*उत्तर प्रदेश:अंबेडकरनगर के सप्लाई महकमा के प्रधानसहायक की दास्तान*
*डीएसओ ऑफिस का एक बड़े बाबू 25 सालों से एक ही स्थान पर जमा*
*सरकार के लिए मजबूरी बने ये उर्दू अनुवादक*
*अंबेडकरनगर*.जिला गठन 29 सितंबर 1995 से अभी तक ऐसे तमाम सरकारी विभागीय कार्यालय ऐसे हैं जहां पर तैनात सहायकों का अभी तक तबादला नही हुआ है। इनके बारे में बताया गया है कि ये मूल रूप से उर्दू अनुवादक पद पर नियुक्त हैं।
पूरे प्रदेश के सरकार विभागीय दफ्तरों में तैनात उर्दू अनुवादकों की संख्या बहुत कम है।इसलिए इनका ट्रांसफर नही होता है।
( *सरकार के लिए ये (उर्दू अनुवादक) कर्मचारी मजबूरी जैसे बताए जाते हैं)*
यह बात दीगर है कि ये अनुवादक विभागों में ऐसे पटलों पर जमे हुए हैं जो काफी उपजाऊ हैं। 20- 25 साल से एक ही कार्यालय में कार्यरत ये अनुवादक विभागों और विभागाध्यक्षों के लिए अपरिहार्य से हो गए हैं। इनके अनुभवों और धन कमाऊ कार्यशैली से धन लोलुप विभागाध्यक्ष इन अनुवादकों के मुरीद होकर रह गए हैं।
जिले के कई विभागीय कार्यालयों में सालों से जमे ये उर्दू अनुवादक अब प्रधान सहायक के रूप में कार्य कर रहे है।
इस एपिसोड में हम आप को जिला पूर्ति अधिकारी कार्यालय में अंगद का पांव बने एक ऐसे बड़े बाबू के बारे में बताने जा रहे हैं जो अपनी कार्य शैली और पटल प्रबंधन में काफी माहिर है।
डीएसओ ऑफिस के इस बड़े बाबू के पास विभाग के महत्वपूर्ण कार्यों के निष्पादन की जिम्मेदारी वाले पटल हैं। इस बड़े बाबू का डीएसओ ऑफिस में काफी दबदबा है। बड़े अधिकारी से लेकर छोटे मुलाजिम तक इसको काफी तरजीह देते हैं।यह जिले भर के कोटेदारों के लिए अति महत्वपूर्ण अहलकार है।
डीएसओ ऑफिस में कार्यरत इस बड़े बाबू के पास जिले भर के सभी कोटेदारों और मीडिया प्रबंधन का महत्वपूर्ण जिम्मा है।
कहां लंबी है....
*रेनबोन्यूज* के आने वाले अंकों में हम इस बड़े बाबू से संबंधित क्रिया कलापों का प्रकाशन सिल सिलेवार करेंगे।
आप हमारे साथ बने रहें.....
*✍️ कलम घसीट*
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