगों को तो क्लीनचिट दे ही देती जो इस दंगे के जिम्मेदार माने जा रहे थे!!?🤔❓ सच तो यह है कि राजनीतिक दलों ने मुस्लिम वोटो के लालच में इस रिपोर्ट को उजागर नहीं करना चाहा!!🤔❓ यह आश्चर्य जनक है कि इस रिपोर्ट को सदन के पटल पर रखने के लिए पूर्व में 14 बार मुख्यमंत्रीयो के पास फाइल भेजी गई लेकिन किसी ने भी संज्ञान लेने का साहस नहीं दिखाया.....?*😡❓🤔
🔥😢🤔 *आखिर क्यों*...? 🤔🔥❓
✍️ *सच ....जो कह देता हूं*
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