भारत लक्षद्वीप और पर्यटन की संभावनाएं लक्षद्वीप भारतीय संघ का एक संघ शासित द्वीप समूह है जिसमें कुल लगभग 36 छोटे बड़े द्वीप हैं इसमें केवल 10 द्वीप ऐसे हैं जिसमें मानव निवास करते हैं इसकी राजधानी का वृद्धि है और इसका कुल क्षेत्रफल 32 वर्ग किलोमीटर का है इस प्रकार यह भारत के सबसे छोटे राज्यों में से एक है
लक्षद्वीप चारों ओर हरे नीले समुद्र से घिरा हुआ है और इसका कोई भी भूभाग 5 किलोमीटर से अधिक समुद्र से दूर नहीं है अर्थात आप कहीं पैदल भी समुद्र के किनारे पहुंच सकते हैं
इसके अत्यधिक सुंदर दृश्य जिसे अंग्रेजी में लैंडस्केप कहा जाता है अद्भुत और कल्पना से पड़े हैं इनके सबसे निकट की दूरी केरल के कोच्चि शहर से हैं जहां शहर 250 किलोमीटर दूर अरब सागर में स्थित है यहां पर समुद्र में डूबी हुई भूमि लंबे-लंबे रेत के किनारे और रेत के टीले समुद्री वनस्पति और समुद्री जीव मछलियों की ढेर सारी उपस्थित इसको एक अद्भुत और रहस्य पूर्ण द्वीप बना देती हैं
लक्षद्वीप पहले सनातन धर्म का और उसके बाद बौद्ध धर्म का केंद्र बना बाद में एक षड्यंत्र के तहत यहां के राजा को जो बहुत देते मुस्लिम बनने को बाध्य किया गया और अब यहां मुस्लिम धर्म की प्रधानता है लक्षद्वीप एक उष्णकटिबंधीय क्षेत्र है जहां 27 डिग्री सेल्सियस से लेकर 33 डिग्री सेल्सियस का तापमान रहता है मैं महीना यहां सबसे अधिक गर्म होता है अगर दिन में 11 से 3तक को छोड़ दिया जाए तो यहां की जलवायु बहुत अच्छी हैं अक्टूबर से लेकर मार्च तक यहां सबसे अच्छा समय रहता है यहां पर 3 महीने से 4 महीने तक वर्षा का समय रहता है
इस सुंदर द्वीप समूह पर बहुत पहले कुबेर का उसके बाद रावण का राज रह चुका है इसका अस्तित्व एक नंबर 1956 में आया एंड्राइट यहां का सबसे बड़ा नगर है और यह केरल उच्च न्यायालय से जुड़ा हुआ है यहां पर लगभग 7 लाख लोग रहते हैं 93% लोग मुसलमान है और उसमें भी सुन्नी मुसलमान सबसे अधिक है
यहां पर मलयालम उर्दू हिंदी और माहे भाषा बोली जाती है यहां पर अधिकतर आदिवासी थे जो मुसलमान हो गए जबकि पहले सब के सब सनातनी हिंदू थे मछली पालन और पर्यटन यहां का प्रमुख व्यवसाय है यहां पर मुस कबाब बिरियानी लबस्टर मसाला प्रसिद्ध भोजन है ईद बकरीद मोहर्रम यहां के प्रसिद्ध त्योहार हैं यह पूरी तरह मुस्लिम रंग में रंगा हुआ प्रदेश है यहां का प्रमुख नृत्य लावा है
स्वतंत्रता के समय जिन्ना इस पर कब्जा करना चाहते थे लेकिन सरदार पटेल के चलते उनकी दाल नहीं गली 1973 को इस लक्षद्वीप नाम दिया गया इसका उल्लेख प्राचीन काल के अनेक विदेशी यात्रियों ने किया है बौद्ध जातक कथाओं में इसका उल्लेख है यहां पर चोल राजवंश का भी शासन रहा है यह नम मूंगे की चट्टानों से बना हुआ है पुर्तगाली अंग्रेजी शासन भी इस पर रहा है इसलिए इस पर बहुत बड़े और ठोस काम नहीं हो सकते हैं यहां के 91% भाग वनों से आच्छादित है ज्यादातर नारियल के वृक्ष मिलते हैं यहां के प्रमुख पर्यटन स्थलों में अगाती मिनीकाय बांगारम और करती हैं
पराठा मछली चावल मूस कबाब यहां का प्रमुख भोजन है यहां पर ऑक्टोपस भी फ्राई करके खाया जाता है यहां पर समुद्र में उगते और डूबते सूरज का दृश्य अद्भुत होता है
सामान्य लोगों के लिए आसान नहीं है लक्षद्वीप जाना अभी हाल में मालदीव के मंत्रियों द्वारा मोदी जी और भारत का घनघोर अपमान फिर मोदी जी कल लक्षद्वीप जाना और उसे पर्यटन के रूप में विकसित करना जितना आसान दिखता है उतना आसान नहीं है भले ही मालदीव में समुद्र का नीला हरा साफ पानी वन्य और समुद्री जीवों की अधिकता सूर्य का अद्भुत निकलना और छिपना मूंगे की चट्टानें समुद्र में डूबे हुए स्वर्ग जैसे दृश्य हैं
सबसे अधिक परेशानी यहां पर आने और जाने का नियम और उसका बेहद महंगा होना है जिसकी भारत के 99% लोग कल्पना नहीं कर सकते यहां पर केवल आने और जाने के लिए कम से कम आपके पास ₹200000 होने चाहिए यहां पर आना-जाना केवल धन कुबेर लोगों के लिए ही संभव है और एक रात के लिए हजार डॉलर अर्थात 80 से 90 हजार रुपए लग जाता है यह एक छोटा और अति संवेदनशील क्षेत्र है जहां के कट्टर सुन्नी आदिवासी पर्यटन के लिए अनुकूल नहीं है इसके द्वीप चट्टानें और मूंगे के रीफ बहुत ही कोमल हैं इसलिए बाद निर्माण बड़ी बिल्डिंग हवाई अड्डे इत्यादि बनाना संभव नहीं है और हमेशा सुनामी और भयानक तूफान का खतरा भी लगा रहता है यहां की स्थानीय आबादी और उसके संस्कृति आसानी से सबके साथ घुल मिल नहीं सकती हैं
और भारत के किसी अन्य राज्य की तरह आप वहां पर बेरोकटोक टोक नहीं जा सकते वहां जाने के लिए विशेष परमिट की आवश्यकता होती है और यह सभी प्रक्रिया बहुत लंबी और बहुत महंगी है
यह भारत के लिए ईश्वरीय स्थान है लेकिन हवाई जहाज से आने जाने में ही ₹50000 लग जाते हैं यहां पर 95 प्रतिशत आदिवासी रहते हैं इनर लाइन परमिट लेने के बाद कोच्चि है बेंगलुरु से 1 घंटे की उड़ान से लेकर 2 घंटे की उड़ान लगती है कोच्चि से आने-जाने का लगभग ₹15000 तो बैंगलोर से 15 से लेकर ₹50000 है हेलीकॉप्टर की सुविधा भी है जो और भी महंगी है
जल यान अर्थात पानी के जहाज से जाने में 14 से 18 घंटे कोच्चि से लग जाता है और किराया लगभग ₹10000 हैं 5 दिनों का पूरा समुद्री टूर पैकेज लक्षद्वीप से होकर कोच्चि तक ₹50000 से लेकर 125000 एक व्यक्ति पर पड़ता है बेंगलुरु एर्नाकुलम से आप बस के द्वारा वेलिंगटन द्वीप समूह जाकर फेरी से भी लक्षद्वीप जा सकते हैं
अभी तक लक्षद्वीप में केवल 150 कमरे होटल में है इसके अलावा होम स्टे में 300 कमरे उपलब्ध हैं यहां पर होटल में सिंगल डबल एसी रूम का चार्ज 18 से ₹20000 हैं इन सब से आप समझ सकते हैं कि लक्षद्वीप में पर्यटन का विकसित होना और स्थानीय लोगों के लिए खोलना आसान नहीं है
डॉक्टर दिलीप कुमार सिंह*
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