_*प्रेस नोट*_
*हत्या एवं हत्या के प्रयत्न के आरोपियों को हुई आजीवन कारावास की सजा ।*
*मध्यप्रदेश राज्य की ओर से अभियोजन अधिकारी गणेश पाण्डेय के द्वारा उक्त अपराध में अभियोजन का संचालन किया गया ।*
मैहर के प्रथम अपर सत्र न्यायालय के पीठासीन अधिकारी श्री प्रशांत शुक्ला ने म.प्र. राज्य विरूद्ध पवन सिंह सत्र प्रकरण क्र. 143/2018 प्रकरण मे आरोपी पवन पिता जागेश्वर उम्र 35 वर्ष विजय पिता ललन , उम्र 33 वर्ष दोनो निवासी अमगार थाना बदेरा को थाना बदेरा के अपराध कमांक 110/2018 में धारा 302,307,34 भादवि में आरोपीगण को दोषसिद्ध करते हुए धारा 302 /34 में आजीवन कारावास एवं धारा 307 /34 में 07 वर्ष के कठोर कारावास तथा कुल 30,000 रू जुर्माने के दण्ड से दंडित किया गया ।
विचारण के दौरान *अभियोजन अधिकारी गणेश पाण्डेय* के द्वारा विचारण न्यायालय के समक्ष आरोपी के विरूद्ध विरचित आरोप को प्रमाणित / साबित करने के लिए राज्य की ओर से अभियोजन के द्वारा कुल 27 अभियोजन साक्षियों के कथन , कुल 62 दस्तावेज एवं 02 आर्टिकल्स अभियोजन साक्ष्य के रूप मे प्रस्तुत किये गये ।
अभियोजन की ओर से प्रस्तुत उपरोक्त साक्ष्य पर विचारण न्यायालय द्वारा आरोपीगण से कुल 200 प्रश्नों के द्वारा उनका स्पष्टीकरण चाहा गया था । आरोपीगण के द्वारा अपने आप को अपराध में पुलिस द्वारा झूठा आलिप्त करने का बचाव लिया गया था । आरोपीगण की ओर से अपने बचाव में कोई साक्ष्य प्रस्तुत नही की गयी थी । दोनो आरोपी गिरफ्तारी दिनांक 19.05.2018 से न्यायिक निरोध में जेल में निरूद्ध है ।
*घटना वृतान्त-*
घटना संक्षेप में यह है कि घटना दिनांक 17.05.2018 को सुबह मृतक सिराज उर्फ राका निवासी पुरानी बस्ती मैहर के साथ आहत सकील मैहर से बस में बैठकर कटनी गया था।मृतक एवं आहत कटनी से कैमोर रात 9 बजे पहुच गये थे । दोनो लोग बस स्टैण्ड आये वहां बस नहीं मिली तब माईस में लाने वाली डम्फर में बैठकर दोनों लोग पिपरा माइंस तक आये वहां दोनों को उतार दिया फिर वहां से दोनों लोग भदनपुर के लिये पैदल चलना शुरू कर दिये और जैसे ही दोनो राय खदान के पास ग्राम अमगार पहुंचे वैसे ही वहां चार-पांच लोग दोनो को रोक लिये और उनलोगों ने पूछा कि कहां जा रहे हो तो दोनों ने कहा मैहर जा रहे हैं । तब उनलोगों ने इनको गौवंश वध के आरोप पर मारना शुरू कर दिया ।मारपीट लगभग आधे घण्टे तक होती रही । आरोपीगण सकील और सिराज के साथ मारपीट कर चले गये फिर वहां 100 डॉयल वाहन आया और सिराज तथा सकील को मैहर अस्पताल लेकर आये । जहाँ डॉक्टर के द्वारा सिराज उर्फ राका को मृत घोषित किया गया ।
यद्यपि विचारण के दौरान स्वतंत्र अभियोजन साक्षियों ने अभियोजन और घटना के समर्थन नही किया गया किन्तु विचारण न्यायालय द्वार आहत सकील की साक्ष्य एवं अन्य विशेषज्ञ तथा पुलिस साक्षियो की साक्ष्य पर तथा अभियोजन अधिकारी गणेश पाण्डेय के ओर से प्रस्तुत तर्कों पर विचार करते हुए विचारण न्यायालय द्वारा आरोपीगण के विरूद्ध भादवि की अपराध धारा 302/34 ,307/34 के आरोप को संदेह से परे प्रमाणित पाया गया ।
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