*इस धरा पे, इस धरा का, सब धरा रह जायेगा...*
*एक जमाना वो भी था,*
*जब गैरों के लिए रोते थे लोग,*
*लेकिन अब तो अपनों को रुलाकर मुस्कराते है लोग।*
*चुप रहना और अपने काम में लगे रहना भी एक कला है इस संसार में...*
*जिसको भी ये आ गया,*
*वो बिना किसी आवाज़ के बुलंदियों पर पहुँच गया.!*
*गलत दिशा में बढ़ रही "भीड़" का हिस्सा बनने से बेहतर है कि...*
*सही दिशा में अकेले चला जाए..*
*अधर्म पर मौन होकर जो मात्र निहारे जाते हैं...*
*फिर चाहे वो भीष्म हों, द्रोण हों या कर्ण...*
*सब के सब मारे जाते हैं.!*
*विपरीत समय में, जो हमारे साथ खड़ा है...*
*वही सारे संबंधों में सबसे बड़ा है..!!*
*तेरी नेकी का लिबास ही,*
*तेरे बदन को ढकेगा ए बन्दे,*
*सुना है उपरवाले के घर कपडो की दूकान नही होती।*
*ज़रूरत का हर सामान तो खरीद सकते हैं मॉल से...*
*मगर बच्चों में तहज़ीब आएगी सिर्फ और सिर्फ घर के माहौल से...*
*“भलाई करना कर्तव्य नहीं आनंद है...*
*क्योंकि वह तुम्हारे स्वास्थ्य और सुख की बृद्धि करता है,*
*ना किसी को नाराज करके जिएं..*
*ना किसी से नाराज होकर जिएं..*
*जिंदगी बस कुछ पलों की है।*
*सबको खुश रखें और सबसे खुश होके जिएं.!*
*मुट्ठी बांधे जन्म लिया है, हाथ पसारे जाना है।*
*बस एक ही बात याद रखना...*
*इस धरा का,*
*इस धरा पर,*
*सब धरा रह जायेगा।*
*ऐ भाई ज़रा देख के चलो, आगे भी नहीं पीछे भी...*
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