सोनू सिंह हत्याकांड में बड़ा उलटफेर, ट्रायल कोर्ट के आदेश को हाईकोर्ट नें किया रद्द !
अयोध्या ! विद्युत ठेकेदार सोनू सिंह की हत्या कौशलपुरी कालोनी स्थित उनके निवास पर लगभग 5 वर्ष पूर्व हुई थी, जिसमे कैंट थाने में आईपीसी की धारा 302,386,120-B,506 के तहत मुकदमा पंजीकृत किया गया था !
हत्या व आत्महत्या के बीच मामला उलझा हुआ था, फिलहाल आत्महत्या को आधार बनाकर जांच अधिकारी आगे बढ़े, जबकि आत्महत्या विवादित रही कारण बताया गया अगर आत्महत्या होती तो जिस रिवाल्वर से आत्महत्या दर्शाई जा रही है वह गद्दे के नीचे बेड पर कैसे होती, जबकि लाश जमीन में पड़ी पाई गई।
लेकिन मामले में बड़ा बदलाव तब आ गया जब शिकायतकर्ता व मृतक सोनू सिंह के पिता राजकुमार की शिकायत पर सीजेएम कोर्ट को उसी के आदेश को रद्द करते हुए हाईकोर्ट के आदेश को कोर्ट में प्रस्तुत करने के एक माह के अंदर फ्रेश आर्डर देने को निर्देशित किया !
याचिकाकर्ता के वकील द्वारा हाईकोर्ट में दलील दी गई जांच अधिकारी द्वारा फ़ाइनल रिपोर्ट बिना किसी कंटेंट जैसे रिकवरी मेमो,साइट प्लान व पोस्टमार्टम रिपोर्ट को संज्ञान में लिए दाखिल की गई थी साथ ही सीजेएम कोर्ट नें आशा जताई कि शिकायत कर्ता जांच से संतुष्ट है और फ़ाइनल रिपोर्ट को स्वीकार कर रहा है
यह भी कहा गया क़ि प्रोटेस्ट पेटिशन में जो तथ्य जाहिर किये गए थे सीजेएम कोर्ट नें उसको संज्ञान में नही लिया !
पूर्व विधायक खब्बू तिवारी की फिर बढ़ी मुस्किलें, 5 वर्ष पूर्व सोनू सिंह हत्याकांड मामला हाईकोर्ट के आदेश पर खुला !
सोनू सिंह हत्याकांड में बड़ा उलटफेर, सीजेएम कोर्ट के आदेश को हाईकोर्ट नें किया रद्द !
अयोध्या ! विद्युत ठेकेदार सोनू सिंह की हत्या कौशलपुरी कालोनी स्थित उनके निवास पर लगभग 5 वर्ष पूर्व हुई थी, जिसमे कैंट थाने में आईपीसी की धारा 302,386,120-B,506 के तहत मुकदमा पंजीकृत किया गया था !
हत्या व आत्महत्या के बीच मामला उलझा हुआ था, फिलहाल आत्महत्या को आधार बनाकर जांच अधिकारी आगे बढ़े, जबकि आत्महत्या विवादित रही कारण बताया गया अगर आत्महत्या होती तो जिस रिवाल्वर से आत्महत्या दर्शाई जा रही है वह गद्दे के नीचे बेड पर कैसे होती, जबकि लाश जमीन में पड़ी पाई गई।
लेकिन मामले में बड़ा बदलाव तब आ गया जब शिकायतकर्ता व मृतक सोनू सिंह के पिता राजकुमार की शिकायत पर सीजेएम कोर्ट को उसी के आदेश को रद्द करते हुए हाईकोर्ट के आदेश को कोर्ट में प्रस्तुत करने के एक माह के अंदर फ्रेश आर्डर देने को निर्देशित किया !
याचिकाकर्ता के वकील द्वारा हाईकोर्ट में दलील दी गई जांच अधिकारी द्वारा फ़ाइनल रिपोर्ट बिना किसी कंटेंट जैसे रिकवरी मेमो,साइट प्लान व पोस्टमार्टम रिपोर्ट को संज्ञान में लिए दाखिल की गई थी साथ ही सीजेएम कोर्ट नें आशा जताई कि शिकायत कर्ता जांच से संतुष्ट है और फ़ाइनल रिपोर्ट को स्वीकार कर रहा है
यह भी कहा गया क़ि प्रोटेस्ट पेटिशन में जो तथ्य जाहिर किये गए थे सीजेएम कोर्ट नें उसको संज्ञान में नही लिया !
No comments:
Post a Comment